तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास

  1. तिरुपति बालाजी मंदिर टूर यात्रा और इतिहास
  2. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास
  3. तिरुपति मंदिर में होती है इन भगवान की पूजा, जानिए मंदिर से जुड़ा इतिहास और मान्यताएं
  4. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, कहानी, कहा है
  5. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास: Tirupati Balaji Temple Story in Hindi
  6. तिरुपति बालाजी: Balaji Travel Guide In Hindi [2023]
  7. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास: Tirupati Balaji Temple Story in Hindi
  8. तिरुपति बालाजी: Balaji Travel Guide In Hindi [2023]
  9. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास
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तिरुपति बालाजी मंदिर टूर यात्रा और इतिहास

5/5 - (3 votes) Tirupati Balaji in Hindi : देश और दक्षिण भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में तिरुपति बालाजी मंदिर अधिक प्रसिद्ध है, वेंकटेश्वर मंदिर भारत के आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति में तिरूमाला की पहाड़ी पर स्थित एक ऐतिहासिक मंदिर है। दक्षिण भारत की खूबसूरती समुद्री तटों, प्राकृतिक नजारों के अलावा यहां बने मंदिरों से भी है। कहने को तो यहां का हर मंदिर आकर्षण का केंद्र है, लेकिन विष्णु भगवान के रूप में तिरुपति बालाजी के नाम से भारतवर्ष में मशहूर इस मंदिर के प्रति लोगों में ज्यादा आस्था है। हिंदू धर्म के लोगों के बीच तिरुपति बालाजी मंदिर की काफी मान्यता है। इस मंदिर की महिमा अपार है। कहा जाता है जीवन में एक बार तिरुपति के दर्शन करने से जीवन सफल हो जाता है। सुम्रदी तल से 853 फीट ऊंचाई पर बने इस मंदिर की पहाड़ी पर सात चोटियां होने से इसे “सात पहाडिय़ों का मंदिर” भी कहा जाता है। दान और धर्म के संदर्भ में ये देश का सबसे अमीर मंदिर है। हर साल करोड़ों रूपए का दान इस मंदिर में किया जाता है। मंदिर में प्रतिदिन 50 हजार से 1 लाख भक्त वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, वहीं विशेष अवसरों पर तीर्थयात्रियों की संख्या 5 लाख तक हो जाती है। तिरुपति बालाजी मंदिर को भूलोक वैकुंठतम भी कहते हैं, इसका अर्थ है पृथ्वी पर विष्णु का निवास। हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु प्राचीन युग में आने वाली मुश्किलों के चलते मनुष्य के जीवन को बचाने धरती पर प्रकट हुए थे। वैसे इस मंदिर में बाल दान करने की परंपरा है, जिसे “मोक्कू” कहा जाता है। भगवान के दर्शन करने से पहले यहां लोग अपने बाल भगवान वेंकटेश्वर को दान करके पुण्य कमाते हैं। प्रकृति की गोद में बसा यह मंदिर प्राकृतिक सुंदरता से परिपू...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास

Advertisement : तिरुपतिबालाजीमंदिरकाइतिहास | All About Tirupati Balaji History In Hindi आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में तिरुपति बालाजी का मंदिर(temple) स्थित हैं। तिरुपति बालाजी को वेंकटेश्वर, श्रीनिवास और गोविंदा के नाम से भी जाना जाता है। 'Tirumala' में स्थित यह मंदिर सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां हर वर्ग के लोग बालाजी के दर्शन(visit) करने आते हैं। यहां फिल्मी सितारों से लेकर राजनेता आदि सभी दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं(Beliefs)हैं। जिसकी वजह से यह इतना विख्यात है। AllAbout TirupatiBalajiHistoryInHindi via :1hindi.com 15वीं शताब्दी में तिरुपति बालाजी मंदिर को प्रसिद्धि मिली। इतिहासकारों का मानना है कि 5वीं शताब्दी में यह हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक केंद्र था। और 9वीं शताब्दी में कांचीपुरम के पल्लव शासकों ने इस पर कब्जा कर लिया था। तमिल साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंद्रम कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की उत्पत्ति वैष्णव संप्रदाय ने की। इस संप्रदाय की मान्यता समानता में है। और शायद(Maybe) यही वजह है कि यहां हर वर्ग के लोग दर्शन करने आते हैं। via :webdunia.com भगवान बालाजी की कहानी पौराणिक कथाओं की मान्यता के अनुसारकलयुगके दौरान भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए स्वयं भगवान पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। एक बार, ऋषि भृगु यह मूल्यांकन करना चाहता थे कि पवित्र तीन देवताओं में कौन सबसे बड़ा है। via :dainikjaltedeep.com Advertisement : प्राचीन कथा के अनुसार महर्ष‌ि भृगु बैकुंठ पधारे और आते ही शेष शैय्या पर योगन‌िद्रा में लेटे भगवान व‌िष्‍णु की छाती पर एक लात मारी। भगवान व‌िष्‍णु ने तुरंत भृगु के चरण पकड़ ल‌िए और पूछने लगे क‌ि ऋष‌िवर पैर में चोट त...

तिरुपति मंदिर में होती है इन भगवान की पूजा, जानिए मंदिर से जुड़ा इतिहास और मान्यताएं

आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर जो देश के सबसे धनी मंदिरों की लिस्ट में शामिल है। यह मंदिर पृथ्वी के बैकुंठ के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर वर्ष करोड़ों की संख्या में पर्यटकआते हैं। इस मंदिर में लोग भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के अलावा विदेशों से भी काफी अधिक संख्या में आते हैं। तो चलिए अब हम तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी कुछ जानकारियों को विस्तार से बताते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिला में स्थित है, यह केवल आंध्र प्रदेश का ही नहीं बल्कि पूरे भारत का एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल है। यहां पूरे साल भक्त काफी अधिक संख्या में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन को लेकर आते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में होते हैं केश दान इस मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं है। यह मंदिर मुख्य रूप से वेंकटेश्वर स्वामी यानी भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां हर रोज हजारों की संख्या में लोग अपने केश को दान करने के लिए आते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर की इतिहास तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के अंतर्गत आने वाले चित्तूर जिला में स्थित है। यह तिरुपति बालाजी मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर का नाम देश के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों में सबसे ज्यादा भक्तों के दर्शन करने की सूची में आता है। वहीं तिरुपति बालाजी मंदिर के इतिहास की बात करेंगे, तो कहा जाता है कि तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण 300 ईसवी में शुरू हुआ था। मंदिर के निर्माण में कई राजाओं द्वारा अहम भूमिका निभाई गई है। तिरुपति बालाजी मंदिर के निर्माण में मुख्य रूप से भूमिका की बात करें, तो 18वीं शताब्दी के दौरान जर्नल राघोजी भोसले के नाम को बताया जाता है। पौराणिक ...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, कहानी, कहा है

सबसे रहस्यमई मंदिर तिरुपति बालाजी के बारे में दोस्तों आप लोगों ने इसका नाम इंटरनेट पर या अखबार में जरूर सुना होगा ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जितने भी श्रद्धालु आते हैं वह लोग जो भी मंदिर में दान करते हैं अगर उन सब को जोड़ा जाए तो लगभग 10000 किलो से भी ज्यादा सिर्फ सोना रखा गया है और इस तरह ना जाने कितनी संपत्ति है चलिए मैं आपको तिरुपति बालाजी का कुछ रहस्यमई कहानी और इतिहास के बारे में बताता हूं Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास और रोचक तथ्य (Tirupati Balaji History in Hindi) ऐसा कहा जाता है कि तिरुपति बालाजी का मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है यह 9 वीं शताब्दी से है लेकिन कुछ लोगों का यह भी कहना है कि इसका जिक्र हजारों साल पहले भी हो चुका है अब इसमें कितनी सच्चाई यह हमें इंटरनेट पर नहीं मिला चलिए मैं आप लोगों को इसके पीछे की कहानी बताता हूं कैसे उत्पत्ति हुई इस मंदिर की ऐसा माना जाता है कि कांचीपुरम के राजा वंश पर लोगों ने इस मंदिर पर कब्जा किया हुआ था यानी कि यह मंदिर उनके कब्जे में था इस मंदिर में पूजा भी नहीं होता था लेकिन 15 वीं शताब्दी में विजयनगर वंश के शासक इस मंदिर पर राज करने लगे और ऐसा कहा जाता है इनके लगन और मेहनत के कारण और श्रद्धा के कारण या मंदिर भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध हो गया कौन है तिरुपति बालाजी | तिरुपति बालाजी मंदिर अगर हम लोग इस मंदिर के इतिहास पड़े तो हमें पता चलेगा कि भगवान विष्णु अपनी पत्नी के साथ स्वामी पुष्पकरण सरोवर के बगल में अपना निवास डालते थे और यह स्थान तिरुमाला के पास था तिरुमला तिरुपति के चारों तरफ बनी पहाड़ियों को कहते हैं यहां पर लाइन बाई लाइन साथ पहाड़ियां है और सातवीं ...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास: Tirupati Balaji Temple Story in Hindi

“तिरुमाला की पहाड़ियों में स्थित विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में कौन नहीं जानता, जहाँ हर साल देश-विदेश से लगभग एक करोड़ से भी अधिक लोग भगवान वेंकेटश्वर के दर्शनों के लिये आते हैं। इसे तिरुमाला वेंकेटश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भारत में जितने भी धार्मिक स्थल हैं उनमे तिरुपति सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, क्योंकि सबसे अधिक तीर्थयात्री यहाँ पर ही आते हैं।” घूमने-फिरने और पर्यटन के शौक़ीन लोगों के लिये धार्मिक स्थल भी अपने बेचैन मन को शांति देने का एक बेहतरीन उपाय है। सैर-सपाटे के लिये दुनिया में एक से बढ़कर एक जगह विद्यमान है, लेकिन धार्मिक स्थलों की बात कुछ अलहदा है। जहाँ लोग अपने अतृप्त मन की शांति के लिये, सूक्ष्म आध्यात्मिक उर्जा से लाभान्वित होने के लिये और अपनी इच्छित आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये आते हैं। Location of Tirupati Balaji Temple ऐसे ही प्रसिद्ध और दर्शनीय तीर्थों में से एक है – भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने सन 2012-13 के लिये तिरुपति को “सर्वश्रेष्ठ विरासत शहर” के सम्मान से भी अलंकृत किया था। तिरुपति को हिंदू धर्म के कुछ सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है, क्योंकि यही पर तिरुमाला वेंकेटश्वर मंदिर स्थित है। इसे आंध्र प्रदेश की आध्यात्मिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहाँ पर अन्य कई मंदिर भी हैं। तिरुपति मंदिर, पूरी दुनिया के साथ-साथ, इस धरती का भी सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है, जहाँ प्रति वर्ष लगभग 1 करोड़ दर्शनार्थी इष्ट दर्शन हेतु आते है। यह मंदिर समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर, तिरुमला की पहाड़ियों के मध्य स्थित है। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर, दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का बेजोड़ नमूना हैं। प्राचीन तमि...

तिरुपति बालाजी: Balaji Travel Guide In Hindi [2023]

Contents • • • • • • • • • • तिरुपति बालाजी मंदिर धार्मिक पृष्ठभूमि (Mythological Believe of Tirupati Balaji Temple) तिरुमले वह पर्वत है, जिस पर लक्ष्मी जी के साथ स्वयं विष्णुजी विराजमान है। तिरुपति इसी पर्वत के नीचे बसा हुआ नगर है। कपिलतीर्थ में स्नान एवं कपिलेश्वरभगवान का दर्शन करके यात्री पर्वत पर चढ़ते हैं। तिरुमले पर्वत का दूसरा नाम वेंकटाचल है। यहाँ पर श्री बालाजी (वेंकटेश्वर भगवान) का स्थान है। और पढ़ें: मान्यता अनुसार- वेंकटाचल पर साक्षात शेषजी पर्वत रूप में स्थित है, इसलिए इसे शेषाचल भी कहते हैं। प्राचीनकाल में प्रस्ताव तथा राजा अंबरीश इस पर्वत को नीचे से ही प्रणाम करके चले गए थे। पर्वत को भगवत्स्वरूप मानकर वे ऊपर नहीं चढ़े थे। श्री रामानुजाचार्य पर्वत पर दंडवत् प्रणाम करते हुए गए थे। श्री तिरुपति बालाजी मंदिर (Sri Venkateswara Swamy Temple) भगवान श्री वेंकटेश्वर को ही ‘बालाजी’कहते हैं। भगवान के मुख्य दर्शन तीन बार होते हैं। पहला दर्शन प्रभात काल में होता है। दूसरा दर्शन मध्याहन में होता है। तीसरा दर्शन रात्रि में होता है। इन तीनों दर्शनों के लिए शुल्क नहीं लगता। जो अन्य दर्शन होते हैं, उनका शुल्क लगता है। तीन परकोटे: श्री बालाजी का मंदिर तीन परकोटों से घिरा है। इन परकोदों में गोपूर बने हैं, जिन पर स्वर्ण कलश स्थापित हैं। स्वर्णद्वार के सामने ‘तिरुमहामंडपम्’ नामक मंडप है। मंदिर के सिंह द्वार को पड़िकावलि कहते हैं। यही प्रथम द्वार है। इस द्वार के समीप वेंकटेश्वर स्वामी के भक्त नरेशों एवं रानियों की मूर्तिया है। विरज व पुष्पकूप: प्रथम द्वार तथा द्वितीय द्वार के मध्य की प्रदक्षिणा को संपगि प्रदक्षिणा कहते हैं। इसमें ‘विरज’ नामक एक कुंआ है। कहा जाता है कि श्री बालाजी क...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास: Tirupati Balaji Temple Story in Hindi

“तिरुमाला की पहाड़ियों में स्थित विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में कौन नहीं जानता, जहाँ हर साल देश-विदेश से लगभग एक करोड़ से भी अधिक लोग भगवान वेंकेटश्वर के दर्शनों के लिये आते हैं। इसे तिरुमाला वेंकेटश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भारत में जितने भी धार्मिक स्थल हैं उनमे तिरुपति सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, क्योंकि सबसे अधिक तीर्थयात्री यहाँ पर ही आते हैं।” घूमने-फिरने और पर्यटन के शौक़ीन लोगों के लिये धार्मिक स्थल भी अपने बेचैन मन को शांति देने का एक बेहतरीन उपाय है। सैर-सपाटे के लिये दुनिया में एक से बढ़कर एक जगह विद्यमान है, लेकिन धार्मिक स्थलों की बात कुछ अलहदा है। जहाँ लोग अपने अतृप्त मन की शांति के लिये, सूक्ष्म आध्यात्मिक उर्जा से लाभान्वित होने के लिये और अपनी इच्छित आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये आते हैं। Location of Tirupati Balaji Temple ऐसे ही प्रसिद्ध और दर्शनीय तीर्थों में से एक है – भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने सन 2012-13 के लिये तिरुपति को “सर्वश्रेष्ठ विरासत शहर” के सम्मान से भी अलंकृत किया था। तिरुपति को हिंदू धर्म के कुछ सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है, क्योंकि यही पर तिरुमाला वेंकेटश्वर मंदिर स्थित है। इसे आंध्र प्रदेश की आध्यात्मिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहाँ पर अन्य कई मंदिर भी हैं। तिरुपति मंदिर, पूरी दुनिया के साथ-साथ, इस धरती का भी सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है, जहाँ प्रति वर्ष लगभग 1 करोड़ दर्शनार्थी इष्ट दर्शन हेतु आते है। यह मंदिर समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर, तिरुमला की पहाड़ियों के मध्य स्थित है। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर, दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का बेजोड़ नमूना हैं। प्राचीन तमि...

तिरुपति बालाजी: Balaji Travel Guide In Hindi [2023]

Contents • • • • • • • • • • तिरुपति बालाजी मंदिर धार्मिक पृष्ठभूमि (Mythological Believe of Tirupati Balaji Temple) तिरुमले वह पर्वत है, जिस पर लक्ष्मी जी के साथ स्वयं विष्णुजी विराजमान है। तिरुपति इसी पर्वत के नीचे बसा हुआ नगर है। कपिलतीर्थ में स्नान एवं कपिलेश्वरभगवान का दर्शन करके यात्री पर्वत पर चढ़ते हैं। तिरुमले पर्वत का दूसरा नाम वेंकटाचल है। यहाँ पर श्री बालाजी (वेंकटेश्वर भगवान) का स्थान है। और पढ़ें: मान्यता अनुसार- वेंकटाचल पर साक्षात शेषजी पर्वत रूप में स्थित है, इसलिए इसे शेषाचल भी कहते हैं। प्राचीनकाल में प्रस्ताव तथा राजा अंबरीश इस पर्वत को नीचे से ही प्रणाम करके चले गए थे। पर्वत को भगवत्स्वरूप मानकर वे ऊपर नहीं चढ़े थे। श्री रामानुजाचार्य पर्वत पर दंडवत् प्रणाम करते हुए गए थे। श्री तिरुपति बालाजी मंदिर (Sri Venkateswara Swamy Temple) भगवान श्री वेंकटेश्वर को ही ‘बालाजी’कहते हैं। भगवान के मुख्य दर्शन तीन बार होते हैं। पहला दर्शन प्रभात काल में होता है। दूसरा दर्शन मध्याहन में होता है। तीसरा दर्शन रात्रि में होता है। इन तीनों दर्शनों के लिए शुल्क नहीं लगता। जो अन्य दर्शन होते हैं, उनका शुल्क लगता है। तीन परकोटे: श्री बालाजी का मंदिर तीन परकोटों से घिरा है। इन परकोदों में गोपूर बने हैं, जिन पर स्वर्ण कलश स्थापित हैं। स्वर्णद्वार के सामने ‘तिरुमहामंडपम्’ नामक मंडप है। मंदिर के सिंह द्वार को पड़िकावलि कहते हैं। यही प्रथम द्वार है। इस द्वार के समीप वेंकटेश्वर स्वामी के भक्त नरेशों एवं रानियों की मूर्तिया है। विरज व पुष्पकूप: प्रथम द्वार तथा द्वितीय द्वार के मध्य की प्रदक्षिणा को संपगि प्रदक्षिणा कहते हैं। इसमें ‘विरज’ नामक एक कुंआ है। कहा जाता है कि श्री बालाजी क...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास

भारत के 10 सबसे अमीर मंदिर – तिरुपति बालाजी कौन सा जिला में, तिरुपति बालाजी के दर्शन कैसे हो रहे हैं, तिरुपति बालाजी मंदिर कब खुलेगा 2021, तिरुपति बालाजी क्यों प्रसिद्ध है, तिरुपति बालाजी मंदिर कहा है, तिरुपति बालाजी मंदिर राजस्थान, तिरुपति बालाजी कितने किलोमीटर है, तिरुपति बालाजी कैसे पहुंचे by train, तिरुपति मंदिर किस राज्य में है, तिरुपति मंदिर कहां स्थित है, तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, तिरुपति बालाजी मंदिर खुला है या बंद है, भारत में कई चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर हैं जिसमें दक्षिण भारत में स्थित भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर भी शामिल है। भगवान तिरुपति बालाजी का चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर भारत समेत पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भारतीय वास्तु कला और शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित है और यह भारत के मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक है। तिरुपति बालाजी का वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है जो स्वयं भगवान विष्णु हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान वेंकटेश्वर के सामने प्रार्थना करते हैं, उनकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। भक्त अपनी श्रद्धा के मुताबिक, यहां आकर तिरुपति मंदिर में अपने बाल दान करते हैं। इस अलौकिक और चमत्कारिक मंदिर से कई रहस्य जुड़े हुए हैं। कहा जाता है भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर बाल लगे हैं जो असली हैं। यह बाल कभी भी उलझते नहीं हैं और हमेशा मुलायम रहते हैं। मान्यता है कि यहां भगवान खुद विराजमान हैं। जब मंदिर ...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास

Advertisement : तिरुपतिबालाजीमंदिरकाइतिहास | All About Tirupati Balaji History In Hindi आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में तिरुपति बालाजी का मंदिर(temple) स्थित हैं। तिरुपति बालाजी को वेंकटेश्वर, श्रीनिवास और गोविंदा के नाम से भी जाना जाता है। 'Tirumala' में स्थित यह मंदिर सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां हर वर्ग के लोग बालाजी के दर्शन(visit) करने आते हैं। यहां फिल्मी सितारों से लेकर राजनेता आदि सभी दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं(Beliefs)हैं। जिसकी वजह से यह इतना विख्यात है। AllAbout TirupatiBalajiHistoryInHindi via :1hindi.com 15वीं शताब्दी में तिरुपति बालाजी मंदिर को प्रसिद्धि मिली। इतिहासकारों का मानना है कि 5वीं शताब्दी में यह हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक केंद्र था। और 9वीं शताब्दी में कांचीपुरम के पल्लव शासकों ने इस पर कब्जा कर लिया था। तमिल साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंद्रम कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की उत्पत्ति वैष्णव संप्रदाय ने की। इस संप्रदाय की मान्यता समानता में है। और शायद(Maybe) यही वजह है कि यहां हर वर्ग के लोग दर्शन करने आते हैं। via :webdunia.com भगवान बालाजी की कहानी पौराणिक कथाओं की मान्यता के अनुसारकलयुगके दौरान भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए स्वयं भगवान पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। एक बार, ऋषि भृगु यह मूल्यांकन करना चाहता थे कि पवित्र तीन देवताओं में कौन सबसे बड़ा है। via :dainikjaltedeep.com Advertisement : प्राचीन कथा के अनुसार महर्ष‌ि भृगु बैकुंठ पधारे और आते ही शेष शैय्या पर योगन‌िद्रा में लेटे भगवान व‌िष्‍णु की छाती पर एक लात मारी। भगवान व‌िष्‍णु ने तुरंत भृगु के चरण पकड़ ल‌िए और पूछने लगे क‌ि ऋष‌िवर पैर में चोट त...