सुखसागर के लेखक हैं

  1. नूतन सुखसागर
  2. [Solved] 'सूरसागर' के रचयिता कौन हैं
  3. सुख सागर पुस्तक किस बारे में है?
  4. [PDF] सुखसागर श्रीमद भागवत के बारह स्कंध
  5. [Solved] 'पंचतंत्र' के लेखक कौन हैं?


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नूतन सुखसागर

झरष्याय २ के श्रीमद्वागवत माहात्म्य के रंगी । हे साधु आप दयाजु ने मेरी बाधा तो क्षणमात्र में हर ली परन्तु इन ज्ञान वेराग्य नामक पुत्रों को चेत नहीं हुआ सो इन्हें सचेत करो । श्री नारद मुनि उस भक्ति का यह वचन सुन उन दोनों ज्ञान और वेराग्य को अपने हाथ से सहारा देकर जगाने लगे जब इस रीति से वे न जागे तब कान के निकट मुख लगा कर नारदजी ने ऊ चे सर से पुकारा कि हे ज्ञान शीघ्र जागो और हे वैराग्य शीघ्र जागो । इस प्रकार पुकारने से उन्होंने जब नेत्र न खोले तब नारदजी ने वेद वेदान्त के शब्द सुनाय बारभ्बार जगाया तब वे दोनों बलपूर्वक महा कठिनता से उठे। किन्तु बहुत निर्बल होने के कारण फिर गिर पढ़े उनकी यह दशा देखकर नारदजी को महा चिन्ता उत्पन्न हुई और वह गोविन्द भगवान का स्मरण करने लगे । भगवान का स्परण करते ही आकाश वाणी हुई कि हे तपोधन खेद मत करो तुम्हारा उद्यम सफल होगा निभित्ततुम सक्क्म का आरम्भ करो और वह सकर्म तुमसे महात्मा लोग वर्णन करेंगे । सत्कर्म करने मात्र से ही इन दोनों की निद्रा सहित बृद्धता जाती रहेगी । इस वाणी को सुनकर नारद जी विस्मित होकर विचार करने लगे कि महात्मा साधुजन कहां मिलेंगे और साधन किस प्रकार देंगे । सूतजी बोले कि नारदमुनि इती सोच विचार में उन दोनों को दहीं छोड़कर महात्मा साधुओं को खोजने को चल दिये और प्रत्येक तीथों में जाकर मार्ग में मुनोश्वरों से पूछने लगे । नारदजी के वृत्तांत को सबने सुना परन्तु किसी ने निश्चय करके ठीक उत्तर नहीं दिया । तब नारदजी चिन्तातुर होकर बदरी बन में आाये आर यह निश्चय किया कि यहां तप करूँगा इतने में कोटि सूर्य के समान तेजवाले सनक आदि मुनियों को अपने सन्मुख खड़े देखकर नारदजी बोले कि हे मुनीश्वरों इस समय बड़े भाग्य से झापका समागम हुआ । झाप सब प्रक...

[Solved] 'सूरसागर' के रचयिता कौन हैं

सही उत्तर है सूरदास। Key Points • सुर दास ब्रजभाषा में सूरसागर के लेखक हैं। • यह भगवान कृष्ण और उनकी प्रिय राधा के आकर्षण पर छंदों से भरा है। • सूरदास और मीराबाई ने वल्लभाचार्य का अनुसरण किया। Additional Information • सूरदास 15 वीं शताब्दी के अंधे संत, कवि और संगीतकार थे, जो भगवान कृष्ण को समर्पित अपने भक्ति गीतों के लिए जाने जाते थे। • सूरदास के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपनी विशाल सुर सुर सागर में एक सौ हजार गीत लिखे और संगीतबद्ध किए, जिनमें से लगभग 8,000 ही प्रचलित हैं। • उन्हें सगुण भक्ति कवि माना जाता है और इसलिए उन्हें संत सूरदास के नाम से भी जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है माधुर्य का सेवक।

सुख सागर पुस्तक किस बारे में है?

यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। सुखसागर, मुंशी सदासुखलाल द्वारा रचित एक हिन्दी ग्रन्थ है जो खड़ी बोली की प्रारम्भिक कृतियों में से एक है। इन्हेंभीदेखें[संपादित करें] • प्रेमसागर -- जो खड़ी बोली का एक अन्य प्ररम्भिक ग्रन्थ है। (लल्लू लाल द्वारा रचित) "https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=सुखसागर&oldid=5040657" से प्राप्त श्रेणी: • हिन्दी ग्रन्थ छुपी हुई श्रेणियाँ: • सभी आधार लेख • आधार इस प्रसंग में योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन ही इस ग्रन्थ का मुख्य प्रतिपाद्य विषय है। भक्ति के साथ ही इसमें कर्म, ज्ञान, योग्य, सांख्य आदि का भी यथास्थान वर्णन हुआ है। यही नहीं इसमें प्रसंगवश अनेक आख्यानों राजवंशों, सृष्टि, प्रलय आदि विषयों का भी समुचित वर्णन हुआ है। सुख सागर पुस्तक के लेखक कौन है?

[PDF] सुखसागर श्रीमद भागवत के बारह स्कंध

‘सुखसागर श्रीमद भागवत के बारह स्कंध’ PDF Quick download linkis given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Sukhsagar Shrimad Bhagavat’ using the download button. सुखसागर श्रीमद भागवत के बारह स्कंध – Sukhsagar Shrimad Bhagavat PDF Free Download सुखसागर श्रीमद भागवत के बारह स्कंध सनकुमारजी बोले यह बात तुमने बहुत अच्छी पूंछी सुनो इस सप्ताहयज्ञ को बीच महीने भादों व कार व कार्तिक व अगहन के सुनना बड़ा पुण्य है सिवाय इसके जब इच्छा हो और कोई पण्डित व्यासजी अच्छे मिलजावें तब सुनै शुभकर्म करना किसी समय मना नहीं है पर जो कोई सप्ताह सुनने की इच्छा करे उसे चा- हिये कि अच्छा मुहूर्त पूंछकर अपने इष्ट मित्रों को कहला भेजे कि हमारे यहां सप्ताह यज्ञ होगा आप लोग भी सुननेवास्ते आना व जो लोग कि विरक्त हो उनको भी इस यज्ञ में बुलाना उचित है व जो स्थान घरमें या बाग या तीर्थ पर अच्छा हो वह कथा सुननेवास्ते ठहराव और वह जगह चांदनी व केला व बन्दनवार आदि से अच्छीतरह अलंकृत करावे जिसतरह विवाहादिक व यज्ञ में तैयार कराते हैं और व्यासजी के बठने को बहुत अच्छा ऊंचा सिंहासन रखवादे व बैष्णव लोगों को जो कथा सुनने आवें उनकेवास्ते पृथक् पृथक् आसन बिछ्वादे व प्रात समय से व्यासजी कथा बांचना आरम्भकरें व श्रोता लोग स्नान व सन्ध्या करके कथा होने से पहिले वहां आवे व चित्त लगाकर कथा सुने व पहिले दिन मुख्य मालिक कथा सुननेवाले को गणेशजी की पूजा करना चाहिये जिसमें बीच सप्ताह यज्ञ के कोई विघ्न न हो व एक ब्राह्मण विद्वान् को विष्णुसहस्रनाम का बरण सात दिनवास्ते देकर बैठाल देना उचित है कि वह ब्राह्मण शालग्राम की पूजा व विष्णुसहस्रनाम का पाठ करके...

[Solved] 'पंचतंत्र' के लेखक कौन हैं?

सही उत्तर है, विष्णु शर्मा। Key Points • विष्णु शर्मा 'पंचतंत्र' के लेखक हैं। • पंचतंत्र का तात्पर्य अंतरसंबंधी पशु दंतकथाओं के प्राचीन भारतीय संग्रह से है और इसे मूल रूप से संस्कृत भाषा में लिखा गया था। • इसे 200 ईसा पूर्व के आसपास लिखा गया था और यह सबसे पुराने जीवंत ग्रंथों में से एक है। • पंचतंत्र का अन्य भाषाओं जैसे फारसी, सीरियाई और अरबी भाषाओं में अनुवाद किया गया था। • विष्णु शर्मा एक भारतीय विद्वान थे। Additional Information • कालिदास एक संस्कृत लेखक थे जिनकी प्रसिद्ध रचनाओं में अभिज्ञानशाकुन्तलम, मेघदुटा, रघुवंश, आदि शामिल हैं। • वाल्मीकि सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक थे और उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में रामायण भी शामिल है। • श्री हर्ष 12वीं शताब्दी के एक संस्कृत कवि और दार्शनिक थे और उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में नौशाद चरित्र आदि शामिल हैं।