Swar sandhi ke bhed

  1. Class 7 Hindi Vyakaran Chapter 3 Sandhi Vichchhed (CBSE 2023
  2. स्वर संधि (परिभाषा, भेद और उदाहरण)
  3. Class 6 Hindi Grammar Sandhi or Sandhi ke bhed
  4. Swar Sandhi in hindi
  5. Swar Sandhi


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Class 7 Hindi Vyakaran Chapter 3 Sandhi Vichchhed (CBSE 2023

Class 7 Hindi Grammar Chapter 3 संधि (Sandhi). Learn here about the Sandhi and Sandhi Vichchhed updated for academic session 2023-2024 CBSE and all State Boards. Contents are free to use without any login or registration. If you want to download contents to use it offline, download links are given with online options. बोलने की प्रक्रिया में द्रुत उच्चारण में एक के बाद एक में आने वाली दो ध्वनियों (वर्णों) में परस्पर निकटता होती है। प्रत्येक वर्ण का उच्चारण स्थान निश्चित है, इसलिए यह निकटता एक विशेष रूप में दिखाई देती है। पूर्व पद की अंतिम ध्वनि और दूसरे पद की प्रथम ध्वनि में परस्पर विकार संबंधी प्रक्रिया होती है। इसे ही संधि कहते हैं। संधि होने का मूल कारण है भाषा-प्रवाह। उपर्युक्त शब्दों में पहले शब्द की अंतिम ध्वनि (वर्ण) तथा दूसरे शब्द की पहली ध्वनि (वर्ण) के à...

स्वर संधि (परिभाषा, भेद और उदाहरण)

स्वर संधि किसे कहते है? स्वर संधि की परिभाषा (Swar Sandhi ki Paribhasha): जब दो स्वर के मिलने से या आपस में जुड़ने से जो परिवर्तन आता है, वह स्वर संधि कहलाती है। दूसरे शब्दों में यदि बात की जाए तो जब स्वर के साथ स्वर का मेल हो और जो परिवर्तन होता है, वह स्वर संधि कहलाता है। हिंदी भाषा में स्वरों की संख्या 11 है। • वार्ता + आलय = वार्तालय • पुस्तक + आलय = पुस्तकालय ऊपर उदाहरण में आप स्पष्ट रूप से देख सकते है कि दो स्वरों के मिलने से परिवर्तन होता है। यहां पर प्रस्तुत उदाहरण में आप देख सकते हैं कि जब दो स्वरों को आपस में मिलाया गया तो मुख्य शब्द में परिवर्तन देखने को मिला। अतः इस उदाहरण को स्वर संधि का मुख्य उदाहरण माना जाएगा। स्वर संधि के उदाहरण (Swar Sandhi ke Udaharan) अ + अ= आ दोनों स्वर अ और अ के मिलने पर आ बनता है। इसके उदाहरण निचे दिए गए है। • परम + अर्थ = परमार्थ • धर्म + अर्थ = धर्मार्थ अ + आ = आ स्वर अ और दूसरा स्वर आ के मिलने से आ बनता है। इसके उदाहरण नीचे दिए गए है। • हिम + आलय = हिमालय • धर्म + आत्मा = धर्मात्मा आ + आ = आ दोनों आ स्वर की मिलने से आ बनता है। इसके उदाहरण नीचे दिए गए है। • रेखा + अंकित = रेखांकित • सीमा + अन्त = सीमान्त स्वर संधि के प्रकार (Swar Sandhi ke Prakar) हिंदी व्याकरण में संधि की सबसे बड़ी इकाई स्वर संधि है। स्वर संधि जिसको 5 भागों में बांटा गया है। स्वर संधि के प्रकार नीचे निम्न रूप से दिए गए है। • दीर्घ संधि • • • • निष्कर्ष हमने यहाँ पर स्वर संधि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Class 6 Hindi Grammar Sandhi or Sandhi ke bhed

आज हम इन सभी विषयों के बारे में आपको बताएंगे – संधि की परिभाषा , संधि विच्छेद ( Sandhi Viched ) एवं संधि के भेद ( Sandhi ke bhed ) – स्वर संधि ( Swar Sandhi ), व्यंजन संधि ( Vyanjan Sandhi ) and विसर्ग ( Visarga Sandhi ). संधि की परिभाषा संधि (Sandhi) – का शाब्दिक अर्थ है –“मेल” | संधि की परिभाषा → दो वर्णों के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं | संधि-विच्छेद ( Sandhi Viched ) → ‘विच्छेद’ का अर्थ होता है-“अलग -करना” → दो शब्दों के वर्णों को अलग करके फिर से पहले वाली स्थिति में लाने को संधि विच्छेद ( Sandhi Viched ) कहते है। जैसे- भानूदय = भानु + उदय हिमालय = हिम + आलय संधि के भेद ( Sandhi ke bhed ) 1. स्वर संधि ( Swar Sandhi ) 2. व्यंजन संधि ( Vyanjan Sandhi ) 3. विसर्ग संधि ( Visarga Sandhi ) स्वर संधि ( Swar Sandhi ) दीर्घ संधि जब एक ही प्रकार के दो स्वर आपस में मिलकर दीर्घ स्वर में बदल जाते है तो उसे दीर्घ संधि कहते है। आ + अ = आ अ + अ = आ अ + आ = आ आ + आ = आ इ + इ = ई इ + ई = ई ई + ई = ई ई + इ = ई उ + उ = ऊ उ + ऊ = ऊ ऊ + उ = ऊ ऊ + ऊ = ऊ गुण संधि यदि ‘अ’ अथवा ‘आ’ के बाद ‘इ’, ‘ई’, ‘उ’, ‘ऊ’, ‘ऋ’ आए तो दोनों के स्थान पर क्रमशः ए, ओ, अर् हो जाता है। अ + इ = ए अ + ई = ए आ + इ = ए आ + ई = ए अ + उ = ओ अ + ऊ = ओ आ + उ = ओ आ + ऊ = ओ अ + ऋ = अर् आ + ऋ = अर् वृद्धि संधि जब ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ए’ या ‘ऐ’ आए तो दोनों के मेल से “ऐ” और “ओ” या “औ” हो जाता है | अर्थात् अ + ए = ऐ अ + ऐ = ऐ आ + ऐ = ऐ आ + ए = ऐ अ + ओ = ओ अ + औ = औ आ + ओ = औ आ + औ = औ यण संधि यदि हृस्व या दीर्घ ‘इ’, ‘उ’ या ‘ऋ’ के बाद कोई असमान स्वर आए तो उनके मेल से ‘इ’ या ‘ई’ का ‘य’, ‘उ’ या ‘ऊ’ का ‘व’ और ‘ऋ’ का ‘...

Swar Sandhi in hindi

Swar Sandhi Swar Sandhi in hindi pdf,Swar Sandhi Ke Bhed,dirgh swar sandhi in sanskrit, gur swar sandhi ke udaharan, hindi me swar sandhi,Hindi gramar Swar sandhi, very Importent Swar sandhi Exampal,स्वर संधि किसे कहते हैं। स्वर संधि के कितने भेद होते हैं उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। दो स्वरों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है उसे स्वर संधि कहते हैं Swar Sandhi मुख्यतः पांच प्रकार के होते हैं। सूत्र- अक: सवर्णे दीर्घ: यदि प्रथम शब्द के अंत में हृस्व अथवा दीर्घ अ, इ, उ, में से कोई एक वर्ण हो और द्वितीय शब्द के आदि में उसी का समान वर्ण हो तो दोनों के स्थान पर एक दीर्घ हो जाता है। यह दीर्घ स्वर संधि कहलाती है।Swar Sandhi जैसे - (क) अ + अ = आ, अ + आ = आ, आ + अ = आ, आ + आ = आ धर्म + अर्थ = धर्मार्थ (अ + अ = आ ) हिम + आलय = हिमालय (अ + आ = आ) पुस्तक + आलय = पुस्तकालय (अ + आ =आ) विद्या + अर्थी = विद्यार्थी (आ + अ = आ) विद्या + आलय = विद्यालय (आ + आ = आ) (ख) इ + इ = ई, इ + ई = ई, ई + इ = ई, ई + ई = ईSwar Sandhi रवि + इंद्र = रवींद्र (इ + इ = ई) मुनि + ईश = मुनीश (इ + ई = ई) मही + इंद्र = महींद्र (ई + इ = ई) नदी + ईश = नदीश (ई + ई = ई) (ग) उ + उ = ऊ, उ + ऊ = ऊ, ऊ + उ = ऊ, ऊ + ऊ = ऊ भानु + उदय = भानूदय (उ + उ = ऊ) लघु + ऊर्मि = लघूर्मि (उ + ऊ = ऊ) वधू + उत्सव=वधूल्लेख (ऊ + उ = ऊ) वधू + ऊर्जा=वधूर्जा (ऊ + ऊ = ऊ) Swar Sandhi सूत्र- आद्गुणः यदि प्रथम शब्द के अंत में हृस्व अथवा दीर्घ अ हो और दूसरे शब्द के आदि में हृस्व अथवा दीर्घ इ, उ,ऋ में से कोई वर्ण हो तो अ + इ = ए, आ + उ=ओ ,अ + ऋ = अर् हो जाता है। यह गुण स्वर संधि कहलाती है। जैसे - (क) अ + इ = ए, अ + ई = ए, आ + इ = ए, आ + ई = ए नर + इं...

Swar Sandhi

Learn Swar Sandhi – स्वर संधि – अच् संधि – हिन्दी व्याकरण स्वर के साथ स्वर का मेल होने पर जो विकार होता है, उसे स्वर सन्धि कहते हैं। स्वर सन्धि के पाँच भेद हैं- (i) दीर्घ सन्धि सवर्ण ह्रस्व या दीर्घ स्वरों के मिलने से उनके स्थान में सवर्ण दीर्घ स्वर हो जाता है। वर्गों का संयोग चाहे ह्रस्व + ह्रस्व हो या ह्रस्व + दीर्घ और चाहे दीर्घ + दीर्घ हो, यदि सवर्ण स्वर है तो दीर्घ हो जाएगा। इस सन्धि को दीर्घ सन्धि कहते हैं; जैसे सन्धि – उदाहरण • अ + अ = आ – पुष्प + अवली = पुष्पावली • अ + आ = आ – हिम + आलय = हिमालय • आ + अ = आ – माया + अधीन = मायाधीन • आ + आ = आ – विद्या + आलय = विद्यालय • इ + इ = ई – कवि + इच्छा = कवीच्छा • इ + ई = ई – हरी + ईश = हरीश • इ + इ = ई – मही + इन्द्र = महीन्द्र • इ + ई = ई – नदी + ईश = नदीश • उ + उ = ऊ – सु + उक्ति = सूक्ति • उ + ऊ = ऊ – सिन्धु + ऊर्मि = सिन्धूमि • ऊ + उ = ऊ – वधू + उत्सव = वधूत्सव • ऊ + ऊ = ऊ – भू + ऊर्ध्व = भूल • ऋ+ ऋ = ऋ – मात + ऋण = मातण गुण सन्धि जब अ अथवा आ के आगे ‘इ’ अथवा ‘ई’ आता है तो इनके स्थान पर ए हो जाता है। इसी प्रकार अ या आ के आगे उ या ऊ आता है तो ओ हो जाता है तथा अ या आ के आगे ऋ आने पर अर् हो जाता है। दूसरे शब्दों में, हम इस प्रकार कह सकते हैं कि जब अ, आ के आगे इ, ई या ‘उ’, ‘ऊ’ तथा ‘ऋ’ हो तो क्रमश: ए, ओ और अर् हो जाता है, इसे गुण सन्धि कहते हैं; जैसे- • अ, आ + ई, ई = ए • अ, आ + उ, ऊ = ओ • अ, आ + ऋ = अर् सन्धि – उदाहरण • अ + इ = ए – उप + इन्द्र = उपेन्द्र • अ + ई = ए – गण + ईश = गणेश • आ + इ = ए – महा + इन्द्र = महेन्द्र • आ + ई = ए – रमा + ईश = रमेश • अ + उ = ओ – चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय • अ + ऊ = ओ – समुद्र + ऊर्मि = समुद्र...