सूर्य ग्रहण क्यों लगता है

  1. सूर्य ग्रहण क्या होता है व जानकारी What Is Solar Eclipse In Hindi
  2. सूर्य ग्रहण क्यों होता है
  3. Surya Grahan 2023 Katha: क्यों लगता है सूर्य ग्रहण, क्या है पौराणिक कथा?
  4. क्यों लगता है सूर्य ग्रहण? पढ़ें इसकी पौराणिक कथा, सूर्य एवं चंद्रदेव समझ गए थे भेद
  5. Surya Grahan 2022: कब लगेगा इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण? अभी से जान लें ये जरूरी बातें, नहीं तो हो सकता है नुकसान
  6. सूर्य ग्रहण का क्या मतलब होता है?
  7. सूर्य ग्रहण क्यों पड़ता है?, सूर्य ग्रहण कितने बजे से लगेगा, सूर्य ग्रहण सूतक काल,Sun Eclipse 2019 date time and hindu mythological story behind surya grahan
  8. क्यों लगता है सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण? समुद्र मंथन से जुड़ी है रोचक कथा, जान लें राहु


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सूर्य ग्रहण क्या होता है व जानकारी What Is Solar Eclipse In Hindi

सूर्य ग्रहण क्या होता है ( What Is Solar Eclipse In Hindi)? सूर्य ग्रहण क्यों और कैसे होता है? और सूर्य ग्रहण की सामान्य जानकारी, इन सारे प्रश्नों के उत्तर इस पोस्ट “Surya Grahan Kya Hota Hai” में देने का पूरा प्रयास है। विभिन्न धर्मों में सूर्यग्रहण को लेकर कई भ्रांतियां भी फैली हुई है। पुराने जमाने में जब इंसान सूर्य ग्रहण देखता था तो अचंभित रह जाता था। परंतु आज हम सूर्यग्रहण का विज्ञान जानते है। तो आइये दोस्तों सूर्य ग्रहण के बारे में सामान्य जानकारी लेने का प्रयास करते है। पृथ्वी पर पूर्ण सूर्यग्रहण केवल विशेष क्षेत्र तक ही सीमित रहता है। बाकी के क्षेत्रों में आंशिक तौर पर सूर्य ग्रहण दिखाई पड़ता है। सूर्य ग्रहण के समय अचानक से दिन का तापमान गिर जाता है। ग्रहण के समय अंधेरा छा जाता है। सूर्यग्रहण को अंग्रेजी में “Eclipse” कहते है जो कि एक ग्रीक शब्द है। इस शब्द का अर्थ “पतन” होता है। खगोलविदों के अनुसार प्रत्येक 18 वर्ष की अवधि में करीब 41 सूर्यग्रहण होते है। जबकि 1 वर्ष की समयावधि में ज्यादा से ज्यादा 5 सूर्यग्रहण हो सकते है। परन्तु एक वर्ष में कम से कम दो सूर्यग्रहण तो होते ही है। किसी क्षेत्र विशेष में पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि मात्र 7.5 मिनट तक ही होती है। सूर्य ग्रहण क्यों और कैसे होता है Surya Grahan Kaise Hota Hai विज्ञान की खोजों से यह साबित हो चुका है कि पृथ्वी, सूर्य का चक्कर लगाती है। जबकि चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इस दौरान कभी कभी चांद सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर सूरज की रोशनी ढक लेता है। यही कारण है की सूर्य पर ग्रहण लगता है। पूर्ण सूर्यग्रहण केवल अमावस्या को ही होता है। नंगी आंखों से सूर्य ग्रहण नही देखना चाहिए। सूर्यग्रहण देखने के लिए खास प्रकार के...

सूर्य ग्रहण क्यों होता है

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • आज के आर्टिकल में हम सूर्य ग्रहण के (Surya Grahan) बारे में विस्तार से पढेंगे। (Surya Grahan kyu hota hai,Surya Grahan kaise hota hai,Surya Grahan,Surya Grahan kyon hota hai,Surya Grahan kab hai,Surya Grahan kaise lagta hai,Surya Grahan kyu lagta hai,suraj grahan kaise hota hai,surygrhan kaise aur kyu hota hai,Surya Grahan kyu hota hai in hindi,suraj grahan kyu hota hai,Surya Grahan live,chandrgrhan kaise aur kyu hota hai,Surya Grahan amavasya ko hi kyu hota hai,suraj grahan,Surya Grahan kya hota hai,Surya Grahan kyu padta hai) सूर्य ग्रहण – Surya Grahan सूर्य ग्रहण किसे कहते है – Surya Grahan kise Kahte hai जब पृथ्वी तथा सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता हैं, तब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाता और पृथ्वी की सतह से कुछ हिस्से पर अंधेरा छा जाता है, इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते है। जब चंद्रमा एक निश्चित वृत्तीय कक्षा तथा समान कक्षीय समतल पर परिक्रमा करता है तो प्रत्येक अमावस्या को सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है। चंद्रमा का कक्षीय समतल पृथ्वी के कक्षीय समतल से 50 का कोण बनाता है जिसके कारण चंद्रमा की परछाई पृथ्वी पर हमेशा नहीं पङती। सूर्यग्रहण सूर्य व पृथ्वी के मध्य चन्द्रमा के आने के कारण होता है। जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में आता है तो पृथ्वी से सूर्य का प्रकाशित भाग दिखाई नहीं देता अर्थात् उस समय पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश न पङकर चन्द्रमा की परछाई पङती है। इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते है। सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या को होता है। सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर दो परछाइयां बनती हे जिसे छाया तथा उपछाया कहते है। छाय...

Surya Grahan 2023 Katha: क्यों लगता है सूर्य ग्रहण, क्या है पौराणिक कथा?

Surya Grahan 2023 Katha: साल का पहला सूर्यग्रहण आज है, हालांकि ये इंडिया में दिखाई नहीं पड़ रहा लेकिन फिर भी ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहण का असर राशियों पर होता है इसलिए सभी को ग्रहण के दौरान सावधानियों को बरतना जरूरी होता है। फिलहाल आपको ग्रहण को लेकर बहुत सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जिनके बारे में हर किसी को जानना बहुत जरूरी है। सूर्य ग्रहण को लेकर सबसे लोकप्रिय कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है, दरअसल ऐसा माना जाता है कि मंथन के दौरान जब अमृत कलश निकला था तो उसे लेकर असुरों और देवताओं में होड़ मच गई तब विष्णु भगवान ने दैत्यों को अमृत पान से रोकने के लिए मोहिनी रूप धरा था। असुर और देवताओं को अलग-अलग पंक्ति में बिठाया उन्होंने एक चाल चली जिसमें असुर और देवताओं को अलग-अलग पंक्ति में बिठाया गया था और मोहिनी बने विष्णु ने ने बड़ी ही चालाकी से देवताओं को अमृत पिलााया था लेकिन उनकी इस चालाकी को राहु ने समझ लिया और इसलिए उसने भी देवता का रूप धारण कर लिया था लेकिन उसकी इस चालाकी को सूर्य और चंद्रमा ने पहचान लिया। सूर्य और चंद्र का दुश्मन बना राहु और उन्होंने ये बात विष्णु जी को बताई, जिस पर विष्णु जी क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, राहु तो अमृत पी चुका था। लेकिन उस दिन से बाद से राहु सूर्य और चंद्र को अपना दुश्मन मानने लगा इसलिए अमावास की रात को वो इन्हें घेर लेता है, जिससे पूरे वातावरण में अंधेरा छा जाता है और वो स्थिति ग्रहण की कहलाती है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र राहु के उग्र होने को अच्छा नहीं मानते हैं।

क्यों लगता है सूर्य ग्रहण? पढ़ें इसकी पौराणिक कथा, सूर्य एवं चंद्रदेव समझ गए थे भेद

इस साल का पहला सूर्य ग्रहण आज 30 अप्रैल दिन शनिवार को लग रहा है. इस दिन आंशिक सूर्य ग्रहण है, जिसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव के अनुसार, यह सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल को देर रात सवा 12 बजे शुरु होगा, इसका समापन 01 मई को सुबह 04:07 बजे होगा. आंशिक सूर्य ग्रहण होने के कारण उसका प्रभाव अपने यहां नहीं के बराबर ही होगा. पौराणिक कथा में सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण की कथा बताई गई है. आइए जानते हैं इसके बारे में. सूर्य ग्रहण की कथा पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन के समय अमृत निकला था, तो देव और राक्षसों में उसे पहले पाने के लिए लड़ाई होने लगी. राक्षसों ने उस अमृत को छीन लिया था और वे सबसे पहले उसे पीकर अमर हो जाना चाहते थे. यह भी पढ़ें: शनि अमावस्या पर लगेगा पहला सूर्य ग्रहण, इन 9 बातों का रखें विशेष ध्यान तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रुप धारण करके उस अमृत कलश हो प्राप्त कर लिया. फिर उन्होंने राक्षसों को समझाया कि देवों और तुमने साथ मिलकर इस अमृत को प्राप्त किया ​है, इसलिए दोनों को ही इसे प्राप्त करने का अधिकार है. मोहिनी स्वरूप में भगवान विष्णु ने कहा कि वे पहले देवताओं को अमृत पान कराएंगे, उसके बाद असुरों की बारी आएगी. इसके लिए असुर मान गए. असुर और देव अपनी अपनी पंक्ति में बैठ गए. भगवान विष्णु देवताओं को अमृत पान कराने लगे. यह भी पढ़ें: 30 अप्रैल को होगा साल का पहला सूर्यग्रहण, जानें सूतक का समय इसी बीच एक राक्षस को लगा कि उन्हें अमृत नहीं मिलेगा, इसलिए उसने देवता का रुप धारण कर लिया और देवताओं की पंक्ति में जाकर बैठ गया. जब उसकी बारी आई, तो भगवान विष्णु ने उसे देवता समझकर अमृत पिलाने लगे. उसी दौरान चंद्र देव और सूर्य देव उस...

Surya Grahan 2022: कब लगेगा इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण? अभी से जान लें ये जरूरी बातें, नहीं तो हो सकता है नुकसान

Surya Grahan 2022: कब लगेगा इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण? अभी से जान लें ये जरूरी बातें, नहीं तो हो सकता है नुकसान | surya grahan 2022 know when is year 2022 last solar eclipse sutak kaal time and precuations during grahan | Hindi News, Surya Grahan 2022: कब लगेगा इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण? अभी से जान लें ये जरूरी बातें, नहीं तो हो सकता है नुकसान Years 2022 Last Solar Eclipse: धार्मिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व है. साल 2022 में इस बार कुल दो सूर्य ग्रहण पड़ने हैं. इसमें से एक ग्रहण लग चुता है और एक बाकी है. साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर 2022 को लगने जा रहा है. ये साल का दूसरा और अंतिम ग्रहण होगा. सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ने लगती है इससे सूर्य ग्रहण लगने लगता है. 25 अक्टूबर, मंगलवार को सूर्य ग्रहण सांयकाल 4 बजकर 29 मिनट से शुरू होगा और 5 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. बता दें कि ये सूर्य ग्रहण भारत में मान्य नहीं होगा इसलिए इसका सूतक काल भी नहीं लगेगा. ज्योतिष अनुसार ये ग्रहण अफ्रीका, यूरोप और महाद्वीप के उत्तरी भाग में दिखाई देगा. वहीं, एशिया के दक्षिणी भाग में भी ये ग्रहण देखने को मिलेगा. ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी 12 राशियों के जीवन पर देखने को मिलता है. व्यक्ति का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है. आइए जानें इस दौरान क्या सावधानी बरतने की जरूरत होती है. ये भी पढ़ें- ग्रहण के दौरान भूलकर न करें ये कार्य - ये एक खगोलीय घटना होती है. इस घटना का असर सभी 12 राशियों पर देखने को मिलता है. इसलिए ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है. आइए जानें . - ग्रहण काल के दौरान रखा हुआ खाना दूषित माना जाता है. इस...

सूर्य ग्रहण का क्या मतलब होता है?

|| Surya grahan kya hota hai | सूर्य ग्रहण का क्या मतलब होता है? | Solar eclipse ka kya matlab hota hai | सूर्य ग्रहण के प्रकार | Surya grahan ke prakar | Surya grahan me kya nahi karna chahiye || Solar eclipse ka kya matlab hota hai :- आप सभी को एक शब्द बार बार सुनने को मिलता होगा और जब वह आता है तो हर जगह वही छाया रहता है और वह होता है सोलर एक्लिप्स जिसे हम हिंदी में सूर्य ग्रहण भी कह देते (Solar eclipse kya hota hai) हैं। यह एक बहुत ही बड़ी खगोलीय घटना होती है जिसका प्रभाव हम सभी पर पड़ता है। एक तरह से कहा जाए तो इस दिन हमें पूरी सावधानी बरतनी होती है और बहुत कुछ देखना होता है क्योंकि सूर्य से आने वाली हानिकारक तरंगे हमें नुकसान पहुंचा सकती है। तो आखिरकार यह सूर्य ग्रहण होता क्या है और किस तरह से यह हमें नुकसान पहुंचाता है या हम पर अपना प्रभाव छोड़ता है, इसके बारे में आज आप इस लेख के माध्यम से जानने वाले (Surya grahan kya hota hai) हैं। आज के इस लेख में आपको सूर्य ग्रहण के बारे में समूची जानकारी मिलने वाली है जिसे पढ़ कर आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि आखिरकार यह सूर्य ग्रहण होता क्या है और यह किस तरह से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता (Solar eclipse kaise hota hai) है। 1.7 प्रश्न: सूर्य ग्रहण में गर्भवती महिलाओं को क्या क्या नहीं करना चाहिए? सूर्य ग्रहण का क्या मतलब होता है? (Solar eclipse ka kya matlab hota hai) सबसे पहले बात करते हैं कि सूर्य ग्रहण का या फिर सोलर एक्लिप्स का मतलब आखिरकार होता क्या है और यह क्यों होता है इत्यादि। तो यह आसमान में होने वाली एक बहुत बड़ी अब पृथ्वी की तुलना हम एक क्रिकेट खेलने वाली गेंद से करें तो उसके सामने सूर्य फुटबॉल की गेंद के साम...

सूर्य ग्रहण क्यों पड़ता है?, सूर्य ग्रहण कितने बजे से लगेगा, सूर्य ग्रहण सूतक काल,Sun Eclipse 2019 date time and hindu mythological story behind surya grahan

सूर्य ग्रहण क्यों पड़ता है?, सूर्य ग्रहण कितने बजे से लगेगा, सूर्य ग्रहण सूतक काल,Sun Eclipse 2019 date time and hindu mythological story behind surya grahan Sun Eclipse: सूर्य ग्रहण क्यों लगता है, क्या है इसके पीछे की समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा By July 1, 2019 12:42 PM 2019-07-01T12:42:54+5:30 2019-07-02T08:14:21+5:30 सूर्य ग्रहण के पीछे की पौराणिक कहानी और भी दिलचस्प है। हिंदू मान्यताओं में सूर्य और चंद्र ग्रहण का कारण राहु-केतु को बताया गया है। हालांकि, इसके बावजूद इस समय कुंडली और ग्रहों की स्थिति के कारण कुछ फर्क पड़ सकता है। यह सूर्य ग्रहण लगभग 4 घंटे और 55 मिनट का होगा। ग्रहण 2 जुलाई की रात 11 बजकर 55 मिनट से शुरू होगा और 3 जुलाई की सुबह 3 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। सूर्य ग्रहण क्यों लगता है विज्ञान के अनुसार जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य ग्रहण होता है। ऐसी परिस्थिति में सूर्य का प्रकाश चंद्रमा के कारण ढक जाता है और पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाता है। जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य तीनों ही एक सीध में आ जाते हैं तो उसे ही पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं। वैसे सूर्य ग्रहण के पीछे की पौराणिक कहानी और भी दिलचस्प है। हिंदू मान्यताओं में सूर्य और चंद्र ग्रहण का कारण राहु-केतु को बताया गया है। पौराणिक कथा के मुताबिक समुद्र मंथन के बाद जब अमृत को लेकर देवताओं और असुरों में विवाद हुआ तो दरअसल, मोहिनी रूप में कथा के अनुसार उसके सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु के नाम से जाना गया। अब जबकि सूर्य और चंद्र ने राहु को अमृत पीते हुए पहचान लिया था, इसलिए वह दोनों को अपना दुश्मन मानता है और ग्रहण के समय उन्हें ग्रस लेता है। इस वजह से चंद्र और सूर्य ग्रहण लगते हैं। En...

क्यों लगता है सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण? समुद्र मंथन से जुड़ी है रोचक कथा, जान लें राहु

देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, जिसमें सबसे पहले हलाहल विष निकला. भगवान धन्वंतरी हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. राहु-केतु हर साल चंद्रमा और सूर्य का ग्रास करने आते हैं. इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या के दिन लगने वाला है, जब साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को वैशाख पूर्णिमा को लगेगा. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटनाक्रम है, इसकी गणना और प्रभावों के बारे में ज्योतिषशास्त्र में अध्ययन किया जाता है. पौराणिक कथाओं में भी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के कारण को बताया गया है. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगने के बारे में समुद्र मंथन से जुड़ी कथा को पढ़ना चाहिए, तभी आपको सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगने के कारण और राहु-केतु की उत्पत्ति के रहस्य का ज्ञान हो पाएगा. आइए जानते हैं समुद्र मंथन की कथा. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की कथा पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, जिसमें से सबसे पहले हलाहल विष निकला, जो पूरे संसार के लिए काल बन गया था. तब महाकाल भगवान शिव उस विष का पान करके नीलकंठ कहलाए. जैसे-जैसे उस समुद्र मंथन का समय बढ़ता गया, वैसे-वैसे कई बहुमूल्य वस्तुएं निकलीं. इसे भी पढ़ें: उसी क्रम में भगवान धन्वंतरी हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. उस अमृत कलश को प्राप्त करने के लिए देवताओं और असुरों में छीना-झपटी शुरू हो गई. देवता चाहते थे कि पूरा अमृत उनको मिले, ताकि राक्षस अमर न हो सकें. दूसरी तर​फ राक्षस चाहते थे कि वे अमृत का पान करके अमरत्व को प्राप्त कर लें. देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत को लेकर मची रस्साकस्सी को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण करके आए. तब राक्षसों ने उनको अृमत के बंटवारे ...