स्वामी विवेकानंद कितने घंटे सोते थे

  1. स्वामी विवेकानंद
  2. स्वामी विवेकानंद का दिमाग इतना तेज कैसे था? – Expert
  3. स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु कैसे हुई? – Expert
  4. स्वामी विवेकानंद के 5 रोचक और प्रेरक किस्से


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स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में विश्वनाथ दत्ता और भुवनेश्वरी देवी के घर नरेंद्र नाथ दत्त के रूप में हुआ था। 4 जुलाई, 1902 को बेलूर मठ में उनका देहांत हुआ। अपने देहांत तक उन्होंने एक ऐसी क्रांति ला दी थी, जिसकी गूंज आज तक दुनिया भर में है। अपने गुरु के संदेश वाहक के रूप में, वह एक शताब्दी से दुनिया भर के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत रहे हैं। इस लेख में, सद्‌गुरु स्वामी विवेकानंद के जीवन की कुछ घटनाओं के बारे में बता रहे हैं जिनसे यह पता चलता है कि अपने गुरु के साथ उनका क्या रिश्ता था और वह उनका कौन सा संदेश लोगों में फैलाना चाहते थे। रामकृष्ण परमहंस को दिव्यज्ञान प्राप्त होने के बाद, उनके बहुत सारे शिष्य बन गए। उनके एक शिष्य थे, स्वामी विवेकानंद। विवेकानंद अमेरिका जाने वाले पहले योगी थे। वह 1893 में दुनिया के धर्मों की संसद में शामिल होने शिकागो गए थे। वहां जाने के बाद उन्होंने एक आध्यात्मिक लहर चला दी। जिस समय किसी नई चीज को लेकर लोगों में बहुत आशंकाएं होती थीं, उस समय आकर उन्होंने कुछ हद तक लोगों के लिए द्वार खोले। स्वामी विवेकानंद को रामकृष्ण ने भेजा काली मंदिर में रामकृष्ण का विवेकानंद से बहुत अलग तरह का जुड़ाव था क्योंकि वह विवेकानंद को अपना संदेश दुनिया तक पहुंचाने का एक जरिया मानते थे। रामकृष्ण यह काम खुद नहीं कर सकते थे, इसलिए वह विवेकानंद को अपने संदेशवाहक के रूप में देखते थे। रामकृष्ण के आस-पास के लोग समझ नहीं पाते थे कि वह विवेकानंद को लेकर इतने पागल क्यों थे। अगर एक भी दिन विवेकानंद उनसे मिलने नहीं आते, तो रामकृष्ण उनकी खोज में निकल जाते क्योंकि वह जानते थे कि इस लड़के में संप्रेषण की जरूरी समझ है। विवेकानंद भी रामकृष्ण परमहंस के लिए उतने ...

स्वामी विवेकानंद का दिमाग इतना तेज कैसे था? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • • • स्वामी विवेकानंद का दिमाग इतना तेज कैसे था? स्वामी विवेकानंद जी के तेज दिमाग का रहस्य उनके द्वारा ही बताया गया था जो इस प्रकार है:-• ध्यान और ब्रह्मचर्य का जो भी पालन करेगा उसका मस्तिष्क इतना तेज हो जाएगा कि वह सोच भी नहीं सकता। • सबसे पहले ध्यान का अभ्यास कर अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में कर लें फिर ब्रह्मचर्य का पालन करें। • अधिक संभोग को वह स्मरण शक्ति और कार्यक स्वामी विवेकानंद पढ़ने में कैसे थे? स्वामी विवेकानंद अपनी विलक्षण बुद्धि एवं स्मरण शक्ति के लिए विख्यात थे.• वे सैकड़ों पन्नों की किताबें कुछ ही घंटो में पढ़ लिया करते थे. • ध्यान और ब्रह्मचर्य • स्वामी विवेकानंद ने अपने विलक्षण मस्तिष्क का राज बताया है. • उनके अनुसार कोई भी व्यक्ति इसका पालन करेगा तो वह अपनी सीखने की क्षमता को बढ़ा सकता है. स्वामी विवेकानंद रात में कितने घंटे सोते थे? Answer : 2 घंटे! स्वामी विवेकानंद दिन में केवल 1.5 – 2 घंटे ही सोते थे और हर चार घंटे के बाद 15 मिनट के लिए झपकी लेते थे! ध्यान कैसे किया जाता है? ध्यान लगाने का अभ्यास अपनी चटाई अथवा कुर्सी पर बैठें: आराम की स्थिति में बिना हिले-ढुले लगभग 20 से 30 मिनट बैठें। देर तक बैठने से पहले अपनी कमर को कुछ खिंचाव दें: अपनी कमर को बैठे-बैठे दायें तथा बायें झुकायें। कुछ हल्का-फुल्का व्यायाम या आसन करें जिससे आपकी टेंशन कम हो और आप आराम से ध्यान लगा सकें। स्वामी विवेकानंद इतने बुद्धिमान क्यों थे? READ: वाल्मीकि पहले डाकू थे क्या? विवेक ही सच्चे ज्ञान का आधार है। विवेक ही हमें बुद्धि के पार ले जाकर हमें अंतरदृष्टि सम्पन्न बनाता है। स्वामी विवेकानंद जब तक नरेंद्र थे बहुत ही तार्किक थे, नास्तिक थे, मूर्ति...

स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु कैसे हुई? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • • • स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु कैसे हुई? जीवन के अन्तिम दिन उन्होंने शुक्ल यजुर्वेद की व्याख्या की और कहा-“एक और विवेकानन्द चाहिये, यह समझाने के लिये कि इस विवेकानन्द ने अब तक क्या किया है।” उनके शिष्यों के अनुसार जीवन के अन्तिम दिन ४ जुलाई १९०२ को भी उन्होंने अपनी ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला और प्रात: दो तीन घण्टे ध्यान किया और ध्यानावस्था में ही … स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब और कैसे हुई थी? स्वामी जी की मृत्यु 4 जुलाई, 1902 को हुई। मृत्यु के पहले शाम के समय बेलूर मठ में उन्होंने 3 घंटे तक योग किया। शाम के 7 बजे अपने कक्ष में जाते हुए उन्होंने किसी से भी उन्हें व्यवधान ना पहुंचाने की बात कही और रात के 9 बजकर 10 मिनट पर उनकी मृत्यु की खबर मठ में फैल गई। स्वामी विवेका जी का जन्म कब और कहां हुआ था? संन्यास लेने से पहले स्वामी विवेकानंद का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था. उनका जन्म कोलकाता के समृद्ध परिवार में 12 जनवरी 1863 को हुआ. स्वामी विवेकानंद पढ़ाई कैसे करते थे? स्वामी विवेकानंद अपनी विलक्षण बुद्धि एवं स्मरण शक्ति के लिए विख्यात थे. READ: एसएसओ आईडी लॉगिन कैसे करते हैं?• वे सैकड़ों पन्नों की किताबें कुछ ही घंटो में पढ़ लिया करते थे. • ध्यान और ब्रह्मचर्य • स्वामी विवेकानंद ने अपने विलक्षण मस्तिष्क का राज बताया है. • उनके अनुसार कोई भी व्यक्ति इसका पालन करेगा तो वह अपनी सीखने की क्षमता को बढ़ा सकता है. विवेकानंद कितने घंटे ध्यान करते थे? किताब के मुताबिक विवेकानंद अपने आखिरी दिनों में बेलूर मठ में ही रहने लगे थे. मृत्यु वाले दिन भी विवेकानंद प्रतिदिन की तरह प्रात:काल में उठे थे. उठने के बाद उन्होंने दिन की शुरुआत तीन घंटे तक ध्य...

स्वामी विवेकानंद के 5 रोचक और प्रेरक किस्से

1. बंदरों ने सिखाया सबक : एक बार की बात है स्वामी विवेकनन्द बनारस में मां दुर्गा के मंदिर से लौट रहे थे, तभी रास्ते में बंदरों के एक झुंड ने उन्हें घेर लिया। स्वामीजी के हाथ में प्रसाद थी जिसे बंदरों छीनने का प्रयास कर रहे थे। स्वामीजी बंदरों द्वारा इस तरह से अचानक घेरे जाने और झपट्टा मारने के कारण भयभीत होकर भागने लगे। बंदर भी उनके पीछे भागने लगे। बंदरों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। तभी पास खड़े एक बुजुर्ग संन्यासी ने हंसते हुए विवेकानंद से कहा- रुको! डरो मत, उनका सामना करो और देखो क्या होता है। तुम जितना भागोगे वे तुम्हें उतना भगाएंगे। संन्यासी की बात मानकर वह फौरन पलटे और बंदरों की तरफ दृढ़ता से बढ़ने लगे। यह देखकर बंदर भयभीत होकर सभी एक-एक कर वहां से भागने लगे। इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली। अगर तुम किसी चीज से डर गए हो, तो उससे भागो मत, पलटो और सामना करो। 2. शारदामणि मुखोपाध्याय ने सिखाया सबक : स्वामीजी को शिकागो जाना था। श्रीरामकृष्ण परमहंस की पत्नी शारदामणि मुखोपाध्याय से वह विदेश जाने की इजाजत मांगने के लिए गए। कहते हैं कि उस समय शारदामणि किचन में कुछ कार्य कर रही थीं। विवेकानंद ने उनके समक्ष उपस्थित होकर कहा कि मैं विदेश जाना चाहता हूं। आपसे इसकी इजाजत लेने आया हूं। माता ने कहा कि यदि मैं इजाजत नहीं दूंगी तो क्या तुम नहीं जाओगे? यह सुनकर विवेकानंद कुछ नहीं बोले। तब शारदामणि ने इशारे से कहा कि अच्‍छा एक काम करो वो सामने चाकू रखा है, जरा मुझे दे दो। सब्जी काटना है। विवेकानंद ने चाकू उठाया और उन्हें दे दिया। तभी माता ने कहा कि तुमने मेरा यह काम किया है इसलिए तुम विदेश जा सकते हो। विवेकानंद को कुछ समझ में नहीं आया। तब माता ने कहा कि यदि तुम चाकू को उसकी नोक के...