Swar sandhi kitne prakar ki hoti hai

  1. महिलाओं की योनि 9 प्रकार की होती है? जानें वजाइना के 9 प्रकार?
  2. Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain
  3. Sandhi or Sandhi ke Prakar
  4. Sandhi or Sandhi ke Prakar
  5. Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain
  6. महिलाओं की योनि 9 प्रकार की होती है? जानें वजाइना के 9 प्रकार?
  7. महिलाओं की योनि 9 प्रकार की होती है? जानें वजाइना के 9 प्रकार?
  8. Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain
  9. Sandhi or Sandhi ke Prakar
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महिलाओं की योनि 9 प्रकार की होती है? जानें वजाइना के 9 प्रकार?

कई प्रकार के vaginas को समझाने का उद्देश्य है कि सभी महिलाओं को अपने अंगों पर गर्व होना चाहिए। मीडिया में हम जो कुछ देखते हैं, हम कभी-कभी यह सोच लेते हैं कि अपील के मामले में हमारे पास वो खूबसूरती नहीं है! इस लेख का उद्देश्य आपको यह विश्वास दिलाना है कि हर तरह की योनि कि अपनी अलग प्रकृति होती है। योनि कितने तरह की होती है? आज तक आप ने जो भी लेख पढ़े होंगे उसमें लेखक योनि का वर्गीकरण केवल बनावट के आधार पर करता है जो उसके अधूरे और सतही ज्ञान को प्रदर्शित करता है| बाहरी आकार के साथ ही इसका वर्गीकरण योनि की खुशबू, गहराई, सम्भोग प्रदर्शन और स्वाद आदि आधारों पर भी आवश्यक है| वैज्ञानिक और प्रदर्शनपरक शोध के आधार पर कुल नौ प्रकार के vaginas होते हैं| तापमान: अन्य महत्वपूर्ण कारकों में से एक कारक यह भी है कि आपकी योनि का आंतरिक तापमान क्या रहता है यानि यह कितनी गर्म है? नमी: योनि कि एक और परिभाषित विशेषता है नमी, जो कि vaginas के गुणवत्ता में एक कारक है| अन्य कारकों में उसकी योनि की गहराई, उसका खुलना, उसके भगनासा यानि क्लेटोरिअस और जी-स्पॉट का स्थान, भगोष्ठ और संभोग के समय उसके प्रदर्शन पर निर्भर होता है नौ प्रकार कि योनि का निम्नानुसार वर्गीकरण किया जाता हैं; The Deer Woman: “मृग योनि” का मतलब उस योनि से है जो तापमान में गर्म होती है लेकिन अपेक्षाकृत शुष्क है। यह गहरी होती है, स्वाद में हल्का खट्टा, संभोग सुख तक पहुंचने में जिसे 2-5 मिनट लगता हो। कुल मिलकर ऐसी योनी पार्टनर के लिए एक आदर्श योनि साबित हो सकती है| The Fox Woman: एक महिला जिसकी फॉक्स योनि होती है उसकी योनि तापमान में सामान्य पर बनावट में बहुत गहरी होती है, और स्वादहीन होती है। जैसे लोमड़ी जंगली जानवर हैं; दिखने में coo...

Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain

संधि के कितने भेद होते हैं | संधि के कितने प्रकार होते हैं | Sandhi ke kitne bhed hote hain | sandhi kitne prakar ki hoti hai – हिंदी व्याकरण हिंदी भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तथा हिंदी भाषा को शुध्द रूप से लिखने और बोलने के लिए हिंदी व्याकरण में विभिन्न नियम दीए गए हैं. जिसका प्रयोग कर के कोई भी व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से सिख सकता हैं. इस आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण पाठ संधि और संधि के भेद या प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं. अनुक्रम • • • • • • संधि किसे कहते हैं | संधि की परिभाषा (sandhi ki paribhasha) दो स्वर या व्यंजन के मेल से जो विकार उत्पन्न होता हैं. उसे संधि कहा जाता हैं. जब दो शब्दों की संधि की जाती हैं. तब पहले शब्द के अंतिम अक्षर और दुसरे शब्द के पहले अक्षर में विकार उत्पन्न होता हैं. यह विकार कभी दोनों शब्दों या कभी दोनों में से एक शब्द में उत्पन्न होता हैं. कही बार दो शब्दों के मेल अन्य कोई तीसरा शब्द ही बन जाता हैं. सर्वनाम के कितने भेद होते हैं – सर्वनाम के कितने प्रकार होते हैं – सर्वनाम की परिभाषा संधि शब्द का शाब्दिक अर्थ मेल होता हैं. जब दो वर्णों या ध्वनि को आपस में मिलाते हैं तो विकार पैदा होता हैं. जिसे ही संधि कहा जाता हैं. samas ke kitne bhed hote hain – samas ke kitne prakar hote hain संधि के कितने भेद होते हैं – संधि के कितने प्रकार होते हैं (sandhi ke kitne bhed hote hain -sandhi ke kitne prakar hote hain) संधि के मुख्यरूप से तीन भेद होते हैं. यह तीन भेद निम्न-अनुसार हैं: दीर्घ संधि का उदाहरण: अ + अ = आ कोण + अर्क कोणार्क अ + अ = आ पुष्प + अवली पुष्पावली अ + आ = आ हिम + आलय हिमालय आ + अ = आ मा...

Sandhi or Sandhi ke Prakar

संधि – संधि के प्रकार – संधि की परिभाषा, संधि-विच्छेद, संधि के प्रकार (Sandhi ke Prakar) – स्वर संधि (Swar Sandhi), व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi), विसर्ग संधि (Visarga Sandhi) संधि की परिभाषा संधि (Sandhi) – का अर्थ होता है- मेल संधि की परिभाषा– दो वर्णों के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। जैसे- भाव + अर्थ= भावार्थ देव + आलय = देवाल संधि-विच्छेद विच्छेद का अर्थ है- ” अलग करना” – संधि के द्वारा बने शब्दों को अलग-अलग करना संधि-विच्छेद कहलाता है। जैसे- हिमालय = हिम + आलय दशानन = दश + आनन संधि के प्रकार (Sandhi ke Prakar) • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि स्वर संधि (Swar Sandhi) दो स्वरों के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। जैसे- गज+ आनन अ+ आ= आ अर्थात् गज + आनन = गजानन पर + उपकार अ + उ = ओ अर्थात् पर + उपकार = परोपकार स्वर संधि के प्रकार (Swar Sandhi ke prakar) • दीर्घ संधि • गुण संधि • वृद्धि संधि • यण संधि • अयादि संधि दीर्घ संधि जब अ/ आ के बाद अ/ आ आने पर “आ” हो जाए तथा इ/ ई के इ/ई आने पर “ई” हो जाए तथा उ / ऊ के बाद उ /ऊ आने पर “ऊ” हो जाए तो वहां दीर्घ संधि होती है। आ + अ = आ अ + अ = आ अ + आ = आ आ + आ = आ इ + इ = ई इ + ई = ई ई + ई = ई ई + इ = ई उ + उ = ऊ उ + ऊ = ऊ ऊ + उ = ऊ ऊ + ऊ = ऊ जैसे- गिरीश गिरि + ईश इ + ई = ई अर्थात् गिरि + ईश = गिरीश – सूक्ति = सु + उक्ति उ + उ = ऊ अर्थात् सु + उक्ति = सूक्ति गुण संधि जब अ /आ के बाद इ/ ई आने पर ” ए” हो जाए तथा अ/ आ के बाद उ/ ऊ आने पर ” ओ” हो जाए तथा अ/ आ के बाद “ऋ” आने पर “अर” हो जाए तो वहां गुण संधि होती है। अर्थात् अ + इ/ई =ए आ + इ/ई= ए अ + उ/ऊ=ओ आ+उ/ ऊ= ओ अ + ऋ = अर् आ +ऋ= अर् जैसे – महेश = ...

Sandhi or Sandhi ke Prakar

संधि – संधि के प्रकार – संधि की परिभाषा, संधि-विच्छेद, संधि के प्रकार (Sandhi ke Prakar) – स्वर संधि (Swar Sandhi), व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi), विसर्ग संधि (Visarga Sandhi) संधि की परिभाषा संधि (Sandhi) – का अर्थ होता है- मेल संधि की परिभाषा– दो वर्णों के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। जैसे- भाव + अर्थ= भावार्थ देव + आलय = देवाल संधि-विच्छेद विच्छेद का अर्थ है- ” अलग करना” – संधि के द्वारा बने शब्दों को अलग-अलग करना संधि-विच्छेद कहलाता है। जैसे- हिमालय = हिम + आलय दशानन = दश + आनन संधि के प्रकार (Sandhi ke Prakar) • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि स्वर संधि (Swar Sandhi) दो स्वरों के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। जैसे- गज+ आनन अ+ आ= आ अर्थात् गज + आनन = गजानन पर + उपकार अ + उ = ओ अर्थात् पर + उपकार = परोपकार स्वर संधि के प्रकार (Swar Sandhi ke prakar) • दीर्घ संधि • गुण संधि • वृद्धि संधि • यण संधि • अयादि संधि दीर्घ संधि जब अ/ आ के बाद अ/ आ आने पर “आ” हो जाए तथा इ/ ई के इ/ई आने पर “ई” हो जाए तथा उ / ऊ के बाद उ /ऊ आने पर “ऊ” हो जाए तो वहां दीर्घ संधि होती है। आ + अ = आ अ + अ = आ अ + आ = आ आ + आ = आ इ + इ = ई इ + ई = ई ई + ई = ई ई + इ = ई उ + उ = ऊ उ + ऊ = ऊ ऊ + उ = ऊ ऊ + ऊ = ऊ जैसे- गिरीश गिरि + ईश इ + ई = ई अर्थात् गिरि + ईश = गिरीश – सूक्ति = सु + उक्ति उ + उ = ऊ अर्थात् सु + उक्ति = सूक्ति गुण संधि जब अ /आ के बाद इ/ ई आने पर ” ए” हो जाए तथा अ/ आ के बाद उ/ ऊ आने पर ” ओ” हो जाए तथा अ/ आ के बाद “ऋ” आने पर “अर” हो जाए तो वहां गुण संधि होती है। अर्थात् अ + इ/ई =ए आ + इ/ई= ए अ + उ/ऊ=ओ आ+उ/ ऊ= ओ अ + ऋ = अर् आ +ऋ= अर् जैसे – महेश = ...

Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain

संधि के कितने भेद होते हैं | संधि के कितने प्रकार होते हैं | Sandhi ke kitne bhed hote hain | sandhi kitne prakar ki hoti hai – हिंदी व्याकरण हिंदी भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तथा हिंदी भाषा को शुध्द रूप से लिखने और बोलने के लिए हिंदी व्याकरण में विभिन्न नियम दीए गए हैं. जिसका प्रयोग कर के कोई भी व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से सिख सकता हैं. इस आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण पाठ संधि और संधि के भेद या प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं. अनुक्रम • • • • • • संधि किसे कहते हैं | संधि की परिभाषा (sandhi ki paribhasha) दो स्वर या व्यंजन के मेल से जो विकार उत्पन्न होता हैं. उसे संधि कहा जाता हैं. जब दो शब्दों की संधि की जाती हैं. तब पहले शब्द के अंतिम अक्षर और दुसरे शब्द के पहले अक्षर में विकार उत्पन्न होता हैं. यह विकार कभी दोनों शब्दों या कभी दोनों में से एक शब्द में उत्पन्न होता हैं. कही बार दो शब्दों के मेल अन्य कोई तीसरा शब्द ही बन जाता हैं. सर्वनाम के कितने भेद होते हैं – सर्वनाम के कितने प्रकार होते हैं – सर्वनाम की परिभाषा संधि शब्द का शाब्दिक अर्थ मेल होता हैं. जब दो वर्णों या ध्वनि को आपस में मिलाते हैं तो विकार पैदा होता हैं. जिसे ही संधि कहा जाता हैं. samas ke kitne bhed hote hain – samas ke kitne prakar hote hain संधि के कितने भेद होते हैं – संधि के कितने प्रकार होते हैं (sandhi ke kitne bhed hote hain -sandhi ke kitne prakar hote hain) संधि के मुख्यरूप से तीन भेद होते हैं. यह तीन भेद निम्न-अनुसार हैं: दीर्घ संधि का उदाहरण: अ + अ = आ कोण + अर्क कोणार्क अ + अ = आ पुष्प + अवली पुष्पावली अ + आ = आ हिम + आलय हिमालय आ + अ = आ मा...

महिलाओं की योनि 9 प्रकार की होती है? जानें वजाइना के 9 प्रकार?

कई प्रकार के vaginas को समझाने का उद्देश्य है कि सभी महिलाओं को अपने अंगों पर गर्व होना चाहिए। मीडिया में हम जो कुछ देखते हैं, हम कभी-कभी यह सोच लेते हैं कि अपील के मामले में हमारे पास वो खूबसूरती नहीं है! इस लेख का उद्देश्य आपको यह विश्वास दिलाना है कि हर तरह की योनि कि अपनी अलग प्रकृति होती है। योनि कितने तरह की होती है? आज तक आप ने जो भी लेख पढ़े होंगे उसमें लेखक योनि का वर्गीकरण केवल बनावट के आधार पर करता है जो उसके अधूरे और सतही ज्ञान को प्रदर्शित करता है| बाहरी आकार के साथ ही इसका वर्गीकरण योनि की खुशबू, गहराई, सम्भोग प्रदर्शन और स्वाद आदि आधारों पर भी आवश्यक है| वैज्ञानिक और प्रदर्शनपरक शोध के आधार पर कुल नौ प्रकार के vaginas होते हैं| तापमान: अन्य महत्वपूर्ण कारकों में से एक कारक यह भी है कि आपकी योनि का आंतरिक तापमान क्या रहता है यानि यह कितनी गर्म है? नमी: योनि कि एक और परिभाषित विशेषता है नमी, जो कि vaginas के गुणवत्ता में एक कारक है| अन्य कारकों में उसकी योनि की गहराई, उसका खुलना, उसके भगनासा यानि क्लेटोरिअस और जी-स्पॉट का स्थान, भगोष्ठ और संभोग के समय उसके प्रदर्शन पर निर्भर होता है नौ प्रकार कि योनि का निम्नानुसार वर्गीकरण किया जाता हैं; The Deer Woman: “मृग योनि” का मतलब उस योनि से है जो तापमान में गर्म होती है लेकिन अपेक्षाकृत शुष्क है। यह गहरी होती है, स्वाद में हल्का खट्टा, संभोग सुख तक पहुंचने में जिसे 2-5 मिनट लगता हो। कुल मिलकर ऐसी योनी पार्टनर के लिए एक आदर्श योनि साबित हो सकती है| The Fox Woman: एक महिला जिसकी फॉक्स योनि होती है उसकी योनि तापमान में सामान्य पर बनावट में बहुत गहरी होती है, और स्वादहीन होती है। जैसे लोमड़ी जंगली जानवर हैं; दिखने में coo...

महिलाओं की योनि 9 प्रकार की होती है? जानें वजाइना के 9 प्रकार?

कई प्रकार के vaginas को समझाने का उद्देश्य है कि सभी महिलाओं को अपने अंगों पर गर्व होना चाहिए। मीडिया में हम जो कुछ देखते हैं, हम कभी-कभी यह सोच लेते हैं कि अपील के मामले में हमारे पास वो खूबसूरती नहीं है! इस लेख का उद्देश्य आपको यह विश्वास दिलाना है कि हर तरह की योनि कि अपनी अलग प्रकृति होती है। योनि कितने तरह की होती है? आज तक आप ने जो भी लेख पढ़े होंगे उसमें लेखक योनि का वर्गीकरण केवल बनावट के आधार पर करता है जो उसके अधूरे और सतही ज्ञान को प्रदर्शित करता है| बाहरी आकार के साथ ही इसका वर्गीकरण योनि की खुशबू, गहराई, सम्भोग प्रदर्शन और स्वाद आदि आधारों पर भी आवश्यक है| वैज्ञानिक और प्रदर्शनपरक शोध के आधार पर कुल नौ प्रकार के vaginas होते हैं| तापमान: अन्य महत्वपूर्ण कारकों में से एक कारक यह भी है कि आपकी योनि का आंतरिक तापमान क्या रहता है यानि यह कितनी गर्म है? नमी: योनि कि एक और परिभाषित विशेषता है नमी, जो कि vaginas के गुणवत्ता में एक कारक है| अन्य कारकों में उसकी योनि की गहराई, उसका खुलना, उसके भगनासा यानि क्लेटोरिअस और जी-स्पॉट का स्थान, भगोष्ठ और संभोग के समय उसके प्रदर्शन पर निर्भर होता है नौ प्रकार कि योनि का निम्नानुसार वर्गीकरण किया जाता हैं; The Deer Woman: “मृग योनि” का मतलब उस योनि से है जो तापमान में गर्म होती है लेकिन अपेक्षाकृत शुष्क है। यह गहरी होती है, स्वाद में हल्का खट्टा, संभोग सुख तक पहुंचने में जिसे 2-5 मिनट लगता हो। कुल मिलकर ऐसी योनी पार्टनर के लिए एक आदर्श योनि साबित हो सकती है| The Fox Woman: एक महिला जिसकी फॉक्स योनि होती है उसकी योनि तापमान में सामान्य पर बनावट में बहुत गहरी होती है, और स्वादहीन होती है। जैसे लोमड़ी जंगली जानवर हैं; दिखने में coo...

Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain

संधि के कितने भेद होते हैं | संधि के कितने प्रकार होते हैं | Sandhi ke kitne bhed hote hain | sandhi kitne prakar ki hoti hai – हिंदी व्याकरण हिंदी भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तथा हिंदी भाषा को शुध्द रूप से लिखने और बोलने के लिए हिंदी व्याकरण में विभिन्न नियम दीए गए हैं. जिसका प्रयोग कर के कोई भी व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से सिख सकता हैं. इस आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण पाठ संधि और संधि के भेद या प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं. अनुक्रम • • • • • • संधि किसे कहते हैं | संधि की परिभाषा (sandhi ki paribhasha) दो स्वर या व्यंजन के मेल से जो विकार उत्पन्न होता हैं. उसे संधि कहा जाता हैं. जब दो शब्दों की संधि की जाती हैं. तब पहले शब्द के अंतिम अक्षर और दुसरे शब्द के पहले अक्षर में विकार उत्पन्न होता हैं. यह विकार कभी दोनों शब्दों या कभी दोनों में से एक शब्द में उत्पन्न होता हैं. कही बार दो शब्दों के मेल अन्य कोई तीसरा शब्द ही बन जाता हैं. सर्वनाम के कितने भेद होते हैं – सर्वनाम के कितने प्रकार होते हैं – सर्वनाम की परिभाषा संधि शब्द का शाब्दिक अर्थ मेल होता हैं. जब दो वर्णों या ध्वनि को आपस में मिलाते हैं तो विकार पैदा होता हैं. जिसे ही संधि कहा जाता हैं. samas ke kitne bhed hote hain – samas ke kitne prakar hote hain संधि के कितने भेद होते हैं – संधि के कितने प्रकार होते हैं (sandhi ke kitne bhed hote hain -sandhi ke kitne prakar hote hain) संधि के मुख्यरूप से तीन भेद होते हैं. यह तीन भेद निम्न-अनुसार हैं: दीर्घ संधि का उदाहरण: अ + अ = आ कोण + अर्क कोणार्क अ + अ = आ पुष्प + अवली पुष्पावली अ + आ = आ हिम + आलय हिमालय आ + अ = आ मा...

Sandhi or Sandhi ke Prakar

संधि – संधि के प्रकार – संधि की परिभाषा, संधि-विच्छेद, संधि के प्रकार (Sandhi ke Prakar) – स्वर संधि (Swar Sandhi), व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi), विसर्ग संधि (Visarga Sandhi) संधि की परिभाषा संधि (Sandhi) – का अर्थ होता है- मेल संधि की परिभाषा– दो वर्णों के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। जैसे- भाव + अर्थ= भावार्थ देव + आलय = देवाल संधि-विच्छेद विच्छेद का अर्थ है- ” अलग करना” – संधि के द्वारा बने शब्दों को अलग-अलग करना संधि-विच्छेद कहलाता है। जैसे- हिमालय = हिम + आलय दशानन = दश + आनन संधि के प्रकार (Sandhi ke Prakar) • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि स्वर संधि (Swar Sandhi) दो स्वरों के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। जैसे- गज+ आनन अ+ आ= आ अर्थात् गज + आनन = गजानन पर + उपकार अ + उ = ओ अर्थात् पर + उपकार = परोपकार स्वर संधि के प्रकार (Swar Sandhi ke prakar) • दीर्घ संधि • गुण संधि • वृद्धि संधि • यण संधि • अयादि संधि दीर्घ संधि जब अ/ आ के बाद अ/ आ आने पर “आ” हो जाए तथा इ/ ई के इ/ई आने पर “ई” हो जाए तथा उ / ऊ के बाद उ /ऊ आने पर “ऊ” हो जाए तो वहां दीर्घ संधि होती है। आ + अ = आ अ + अ = आ अ + आ = आ आ + आ = आ इ + इ = ई इ + ई = ई ई + ई = ई ई + इ = ई उ + उ = ऊ उ + ऊ = ऊ ऊ + उ = ऊ ऊ + ऊ = ऊ जैसे- गिरीश गिरि + ईश इ + ई = ई अर्थात् गिरि + ईश = गिरीश – सूक्ति = सु + उक्ति उ + उ = ऊ अर्थात् सु + उक्ति = सूक्ति गुण संधि जब अ /आ के बाद इ/ ई आने पर ” ए” हो जाए तथा अ/ आ के बाद उ/ ऊ आने पर ” ओ” हो जाए तथा अ/ आ के बाद “ऋ” आने पर “अर” हो जाए तो वहां गुण संधि होती है। अर्थात् अ + इ/ई =ए आ + इ/ई= ए अ + उ/ऊ=ओ आ+उ/ ऊ= ओ अ + ऋ = अर् आ +ऋ= अर् जैसे – महेश = ...

Sandhi or Sandhi ke Prakar

संधि – संधि के प्रकार – संधि की परिभाषा, संधि-विच्छेद, संधि के प्रकार (Sandhi ke Prakar) – स्वर संधि (Swar Sandhi), व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi), विसर्ग संधि (Visarga Sandhi) संधि की परिभाषा संधि (Sandhi) – का अर्थ होता है- मेल संधि की परिभाषा– दो वर्णों के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। जैसे- भाव + अर्थ= भावार्थ देव + आलय = देवाल संधि-विच्छेद विच्छेद का अर्थ है- ” अलग करना” – संधि के द्वारा बने शब्दों को अलग-अलग करना संधि-विच्छेद कहलाता है। जैसे- हिमालय = हिम + आलय दशानन = दश + आनन संधि के प्रकार (Sandhi ke Prakar) • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि स्वर संधि (Swar Sandhi) दो स्वरों के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। जैसे- गज+ आनन अ+ आ= आ अर्थात् गज + आनन = गजानन पर + उपकार अ + उ = ओ अर्थात् पर + उपकार = परोपकार स्वर संधि के प्रकार (Swar Sandhi ke prakar) • दीर्घ संधि • गुण संधि • वृद्धि संधि • यण संधि • अयादि संधि दीर्घ संधि जब अ/ आ के बाद अ/ आ आने पर “आ” हो जाए तथा इ/ ई के इ/ई आने पर “ई” हो जाए तथा उ / ऊ के बाद उ /ऊ आने पर “ऊ” हो जाए तो वहां दीर्घ संधि होती है। आ + अ = आ अ + अ = आ अ + आ = आ आ + आ = आ इ + इ = ई इ + ई = ई ई + ई = ई ई + इ = ई उ + उ = ऊ उ + ऊ = ऊ ऊ + उ = ऊ ऊ + ऊ = ऊ जैसे- गिरीश गिरि + ईश इ + ई = ई अर्थात् गिरि + ईश = गिरीश – सूक्ति = सु + उक्ति उ + उ = ऊ अर्थात् सु + उक्ति = सूक्ति गुण संधि जब अ /आ के बाद इ/ ई आने पर ” ए” हो जाए तथा अ/ आ के बाद उ/ ऊ आने पर ” ओ” हो जाए तथा अ/ आ के बाद “ऋ” आने पर “अर” हो जाए तो वहां गुण संधि होती है। अर्थात् अ + इ/ई =ए आ + इ/ई= ए अ + उ/ऊ=ओ आ+उ/ ऊ= ओ अ + ऋ = अर् आ +ऋ= अर् जैसे – महेश = ...