सूर्य ग्रहण क्यों होता है

  1. Surya Grahan 2022 Why Does A Solar Eclipse Happen There Is An Interesting Legend Behind This
  2. Solar Eclipse News Dos And Donts What Scientists Say On These Beliefs Surya Grahan 2022 News Hindi News Abpp
  3. सूर्य ग्रहण कब, क्यों और कैसे होता है?
  4. Solar Eclipse 2023: क्या है सूर्य ग्रहण? आस्था से लेकर विज्ञान तक सब कुछ है यहां..
  5. Surya Grahan
  6. 417 साल पहले पता चला सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक घटना; क्यों और कैसे लगता है ग्रहण?
  7. सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) क्यों लगता है? सूर्य ग्रहण के प्रकार
  8. सूर्य ग्रहण क्यों होता है? Solar eclipse in Hindi


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Surya Grahan 2022 Why Does A Solar Eclipse Happen There Is An Interesting Legend Behind This

Surya Grahan 2022, Solar Eclipse 2022: पंचांग के अनुसार सूर्य ग्रहण प्रारंभ हो चुका है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल का आखिरी सूर्य ग्रहण बेहद अहम माना जा रहा है. विज्ञान के अनुसार जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही सीध में आ जाते हैं सूर्य ग्रहण लगता है.लेकिन इसके पीछे कुछ पौराणिक कथाएं भी हैं. मान्यता है कि राहु केतु के कारण ग्रहण की स्थिति बनती है. ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है? आइए जानते हैं. सूर्य ग्रहण की कथा (surya grahan katha) सूर्य ग्रहण को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. इस कथा के अनुसार जब देवताओं और दैत्यों के बीच समुद्र मंथन शुरू हुआ तो उसमें से अमृत का कलश भी निकला. देवताओं और दैत्यों में अमृत कलश को लेकर विवाद शुरू हो गया. देवताओं को चिंता थी कि यदि अमृत दैत्यों ने पी लिया तो दैत्य अमर हो जाएंगे और हर जगह इनका राज्य हो जाएगा. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप रखा और दैत्यों से अमृत का कलश लेकर देवताओं को अमृतपान कर दिया. लेकिन देवताओं की पक्ति में स्वरभानु नाम का एक राक्षस भी रूप बदलकर छिप कर बैठ गया. चंद्रमा और सूर्य ने स्वरभानु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को पूरी बात बता दी, यह बात सुनकर तुरंत विष्णु भगवान ने सुर्दशन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन तब तक अमृत की बूंद गले से नीचे उतर चुकी थी. इसलिए सिर और धड़ अलग हो जानें के बाद भी जीवित रहा. बाद में सिर राहु और धड़ केतु बन गए. राहु केतु इसी बात का बदला लेने के लिए चंद्र और सूर्य पर समय समय पर आक्रमण करते हैं. इसी क्रिया को ग्रहण कहते हैं. सूर्य ग्रहण का समय (Surya Grahan 2022 Timing) साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भारत में आंशिक तौर पर दिखाई देगा. भारत में यह शाम 4 बजकर 22 मिनट से शुरू होगा...

Solar Eclipse News Dos And Donts What Scientists Say On These Beliefs Surya Grahan 2022 News Hindi News Abpp

24 अक्टूबर को पूरे देश में धूमधाम से भारत में सूर्य ग्रहण को लेकर काफी धार्मिक मान्यताएं हैं. धार्मिक की मान्यताओं के अनुसार सूर्य या चंद्रमा किसी भी ग्रहण के वक्त भोजन नहीं करना चाहिए. पुराणों के माना जाता है कि जो व्यक्ति ग्रहण के दौरान अन्न खाता है उसे नरक की यातनाएं भोगनी पड़ती है. जिसका मतलब है कि जो व्यक्ति ग्रहण के दौरान जितना अन्न खाएगा उसे उतना ही नर्क की यातनाएं भोगनी पड़ेगी. इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि ग्रहण के दौरान सूर्य या चांद को नहीं देखना चाहिये इससे आखें खराब हो जाती है. लेकिन आपने कभी सोचा है कि इस धार्मिक मान्यताओं में कितनी सच्चाई है. क्या विज्ञान इस तरह की मान्यताओं की पुष्टि करता है. इस सवाल के जवाब में पटना यूनिवर्सिटी के फिजिक्स के प्रोफेसर कहते हैं कि ग्रहण के दौरान क्या करें क्या ना करें इसकी कई धार्मिक मान्यताएं है लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण बिल्कुल अलग है. उन्होंने कहा कि ये सच है कि ग्रहण के दौरान खाना नहीं खाना चाहिये. लेकिन इसके पीछे का कारण बिल्कुल अलग है. दरअसल वैज्ञानिक परीक्षणों में यह बात सामने आई है कि सूर्य ग्रहण के समय वातावरण में आने वाली पराबैंगनी किरणों (ultraviolet rays) के कारण भोजन विषैला हो जाता है. जो आपके स्वास्थ्य के लिए सेहतमंद नहीं है. सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के समय भोजन करने से व्यक्ति का पेट के रोग हो सकता है. इसलिए वैज्ञानिकों की सलाह है कि इन किरणों से खाने को बचाए रखने के लिए या तो उसे ढ़क कर रखें या जब तक ग्रहण है तब तक का उपवास रख लें. आइये जानते हैं क्या है सूर्य ग्रहण से जुड़े अंधविश्वास और वैज्ञानिक सच कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान नंगी आंखों से सूरज की और नहीं देखना चाहिए. इससे आंखें खराब हो जाती ...

सूर्य ग्रहण कब, क्यों और कैसे होता है?

सूर्य ग्रहण क्यों होता है? वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि ब्रह्मांड में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी अपनी-अपनी धुरी पर एक निर्धारित मार्ग पर चक्कर लगाते रहते हैं। इस प्रक्रिया में एक स्थिति ऐसी आती है जब यह तीनों ग्रह इसी प्रकार चक्कर लगाते हुए एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। इस समय सूर्य व पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तब पृथ्वी पर सूर्य का आने वाला प्रकाश रुक जाता है। यह स्थिति सूर्य ग्रहण की कहलाती है। सूर्य ग्रहण के प्रकार: वैज्ञानिक रूप से सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं: जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा की स्थिति इस प्रकार की होती है जिससे वह सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह से अवरुद्ध कर देता है, तब यह स्थिति पूर्ण सूर्य ग्रहण की कहलाती है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय पृथ्वी पर रात्रि जैसा अंधकार हो जाता है। 2017 के सूर्य ग्रहण का एक कलात्मक चित्र, फोटो श्रेय: भारत में अलग-अलग समय पर लगने वाले पूर्ण सूर्य ग्रहण अब तक ग्यारह बार लग चुके हैं। दिन के अलग-अलग पहर और देश के विभिन्न हिस्सों में सूर्य ग्रहण निम्न तिथियों पर दिखाई दिये थे: • 7 जुलाई 1814 • 19 नवम्बर 1816 • 21 दिसम्बर 1843 • 18 अगस्त 1868 • 12 दिसम्बर 1871 • 22 जनवरी 1898 • 21 अगस्त 1914 • 30 जून 1954 • 16 फ़रवरी 1980 • 24 अक्टूबर 1995 • 11 अगस्त 1999 पूर्ण सूर्य ग्रहण प्रथ्वी के बहुत कम क्षेत्र में देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार केवल सात मिनट तक की अवधि में ही सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध माना जाता है। 2. खग्रास सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा द्वारा सूर्य के प्रकाश को आंशिक रूप से अवरुद्ध किया जाता है तब यह स्थिति आंशिक या खग्रास सूर्य ग्रहण की कहलाती है। इस समय सूर्य का कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है। 3. ...

Solar Eclipse 2023: क्या है सूर्य ग्रहण? आस्था से लेकर विज्ञान तक सब कुछ है यहां..

Solar Eclipse 2023:भारतमेंसूर्यग्रहणकईअलग-अलगमान्यताओंऔरधारणाओंकेसाथजुड़ाहुआहै।जहांएकतरफइसकासंबंधधार्मिकआस्थाओंकेसाथहै, तोवहींदूसरीतरफइसकीवैज्ञानिकमान्याएंभीहैं।सूर्यग्रहणऔरचंद्रग्रहणदोविस्मयकारीघटनाएंहै, जिसेदेखनेकासौभाग्यहमेंप्राप्तहोताहै।येसचहैकिदुनियाभरकीप्राचीनसभ्यताओंइससेडरतीभीहैं।सांस्कृतिक/धार्मिकअवधारणोंकेअनुसारसूर्यग्रहणकेकुछसकारात्मकप्रभावहोतेहैंतोकुछकेलिएनकारात्मकप्रभाव।खैरयहांइसलेखमेंहमआपकाध्यानइससेजुड़ेवैज्ञानिकतथ्योंआदिकीतरफखींचनाचाहेंगे। धार्मिकआस्थाओंऔरप्रथाओंकीबातोंसेहटकरअलगजाएंतोआर्यभट्टकीइसभूमिपरलोगोंकोइनबातोंकोछोड़इसविस्मयकारीघटनामेंहिस्सालेनाचाहिएऔरइसकेबारेमेंअधिकसेअधिकजाननाचाहिए।इससालयानी 2023 मेंकुल 4 ग्रहणहोंगे। 2 सूर्यग्रहणऔर 2 चंद्रग्रहण।जिसमेंसेपहलेसूर्यग्रहणकाआपऔरहमसभीहिस्साबननेवालेहैं।इससालकापहलासूर्यग्रहण 20 अप्रैल 2023 कोदेखनेकोमिलेगाऔरयेपूर्णसूर्यग्रहणहोगा। सूर्यग्रहणसेजुड़ीआस्थाऔरविज्ञान दुनियाभरमेंप्राचीनसंस्कृतियोंकामाननाहैकिसूर्यकाअचानककालाहोजानादेवताओंकीनाराजगीकोदर्शाताहै।धार्मिकमान्यताओंऔरकथाओंकेअनुसार, सूर्यपरग्रहणलोगोंपरबुराप्रभावडालताहै।इसेकईरूपोंमेंअच्छानहींमानाजाताहै।वहींभारतमेंज्योतिषशास्त्रमेंग्रहणकोविशेषमानाजाताहै।इतनाहीनहींधार्मिकदृष्टिकोणकीबातकरेंतोग्रहणकोअशुभमानाजाताहै।कहाजाताहैकिइसदौरानकुछखाना-पीनानहींचाहिएऔरग्रहणपूराहोनेकेबादस्नानकरकेदानकरनाचाहिए।सूर्यग्रहणकेसमयमंदिरकेकपाटभीबंदकरदिएजातेहैं। क्याहैसूर्यग्रहण सूर्यग्रहणतबहोताहैजबसूर्यऔरपृथ्वीकेबीचसेचंद्रमागुजरताहै।इसदौरानचंद्रमासेसूर्यकादृश्यढकजाताहै।जिसकीवजहसेहमेंआंशिकऔरपूर्णसूर्यग्रहणदेखनेकोमिलताहै।सूर्यग्रहणचंद्रमाऔरपृथ्वीकीदूरीपरभीनिर्भरकरताहै।येसंरेखणलगभग 6 महीनेमेंहोत...

Surya Grahan

May 9, 2023 जानिए सूर्य ग्रहण 2024 से संबंधित पूरी जानकारी, किस तरह इस दिन किसी को वश में किया जा सकता है, यह कब और क्यों मनाया जाता है, वर्ष 2024 में कब होगा सूर्य ग्रहण और इससे जुड़ी पौराणिक कथा सूर्य ग्रहण 2024– वैदिक काल से पहले ही खगोलीय संरचना पर अध्ययन होना शुरू किया जा चुका था। हिंदू धर्म में सूर्यग्रहण बहुत महत्ता रखता है। सूर्य ग्रहण पर शोध और प्रशिक्षण प्राचीन काल से चलते आ रहे हैं जिसके बारे में ज्योतिष और धार्मिक ग्रंथो में इसकी वैदिक, वैज्ञानिक और धार्मिक विवेचना देखने को मिलती है। सूर्य ग्रहण लगने के पीछे पौराणिक कथा भी प्रचलित है जोकि राहु और केतु से संबंध रखती है। माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के समय सूर्य कष्ट में होता है। लेकिन अन्य देशों में इसका वैज्ञानिक महत्व ज्यादा है क्योंकि यह ऐसा समय होता है जिसमें शोध करने के नए नए अवसर मिलते हैं। सूर्य ग्रहण 2024– प्राचीन ऋग्वेद के अनुसार महर्षि अत्रिमुनि ग्रहण का ज्ञान देने वाले पहले जानिए सूर्य ग्रहण कब लगता है – सूर्य ग्रहण 2024 Solar Eclipse सूर्य ग्रहण 2024– चंद्रमा द्वारा सूर्य के बिम्ब को ढक देने के कारण जब पृथ्वी पर सूर्य की किरणों का आना रूक जाता है उस समय सूर्य ग्रहण लगता है। लेकिन मान्ताओं के अनुसार राहु और केतु को सूर्य और चंद्रमा का शत्रु माना जाता है। जब यह दैत्य अमावस्या के दिन सूर्य का ग्रास कर लेता है तो सूर्य ग्रहण लग जाता है। अमावस्या के दिन हुई इस घटना में सूर्य का प्रकाश रूक जाने के समय ग्रहण लगता है। वैज्ञानिक विद्या के आधार पर जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक रेखा में आ जाते हैं, उस समय सूर्य ग्रहण लगता है। वर्ष में यदि दो ग्रहण हो रहें हैं तो वह दोनों सूर्य ग्रहण ही होंगे। सूर्य ग्रहण के बारे...

417 साल पहले पता चला सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक घटना; क्यों और कैसे लगता है ग्रहण?

दीपावाली के ठीक एक दिन बाद 25 अक्टूबर को, यानी आज सूर्य ग्रहण लग रहा है। इसे कई लोग अशुभ मान रहे हैं। हालांकि, विज्ञान इसे सिर्फ एक खगोलीय घटना मानता है। आज से 417 साल पहले साइंटिस्ट जोहांस केपलर ने पता लगाया कि सूर्य ग्रहण एक वैज्ञानिक घटना है। वहीं, 103 साल पहले यूनाइटेड किंगडम के रहने वाले सर आर्थर एडिंगटन ने विज्ञान के जरिए ग्रहण को एक खगोलीय घटना साबित किया था। अब जानते हैं कि सूर्य ग्रहण होता क्या है? गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से पृथ्वी और सभी दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर 365 दिनों में एक चक्कर लगाती है। जबकि चंद्रमा एक उपग्रह है, जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने में चंद्रमा को 27 दिन लगते हैं। चंद्रमा के चक्कर लगाने के दौरान कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तो सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती है। इसे सूर्यग्रहण कहते हैं। ज्यादातर सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन होते हैं, क्योंकि तब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता है। हर 18 महीने में दुनिया के किसी न किसी हिस्से में सूर्य ग्रहण जरूर लगता है। तस्वीर में सूर्य ग्रहण को समझिए…. ग्रहण मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं.. 1. आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse): जब चंद्रमा की परछाई सूर्य के पूरे भाग को ढंकने की बजाय किसी एक हिस्से को ही ढंके तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य के केवल एक छोटे हिस्से पर अंधेरा छा जाता है। 2. वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse): वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है तथा इसका आकार छोटा दिखाई देता है। इस दौरान चंद्रमा, सूर्य को पूरी ...

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) क्यों लगता है? सूर्य ग्रहण के प्रकार

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रूप से चन्द्रमा द्वारा ढक जाता है। सूर्य ग्रहण के ग्रहण शब्द में ही नकारात्मकता झलकती है और इससे एक प्रकार के संकट का आभास होता है। इसका वैज्ञानिक महत्व होने के साथ साथ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह एक आध्यात्मिक घटना होती है जिसका संसार के समस्त प्राणियों पर काफी प्रभाव पड़ता है। जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आकर सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित दिखाई देता है या फिर यूँ कहें कि सूर्य के किनारों से रोशनी का छल्ला बनता हुआ दिखाई देता है और बीच का भाग पूरी तरह से ढका हुआ। इस स्थिति में सूर्य कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। जिससे वह पृथ्वी को अपने छाया क्षेत्र में पूरी तरह से ले लेता है इसके फलस्वरूप सूर्य का प्रकाश धरती पर नहीं पहुंच पाता और पृथ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसका तात्पर्य है कि चंद्रमा ने सूर्य को पूर्ण रूप से ढ़क लिया है। इस प्रकार के ग्रहण को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है। सूर्य ग्रहण की पौराणिक कथा पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत पान के लिए विवाद शुरू हुआ था और राहु नाम के दैत्य ने देवताओं से छिपकर अमृत का पान कर लिया था। इस घटना को सूर्य और चंद्रमा ने देख लिया था और उसके इस अपराध को उन्होंने भगवान विष्णु को बता...

सूर्य ग्रहण क्यों होता है? Solar eclipse in Hindi

जिस तरह से धरती सूर्य की परिक्रमा करती है। उसी तरह से चंद्रमा दी धरती की परिक्रमा करने के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा भी करती है। इसी के परिणाम स्वरूप सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी, चंद्रमा और सूरज एक ही सीधी लाइन में आ जाते हैं। जिसके चलते सूर्य आंशिक या पूरी तरह से ढक जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या बहुत ही रोशनी रोक लेता है। जिससे धरती पर साया फैल जाता है इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है। सूर्य ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं? सूर्य ग्रहण को चंद्रमा द्वारा सूर्य को पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से ढक लेने पर इसे अलग-अलग नाम दिए गए हैं। इसी के आधार पर इसे तीन प्रकार के सूर्य ग्रहण के रूप में विभाजित किया गया है। • पूर्ण सूर्य ग्रहण • आंशिक सूर्यग्रहण • वलयाकार सूर्यग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण में जब चंद्रमा पृथ्वी के काफी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाती है। जिसके चलते यह पूरी तरह से सूर्य को ढक लेती है। या आप यह कह सकते हैं कि चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेती है। जिसके परिणाम स्वरूप सूर्य की रोशनी धरती पर पहुंचने पाती है। दिन में भी चारों तरफ अंधेरा दिखने लगता है। धरती से सूर्य पूरी तरह से दिखाई नहीं देता। इस तरह के सूर्य ग्रहण को हम पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं। Solar eclipse आंशिक सूर्यग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण में जब चंद्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस तरह आ जाती है कि सूर्य का कुछ भाग पृथ्वी से दिखाई देता है। परंतु कुछ भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं, जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य एक सी थी रेखा में ना हो करके थोड़ी तिरछी रेखा में होती है। तब धरती से सूर्य आध...