तिरुपति बालाजी कहा है

  1. तिरुपति बालाजी की क्या है कहानी, भक्त क्यों देते हैं अपने बालों का दान
  2. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रहस्य और कुछ अनसुनी बातें
  3. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, कहानी, कहा है
  4. तिरुपति बालाजी: Balaji Travel Guide In Hindi [2023]
  5. तिरुपति
  6. तिरुपति मंदिर में होती है इन भगवान की पूजा, जानिए मंदिर से जुड़ा इतिहास और मान्यताएं
  7. तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple)
  8. तिरुपति बालाजी के वो दस रहस्य, जिसे देख आप हैरान हो जायेंगे


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तिरुपति बालाजी की क्या है कहानी, भक्त क्यों देते हैं अपने बालों का दान

Tirupati balaji mandir ki kahani: तिरुपति बालाजी का विश्व प्रसिद्ध आन्ध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति के पास तिरूमाला पहाड़ी पर स्थित है, जहां पर भगवान श्रीहरि विष्णु की वेंकटेश्वर के रूप में पूजा होती है। भगवान श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती (लक्ष्मी माता) के साथ तिरुमला में निवास करते हैं। आओ जानते बालाजी की कहानी और भक्त क्यों देते हैं यहां पर अपने बालों का दान। पहली कथा :आदि काल में धरती पर जल ही जल हो गया था। यानी पैर रखने के लिए कोई जमीन नहीं बची थी। कहते हैं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पवन देव ने भारी अग्नि को रोकने के लिए उग्र रूप से उड़ान भरी जिससे बादल फट गए और बहुत बारिश हुई और धरती जलमग्न हो गई। धरती पर पुन: जीवन का संचार करने के लिए श्रीहरि विष्णु ने तब आदि वराह अवतार लिया। उन्होंने अपने इस अवतार में जल के भीतर की धरती को ऊपर तक अपने तुस्क का उपयोग करके खींच लिया। इसके बाद पुन: ब्रह्मा के योगबल से लोग रहने लगे और आदि वराह ने तब बाद में ब्रह्मा के अनुरोध पर एक रचना का रूप धारण किया और अपने बेहतर आधे (4 हाथों वाले भूदेवी) के साथ कृदचला विमना पर निवास किया और लोगों को ध्यान योग और कर्म योग जैसे ज्ञान और वरदान देने का फैसला किया। दूसरी कथा:कलयुग के प्रारंभ होने पर आदि वराह वेंकटाद्री पर्वत छोड़कर अपने लोक चले गए जिसके चलते ब्रह्माजी चिंतित रहने लगे और नारद जी से विष्णु को पुन: लाने के लिए कहा। नारद एक दिन गंगा के तट पर गए जहां पर ऋषि इस बात को लेकर भ्रम में थे कि हमारे यज्ञ का फल त्रिदेवों में से किसे मिलेगा। नारद जी ने उनके शंका समाधान हेतु भृगु को यह कार्य सौंपा। भृगु ऋषि सभी देवताओं के पास गए, लेकिन भगवान शिव और विष्णुजी ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रहस्य और कुछ अनसुनी बातें

भारत को मंदिर का देश यूं ही नहीं कहा जाता, कुछ तो बात है यहां के मंदिरों में..., जो हजारों किमी. दूर से लोगों को अपनी श्रद्धा और भक्ति के कारण आकर्षित करती हैं। यहां हजारों ऐसे मंदिर है, जिनका अपना एक इतिहास और रहस्य है, जिनसे आज तक न कोई पर्दा उठा सका और शायद किसी के बस की बात भी नहीं है। इन्हें में से एक है आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर...। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख व पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। इसके अलावा यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक भी है। चमत्कारों व रहस्यों से भरा हुआ यह मंदिर न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में जाना जाता है। इस मंदिर के मुख्य देवता श्री वेंकटेश्वर स्वामी है, जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं और तिरुमाला पर्वत पर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में केश-दान की परम्परा मान्यताओं के मुताबिक, जिन भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है, वे मंदिर में आकर वेंकटेश्वर स्वामी को अपना बाल समर्पित (दान) करते हैं। दक्षिण में होने के बावजूद इस मंदिर से पूरे देश की आस्था जुड़ी है। यह प्रथा आज से नहीं बल्कि कई शाताब्दियों से चली आ रही है, जिसे आज भी भक्त काफी श्रद्धापूर्वक मानते आ रहे हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां न सिर्फ पुरुष अपने बाल का दान करते हैं बल्कि महिलाएं व युवतियां भी भक्ति-भाव से अपने बालों का दान करती हैं। तिरुपति में केश दान करने के पीछे की कहानी क्या है? पौराणिक किवदंती के अनुसार, प्राचीन समय में भगवान तिरुपति बालाजी की मूर्ति पर चीटियों ने बांबी बना ली थी, जिसके कारण वह किसी को दिखाई नहीं देती थी। ऐसे में वहां र...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, कहानी, कहा है

सबसे रहस्यमई मंदिर तिरुपति बालाजी के बारे में दोस्तों आप लोगों ने इसका नाम इंटरनेट पर या अखबार में जरूर सुना होगा ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जितने भी श्रद्धालु आते हैं वह लोग जो भी मंदिर में दान करते हैं अगर उन सब को जोड़ा जाए तो लगभग 10000 किलो से भी ज्यादा सिर्फ सोना रखा गया है और इस तरह ना जाने कितनी संपत्ति है चलिए मैं आपको तिरुपति बालाजी का कुछ रहस्यमई कहानी और इतिहास के बारे में बताता हूं Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास और रोचक तथ्य (Tirupati Balaji History in Hindi) ऐसा कहा जाता है कि तिरुपति बालाजी का मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है यह 9 वीं शताब्दी से है लेकिन कुछ लोगों का यह भी कहना है कि इसका जिक्र हजारों साल पहले भी हो चुका है अब इसमें कितनी सच्चाई यह हमें इंटरनेट पर नहीं मिला चलिए मैं आप लोगों को इसके पीछे की कहानी बताता हूं कैसे उत्पत्ति हुई इस मंदिर की ऐसा माना जाता है कि कांचीपुरम के राजा वंश पर लोगों ने इस मंदिर पर कब्जा किया हुआ था यानी कि यह मंदिर उनके कब्जे में था इस मंदिर में पूजा भी नहीं होता था लेकिन 15 वीं शताब्दी में विजयनगर वंश के शासक इस मंदिर पर राज करने लगे और ऐसा कहा जाता है इनके लगन और मेहनत के कारण और श्रद्धा के कारण या मंदिर भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध हो गया कौन है तिरुपति बालाजी | तिरुपति बालाजी मंदिर अगर हम लोग इस मंदिर के इतिहास पड़े तो हमें पता चलेगा कि भगवान विष्णु अपनी पत्नी के साथ स्वामी पुष्पकरण सरोवर के बगल में अपना निवास डालते थे और यह स्थान तिरुमाला के पास था तिरुमला तिरुपति के चारों तरफ बनी पहाड़ियों को कहते हैं यहां पर लाइन बाई लाइन साथ पहाड़ियां है और सातवीं ...

तिरुपति बालाजी: Balaji Travel Guide In Hindi [2023]

Contents • • • • • • • • • • तिरुपति बालाजी मंदिर धार्मिक पृष्ठभूमि (Mythological Believe of Tirupati Balaji Temple) तिरुमले वह पर्वत है, जिस पर लक्ष्मी जी के साथ स्वयं विष्णुजी विराजमान है। तिरुपति इसी पर्वत के नीचे बसा हुआ नगर है। कपिलतीर्थ में स्नान एवं कपिलेश्वरभगवान का दर्शन करके यात्री पर्वत पर चढ़ते हैं। तिरुमले पर्वत का दूसरा नाम वेंकटाचल है। यहाँ पर श्री बालाजी (वेंकटेश्वर भगवान) का स्थान है। और पढ़ें: मान्यता अनुसार- वेंकटाचल पर साक्षात शेषजी पर्वत रूप में स्थित है, इसलिए इसे शेषाचल भी कहते हैं। प्राचीनकाल में प्रस्ताव तथा राजा अंबरीश इस पर्वत को नीचे से ही प्रणाम करके चले गए थे। पर्वत को भगवत्स्वरूप मानकर वे ऊपर नहीं चढ़े थे। श्री रामानुजाचार्य पर्वत पर दंडवत् प्रणाम करते हुए गए थे। श्री तिरुपति बालाजी मंदिर (Sri Venkateswara Swamy Temple) भगवान श्री वेंकटेश्वर को ही ‘बालाजी’कहते हैं। भगवान के मुख्य दर्शन तीन बार होते हैं। पहला दर्शन प्रभात काल में होता है। दूसरा दर्शन मध्याहन में होता है। तीसरा दर्शन रात्रि में होता है। इन तीनों दर्शनों के लिए शुल्क नहीं लगता। जो अन्य दर्शन होते हैं, उनका शुल्क लगता है। तीन परकोटे: श्री बालाजी का मंदिर तीन परकोटों से घिरा है। इन परकोदों में गोपूर बने हैं, जिन पर स्वर्ण कलश स्थापित हैं। स्वर्णद्वार के सामने ‘तिरुमहामंडपम्’ नामक मंडप है। मंदिर के सिंह द्वार को पड़िकावलि कहते हैं। यही प्रथम द्वार है। इस द्वार के समीप वेंकटेश्वर स्वामी के भक्त नरेशों एवं रानियों की मूर्तिया है। विरज व पुष्पकूप: प्रथम द्वार तथा द्वितीय द्वार के मध्य की प्रदक्षिणा को संपगि प्रदक्षिणा कहते हैं। इसमें ‘विरज’ नामक एक कुंआ है। कहा जाता है कि श्री बालाजी क...

तिरुपति

अनुक्रम • 1 नामावली • 2 भूगोल • 3 मुख्य आकर्षण • 4 तिरुमला के दर्शनीय स्थल • 4.1 श्री वैंकटेश्वर मंदिर • 4.2 तिरुपति के दर्शनीय स्थल • 4.3 श्री पद्मावती समोवर मंदिर, तिरुचनूर • 4.4 श्री गोविंदराजस्वामी मंदिर • 4.5 श्री कोदादंरमस्वामी मंदिर • 4.6 श्री कपिलेश्वरस्वामी मंदिर • 4.7 श्री कल्याण वैंकटेश्वरस्वामी मंदिर, श्रीनिवास मंगापुरम • 4.8 श्री कल्याण वैंकटेश्वरस्वामी मंदिर, नारायणवनम • 4.9 श्री वेद नारायणस्वामी मंदिर, नगलपुरम • 4.10 श्री वेणुगोपालस्वामी मंदिर, कारवेतीनगरम • 4.11 श्री प्रसन्ना वैंकटेश्वरस्वामी मंदिर, अप्पलायगुंटा • 4.12 श्री चेन्नाकेशवस्वामी मंदिर, तल्लपका • 4.13 श्री करिया मणिक्यस्वामी मंदिर, नीलगिरी • 4.14 श्री अन्नपूर्णा समेत काशी विश्वेश्वरस्वामी मंदिर, बग्गा अग्रहरम • 4.15 स्वामी पुष्करिणी • 4.16 आकाशगंगा वॉटरफॉल • 4.17 श्री वराहस्वामी मंदिर • 4.18 श्री बेदी अंजनेयस्वामी मंदिर • 4.19 टीटीडी गार्डन • 4.20 ध्यान मंदिरम • 4.21 खानपान • 4.22 उत्पाद • 5 मौसम • 6 आवागमन • 7 शिक्षण संस्थान • 8 जनसंख्या • 9 इन्हें भी देखें • 10 सन्दर्भ • 11 बाहरी कड़ियां नामावली [ ] तमिल के शुरुआती साहित्य में से एक संगम साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंगदम कहा गया है। तिरुपति के इतिहास को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। कहा जाता है कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान था। भूगोल [ ] तिरुपति मुख्य आकर्षण [ ] श्री वैंकटेश्वर का यह प्राचीन मंदिर तिरुपति पहाड़ की सातवीं चोटी (वैंकटचला) पर स्थित है। यह श्री स्वामी पुष्करिणी के दक्षिणी किनारे...

तिरुपति मंदिर में होती है इन भगवान की पूजा, जानिए मंदिर से जुड़ा इतिहास और मान्यताएं

आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर जो देश के सबसे धनी मंदिरों की लिस्ट में शामिल है। यह मंदिर पृथ्वी के बैकुंठ के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर वर्ष करोड़ों की संख्या में पर्यटकआते हैं। इस मंदिर में लोग भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के अलावा विदेशों से भी काफी अधिक संख्या में आते हैं। तो चलिए अब हम तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी कुछ जानकारियों को विस्तार से बताते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिला में स्थित है, यह केवल आंध्र प्रदेश का ही नहीं बल्कि पूरे भारत का एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल है। यहां पूरे साल भक्त काफी अधिक संख्या में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन को लेकर आते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में होते हैं केश दान इस मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं है। यह मंदिर मुख्य रूप से वेंकटेश्वर स्वामी यानी भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां हर रोज हजारों की संख्या में लोग अपने केश को दान करने के लिए आते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर की इतिहास तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के अंतर्गत आने वाले चित्तूर जिला में स्थित है। यह तिरुपति बालाजी मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर का नाम देश के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों में सबसे ज्यादा भक्तों के दर्शन करने की सूची में आता है। वहीं तिरुपति बालाजी मंदिर के इतिहास की बात करेंगे, तो कहा जाता है कि तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण 300 ईसवी में शुरू हुआ था। मंदिर के निर्माण में कई राजाओं द्वारा अहम भूमिका निभाई गई है। तिरुपति बालाजी मंदिर के निर्माण में मुख्य रूप से भूमिका की बात करें, तो 18वीं शताब्दी के दौरान जर्नल राघोजी भोसले के नाम को बताया जाता है। पौराणिक ...

तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple)

Image Reference: https://www.tirumala.org/SrinivasaKalyanam.aspx तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित है और यह भारत के मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक है। “तिरुपति” एक तमिल शब्द है तिरु का अर्थ है “श्री” एवं पति का अर्थ है “प्रभु” | तिरुपति यानि श्रीपति यानि श्रीविष्णु और तिरुमलै का अर्थ श्रीपर्वत है इस पर्वत पर साक्षात् लक्ष्मी संग विष्णु स्वयं विराजमान है। मंदिर तिरुमाला पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जिसे वेंकटाद्री के नाम से भी जाना जाता है । वेंकटाद्री हिंदुओं द्वारा पवित्र मानी जाने वाली सात पहाड़ियों (सप्तगिरी) में से एक है। ये सात पहाड़ियाँ हैं- शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़द्रि, अंजनाद्री, वृषभभद्री, नारायणाद्री और वेंकटाद्री। और यहाँ का पूरा शहर इसी पर्वत के नीचे बसा हुआ है यह सात पहाड़ियों का समूह है जिसे वैंकटेश्‍वर कहते है दक्षिण भारत का पवित्रतम मंदिर बन जाता है| मंदिर का मुख्य भाग यानी ‘अनंदा निलियम’ देखने में काफी आकर्षक है। ‘अनंदा निलियम’ में भगवान श्रीवेंकटेश्वर अपनी सात फूट ऊंची प्रतिमा के साथ विराजमान हैं। मंदिर के तीन परकोटों पर लगे स्वर्ण कलश काफी हद तक यहां आने वाले आगंतुकों को प्रभावित करते हैं। मंदिर के अंदर आप कई खूबसूरत मूर्तियों को देख सकते हैं। मंदिर विष्णु के एक रूप वेंकटेश्वर को समर्पित है , जिनके बारे में माना जाता है कि वे मानव जाति को कलियुग के परीक्षणों और परेशानियों से बचाने के लिए पृथ्वी पर प्रकट हुए थे । इसलिए इस स्थान का नाम कलियुग वैकुंठ भी पड़ा और यहाँ भगवान को कलियुग प्रथ्याक्ष दैवं कहा जाता है। मंदिर को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे तिरुमाला मंदिर, तिरुपति मंद...

तिरुपति बालाजी के वो दस रहस्य, जिसे देख आप हैरान हो जायेंगे

भारत में सबसे ज्यादा माथा टेकनेवाला मंदिर तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji), कहा जाता है. हर साल यहाँ लाखो भक्त दर्शन के लिए आते है. भारत में और मंदिरोंकी तुलना में यहाँ सबसे ज्यादा चमत्कारिक और रहस्य्मयी चीजे देखने को मिलती है. तिरुपति बालाजी मंदिर के मान्यता नुसार भगवान बालाजी (Tirupati Balaji) अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में रहते थे. यह दुनिया का एकमात्र मंदिर होगा, आपके पास देने के लिए अगर कुछ ना हो, तो आप आपके केश यानि बाल दान कर सकते हो. इस मंदिर के ऐसे कुछ रहस्य है. जिसे देखकर हैरान हो सकते हो. तो चलिए देर किस बात की, देखते भगवान बालाजी के मूर्ति पर बाल है असली ▪ कहा जाता है, तिरुपति बालाजी मंदिर के भगवान् वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर जो बाल है, वो उन्हीके असली बाल है. यह बाल कभी भी बिखरते नहीं और हमेशा मुलायम रहते है. और यह भी कहा जाता है, इसके पीछे का कारण यह है, की यहाँ पर साक्षात् स्वयं भगवान वेंकटेश्वर निवास करते है. मंदिर में रखी छडी का रहस्य ▪ तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य प्रवेशद्वार के दाहिने द्वार के बाजू में एक छड़ी है. इस छड़ी के बारे में कहा जाता है, बचपन में भगवान् बालाजी को इस छड़ी से मार खानी पड़ती थी. और उस वक्त भगवान बालाजी के थोड़ी पर मार लगी थी. उसी वक्त से लेकर आजतक प्रत्येक शुक्रवार के दिन भगवान् बालाजी के थोड़ी पर चंदन का लेप लगाया जाता है. जिससे उनकी जख्म का घाव भर जाये. भगवान बालाजी के ह्रदय में माता लक्ष्मी का वास ▪ श्री भगवान बालाजी के ह्रदय में माता लक्ष्मी वास करती है. यह बात तब समझने में आती है. जब हर बृहस्पतिवार भगवान बालाजी का पूर्ण श्रृंगार निकाल कर, उन्हें स्नान कर चंदन का लेप लगाया जाता है. यह चंदन का लेप निकालने पर, हृदयपर लगे च...