स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि

  1. Swami Vivekananda Anmol Vachan:स्वामी विवेकानंद के ये अनमोल वचन, युवाओं के जीवन में करेंगे ऊर्जा का संचार
  2. स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर – shatdalradio
  3. स्वामी विवेकानंद जयंती: जानें भारत के महान आध्यात्मिक नेता के बारे में
  4. Swami Vivekananda:स्वामी विवेकानंद पुण्यतिथि: "हर मंदिर के साथ आश्रम, स्कूल और अस्पताल हो" Swami Vivekananda death anniversary: Remembering his inspiring life and thoughts
  5. स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित


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Swami Vivekananda Anmol Vachan:स्वामी विवेकानंद के ये अनमोल वचन, युवाओं के जीवन में करेंगे ऊर्जा का संचार

Swami Vivekananda Anmol Vachan: स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को मनाई जाती है। विवेकानंद जी की जयंती को देश युवा दिवस के तौर पर मनाता है। इसकी वजह है, विवेकानंद का आदर्श जीवन, जो हर युवा के लिए प्रेरणा है। स्वामी विवेकानंद जी ने युवाओं के लिए कुछ ऐसे संदेश दिए जो सफलता के मूलमंत्र बन गए। इन संदेशों ने युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। स्वामी विवेकानंद भारत के आध्यात्मिक गुरु थे, जिनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ। महज 25 वर्ष की आयु में विवेकानंद ने सांसारिक मोह माया को त्याग दिया और गुरु रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आए। बाद में उन्होंने गुरु के नाम पर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में ऐतिहासिक भाषण दिया। हालांकि 39 वर्ष की अल्पायु में 4 जुलाई 1992 को स्वामी विवेकानंद का निधन हो गया। उनके जोशपूर्ण भारण, अनमोल वचन और संदेश आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्तोत्र हैं। स्वामी विवेकानंद की जयंती के मौके पर उनके कुछ अनमोल वचनों के बारे में जानें, जो युवाओं के जीवन को सफल बनाने के मूलमंत्र बन गए।

स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर – shatdalradio

#SwamiVivekanandaJi कक्षा तीन तक मैं पटना में रहती थी, महेंद्रू में मेरे घर की हॉल में सामने की खिड़की से ठीक दाईं तरफ की दीवार पर एक लम्बी आयताकार तस्वीर टँगी थी। इस लम्बी आयताकार पोस्टर के व्यक्ति गेरुए वस्त्र में थे, वे हाथ फोल्ड कर खड़े ऊपर की तरफ देखते थे। उनकी आँखों की चमक सजीव थी। वे भव्य, मोहक, आकर्षक गुरु सदृश्य लगते थे और चूँकि न मोबाइल था न डिश टी. वी. न कोई मित्र मैंने हॉल में बैठ कर घन्टों केवल उनके चेहरे को देखा था फिर मम्मी से शिकागो सम्मेलन की कहानी सुनती थी। मेरे अवचेतन मन पर जिस व्यक्ति का इतना प्रभाव था वे स्वामी विवेकानंद थे इसका आभास अभी इस लेख को लिखते समय हो रहा है ।मुझे उनकी जीवनी, उनके बारे में कहानियां किताबें सब पढ़ना बड़ा अपना सा लगता है। वे मेरे बचपन के खालीपन का बहुत सुंदर हिस्सा हैं। आदमी को कैसा होना चाहिए , आदमी को स्वामी विवेकानंद जैसा होना चाहिए। वे भारत को सही मायने में महान बनाने का रसायन जानते थे। दंत कथाओं में वे और बाबा परमहंस जिनके भी अवतार रहे हों, हमारे लिए साधारण शब्दों में हमेशा यूथ आइकॉन रहेंगे। एजेंडा आधारित हिन्दू धर्म की राजनीति सेकने वाले लोग आज स्वामी विवेकानंद की तस्वीर को भगवा का अगवा बनाकर बस उसका दुरुपयोग करते हैं लेकिन उनकी इस तुच्छ सोच से न हिन्दू धर्म की व्यापकता कम होती है , न सर्व धर्म सम्मत व्यवहारिकता का पाठ हमसे कोई छीन सकता है। मुझे लगता है मुझपर उनका ही प्रभाव है जो मैं सनातन धर्म की वसुधैव कुटुम्बकम नीति को समझ पाती हूँ और हिंन्दू धर्म का प्रयोग राजनैतिक हितों के लिए करने का विरोध करती हूँ। मैं कितनी भाग्यशाली हूँ जो मेरे अभिभावकों ने घर पर स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष का पोस्टर बस यूँ ही डाल कर रखा था जैसे लो...

स्वामी विवेकानंद जयंती: जानें भारत के महान आध्यात्मिक नेता के बारे में

स्वामी विवेकानंद जयंती हर साल 12 जनवरी को मनाई जाती है। यह दिन भारत के महान आध्यात्मिक नेताओं और विचारकों में से एक स्वामी विवेकानंद के जन्म की याद में मनाया जाता है। इस लेख में हम यह पता लगाने का प्रयास करेंगे कि इसका सभी भारतीयों के लिए क्या अर्थ है। स्वामी विवेकानंद जयंती के महत्व को स्वामी विवेकानंद के जीवन और कार्य को समझ कर समझा जा सकता है। • जन्म :12 जनवरी, 1863 • मृत्यु : जुलाई 04, 1902 (उम्र 39) • माता-पिता: भुवनेश्वरी देवी (माता) • विश्वनाथ दत्ता (पिता) • कद: 5 फीट 9 इंच (1.75 मीटर) • शिक्षा: स्कॉटिश चर्च कॉलेज • विद्यासागर कॉलेज (1871 – 1877) • प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, कोलकाता • कलकत्ता विश्वविद्यालय • रचनाएँ :खंडन भव-बंधन • स्थापना: रामकृष्ण मिशन की स्थापना • अद्वैत आश्रम • रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ, पुरुलिया • उद्बोधन • रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कॉलेज 12.1 अन्य संबंधित पोस्ट: स्वामी विवेकानंद जयंती का महत्व स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। वह एक महान आध्यात्मिक नेता और विचारक थे जिन्होंने आत्मनिर्भरता और आंतरिक शक्ति के महत्व के बारे में प्रचार किया था। उनकी शिक्षाएं दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं। इस दिन को भारत में राष्ट्रीय महत्व के दिन के रूप में मनाया जाता है। यह कार्यक्रम भारत के सबसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक नेताओं में से एक के जीवन और शिक्षाओं का जश्न मनाता है। स्वामी विवेकानंद एक शक्तिशाली वक्ता थे और उनके भाषण दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। स्वामी विवेकानंद जयंती का उत्सव सभी भारतीयों को एकजुट करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह दिन हिंदुओं और गैर-हिंदुओं को एक साथ लाने और भारत की समृद्ध आध्यात्मि...

Swami Vivekananda:स्वामी विवेकानंद पुण्यतिथि: "हर मंदिर के साथ आश्रम, स्कूल और अस्पताल हो" Swami Vivekananda death anniversary: Remembering his inspiring life and thoughts

स्वामी जी के परिवार में अधिकांश वकील थे.परिवार में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति भी देखी गई .स्वामीजी जब डिप्रेस हो जाते थे तो उन्हें भी यह भय सताता था.स्वामीजी सन्यासी ज़रूर हो गए थे लेकिन अपनी मां का कष्ट उनसे देखा नहीं जाता था. उनसे उनका मोह था.जब उन्हें सूचना मिली कि चाचा ने कानूनी पेंच लगाकर मां को सम्पत्ति से बेदखल कर दिया है तो वे खुद अदालत जाने का सुझाव मां को दिया. एक विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद के करीब आकर बोली कि वो उनसे शादी करना चाहती है. इस तरह के आग्रह पर विवेकानंद बोले कि आखिर मुझसे ही क्यों? मैं तो एक सन्यासी हूं? औरत बोली कि मैं आपके जैसा ही गौरवशाली, सुशील और तेजोमयी पुत्र चाहती हूं और इसकी संभावना तभी है जब आप मुझसे विवाह करें.विवेकानंद बोले कि हमारी शादी तो संभव नहीं है लेकिन एक उपाय है.आज से मैं ही आपका पुत्र बन जाता हूं, आप मेरी मां बन जाओ आपको मेरे जैसा बेटा मिल जायेगा. औरत विवेकानंद के चरणों में गिर गयी और बोली की आप देवतुल्य हैं . स्वामी विवेकानंद विदेश गए तो उन्हें भगवा वस्त्र और पगड़ी देख कर लोगों ने पूछा - आपका बाकी सामान कहां है ? स्वामी जी बोले कि बस मेरे पास इतना ही सामान है, इस तरह के जवाब पर कुछ लोगों ने मजा लेते हुए कहा कि यह कैसी संस्कृति है ?आपने तन पर केवल एक भगवा चादर लपेट रखी है.कोट पतलून जैसा कुछ भी पहनावा नहीं है ?इस पर स्वामी विवेकानंद जी मुस्कुराए और बोले कि हमारी संस्कृति आपकी संस्कृति से भिन्न है.आपकी संस्कृति का निर्माण आपके दर्जी करते है जबकि हमारी संस्कृति का निर्माण हमारा चरित्र करता है. रामकृष्ण परमहंस को गले में कैंसर हो गया था.एक विदेशी डॉक्टर उन्हें देखने आए तो चिकित्सक के जाने के बाद वे उस जगह पर गंगा जल का छिड़काव कराएं...

स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित

• • • • • • भारत विकास परिषद के बैनर तले डाक बंगला चौराहा पर माल्यार्पण कार्यक्रम आयोजित सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) सिमरी बख्तियापुर नगर परिषद क्षेत्र के डाक बंगला चौराह के समीप सोमवार को भारत विकास परिषद के बैनर तले स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर स्वामी विवेकानंद जी का 148 वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर भारत विकास परिषद के सदस्य सह भाजपा नेता रितेश रंजन ने कहा कि युगपुरुष स्वामी विवेकानंद जी प्रखर विद्वान समाजसेवी थे। उन्होंने कहा कि आज भी स्वामी जी कहे वचन प्रासंगिक है। वही कोसी बिहार प्रांत के प्रांतीय उपाध्यक्ष प्रमोद भगत ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के मार्गो को प्रशस्त कर देश हित में काम करने का आहवान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ वंदे मातरम से किया एवं समापन राष्ट्रगान जन गण मन गायन से किया गया। इस अवसर पर भारत विकास परिषद के वरिष्ठ सदस्य सुरेंद्र प्रसाद, शाखा अध्यक्ष कमलेश्वरी बढई, शाखा सचिव गोपाल शर्मा, शाखा वित्त सचिव महेश कुमार, पूर्व प्रांतीय सचिव अनिल कुमार, पूर्व शाखा सचिव श्रवण भगत, कमलेश वर्मा, अमित कुमार, शत्रुघ्न प्रसाद सहित दर्जनों सदस्य उपस्थित थे।