सूर्य ग्रहण में मंत्र सिद्ध कैसे करें

  1. सूर्य ग्रहण साधनायें
  2. कामना पूर्ति के सफल साधन : मंत्र
  3. Surya Grahan 2021: कुंडली में है अगर सूर्य
  4. सूर्य मंत्र
  5. Surya Grahan 2019: ग्रहण काल में ऐसे करें इन मंत्रों को सिद्ध, बड़े से बड़े रोग होंगे दूर
  6. Chamatkaarik Siddh Vashikaran Saadhna
  7. ग्रहण काल में करें इन मन्त्रों की सिद्धि और धन
  8. सूर्य ग्रहण
  9. किसी भी ग्रहण काल में सिद्ध करे यह मंत्र


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सूर्य ग्रहण साधनायें

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कामना पूर्ति के सफल साधन : मंत्र

व्यक्ति अपनी कामना पूर्ति के लिए पूरे जीवन भर प्रयत्नशील रहता है। यदि उसे सही मार्गदर्शन और सफलता के सूत्र मिल जाएं तो वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति शीघ्र कर लेता है। इस आलेख में मंत्र, तंत्र और यंत्र द्वारा मनोकामना पूर्ति करने की युक्तियां बताई जा रही हैं... यन्त्र-मंत्र-तंत्र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यदि मंत्र को देवताओं की आत्मा कहा गया है तो यंत्र को उनका शरीर - ‘यंत्रं देवानां गृहम’ तथा यंत्र मंत्र मंय प्रोक्तं मंत्रात्मा देवतवहि। देहात्मनोर्यथा भेदो यंत्र देवयोस्तथा। यंत्र विभिन्न आकृतियों, रेखाओं, विंदुओं, अंकों और अक्षरों का संयोजन होता है। यंत्रों का निर्माण उनके गुणों के अनुसार विभिन्न धातुओं, भोजपत्र लकड़ी की तख्ती, वृक्षों के पत्तों, कपड़े चर्म, मिट्टी के बर्तन के टुकड़ों आदि पर किया जाता है। मंत्र व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां देता है - ‘‘मननात् त्रायते इति का ऊर्जात्मक समन्वय है जिसके निरंतर मनन या जप से हम अभीष्ट को प्राप्त करते हैं। यथा- मननं विश्व विज्ञानं त्राणं संसार बंधनात्। यतः करोति संसिद्ध मंत्रं इत्युच्यते ततः। मंत्र में अपार शक्ति होती है। ‘‘मंत्र परम् लघु जासु बस विधि हरि हर सुर सर्व।’’ महामत्त गजराज कहुं बस कर अंकुश खर्वं।। रामचरित मानस। तंत्र का अर्थ भी बहुत व्यापक है। इसका अर्थ उपाय, व्यवस्था, विधि या प्रणाली होती है। तंत्र में यंत्र की अपेक्षा भौतिक वस्तुओं का अधिक प्रयोग किया जाता है। मंत्रों के द्व ारा तांत्रिक वस्तुओं में ऊर्जा पैदा की जाती है। तंत्र साधना के लिए प्राचीन ग्रंथों में बीज मंत्र दिए हुए हैं। सामवेद की प्रार्थना के अनेक अंश सिद्ध मंत्र हैं। तंत्र साधना से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है। तंत्र वह विधि है जिसके अनुसार कर्म करने ...

Surya Grahan 2021: कुंडली में है अगर सूर्य

Surya Grahan 2021: इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) 4 दिसंबर यानी आज होने जा रहा है. वैसे तो ग्रहण एक खगोलीय घटना होती है लेकिन धार्मिक और ज्योतिषीय लिहाज से भी इसका काफी महत्व होता है. आखिरी सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) भारत में उपछाया ग्रहण होगा, इसका अर्थ हुआ कि हमारे यहां सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल (Sutak Kaal) नहीं लगेगा. जिन जातकों की कुंडली में ग्रहण दोष है वे उपछाया सूर्य ग्रहण होने की स्थिति में भी इस दोष का निवारण कर सकते हैं. बता दें कि 4 दिसंबर को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण साल का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा. पहला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 को पड़ा था. इस वजह से होता है ग्रहण दोष किसी भी जातक की कुंडली में सूर्य-राहु की युति या फिर चंद्र-राहु की युति ग्रहण दोष का निर्माण करती हैं. पंडित नवीन उपाध्याय के अनुसार, अगर किसी की कुंडली में सूर्य-राहु लग्न कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ हों या फिर दोनों में दृष्टिसंबंध हो तो ऐसी स्थिति में सूर्य ग्रहण दोष बनता है. वहीं, किसी जातक की कुंडली में अगर कुंडली में चंद्र-राहु लग्न कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ हों या फिर दोनों में दृष्टिसंबंध हो तो ऐसी स्थिति में चंद्र ग्रहण दोष बनता है. कुंडली में मौजूद होने वाले इस ग्रहण दोष की खास बात यह होती है कि इसकी शांति भी ग्रहण के दिन ही होती है. अगर आपकी कुंडली में सूर्य-राहु की वजह के ग्रहण दोष बन रहा है तो 4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण के दिन आप इस दोष की शांति करा सकते हैं. इसे भी पढ़ें: इस तरह करें ग्रहण दोष की शांति सूर्य ग्रहण के दिन ग्रहण दोष के निवारण के लिए किसी भी तीर्थ स्थान पर जाकर पवित्र नदी (गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी) में ग्रहण काल में स्नान कर भगवान शिव की आराधना...

सूर्य मंत्र

योग में मन और आत्मा को एकाग्र करने के लिए मंत्रों का उपयोग किया जाता है। यह प्रणायाम और ध्यान केंद्रित करने में भी मदद करता है। हिंदू धर्म में सूर्य देवता की पूजा करने के लिए सूर्य मंत्र का उच्चारण किया जाता है। सूर्य सबसे शक्तिशाली ग्रहों में से एक है, क्योंकि यह मौसम पर राज करता है। यह मानवजाति की भोजन आपूर्ति के लिए फसल की पैदावार करता है। इसके अलावा और भी कई कारणों से सूर्य देव की पूजा की जाती। यह मान्यता है कि सूर्य देव प्रकाश और ऊर्जा के प्रदाता हैं। यह भी प्रचलित है कि सूर्य देव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिन्हें मनुष्य अपनी नग्न आंखों से देख सकता है- प्रत्यक्ष दैवम। जो लोग नियमित रूप से सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हैं, सूर्य देव उनके जीवन से अंधकार को दूर करते हैं। सूर्य देव के तेज प्रभावों के कारण ही देश के विभिन्न हिस्सों में उन्हें अर्का और मित्रा के नाम से जाना जाता है। सूर्य मंत्र: वे कैसे मदद करते हैं? सूर्य मंत्र (surya mantra) वाक्यांशों की एक श्रृंखला है। सूर्य देव का आशीर्वाद और शक्ति पाने के लिए लोग इस मंत्र का उच्चारण करते हैं। सूर्य देव अपने भक्तों के अशांत मन को शांत करते हैं और उनकी जिंदगी में सकारात्मकता लाते हैं। ज्योतिष में कई सूर्य मंत्र हैं। प्रत्येक मंत्र का अपना अर्थ और प्रभाव है। हालांकि, सभी मंत्र मूलरूप से मन की शांति और जीवन में समृद्धि को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा नियमित सूर्य मंत्रों का उच्चारण करने से बेहतर स्वास्थ्य लाभ होता है और इससे भक्ति के प्रति उनकी आस्था बढ़ती है। यह जातक को ब्रह्मांड के प्रति आभार व्यक्त करने और उन्हें स्वास्थ्य तथा शांति का भंडार बनने में मदद करता है। इसका अर्थ यह है कि सूर्य देव एकमात्र ऐसे भगवान हैं, जो रोगों क...

Surya Grahan 2019: ग्रहण काल में ऐसे करें इन मंत्रों को सिद्ध, बड़े से बड़े रोग होंगे दूर

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ जैसे कि सब जानते हैं कि 26 दिसंबर को साल 2019 का आख़िरी सूर्य ग्रहण लग रहा है। धार्मिक तथा ज्योतिष शास्त्र मे इस दिन से जुड़ी कई हिदायतें दी गई है। कहा जाता है ग्रहण अवधि में मानव जीवन पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हावी होने की अधिक संभावना होती है। यही कारण है ग्रहण के दौरान कुछ भी करने से पहले कई बार सोचते हैं। बताया जाता है इस दौरान सबसे ज्यादा डर प्रेग्नेंट महिलाओं को होता है। उनके लिए इस दिन से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं। परंतु इसका मतलब ये नहीं कि अन्य लोग ग्रहण के प्रभाव से आज़ाद माने जाते हैं। सभी पर इसका पूरा प्रभाव पड़ता है। तो वहीं ग्रहण काल के दौरान किए जाने वाले कुछ ऐसे काम बताए गए हैं जिन्हें इस दौरान करने से अच्छे व शुभ फल प्राप्त होते हैं। जी हां, इतना ही नहीं ये काम करने से हर इच्छित कामना भी पूरी होती है। बता दें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन यानि ग्रहण के दिन किसी भी मंत्र का का जप किया जाए तो कई गुना फल प्राप्त होता है। कहा जाता है इस अवधि में जिस भी मंत्र का जप किया जाए, वह शीघ्र सिद्ध हो जाता जिसके प्रभाव स्वरूप जपकर्ता की सभी इच्छित कामनाएं पूरी हो जाती हैं। 26 दिसंबर को लगने वाले सूर्यग्रहण काल में निम्न बताए गए मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का 1000 बार जप करें, सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। सूर्यग्रहण काल में जपे इनमें से कोई भी एक मंत्र ग्रहण काल के दौरान इस मंत्र का जप करने से यह तुरंत सिद्ध हो जाता है। जातक के जो भी शत्रु उसे परेशान करते हैं, अगर उसका नाम लेकर 11 बार ये मंत्र पढ़ा जाए तो वे दुश्मन मित्र में तबदील हो जाता है। ॐ नमः वज्र का कोठा, जिसमें पिंड हमारा बैठा। ईश्वर कुंजी ब्रह्मा का ताला, मेरे आ...

Chamatkaarik Siddh Vashikaran Saadhna

सिद्ध वशीकरण साधना एक ऐसी साधना है जिसे मार्च माह के आसपास सूर्य या चन्द्र ग्रहण के वक्त में शुरू किया जाता है. पांच दिन में संपन्न होने वाली इस साधना में 511 माला मन्त्रों का जाप किया जाता है. इस साधना का प्रयोग करने से आप जिसे चाहें अपने वशीभूत कर सकते हैं व उससे मनचाहा काम करवा सकते हैं. आइये जानते हैं इस साधना के बारे में विस्तार से. Chamatkaarik Siddh Vashikaran Saadhna वशीकरण के कई लाभ हैं. मान लीजिये कि आप किसी से प्यार करते हैं पर वो लड़की आपसे बात तक नहीं करती, वशीकरण के इस्तेमाल से कुछ ही वक्त में आप उस लड़की को अपनी बाहों में आने पर मजबूर कर सकते हैं. सौतन से छुटकारा, गृह कलेश जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए भी आप अपने घर के सदस्यों को वशीभूत करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. आपको इसके लिए बस इस मंत्र का बताये गए ढंग से उच्चार करना है और बताये गए ढंग से ही इसे पूरा भी करना है. गुरु की कृपा से वो व्यक्ति जल्द आपके वशीभूत हो जाएगा. चमत्कारिक सिद्ध वशीकरण साधना मन्त्रों को सिद्ध करने के लिए आप सूर्य या चन्द्र ग्रहण में 111 बार माला जाप करें. 111 मंत्र जाप करने के बाद 111 मंत्र से हवन में लोबान की आहुति दें. ये आहुतियाँ देने से मंत्र सिद्ध होकर और शक्तिशाली व प्रभावशाली बन जाता है. सूर्य/चन्द्र ग्रहण के पश्चात 4 दिन में 100 माला जाप व आहुतियाँ देने से मंत्र पूरे तरीके से सिद्ध हो जाता है. Sammohan Mantra Saadhna - - Dear Visitors, आप जिस विषय को भी Search या तलाश रहे है अगर वो आपको नहीं मिला या अधुरा मिला है या मिला है लेकिन कोई कमी है तो तुरंत निचे कमेंट डाल कर सूचित करें, आपको तुरंत सही और सटीक सुचना आपके इच्छित विषय से सम्बंधित दी जाएगी. इस तरह के व्यवहार क...

ग्रहण काल में करें इन मन्त्रों की सिद्धि और धन

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz, मित्रों, आज के इस आर्टिकल को आज आप अन्ततक पढ़ें। बात करते हैं, सर्वप्रथम ग्रहण में क्या करना चाहिये ? और क्या नहीं करना चाहिये ? इस विषय पर गम्भीरता से चिंतन करें। मैं इस दौरान आपलोगों को उन प्रभावी मन्त्रों के विषय में भी विस्तार से बताउँगा जिसकी सिद्धि से आप अपने जीवन को मनचाही दिशा प्रदान कर सकते हैं।। चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण धार्मिक द्रष्टि से बहुत महत्व रखते है। ग्रहण काल का समय जहाँ गर्भवती महिलाओं, बीमारों और वृद्धों के लिए अशुभ संकेत देने वाला माना गया है। वहीं साधकों के लिए ग्रहण काल एक सुनहरे अवसर के रूप में आता है।। बड़े-बड़े साधक लम्बे समय से ग्रहण काल का इन्तजार करते है ताकि उस समय वे अपनी साधना में सिद्धि प्राप्त कर सकें। धर्म शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में किये गये मंत्र जप और यज्ञ से 100 गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है और शीघ्र ही मंत्र भी सिद्ध (Chandra Grahan me Mantra Siddhi) हो जाते हैं।। चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से किये गये सत्कर्मों का कई गुना ज्यादा फल होता है। कोई भी व्यक्ति ग्रहण के समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके "ॐ नमो नारायणाय" इस मंत्र का आठ हजार जप करके ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी जाय । ऐसा करने से वह मेधाशक्ति और कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है।। मित्रों, परन्तु सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक "अन्धकूप" नरक में वास करता है। सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए ।। परन्तु बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घ...

सूर्य ग्रहण

इस लेख में विकिपीडिया के कुछ प्रचारक सामग्री बीच में हो सकती है। कृपया (अप्रैल 2012) चन्द्रमा जब सूर्य को पूर्ण रूप से आच्छादित कर लेता है तो उसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं जैसा कि 1999 के सूर्य ग्रहण में देखा गया। इसके अन्तिम छोर (लाल रंग में) पर वलयाकार सूर्य ग्रहण (बायें) तब दिखाई देता है जब चन्द्रमा सूर्य को पूरी तरह एक साथ नहीं आच्छादित कर पाता। (जैसा= 20 मई 2012 के सूर्य ग्रहण में देखा गया।) आंशिक सूर्य ग्रहण की स्थिति में चन्द्रमा द्वारा सूर्य का कोई एक हिस्सा आवरित किया जाता है (23 अक्टूबर 2014 का सूर्य ग्रहण)। सूर्य ग्रहण एक तरह का अनुक्रम • 1 पूर्ण ग्रहण • 2 ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से सूर्य ग्रहण • 3 प्रकार • 4 अवलोकन के समय • 5 खगोल शास्त्रीयों की गणनाएँ • 6 वैज्ञानिक दृष्टिकोण में सूर्य ग्रहण • 7 भारतीय वैदिक काल और सूर्य ग्रहण • 8 सूर्य ग्रहण के समय हमारे ऋषि-मुनियों के कथन • 9 इन्हें भी देखें • 10 सन्दर्भ पूर्ण ग्रहण [ ] अक्सर चाँद, सूरज के सिर्फ़ कुछ हिस्से को ही ढ़कता है। यह स्थिति खण्ड-ग्रहण कहलाती है। कभी-कभी ही ऐसा होता है कि चाँद सूरज को पूरी तरह ढँक लेता है, इसे पूर्ण-ग्रहण कहते हैं। पूर्ण-ग्रहण धरती के बहुत कम क्षेत्र में ही देखा जा सकता है। ज़्यादा से ज़्यादा दो सौ पचास (250) किलोमीटर के सम्पर्क में। इस क्षेत्र के बाहर केवल खंड-ग्रहण दिखाई देता है। पूर्ण-ग्रहण के समय चाँद को सूरज के सामने से गुजरने में दो घण्टे लगते हैं। चाँद सूरज को पूरी तरह से, ज़्यादा से ज़्यादा, सात मिनट तक ढँकता है। इन कुछ क्षणों के लिए आसमान में अंधेरा हो जाता है, या यूँ कहें कि दिन में रात हो जाती है। ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से सूर्य ग्रहण [ ] • सूर्यग्रहण होने के लिए निम्...

किसी भी ग्रहण काल में सिद्ध करे यह मंत्र

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