स्वर संधि

  1. CBSE Class 8 Hindi Grammar संधि
  2. स्वर संधि के कितने भेद होते हैं
  3. Class 6 Hindi Grammar Chapter 3 Sandhi Updated for 2023
  4. स्वर संधि (परिभाषा, भेद और उदाहरण)
  5. दीर्घ संधि की परिभाषा, अर्थ, एवं उदाहरण सहित पूरी जानकारी
  6. स्वर संधि क्या होता है
  7. स्वर संधि (परिभाषा, भेद और उदाहरण)
  8. स्वर संधि के कितने भेद होते हैं
  9. CBSE Class 8 Hindi Grammar संधि
  10. दीर्घ संधि की परिभाषा, अर्थ, एवं उदाहरण सहित पूरी जानकारी


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CBSE Class 8 Hindi Grammar संधि

CBSE Class 8 Hindi Grammar संधि Pdf free download is part of CBSE Class 8 Hindi Grammar संधि ‘संधि’ संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है- मेल । जब दो अक्षर (वर्ण) मिलकर एक नया अक्षर बनाते हैं, वो उस विकार (रूप परिवर्तन) को संधि कहते हैं। संधि तीन प्रकार की होती है • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि स्वर संधि स्वर संधि में दो स्वरों का मेल होता है; जैसे- परम + अर्थ = परमार्थ (अ + अ = आ) यहाँ दो स्वरों (अ + अ) का मेल हुआ है। स्वर संधि के पाँच उपभेद हैं • दीर्घ संधि • गुण संधि • वृधि संधि • यण संधि • अयादि संधि 1. दीर्घ संधि – अ, आ से परे अ – आ होने पर दोनों मिलकर आ; इ – ई से परे इ – ई होने पर दोनों मिलका ई; उ, ऊ होने पर दोनों मिलकर ऊ हो जाता है। इस संधि का परिणाम दीर्घ स्वर होता है, अतः इसे दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे अ + अ = आ क्रम + अनुसार = क्रमानुसार चरण + अनुसार = क्रमानुसार न्याय + अधीश = न्यायाधीश अ + आ = आ भोजन + आलय = भोजनालय सत्य + आग्रह = सत्याग्रह छात्र + आवास = छात्रावास दश + आनन = दशानन हिम + आलय = हिमालय आ + आ = आ महा + आत्मा = महात्मा विद्या + आलय = विद्यालय वार्ता + आलय = वार्तालय अ + आ = आ भोजन + आलय = भोजनालय गज + आनन = गजानने यथा + अर्थ = यथार्थ परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी इ + इ = ई कवि + इंद्र = कवीन्द्र यति + इंद्र = यतीन्द्र इ + ई = ई प्रति + ईक्षा = प्रतीक्षा परि + ईक्षा = परीक्षा ई + ई = नदी + ईश = नदीश योगी + ईश्वर = योगीश्वर उ + ऊ = लघु + उत्तर = लघूत्तर सु + उक्ति = सूक्ति ऊ + ऊ = ऊ भू + ऊर्जा = भूर्जा भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व 2. गुण संधि – जब अ, आ के आगे इ, ई, उ, ऊ तथा ऋ आते हैं तो क्रमशः ‘ए’ ‘ओ’ और ‘अर’ हो जाते हैं तो यह गुण संधि कहलाती है; ...

स्वर संधि के कितने भेद होते हैं

स्वर संधि के कितने भेद होते हैं | स्वर संधि के कितने प्रकार होते हैं | swar sandhi ke kitne bhed hote hain –हिंदी व्याकरण हिंदी भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तथा हिंदी भाषा को शुध्द रूप से लिखने और बोलने के लिए हिंदी व्याकरण में विभिन्न नियम दीए गए हैं. जिसका प्रयोग कर के कोई भी व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से सिख सकता हैं. इस आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण पाठ स्वर संधि और स्वर संधि के भेद या प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं. स्वर संधि के कितने भेद होते हैं | स्वर संधि के कितने प्रकार की होती हैं | swar sandhi ke kitne bhed hote hain स्वर संधि पांच प्रकार की होती हैं. इन पांच प्रकारों के नाम निम्न अनुसार हैं: • दीर्घ स्वर संधि • गुण स्वर संधि • वृध्दि स्वर संधि • यण स्वर संधि • अयादी स्वर संधि दीर्घ स्वर संधि किसे कहते हैं जब एक ही स्वर के ह्रस्व और दीर्घ रूपों को संधि में मिलाया जाता हैं. तो दीर्घ स्वर बन जाता हैं. इस प्रकार की संधि को दीर्घ स्वर संधि कहा जाता हैं. जैसे अ स्वर का ह्रस्व रूप अ और दीर्घ रूप आ को मिलाया जाता हैं. तो आ बन जाएगा. • युग + अंतर = युगांतर • दिव्य + अस्त्र = दिव्यास्त्र • हस्त + अंतरण = हस्तांतरण • ध्वंस + अवशेष = ध्वंसावशेष • आग्नेय + अस्त्र = आग्नेयास्त्र • दिवस + अंत = दिवसांत • राष्ट्र + अध्यक्ष = राष्ट्राध्यक्ष • लोहित + अंग = लोहितांग (मंगल ग्रह) • नयन + अभिराम = नयनाभिराम • उदय + अचल = उदयाचल • अस्त + अचल = अस्ताचल • उप + अध्याय (अधि + आय) = उपाध्याय वचन बदलो क्या हैं? चिड़िया का बहुवचन (chidiya ka bahuvachan) इ / ई + इ / ई = ई • प्राप्ति + इच्छा = प्राप्तीच्छा • अति + इंद्रिय = अतींद्रिय • कवि + इ...

Class 6 Hindi Grammar Chapter 3 Sandhi Updated for 2023

Class 6 Hindi Grammar Chapter 3 संधि. Here, we will learn about the types of संधि, its definition, explanation with examples, and different kinds of संधि and its use. We know that the joining of two or more words is known as संधि. Practice about संधि for CBSE Exams and school unit tests based on standard 6 Hindi Grammar. संधि दो वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है, उसे “संधि” कहते हैं। संधि शब्द का अर्थ है- मेल। व्याकरण में दो ध्वनियों अथवा वर्गों के मेल से होने वाले विकार या परिवर्तन को संधि कहते हैं, जैसे: सूर्य + उदय = सूर्योदय (यहाँ अ का उ से मेल होने से ओ बना है) पुस्तक + आलय = पुस्तकालय (यहाँ अ का आ से मेल होने से आ बना है) उपर्युक्त उदाहरणों में वर्णां के परस्पर मेल से विकार उत्पन्न हुआ है। संधि के भेद संधि के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं: (क) à...

स्वर संधि (परिभाषा, भेद और उदाहरण)

स्वर संधि किसे कहते है? स्वर संधि की परिभाषा (Swar Sandhi ki Paribhasha): जब दो स्वर के मिलने से या आपस में जुड़ने से जो परिवर्तन आता है, वह स्वर संधि कहलाती है। दूसरे शब्दों में यदि बात की जाए तो जब स्वर के साथ स्वर का मेल हो और जो परिवर्तन होता है, वह स्वर संधि कहलाता है। हिंदी भाषा में स्वरों की संख्या 11 है। • वार्ता + आलय = वार्तालय • पुस्तक + आलय = पुस्तकालय ऊपर उदाहरण में आप स्पष्ट रूप से देख सकते है कि दो स्वरों के मिलने से परिवर्तन होता है। यहां पर प्रस्तुत उदाहरण में आप देख सकते हैं कि जब दो स्वरों को आपस में मिलाया गया तो मुख्य शब्द में परिवर्तन देखने को मिला। अतः इस उदाहरण को स्वर संधि का मुख्य उदाहरण माना जाएगा। स्वर संधि के उदाहरण (Swar Sandhi ke Udaharan) अ + अ= आ दोनों स्वर अ और अ के मिलने पर आ बनता है। इसके उदाहरण निचे दिए गए है। • परम + अर्थ = परमार्थ • धर्म + अर्थ = धर्मार्थ अ + आ = आ स्वर अ और दूसरा स्वर आ के मिलने से आ बनता है। इसके उदाहरण नीचे दिए गए है। • हिम + आलय = हिमालय • धर्म + आत्मा = धर्मात्मा आ + आ = आ दोनों आ स्वर की मिलने से आ बनता है। इसके उदाहरण नीचे दिए गए है। • रेखा + अंकित = रेखांकित • सीमा + अन्त = सीमान्त स्वर संधि के प्रकार (Swar Sandhi ke Prakar) हिंदी व्याकरण में संधि की सबसे बड़ी इकाई स्वर संधि है। स्वर संधि जिसको 5 भागों में बांटा गया है। स्वर संधि के प्रकार नीचे निम्न रूप से दिए गए है। • दीर्घ संधि • • • • निष्कर्ष हमने यहाँ पर स्वर संधि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

दीर्घ संधि की परिभाषा, अर्थ, एवं उदाहरण सहित पूरी जानकारी

संधि तीन प्रकार की मानी गई है स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि । दीर्घ संधि स्वर संधि का एक भेद है। इसके अंतर्गत छोटे स्वर का परिवर्तन बड़े स्वर या मात्रा में हो जाता है। इस मात्रा या स्वर की वृद्धि को दीर्घ स्वर संधि कहा जाता है। आज के लेख में आप दीर्घ संधि का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। इसे सरल बनाने के लिए हमने विद्यार्थियों के कठिनाई स्तर को ध्यान में रखा है। दीर्घ संधि की संपूर्ण जानकारी परिभाषा:- दो सजातीय स्वर और मिलकर दीर्घ स्वर के रूप में परिवर्तित होते हैं, ऐसी संधि को दीर्घ स्वर संधि कहते हैं। अ + अ = आ वेद + अंत वेदांत स्व + अर्थ स्वार्थ परम + अर्थ परमार्थ धर्म + अधर्म धर्माधर्म सत्य + अर्थ सत्यार्थ धर्म + अर्थ धर्मार्थ अन्न + अभाव अन्नाभाव अ + आ = आ गज + आनन गजानन हिम + आलय हिमालय सत्य + आनंद सत्यानंद शिव + आलय शिवालय परम + आनंद परमानन्द धर्म + आत्मा धर्मात्मा रत्न + आकर रत्नाकर आ + अ = आ शिक्षा + अर्थी शिक्षार्थी विद्या + अर्थी विद्यार्थी सीमा + अंत सीमान्त दीक्षा + अंत दीक्षांत यथा + अर्थ यथार्थ रेखा + अंकित रेखांकित सेवा + अर्थ सेवार्थ आ + आ = आ कारा + आवास कारावास दया + आनंद दयानन्द दया + आलु दयालु श्रद्धा + आनद श्रद्धानन्द महा + आत्मा महात्मा वार्ता + आलाप वार्तालाप विद्या + आलय विद्यालय इ + इ = ई कवि + इंद्र कवीन्द्र रवि + इंद्र रविंद्र कपि + इंद्र कपीन्द्र अति + इव अतीव गिरि + इंद्र गिरीन्द्र अभि + इष्ट अभीष्ट मुनि + इंद्र मुनींद्र इ +ई = ई प्रति + ईक्षा प्रतीक्षा मुनि + ईश्वर मुनीश्वर कवि + ईश्वर कवीश्वर कवि + ईश कवीश परि + ईक्षा परीक्षा हरि + ईश हरीश रवि + ईश रवीश ई + इ = ई योगी + इंद्र योगीन्द्र पत्नी + इच्छा पत्नीच्छा मही + इंद्र महीन्द्र नारी ...

स्वर संधि क्या होता है

• • • • • • • स्वर संधि स्वर के बाद स्वर आने से जो विकार पैदा होता है, वहाँ पर स्वर संधि होता है। इसे ही स्वर संधि कहते हैं। स्वर संधि के प्रकार यह 5 प्रकार का होता है। (1) दीर्घ स्वर संधि – आ, ऊ, ई यदि हृस्व या दीर्घ के बाद हृस्व अथवा दीर्घ आये तब, इन दोनो के मेल से दीर्घ स्वर संधि हो जाता है। निम्नलिखित गणितीय विधि से समझें। अ/आ + अ/आ = आ इ/ई + इ/ई = ई उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ उदाहरण के तौर पर • विद्द्या + आलय => विद्द्यालय • साधु + ऊर्जा => साधूर्जा • कपि + ईस => कपीस • नारी + ईश्वर => नारीश्वर (2) गुण स्वर संधि – ए, ओ, अर् यदि अ, आ के आगे – इ, ई आये तब ए; उ, ऊ आये तब ओ; तथा ऋ आये तब अर् बन जाता है। इसे ही गुण संधि कहते हैं। निम्नलिखित गणितीय सूत्र से समझें। अ/आ + इ/ई => ए अ/आ + उ/ऊ => ओ अ/आ + ऋ => अर् उदाहरण के तौर पर समझें • सुर + ईश => सुरेश • नर + ईश => नरेश • महा + उत्सव => महोत्सव • ब्रह्म + ऋषि => ब्रह्मर्षि • राजा + इन्द्र => राजेन्द्र (3) वृद्धि स्वर संधि – ऐ, औ यदि अ, आ के बाद “ए, ऐ” और “ओ, औ” स्वरों का मेल हो, तब क्रमशः ऐ और औ हो जाता है। इसे ही वृद्धि swar sandhi कहते हैं। निम्न उदाहरण से समझते हैं • लोकअ + एषण => लोकैषण • मतअ + ऐक्य => मतैक्य • जलअ + ओज => जलौज • वनअ + ओषधि => वनौषधि • सदआ + एव => सदैव • परमअ + औषध => परमौषध (4) यण स्वर संधि – य्, व्, र् यदि इ, ई, उ, ऊ, ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर आये तब इ ई का य् ; उ ऊ का व् ; तथा ऋ का र् हो जाता है। इसे ही यण swar sandhi कहते हैं। जैसे – • पत् इ + अक्ष => प्रत्यक्ष ; प्रति + अक्ष => प्रत्यक्ष • रीत् इ + आनुसार => रीत्यानुसार ; रीति + आनुसार => रीत्यानुसार • अन् उ + इत => अन्वित ; अनु + इत => अन्वित • यद इ + अपि = यदि + ...

स्वर संधि (परिभाषा, भेद और उदाहरण)

स्वर संधि किसे कहते है? स्वर संधि की परिभाषा (Swar Sandhi ki Paribhasha): जब दो स्वर के मिलने से या आपस में जुड़ने से जो परिवर्तन आता है, वह स्वर संधि कहलाती है। दूसरे शब्दों में यदि बात की जाए तो जब स्वर के साथ स्वर का मेल हो और जो परिवर्तन होता है, वह स्वर संधि कहलाता है। हिंदी भाषा में स्वरों की संख्या 11 है। • वार्ता + आलय = वार्तालय • पुस्तक + आलय = पुस्तकालय ऊपर उदाहरण में आप स्पष्ट रूप से देख सकते है कि दो स्वरों के मिलने से परिवर्तन होता है। यहां पर प्रस्तुत उदाहरण में आप देख सकते हैं कि जब दो स्वरों को आपस में मिलाया गया तो मुख्य शब्द में परिवर्तन देखने को मिला। अतः इस उदाहरण को स्वर संधि का मुख्य उदाहरण माना जाएगा। स्वर संधि के उदाहरण (Swar Sandhi ke Udaharan) अ + अ= आ दोनों स्वर अ और अ के मिलने पर आ बनता है। इसके उदाहरण निचे दिए गए है। • परम + अर्थ = परमार्थ • धर्म + अर्थ = धर्मार्थ अ + आ = आ स्वर अ और दूसरा स्वर आ के मिलने से आ बनता है। इसके उदाहरण नीचे दिए गए है। • हिम + आलय = हिमालय • धर्म + आत्मा = धर्मात्मा आ + आ = आ दोनों आ स्वर की मिलने से आ बनता है। इसके उदाहरण नीचे दिए गए है। • रेखा + अंकित = रेखांकित • सीमा + अन्त = सीमान्त स्वर संधि के प्रकार (Swar Sandhi ke Prakar) हिंदी व्याकरण में संधि की सबसे बड़ी इकाई स्वर संधि है। स्वर संधि जिसको 5 भागों में बांटा गया है। स्वर संधि के प्रकार नीचे निम्न रूप से दिए गए है। • दीर्घ संधि • • • • निष्कर्ष हमने यहाँ पर स्वर संधि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

स्वर संधि के कितने भेद होते हैं

स्वर संधि के कितने भेद होते हैं | स्वर संधि के कितने प्रकार होते हैं | swar sandhi ke kitne bhed hote hain –हिंदी व्याकरण हिंदी भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तथा हिंदी भाषा को शुध्द रूप से लिखने और बोलने के लिए हिंदी व्याकरण में विभिन्न नियम दीए गए हैं. जिसका प्रयोग कर के कोई भी व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से सिख सकता हैं. इस आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण पाठ स्वर संधि और स्वर संधि के भेद या प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं. स्वर संधि के कितने भेद होते हैं | स्वर संधि के कितने प्रकार की होती हैं | swar sandhi ke kitne bhed hote hain स्वर संधि पांच प्रकार की होती हैं. इन पांच प्रकारों के नाम निम्न अनुसार हैं: • दीर्घ स्वर संधि • गुण स्वर संधि • वृध्दि स्वर संधि • यण स्वर संधि • अयादी स्वर संधि दीर्घ स्वर संधि किसे कहते हैं जब एक ही स्वर के ह्रस्व और दीर्घ रूपों को संधि में मिलाया जाता हैं. तो दीर्घ स्वर बन जाता हैं. इस प्रकार की संधि को दीर्घ स्वर संधि कहा जाता हैं. जैसे अ स्वर का ह्रस्व रूप अ और दीर्घ रूप आ को मिलाया जाता हैं. तो आ बन जाएगा. • युग + अंतर = युगांतर • दिव्य + अस्त्र = दिव्यास्त्र • हस्त + अंतरण = हस्तांतरण • ध्वंस + अवशेष = ध्वंसावशेष • आग्नेय + अस्त्र = आग्नेयास्त्र • दिवस + अंत = दिवसांत • राष्ट्र + अध्यक्ष = राष्ट्राध्यक्ष • लोहित + अंग = लोहितांग (मंगल ग्रह) • नयन + अभिराम = नयनाभिराम • उदय + अचल = उदयाचल • अस्त + अचल = अस्ताचल • उप + अध्याय (अधि + आय) = उपाध्याय वचन बदलो क्या हैं? चिड़िया का बहुवचन (chidiya ka bahuvachan) इ / ई + इ / ई = ई • प्राप्ति + इच्छा = प्राप्तीच्छा • अति + इंद्रिय = अतींद्रिय • कवि + इ...

CBSE Class 8 Hindi Grammar संधि

CBSE Class 8 Hindi Grammar संधि Pdf free download is part of CBSE Class 8 Hindi Grammar संधि ‘संधि’ संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है- मेल । जब दो अक्षर (वर्ण) मिलकर एक नया अक्षर बनाते हैं, वो उस विकार (रूप परिवर्तन) को संधि कहते हैं। संधि तीन प्रकार की होती है • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि स्वर संधि स्वर संधि में दो स्वरों का मेल होता है; जैसे- परम + अर्थ = परमार्थ (अ + अ = आ) यहाँ दो स्वरों (अ + अ) का मेल हुआ है। स्वर संधि के पाँच उपभेद हैं • दीर्घ संधि • गुण संधि • वृधि संधि • यण संधि • अयादि संधि 1. दीर्घ संधि – अ, आ से परे अ – आ होने पर दोनों मिलकर आ; इ – ई से परे इ – ई होने पर दोनों मिलका ई; उ, ऊ होने पर दोनों मिलकर ऊ हो जाता है। इस संधि का परिणाम दीर्घ स्वर होता है, अतः इसे दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे अ + अ = आ क्रम + अनुसार = क्रमानुसार चरण + अनुसार = क्रमानुसार न्याय + अधीश = न्यायाधीश अ + आ = आ भोजन + आलय = भोजनालय सत्य + आग्रह = सत्याग्रह छात्र + आवास = छात्रावास दश + आनन = दशानन हिम + आलय = हिमालय आ + आ = आ महा + आत्मा = महात्मा विद्या + आलय = विद्यालय वार्ता + आलय = वार्तालय अ + आ = आ भोजन + आलय = भोजनालय गज + आनन = गजानने यथा + अर्थ = यथार्थ परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी इ + इ = ई कवि + इंद्र = कवीन्द्र यति + इंद्र = यतीन्द्र इ + ई = ई प्रति + ईक्षा = प्रतीक्षा परि + ईक्षा = परीक्षा ई + ई = नदी + ईश = नदीश योगी + ईश्वर = योगीश्वर उ + ऊ = लघु + उत्तर = लघूत्तर सु + उक्ति = सूक्ति ऊ + ऊ = ऊ भू + ऊर्जा = भूर्जा भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व 2. गुण संधि – जब अ, आ के आगे इ, ई, उ, ऊ तथा ऋ आते हैं तो क्रमशः ‘ए’ ‘ओ’ और ‘अर’ हो जाते हैं तो यह गुण संधि कहलाती है; ...

दीर्घ संधि की परिभाषा, अर्थ, एवं उदाहरण सहित पूरी जानकारी

संधि तीन प्रकार की मानी गई है स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि । दीर्घ संधि स्वर संधि का एक भेद है। इसके अंतर्गत छोटे स्वर का परिवर्तन बड़े स्वर या मात्रा में हो जाता है। इस मात्रा या स्वर की वृद्धि को दीर्घ स्वर संधि कहा जाता है। आज के लेख में आप दीर्घ संधि का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। इसे सरल बनाने के लिए हमने विद्यार्थियों के कठिनाई स्तर को ध्यान में रखा है। दीर्घ संधि की संपूर्ण जानकारी परिभाषा:- दो सजातीय स्वर और मिलकर दीर्घ स्वर के रूप में परिवर्तित होते हैं, ऐसी संधि को दीर्घ स्वर संधि कहते हैं। अ + अ = आ वेद + अंत वेदांत स्व + अर्थ स्वार्थ परम + अर्थ परमार्थ धर्म + अधर्म धर्माधर्म सत्य + अर्थ सत्यार्थ धर्म + अर्थ धर्मार्थ अन्न + अभाव अन्नाभाव अ + आ = आ गज + आनन गजानन हिम + आलय हिमालय सत्य + आनंद सत्यानंद शिव + आलय शिवालय परम + आनंद परमानन्द धर्म + आत्मा धर्मात्मा रत्न + आकर रत्नाकर आ + अ = आ शिक्षा + अर्थी शिक्षार्थी विद्या + अर्थी विद्यार्थी सीमा + अंत सीमान्त दीक्षा + अंत दीक्षांत यथा + अर्थ यथार्थ रेखा + अंकित रेखांकित सेवा + अर्थ सेवार्थ आ + आ = आ कारा + आवास कारावास दया + आनंद दयानन्द दया + आलु दयालु श्रद्धा + आनद श्रद्धानन्द महा + आत्मा महात्मा वार्ता + आलाप वार्तालाप विद्या + आलय विद्यालय इ + इ = ई कवि + इंद्र कवीन्द्र रवि + इंद्र रविंद्र कपि + इंद्र कपीन्द्र अति + इव अतीव गिरि + इंद्र गिरीन्द्र अभि + इष्ट अभीष्ट मुनि + इंद्र मुनींद्र इ +ई = ई प्रति + ईक्षा प्रतीक्षा मुनि + ईश्वर मुनीश्वर कवि + ईश्वर कवीश्वर कवि + ईश कवीश परि + ईक्षा परीक्षा हरि + ईश हरीश रवि + ईश रवीश ई + इ = ई योगी + इंद्र योगीन्द्र पत्नी + इच्छा पत्नीच्छा मही + इंद्र महीन्द्र नारी ...