सऊदी अरब की करेंसी क्या है

  1. भारतीय रुपये में कारोबार को तैयार होगा सऊदी अरब? किंगडम का आया बेहद अहम बयान
  2. इतिहास में पहली बार पाकिस्तान पहुंचा रूसी तेल, शहबाज शरीफ ने कहा
  3. सऊदी अरब के साथ मिलकर चीन ने किया ये बड़ा काम
  4. सऊदी अरब जाने से पहले वहाँ के नियम कानून को जरूर जान लें।
  5. अरब इजरायल के संघर्ष के कारण क्या है? – ElegantAnswer.com


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भारतीय रुपये में कारोबार को तैयार होगा सऊदी अरब? किंगडम का आया बेहद अहम बयान

India-Saudi Rupee-Riyal trade: भारत का अहम व्यापारिक पार्टनर बन चुका सऊदी अरब भारतीय करेंसी रुपये में कारोबार के लिए तैयार हो सकता है। सऊदी अरब ने कहा है, कि वह अमेरिकी डॉलर के अलावा अन्य मुद्राओं में व्यापार के बारे में चर्चा के लिए खुला है। सऊदी अरब की तरफ से ये बयान उस वक्त आया है, जब भारत काफी तेजी से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच रुपये की स्वीकार्यता बनाने के लिए काम कर रहा है, और कई देश भारतीय रुपये में कारोबार करने के लिए तैयार हो गये हैं, जिसमें रूस भी शामिल है। भारत-सऊदी में रुपये में कारोबार डॉलर में कारोबार करने का सबसे बड़ा असर ये होता है, कि डॉलर में मजबूती आने से महंगाई बढ़ जाती है, लिहाजा भारत सरकार ऐसे देशों के साथ रुपये में कारोबार करने की तरफ कदम बढ़ा रही है, जिसके साथ व्यापारिक भागीदारी मजबूत है। ब्लूमबर्ग टीवी की एक रिपोर्ट में सऊदी अरब के वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जादान के हवाले से कहा गया है, कि "इस बात पर चर्चा करने में कोई समस्या नहीं है, कि हम अपनी व्यापार व्यवस्था को कैसे सुलझाते हैं, चाहे वह अमेरिकी डॉलर में हो, चाहे वह यूरो में हो, चाहे वह सऊदी रियाल में हो।" सऊदी अरब के वित्तमंत्री मोहम्मद अल-जादान ने स्विट्जरलैंड के दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) 2023 के मौके पर ये अहम बयान दिया है। भारत-सऊदी व्यापार संबंध सऊदी अरब के वित्त मंत्री ने यह भी कहा, कि "मुझे नहीं लगता, कि हम दुनिया भर में व्यापार को बेहतर बनाने में मदद करने वाली किसी भी चर्चा को छोड़ रहे हैं या खारिज कर रहे हैं।" सऊदी अरब के वित्त मंत्री का यह बयान काफी महत्व रखता है, क्योंकि पिछले साल सितंबर महीने से भारत और सऊदी अरब के बीच रुपया-रियाल व्यापार को संस्थागत बनाने के साथ सा...

इतिहास में पहली बार पाकिस्तान पहुंचा रूसी तेल, शहबाज शरीफ ने कहा

पीएम शरीफ ने कहा कि आज परिवर्तनकारी दिन है। हम समृद्धि, आर्थिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा और सामर्थ्य की ओर एक-एक कदम बढ़ा रहे हैं। यह पाकिस्तान के लिए अब तक का पहला रूसी तेल कार्गो है। शरीफ ने आगे कहा कि पाकिस्तान और रूस के बीच एक नए रिश्ते की शुरुआत हो चुकी है। पीएम शरीफ ने कहा, "मैं उन सभी की सराहना करता हूं जो इस प्रयास का हिस्सा बने रहे और रूसी तेल आयात के वादे को हकीकत में बदलने में योगदान दिया।" आपको बता दें कि रविवार को रूसी कार्गो विमान प्योर पॉइंट, 183 मीटर लंबे तेल टैंकर से 45,000 मीट्रिक टन तेल लेकर कराची के बंदरगाह पर पहुंचा है। पाकिस्तान और रूस के बीच कम कीमत वाले रूसी कच्चे तेल के लिए अप्रैल में समझौता हुआ था। ऐसा माना जा रहा है कि सस्ते रूसी तेल से पाकिस्तान की कुछ राजकोषीय परेशानियां कम हो सकती हैं। पाकिस्तान रिफाइनरी लिमिटेड (PRL) UAE और सऊदी अरामको से आयातित कच्चे तेल के साथ मिलाकर रूसी कच्चे तेल को रिफाइन करेगी। इस हफ्ते एक और तेल टैंकर से 50,000 मीट्रिक टन रूसी कच्चा तेल पाकिस्तान पहुंचने की उम्मीद है। पाकिस्तान इन कच्चे तेल का भुगतान रूबल या रुपये में न कर चीनी मुद्रा युआन में करेगा। रूस से आयात किए गए इस तेल की कीमत का भुगतान बैंक ऑफ चाइना की ओर से किया जाएगा। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान अपने कच्चे तेल का 70 फीसदी आयात करता है, जिसे PRL, नेशनल रिफाइनरी लिमिटेड, पाक अरब रिफाइनरी लिमिटेड और बायको पेट्रोलियम द्वारा रिफाइन किया जाता है। आपको बता दें कि पाकिस्तान और रूस के बीच तेल के व्यापार को लेकर पिछले साल से बातचीत चल रही है। पाकिस्तान की राजनीति में एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ था। इमरान खान के पीएम रहने के दौरान भी पाकिस्तान ने 2022 में भी रू...

सऊदी अरब के साथ मिलकर चीन ने किया ये बड़ा काम

चीन लगातार मध्य-पूर्व में अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है. इसी क्रम में चीन-अरब व्यापार सम्मेलन के पहले दिन रविवार को रियाद में सऊदी अरब और चीन के बीच अरबों डॉलर का निवेश समझौता हुआ. सऊदी की तरफ से निवेश समझौते को लेकर जारी एक बयान में कहा गया कि यह बैठक अरब दुनिया और चीन के लिए साझा लाभकारी भविष्य के निर्माण का एक बेहतरीन अवसर है. सऊदी अरब चीन-अरब व्यापार सम्मेलन की पहली बार मेजबानी कर रहा है. रविवार से शुरू हुए सम्मेलन का यह 10वां संस्करण है. समाचार एजेंसी एएफपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी निवेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दो दिन चलने वाले इस सम्मेलन में अरब देशों और चीन के 3,500 सरकारी अधिकारी और बिजनेसमैन हिस्सा ले रहे हैं. सऊदी की तरफ से जारी बयान में कहा गया, 'सम्मेलन के पहले दिन 10 अरब डॉलर के निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किया गया गया. इनमें से अधिकांश निवेश सऊदी अरब के प्रोजेक्ट्स के लिए हैं.' सम्मेलन में सऊदी निवेश मंत्रालय और इलेक्ट्रिक सेल्फ ड्राइविंग कारों की निर्माता चीनी कंपनी Human Horizons के बीच 5.6 अरब डॉलर के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ. एक नए लाभकारी युग की शुरुआत सम्मेलन की शुरुआत करते हुए सऊदी के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने चीन और अरब देशों के बीच बढ़ते व्यापार और आर्थिक संबंधों की बात की. उन्होंने कहा, 'यह बैठक हमारे (अरब देशों और चीन के) लोगों के लिए एक नए, लाभकारी युग बनाने का एक अवसर है.' सऊदी की तरफ से जारी बयान के अनुसार, सऊदी अरब में लोहे के कारखाने की स्थापना के लिए सऊदी की AMR ALuwlaa कंपनी और हांगकांग की Zhonghuan International Group के बीच 53.3 करोड़ डॉलर का सौदा हुआ है. बैठक में सऊदी के ASK ग्रुप और चीन के चाइना नेशनल जियोलॉज...

सऊदी अरब जाने से पहले वहाँ के नियम कानून को जरूर जान लें।

• • • • • • • • • • सऊदी अरब- दोस्तो आप सभी ने इस देश के बारे जरूर सुना होगा। यह मुस्लिमों का देश है। यहाँ का नियम कानून बहुत फेमस है क्योंकि यहाँ का नियम कानून काफी सख्त है। सऊदी अरब बहुत अमीर देश है लेकिन इस देश के लोग बहुत आलसी होते है वो अपना काम खुद नही करना चाहते है इसीलिये बाहरी देश जैसा कि बाग्लादेश, भारत तथा विभिन्न देशो के लोग यहाँ पर नौकरी करने के लिये आते है। यहाँ के लोग इसलिए आलसी होते है क्योकि इनके पास बेसुमार पैसा होता है यहाँ का हर इंसान अरबपति है। दोस्तो लोग सऊदी अरब को तेल, रेत, शेख, और मक्का मदीना की वजह से जानते है। सऊदी अरब के कुछ रोचक तथ्य- • दोस्तो अभी हाल के समय मे सऊदी अरब जवान है। यहाँ हर चार मे से तीन आदमी 35 वर्ष से कम उम्र के है। • सेना पर खर्च के मामले मे सऊदी अरब दुनिया भर मे चौथे स्थान पर है। • इस देश मे काम करने वाले 80% मजदूर विदेशी है। यहाँ पर ज्यादातर मजदूर तेल और गैस सेक्टर मे काम करते है। • सऊदी अरब का कोई संविधान नही है। यहाँ पर पवित्र ग्रंथ कुरान और पैगम्बर मोहम्मद ही उनके संविधान है। यह देश शरियत कानून के मुताबिक चलता है। • यह देश दुनिया का आखिरी ऐसा देश है जहाँ पर महिलाओं को वोट डालने की आजादी मिली है। • सऊदी अरब का 95% हिस्सा रेगिस्तान है। इसीलिये पहले यहाँ पर पानी की किल्लत होती थी लेकिन अब आधुनिक उपकरणों की वजह से समुद्र के पानी को पीने के लायक बनाया जाता है। • इस देश मे तेल का भंडार है इसीलिए यहाँ पर पानी से सस्ता तेल मिलता है। • यहाँ पर सबसे ज्यादा लोग सिगरेट का सेवन करते है। लेकिन आप सिगरेट को आफिस या कंपनी के अंदर नही पी सकते है क्योंकि यहाँ की सरकार ने आफिस और कंपनी के अंदर सिगरेट को बैन किया हुआ है। • इस देश मे 95% हिस्सा...

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Will Rupee Become As Reserve Currency: क्या भारत की करेंसी रुपया रिजर्व करेंसी का स्टेटस हासिल कर सकता है ? इन दिनों से ये सवाल बड़े ही जोरशोर के साथ उठाया जा रहा है. देस दुनिया के कई जानकारों का मानना है कि अमेरिकी करेंसी डॉलर के अलावा दुनिया में एक और करेंसी को रिजर्व करेंसी का स्टेट मिलना चाहिए जिससे अमेरिकी डॉलर के दबदबे को चुनौती दी जा सके. साथ ही नॉस्ट्रो अकाउंट पर भी इसी का कंट्रोल है. क्या रुपया बनेगा रिजर्व करेंसी? हाल ही में कोटक महिंद्रा बैंक के चेयरमैन उदय कोटक ने कहा था कि भारतीय करेंसी रुपया रिजर्व करेंसी का स्टेटस हासिल करने में सबसे आगे है. उन्होंने कहा था कि यूरोपीय देश यूरो को रिजर्व करेंसी नहीं बना सकते क्योंकि यूरोप बिखरा हुआ है. यूके और जापान की अब वो हैसियत नहीं है कि पाउंड और येन को रिजर्व करेंसी बना सके. चीन पर दुनिया भरोसा नहीं करती है इसलिए युआन रिजर्व करेंसी नहीं बन सकता है. ऐसे में भारतीय रुपया रिजर्व करेंसी बनने के लिए सबसे प्रबल दावेदार हो सकता है. एम्बिट एसेट मैनेजमेंट के मुताबिक 2020 तक ग्लोबल ट्रेड में चीन की हिस्सेदारी 15 फीसदी है लेकिन भरोसे के अभाव और चीन के इकोनॉमिक सिस्टम में गवर्नेंस के चलते विश्व के विदेशी मुद्रा भंडार में उसी हिस्सेदारी 3 फीसदी से भी कम है. जबकि भारतीय अर्थव्यसस्था को चीन के मुकाबले रेग्यूलेटरों के पारदर्शिता भरोसमंद और स्थिरता के चलते बेहतर स्थिति में है. अगर अगले कुछ दशकों में भारत एक आर्थिक महाशक्ति बन सकता है और वैश्विक व्यापार में उसकी हिस्सेदारी बढ़ती है तो डॉलर की जगह रुपये को डॉलर के विकल्प के रूप में स्वीकार्यता जरुर बढ़ जाएगी. क्या है De-Dollarization? रिजर्व करेंसी के तौर पर अमेरिकी करेंसी डॉलर के पर निर्...

अरब इजरायल के संघर्ष के कारण क्या है? – ElegantAnswer.com

अरब इजरायल के संघर्ष के कारण क्या है? इसे सुनेंरोकेंअनेकों अरब देशों तथा इजराइल के बीच चला आ रहा राजनैतिक तनाव तथा सैन्य संघर्ष अरब-इजराइल संघर्ष कहलाता है। इस संघर्ष का मूल कारण १९वीं शताब्दी के अन्त में यहूदीवाद तथा अरब राष्ट्रवाद का उदय होना है। इजराइल ने भारत को क्या दिया? इसे सुनेंरोकें17 सितंबर 1950 को, भारत ने आधिकारिक तौर पर इज़राइल राज्य को मान्यता दी। भारत द्वारा इस्राइल को मान्यता दिए जाने के बाद, भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा, “हमने [इसराइल को मान्यता दी है] बहुत पहले, क्योंकि इज़राइल एक सच्चाई है। इजराइल ने कितने युद्ध लड़े? इसे सुनेंरोकें​6-डेज वॉर: इजरायल ने यूं बदला अरब देशों का नक्शा इजरायल और अरब देशों के बीच 1967 में हुई 6 दिवसीय लड़ाई आज के ही दिन यानी 10 जून, 1967 को खत्म हुई थी। इस युद्ध में 8 अरब देशों मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, इराक, कुवैत, सूडान अल्जीरिया, यमन और फिर सऊदी अरब को अकेले हराकर इजरायल दुनिया के ताकतवर देश के तौर पर उभरा। भारत ने इजरायल का साथ क्यों नहीं दिया? इसे सुनेंरोकेंसुरक्षा परिषद की बैठक में भारत का पक्ष रखते हुए टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि हम दोनों पक्षों से अत्यधिक संयम दिखाने, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचने और पूर्वी यरुशलम और उसके आसपास में मौजूदा यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने के प्रयासों से परहेज करने की अपील करते हैं. अरब और इजरायल के मध्य युद्ध कितने चरणों में लड़ा गया था? अरब-इजराइल युद्ध (१९४८) तिथि 15 मई 1948 – 10 मार्च 1949 अंतिम युद्धविराम समझौते 20 जुलाई 1949 को हुआ क्षेत्रीय बदलाव इजराइल का विभाजन योजना से आवंटित क्षेत्र पर कब्जा बरकरार और साथ ही अरब राज्य को आवंटित क्षेत्र के 50% पर कब्जा, पश्चिमी ...