सुल्तानगंज से देवघर कितना किलोमीटर है

  1. देवघर : सुल्तानगंज से देवघर दंड देते बाबाधाम पहुंचते हैं दंडी बम – Lagatar
  2. सुल्तानगंज से देवघर तक शुरू हो रही है डायरेक्ट ट्रेन सेवा। 50 किलोमीटर दूरी हो गई कम। बाबा धाम जाना होगा आसान।
  3. देवघर
  4. सुल्तानगंज बुद्ध
  5. सुल्तानगंज
  6. सुल्तानगंज से देवघर तक बनेगा कांवरिया कॉरिडोर, मंत्री नितिन नवीन का ऐलान
  7. देवघर किस लिए प्रसिद्ध है
  8. Sawan 2022 सुल्‍तानगंज से बाबाधाम जा रहे हैं तो जान लीजिए कांवड़ यात्रा से जुड़ी खास बातें आपके काम की है यह खबर


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देवघर : सुल्तानगंज से देवघर दंड देते बाबाधाम पहुंचते हैं दंडी बम – Lagatar

Deoghar : देवघर (Deoghar) – श्रावणी मेला आस्था के कई रूपों को लेकर विश्वप्रसिद्ध है. बाबाधाम पहुंचने वाले कांवरियों के भी कई रंग देखने को मिलते हैं. सुल्तानगंज से देवघर की 105 किलोमीटर की पैदल कांवड़ यात्रा कष्टकारी है. कांवरियों को पैदल यात्रा पूरी करने में चार से पांच दिन लग जाते हैं. वहीं डाक बम भी होते हैं जो बिना रूके 24 घंटे के भीतर बाबाधाम पहुंचकर जलार्पण करते हैं. भोलेनाथ की तरह देवघर पहुंचने वाले उनके भक्त मतवाले, मस्तमौला, औघड़, हठी और तपस्वी होते हैं. दंडी बम हठी और तपस्वी शिवभक्तों की श्रेणी में आते हैं. सुल्तानगंज से बाबाधाम की 105 किलोमीटर की लंबी यात्रा दंडी बम साष्टांग दंडवत करते हुए पूरी करते हैं. प्रत्येक दंड पर दंडी बम जमीन पर लकड़ी से चिन्ह बनाते हैं. अगला कदम उसी चिह्न पर पांव रखकर आगे बढाते हैं. दंडी बम को सुल्तानगंज से बाबाधाम की यात्रा पूरी करने में 25 से 30 दिन का समय लग जाता है. कठिन तप और हठ के कारण ही दंडी बम हठ बम के तौर पर भी जाने जाते हैं. दंडी बम अपनी यात्रा में फलाहार ग्रहण करते हैं. इनकी भक्ति की पराकाष्ठा देखते ही बनती है. इनकी सेवा में इनके साथ एक दल भी चलता है. दूसरी सोमवारी को उमड़ा आस्था का जनसैलाब जलार्पण के लिए कतारों में खड़े कांवरिए बाबा मंदिर में श्रावण की दूसरी सोमवारी पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. कांवरियों की कतारें नंदन पहाड़ तक पहुंच गई. 24 जुलाई की देर रात कांवरिए कतारों में लग गए. इस बार महिला कांवरियों की भी अच्छी खासी संख्या देखी जा रही है. देवघर बोल-बम के नारे से गूंजायमान हो उठा है. बाबा मंदिर में जलार्पण अर्घा से किया जा रहा है. दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए बाह्य अर्घा से जलार्पण की व्यवस्था है.

सुल्तानगंज से देवघर तक शुरू हो रही है डायरेक्ट ट्रेन सेवा। 50 किलोमीटर दूरी हो गई कम। बाबा धाम जाना होगा आसान।

अब बिहार के भागलपुर जिले स्थित सुल्तानगंज से भोलेनाथ की नगरी देवघर तक जाना पहले की अपेक्षा काफी आसान हो जाएगा क्योंकि सुल्तानगंज से देवघर की डायरेक्ट ट्रेन सेवा 12 अप्रैल से शुरू होने जा रही है। रेलवे की तरफ से इस बाबत नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। यह डीएमयू पैसेंजर ट्रेन होगी जो सुल्तानगंज से भागलपुर, बांका होते हुए देवघर तक जाएगी। फिर देवघर से बांका, भागलपुर होते हुए सुल्तानगंज तक आएगी। ये है ट्रेन का पूरा टाइम टेबल। जानकारी के अनुसार सुल्तानगंज से यह ट्रेन सुबह 6.20 बजे रवाना होगी। भागलपुर 7.05 बजे पहुंचेगी और 7.20 बजे रवाना होगी। बांका यह ट्रेन 9.55 बजे पहुंचेगी और वहां से 10.15 बजे रवाना होगी। देवघर पहुंचने का समय दिन के 12.15 बजे है। देवघर से यह ट्रेन दिन के 3.15 बजे सुल्तानगंज के लिए रवाना होगी। बांका शाम 4.50 बजे पहुंचेगी और 4.55 बजे रवाना हो जाएगी। वापसी में यह ट्रेन शाम 7.05 बजे भागलपुर पहुंचेगी और 7.15 बजे रवाना हो जाएगी। सुल्तानगंज रात 8.05 बजे पहुंचेगी। बाबा धाम जाना होगा आसान। इस ट्रेन की सेवा रविवार को छोड़कर सभी दिनों में उपलब्ध होगी। इस ट्रेन के चलने से सुल्तानगंज में जल भरकर बाबा वैद्यनाथ का दर्शन एवं पूजा करने जाने वाले लोगों को काफी सहूलियत हो जाएगी। लोग चाहें तो एक ही दिन में पूजा कर वापस भी हो सकते हैं। सावन के महीने में इस ट्रेन की उपयोगिता और बढ़ जाएगी। अभी तक सुल्तानगंज से देवघर तक की सीधी ट्रेन सेवा सप्ताह में एक ही दिन थी। अगरतला-देवघर एक्सप्रेस ट्रेन सप्ताह में एक दिन ही चलती है। 50 किलोमीटर तक दूरी हो जाएगी कम। बता दें कि पहले सुल्तानगंज से देवघर भाया किउल ट्रेन जाने का रूट था। इसकी दूरी 180 किमी है। भाया भागलपुर-बांका ट्रेन चलने के बाद यह दू...

देवघर

देवघर बैद्यनाथधाम बैद्यनाथधाम नगर निगम देश भारत क्षेत्रफल •कुल 2,479किमी 2 (957वर्गमील) ऊँचाई 254मी (833फीट) जनसंख्या (2011) •कुल 2,03,116 •दर्जा झारखण्ड में 5वाँ •घनत्व 602किमी 2 (1,560वर्गमील) भाषा •आधिकारिक 814112 दूरभाष कोड 00916432 JH-15 (जेएच १५) 921 वेबसाइट .babadham .org, .deoghar .nic .in देवघर, ( ᱫᱮᱣᱜᱷᱚᱨ) देवघर, उत्तरी अक्षांश 24.48 डिग्री और पूर्वी देशान्तर 86.7 पर स्थित है। अनुक्रम • 1 नाम का उद्गम • 2 जनसांख्यिकी • 3 मुख्य आकर्षण • 3.1 बैद्यनाथ मंदिर • 4 मंदिर के मुख्य आकर्षण • 4.1 पवित्र यात्रा • 4.2 बासुकीनाथ मंदिर • 4.3 बैजू मंदिर • 5 आसपास दर्शनीय स्थल • 5.1 त्रिकुट • 5.2 नौलखा मंदिर • 5.3 नंदन पर्वत • 5.4 सत्संग आश्रम • 5.5 पाथरोल काली माता का मंदिर • 6 आवागमन • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ • 9 बाहरी कड़ियाँ नाम का उद्गम [ ] देवघर शब्द का निर्माण देव + घर हुआ है। यहाँ देव का अर्थ देवी-देवताओं से है और घर का अर्थ निवास स्थान से है। देवघर "बैद्यनाथ धाम", "बाबा धाम" आदि नामों से भी जाना जाता है। जनसांख्यिकी [ ] 2011 की भारत जनगणना के अनुसार देवघर की जनसंख्या 203,116 है जिसमें से 17.62% बच्चे 6 वर्ष से कम आयु के हैं। कुल जनसंख्या का 52% भाग पुरूष हैं एवं 48% महिलाएँ हैं।2011 के अनुसार मुख्य आकर्षण [ ] झारखंड कुछ प्रमुख तीर्थस्थानों का केंद्र है जिनका ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है। इन्हीं में से एक स्थान है देवघर। यह स्थान बैद्यनाथ धाम के अलावा भी यहां कई मंदिर और पर्वत हैं। बैद्यनाथ मंदिर [ ] मुख्य लेख: इस मंदिर की स्थापना १५९६ की मानी जाती है जब बैजू नाम के व्यक्ति ने खोए हुए लिंग को ढूंढा था। तब इस मंदिर का नाम बैद्यनाथ पड़ गया। कई लोग इसे कामना लिंग भी...

सुल्तानगंज बुद्ध

यदि पूरे भारत और विश्व के स्तर पर पुरातत्त्व के क्षेत्र में बिहार के विशेष योगदान की बात की जाय, तो पटना की दीदारगंज यक्षिणी के साथ सुल्तानगंज (ज़िला भागलपुर) की बुद्ध मूर्ति का नाम आता है। बुद्ध की यह मूर्ती कांस्य की बनी है । यह साढ़े सात फ़ुट ऊंची और 5 क्विंटल वज़नी । बुद्ध की यह मूर्ति सन 1858 में पटना-हावड़ा लूप रेल लाईन पर सुल्तानगंज स्टेशन के निर्माण के लिये करायी जा रही खुदाई के दौरान रेलवे इंजीनियर ई.बी. हैरिस को मिली थी। यह मूर्ति देखने में सारनाथ के प्रस्तर बुद्ध मूर्ति के एकदम हूबहू थी । इसका शिल्प अत्यंत आकर्षकऔर उत्कृष्ट था। पूरी दुनिया में बुद्ध की अबतक प्राप्त विशालाकार धातु (मेटल) निर्मित मूर्तियों में यह अकेली मानी जाती है। आज बुद्ध की यह नायाब मूर्ति बर्मिंघम (इंग्लैंड) के ब्रिटिश म्यूज़ियम एण्ड आर्ट गैलरी की शोभा बढ़ा रही है। रेलवे इंजीनियर हैरिस लंदन से प्रकाशित अपनी पुस्तिक में बताते हैं कि जब ये मूर्ति मिली, तो इसके सौंदर्य से प्रभावित होकर बर्मिंघम के पूर्व मेयर सेमुएल थोनेटन ने उन्हें इसे बर्मिंघम भेजने का अनुरोध किया जिसका परिवहन व्यय उन्होंने ही उठाया था। थोनेटन ने इस मूर्ति को बर्मिंघम के ब्रिटिश म्यूज़ियम एण्ड आर्ट गैलरी को प्रर्दशन भेंट कर दिया। शांत-सौम्य मुद्रा में खड़ी यह बुद्ध-मूर्ति बायें हाथ से अपने परिधान के किनारे को पकड़े हुए है, जबकि इसका दाहिना हाथ उपदेश की मुद्रा में उठा हुआ है। इस मूर्ति के शिल्प के बारे में इतिहासकार ए.एल.बाशम ‘द् वंडर दैट वाज़ इंडिया’ में कहते हैं कि ताम्र तथा पीतल की अब तक प्राप्त गुप्तकालीन मूर्तियों में सुल्तानगंज की बुद्ध-मूर्ति सबसे अधिक प्रभावशाली है। पारदर्शी परिधान के प्रभाव से युक्त यह सुंदर मूर्ति अपनी...

सुल्तानगंज

सुल्तानगंज में उत्तर वाहिनी गंगा ( अजगवीनाथ मन्दिर। अर्थात एक ऐसे देवता का मन्दिर जिसने साक्षात उपस्थित होकर यहाँ वह चमत्कार कर दिखाया जो किसी सामान्य व्यक्ति से सम्भव न था। जो भी लोग यहाँ सावन के महीने में काँवर के लिये गंगाजल लेने आते हैं वे इस मन्दिर में आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना और जलाभिषेक करना कदापि नहीं भूलते। इस दृष्टि से यह मन्दिर यहाँ का अति महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है। यातायात के साधन सुल्तानगंज पूरे वर्ष भर सन्दर्भ

सुल्तानगंज से देवघर तक बनेगा कांवरिया कॉरिडोर, मंत्री नितिन नवीन का ऐलान

इस महीने शुरू हो रहे श्रावणी मेले से पहले कांवरियों के लिए अच्छी खबर आई है। बिहार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि जल्द ही 84 किलोमीटर लंबा कांवरिया कॉरिडोर बनाया जाएगा। इसके लिए विभाग ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है। जल्द ही इसकी मंजूरी मिलने की उम्मीद है। सुल्तानगंज से देवघर तक कांवरिया कॉरिडोर बनाया जाएगा। पथ निर्माण मंत्री ने गुरुवार को भागलपुर जिले में कच्चे कांवरिया पथ के निरीक्षण के दौरान यह बात कही। उन्होंने बताया कि मेला शुरू होने के पहले कच्चे कांवरिया पथ में गंगा नदी का बालू बिछाया जा रहा है। इस पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव होगा। ताकि कांवरियों को पैदल चलने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो। पथ की निगरानी के लिए नौ जोन बनाए गए हैं। कनीय अभियंताओं की प्रतिनियुक्ति की गई है। मंत्री ने बताया कि सुल्तानगंज-अगुवानीघाट पुल के गिरने की रिपोर्ट को 15 दिनों के अंदर सार्वजनिक किया जाएगा। तीनों आईआईटी की रिपोर्ट का एनआईटी के विशेषज्ञ अध्ययन कर रहे हैं। दोषी पाए जाने पर एसपी सिंगला को ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। मंत्री ने भागलपुर डीएम सुब्रत कुमार सेन सहित अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर तैयारी की समीक्षा की। मंत्री नितिन नवीन ने गुरुवार को मुंगेर में कृष्ण सेतु के एप्रोच पथ पर चल रहे बोल्डर पिचिंग कार्य का भी जायजा लिया। जब उनसे पुल निर्माण में गड़बड़ी से जुड़े सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा कि उन्हें अभी पूरी जानकारी मिली है। जिस भी निर्माण एजेंसी द्वारा गड़बड़ी की जाएगी, उसका सत्यापन कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल वे कांवरिया पथ का निरीक्षण करने आए हैं। श्रावणी मेला में संभावित जनसैलाब में बढ़ोत्तरी के मद्देनजर श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधाओं की मुकम्मल व्यवस्थ...

देवघर किस लिए प्रसिद्ध है

देवघर | देवघर का इतिहास | Deoghar | history of deoghar | देवघर किस लिए प्रसिद्ध है| देवघर झारखंड| बाबा बैद्यनाथ धाम |Baba Baidyanath dham. जय हिंद दोस्तों, तो स्वागत है आप लोगों का आज के इस आर्टिकल में, आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानने वाले हैं। झारखंड के सबसे प्रसिद्ध और धार्मिक शहर देवघर के बारे में और साथ ही साथ देवघर के सभी पर्यटन स्थाल और धार्मिक स्थल के बारे में भी जानने का प्रयत्न करेंगे। देवघर आने की देवों का नगरी या फिर कहां तू बाबा धाम के नाम से प्रसिद्ध झारखंड का सबसे पवित्र शहर। मयूराक्षी नदी के तट पर बसा झारखंड का एक ऐसा जिला जो कि संपूर्ण भारत में अपनी धार्मिक स्थलों, इतिहास और अपने रमणीय वास्तुकला के लिए बेहद प्रसिद्ध है। झारखंड राज्य की राजधानी रांची से 250 किलोमीटर दूर बसा देवघर जिला जो कि 120 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। देवघर जिला झारखंड के उत्तर पूर्वी दिशा में स्थित है जो कि बिहार के बांका और जमुई जिला से अपनी सीमा साझा करता है। इसके पूर्व में दुमका जिला, पश्चिम में गिरिडीह तथा दक्षिण में जामताड़ा जिला स्थित है। इस जिले का प्रशासनिक मुख्यालय देवघर जिले मैं ही स्थित है।और यह जिला संथाल परगना डिवीजन के अंतर्गत आता है। तो दोस्तों अब बात करते हैं इस शहर की जनसंख्या के बारे में, 2022 के आंकड़े के अनुसार 18,13,000 है जो कि झारखंड का आठवां सबसे बड़ा जनसंख्या वाला शहर है। लिंगानुपात की बात करें तो इस शहर में प्रत्येक 1000 पुरुष पर 925 महिलाएं हैं‌। यहां सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी है तथा क्षेत्रीय भाषा के रूप में खोरठा, मैथिली ,संथाली और भोजपुरी भी बोला जाता है। देवघर जिला सड़क मार्ग, वायु मार्ग तथा रेल मार्ग तीनों ही मार्गो से जुड...

Sawan 2022 सुल्‍तानगंज से बाबाधाम जा रहे हैं तो जान लीजिए कांवड़ यात्रा से जुड़ी खास बातें आपके काम की है यह खबर

Sawan 2022: सुल्‍तानगंज से बाबाधाम जा रहे हैं तो जान लीजिए कांवड़ यात्रा से जुड़ी खास बातें, आपके काम की है यह खबर Sawan 2022 बिहार के सुल्‍तानगंज से झारखंड के देवघर बाबाधाम तक की एक महीने चलने वाली कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है। बाबा मंदिर में भक्‍त सुबह चार बजे से रात 10 बजे तक जलार्पण कर सकेंगे। आइए जानते हैं इस यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें। पटना, आनलाइन डेस्‍क। Sawan 2022: सवान के महीने में बिहार के सुल्तानगंज गंगा घाट से जल लेकर झारखंड के देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम में अर्पित कर भगवान भोलनाथ की पूजा का खास महत्‍व है। इस अवसर पर सुल्‍तानगंज में लगे श्रावणी मेला का उद्घाटन गुरुवार की शाम बिहार के उमपुख्‍यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने किया। उधर, देवघर में एक दिन पहले बुधवार को ही श्रावणी मेला का आगाज हो चुका है। सुल्‍तानगंज से देवघर बाबाधाम श्रद्धालुओं का जाना शुरू है। वहां सुबह चार बजे से रात 10 बजे तक जलाभिषेक का समय निर्धारित है। बाबा नगरी देवघर में श्रावणी मेला बुधवार से शुरू हो चुका है। कोरोनावायरस संक्रमण के कारण दो साल तक मेले का आयोजन नहीं हो सका था, इसलिए इस साल श्रद्धालुओं की संख्‍या बढ़ने का अनुमान है। वैसे, सावन में भगवान भोलेनाथ को जल अर्पित करने के लिए करीब 40 लाख कांवडि़या पहुंचते रहे हैं। गुरुवार सुबह चार बजे से देवघर का बाबाधाम भक्‍तों के लिए खोल दिया गया है। बाबा मंदिर हर सुबह खुल रहा है तो 03.05 बजे, लेकिन सबसे पहले पुरोहित कांचाजल चढ़ाते हैं। इसके बाद भक्‍तों को सुबह चार बजे से प्रवेश दिया जा रहा है। भक्‍त सुबह चार बजे से रात 10 बजे तक भक्‍त जलार्पण कर रहे हैं। मंदिर में जलार्पण सौ मीटर दूर से अरघा से किया जा रहा है। पूरे महीन स्पर्श पूजा बंद रहेगी। सुल्...