Swaposhi kise kahate hain

  1. स्वपोषी और विषमपोषी में क्या अंतर है? » Swaposhi Aur Vishamposhee Mein Kya Antar Hai
  2. खाद्य श्रंखला क्या है? » Khadya Shrinkhala Kya Hai
  3. समास किसे कहते है
  4. प्रत्यय किसे कहते है
  5. समास किसे कहते हैं
  6. शब्दकोश किसे कहते है


Download: Swaposhi kise kahate hain
Size: 61.65 MB

स्वपोषी और विषमपोषी में क्या अंतर है? » Swaposhi Aur Vishamposhee Mein Kya Antar Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आपका प्रश्न स्वपोषी एमबी परमिशन कोचिंग में क्या अंतर है तो स्वपोषी का अर्थ होता है जो पौधे जाए जो जानवर अपना भोजन स्वयं यार करते हो स्वपोषी होते हैं जैसे पेड़ पौधे स्वपोषी है विषमपोषी का अर्थ होता है कि वैसे जानवर या वैसे भी जो अपने भोजन के लिए दूसरे पर निर्भर रहते हैं आस्था थे जिन्हें भोजन दूसरों के माध्यम से मिलता है जैसे जानवर और मनुष्य विषमपोषी aapka prashna swaposhi MB permission coaching mein kya antar hai toh swaposhi ka arth hota hai jo paudhe jaaye jo janwar apna bhojan swayam yaar karte ho swaposhi hote hain jaise ped paudhe swaposhi hai vishamposhee ka arth hota hai ki waise janwar ya waise bhi jo apne bhojan ke liye dusre par nirbhar rehte hain astha the jinhen bhojan dusro ke madhyam se milta hai jaise janwar aur manushya vishamposhee आपका प्रश्न स्वपोषी एमबी परमिशन कोचिंग में क्या अंतर है तो स्वपोषी का अर्थ होता है जो पौधे

खाद्य श्रंखला क्या है? » Khadya Shrinkhala Kya Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। खाद श्रंखला का आशय के फूड सिस्टम चैन से होता है रूट सिस्टम चैन में फर्जी एक दूसरे जीव पर डिपेंड होता है अपने भोजन के लिए कुछ स्वपोषी होते हैं कुछ पर्ची भी होते हैं कुछ उत्पादक होते हैं कुछ उत्पादकता उत्पादक उपभोक्ता होते हैं तो जैसे बनस्पति इसमें बनस्पति अपना भोजन स्वयं का निर्माण करती है और बाकी के समस्त जब होते हैं प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से बनस्पति ओं पर निर्भर होते हैं जो वनस्पतियों पर परस्पर सीधे निर्भर होते हैं प्रत्यक्ष रूप से निर्भर होते हैं उनको शाकाहारी कहा जाता है और जो आफ रिस्पेक्ट निर्भर होते हैं उनको मानता है कि पंजाबी जाती है khad shrinkhala ka aashay ke food system chain se hota hai root system chain mein farji ek dusre jeev par depend hota hai apne bhojan ke liye kuch swaposhi hote hain kuch parchi bhi hote hain kuch utpadak hote hain kuch utpadakta utpadak upbhokta hote hain toh jaise banaspati isme banaspati apna bhojan swayam ka nirmaan karti hai aur baki ke samast jab hote hain pratyaksh apratyaksh roop se banaspati on par nirbhar hote hain jo vanaspatiyon par paraspar sidhe nirbhar hote hain pratyaksh roop se nirbhar hote hain unko shakahari kaha jata hai aur jo of respect nirbhar hote hain unko manata hai ki punjabi jaati hai खाद श्रंखला का आशय के फूड सिस्टम चैन से होता है रूट सिस्टम चैन में फर्जी एक दूसरे जीव पर ड

समास किसे कहते है

Table of Contents • • • • • • • • • Samas Kise Kahate Hain In Hindi समास किसे कहते है :- दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों के परस्पर मेल को समास कहते है। जैसे- • चरणकमल – कमल के समान चरण • नीलकंठ– नीला है जो कंठ • चौराहा- चार राहों का समूह समास रचना में दो पद होते हैं पहले पद को ‘पूर्वपद ‘ कहा जाता है और दूसरे पद को ‘उत्तरपद ‘ कहा जाता है। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वो समस्त पद कहलाता है। Samas Vigrah समास-विग्रह :- सामासिक शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करनासमास-विग्रहकहलाता है। विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाता है। जैसे – देशवासी – देश के वासी तीर्थराज – तीर्थों का राजा अणुशक्ति – अणु की शक्ति घुड़दौड़ – घोड़ों की दौड़ आदि। Samas Ke Kitne Bhed Hote Hain समास के भेद/प्रकार :- समास के छः भेद होते है। • तत्पुरुष समास • अव्ययीभाव समास • कर्मधारय समास • द्विगु समास • द्वंद्व समास • बहुव्रीहि समास Tatpurush Samas 1. तत्पुरुष समास :- जिस समास में उत्तरपद प्रधान होता है एवं पूर्वपद गौण होता है वह समास तत्पुरुष समास कहलाता है। जैसे: धर्म का ग्रन्थ : धर्मग्रन्थ राजा का कुमार : राजकुमार तुलसीदासकृत : तुलसीदास द्वारा कृत तत्पुरुष समास के प्रकार :- • कर्म तत्पुरुष – को’ के लोप से यह समास बनता है। जैसे: ग्रंथकार : ग्रन्थ को लिखने वाला • करण तत्पुरुष – ‘से’ और ‘के द्वारा’ के लोप से यह समास बनता है। जैसे: वाल्मिकिरचित : वाल्मीकि के द्वारा रचित • सम्प्रदान तत्पुरुष – ‘के लिए’ का लोप होने से यह समास बनता है। जैसे: सत्याग्रह : सत्य के लिए आग्रह • अपादान तत्पुरुष – ‘से’ का लोप होने से यह समास बनता है। जैसे: पथभ्रष्ट: पथ से भ्रष्ट • सम्बन्ध तत्पुरुष – ‘का’, ‘के’, ‘की’ आदि ...

प्रत्यय किसे कहते है

Table of Contents • • • • Pratyay Kise Kahate Hain In Hindi प्रत्यय किसे कहते हैं :- येे वेे शब्द होते हैं जो किसी शब्दांश या किसी अवयव के अंत में लगकर या जुड़कर एक नए शब्द का निर्माण करते है। उन्हें प्रत्यय कहते है। प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – प्रति + अय प्रति का अर्थ होता है। ‘साथ में, पर बाद में” और अय का अर्थ होता है “चलने वाला”, अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला। जैसे- लिख्+अक = लेखक राखन+हारा = राखनहारा घट+इया = घटिया Pratyay Kitne Prakar Ke Hote Hain प्रत्यय के प्रकार :- प्रत्यय के दो प्रकार है 1. कृत प्रत्यय 2. तद्धित प्रत्यय Kridant Pratyay 1. कृत प्रत्यय :- जो प्रत्यय क्रिया धातु रूप के बाद लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं उन्हें ‘कृत प्रत्यय’ कहते है| कृत प्रत्यय के योग से बने शब्दों को (कृत+अंत) कृदंत कहते हैं। हिंदी में कृत प्रत्ययों कीसंख्या28 है। जैसे – लिख्+अक = लेखक राखन+हारा = राखनहारा घट+इया = घटिया लिख+आवट = लिखावट ये प्रत्यय क्रिया या धातु को नया अर्थ देते है। कृत् प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण बनते है| कृदंत या कृत प्रत्यय के भेद :- कृत प्रत्यय के भेद के 5 भेद होते है| (1)कर्तृवाचक कृदंत (2)कर्मवाचक कृदंत (3)करणवाचक कृदंत (4)भाववाचक कृदंत (5)क्रियावाचक कृदंत • कर्तृवाचक कृदंत :- जिस प्रत्यय से बने शब्द से कार्य करने वाले अर्थात कर्ता का पता चलता हो, वह कर्तृवाचक कृदंत कहलाता है| जैसे- प्रत्यय धातु शब्द आलू झगड़ा झगड़ालू आक तैर तैराक हार हो होनहार अक लिख लेखक अक गै गायक • कर्मवाचक कृदंत :- जिस प्रत्यय से बने शब्द से किसी कर्म का पता चलता हो वह कर्मवाचक कृदंत कहलाता है। जैसे- प्रत्यय धातु शब्द नी जन जननी औना बि...

समास किसे कहते हैं

समास किसे कहते हैं | Samas kise kehte hain समास (Samas) का अर्थ है ‘संक्षिप्तीकरण’। हिन्दी व्याकरण में समास का शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप; जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है उस शब्द को हिन्दी में समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में समास वह क्रिया है, जिसके द्वारा हिन्दी में कम-से-कम शब्दों मे अधिक-से-अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। समास के उदाहरण [Examples of Samas ] • रसोई के लिए घर इसे हम रसोईघर भी कह सकते हैं • ‘राजा का पुत्र’– राजपुत्र संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं में समास का बहुतायत में प्रयोग होता है। जर्मन आदि भाषाओं में भी समास का बहुत अधिक प्रयोग होता है। समास के बारे में संस्कृत में एक सूक्ति प्रसिद्ध है:- वन्द्वो द्विगुरपि चाहं मद्गेहे नित्यमव्ययीभावः। तत् पुरुष कर्म धारय येनाहं स्यां बहुव्रीहिः॥ समास रचना में दो पद होते हैं , पहले पद को ‘पूर्वपद ‘ कहा जाता है और दूसरे पद को ‘उत्तरपद ‘ कहा जाता है। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वो समस्त पद कहलाता है। जैसे :- • रसोई के लिए घर = रसोईघर • हाथ के लिए कड़ी = हथकड़ी • नील और कमल = नीलकमल • रजा का पुत्र = राजपुत्र सामासिक शब्द- Samasik shabd समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न (परसर्ग) लुप्त हो जाते हैं। • जैसे- राजपुत्र समास-विग्रह (Samas vigrah in hindi) सामासिक शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है।विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाताहै • जैसे- राज+पुत्र-राजा का पुत्र पूर्वपद और उत्तरपद (poorvpad aur uttarpad in Samas) समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूस...

शब्दकोश किसे कहते है

उस ग्रंथ को शब्दकोष कहते हैं जिसमें शब्दों को यों ही अथवा अर्थसहित किसी क्रमविशेष में सुनियोजित कर दिया गया हो । वैदिक काल में शब्दकोश के स्थान पर ‘निघण्टु‘ नाम चलता था । उस समय का केवल एक निघण्टु प्राप्त है जिस पर यास्क ने निरुक्त लिखा है । निघण्टु को वैदिक शब्दकोश कहते हैं । वैदिककाल से अब तक भारत में अनेक कोों का निर्माण हुआ । अंग्रेजी में कोश- निर्माण का प्रारम्भ 16वीं शदी के उत्तरार्ध से हुआ। अब तो कोश विज्ञान नाम से भाषाविज्ञान की एक स्वतंत्र शाखा का विकास हो गया है । (1) वर्णनात्मक पद्धति– इसमें किसी भाषा के एक काल में प्रयुक्त सम्पूर्ण शब्दों का संकलन कर उन्हें अकारादिक्रम से रखा जाता है । साथ ही प्रत्येक शब्द के सामने उसके कई अर्थ दे दिये जाते हैं । इस पद्धति पर बने हुए कोश इस प्रकार हैं- रामचन्द्र वर्मा द्वारा सम्पादित ‘मानक-हिन्दी-कोश‘ और ‘प्रामाणिक-हिन्दी-कोश‘ आदि। वस्तुतः इस पद्धति के अन्तर्गत प्रचलन के आधार पर शब्दों के अर्थ दिये जाते हैं अर्थात् सबसे पहले अधिक प्रचलित अर्थ, फिर कम प्रचलित अर्थ दिये जाते हैं। (3) शब्द निर्णय- इसमें कई समस्याएँ खड$ी होती हैं । जैसे-एक मूल शब्द से अनेक शब्द बमे हैं । ऐसे शब्दों को मूल शब्द के साथ रखा जाय अथवा अलग रूप से । ऐसे ही बहुत से श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द हैं जिनके अलग-अलग अथवा एक साथ लिखने की समस्या भी होती है। जैसे-आम के दो अर्थ हैं-(1) एक फल-विशेष अर्थात् रसाल, (2) सामान्य । इसका क्रम इस प्रकार रहेगा- (क) वर्णानुक्रम, (ख) अक्षरक्रम, (ग) विषयक्रम, (घ) व्युत्पत्तिक्रम । वर्णानुक्रम सर्वाधिक प्रचलित है। किसी भाषा की वर्णमाला के क्रम के आधार पर शब्दकोश में शब्दों का स्थान निर्धारित करना वर्णानुक्रम या अकारादिक्रम कहलाता है ...