त्रिपाठी बालाजी का मंदिर

  1. गर्मियों की छुट्टी में तिरुपति बालाजी मंदिर जाने का मौका, IRCTC लाया टूर पैकेज
  2. तिरुपति बालाजी मंदिर: भगवान वेंकटेश्वर के माथे पर है चोट का निशान, आज भी ढका है सिर, हर शुक्रवार होती है मरहम
  3. जानिए देश के सबसे धनी तिरुपति मंदिर की 10 खास बातें, जो आज से खुल गया
  4. तिरुपति बालाजी मंदिर: कालातीत आस्था का प्रतीक


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गर्मियों की छुट्टी में तिरुपति बालाजी मंदिर जाने का मौका, IRCTC लाया टूर पैकेज

IRCTC Tirupati Balaji Darshan: अगर आप आप गर्मी की छुट्टियों के दौरान तिरुपति बालाजी मंदिर जाना चाहते हैं तो आपके पास एक शानदार अवसर है। आईआरसीटीसी के किफायती टूर पैकेज के कारण आप बेहद उचित कीमत पर तिरुपति बालाजी मंदिर की यात्रा कर सकते हैं। आईआरसीटीसी ट्रिप पैकेज में आवास, भोजन और स्थानीय परिवहन शामिल हैं। यात्री इस वेकेशन पैकेज के तहत ट्रेनों में स्लीपर क्लास की सीटों पर गंतव्य तक पहुंचेंगे। छह दिवसीय आध्यात्मिक रिट्रीट 17 जुलाई को बिलासपुर, भाटापारा, तिल्दा नेओरा, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, गोंदिया, तिरोरा, भंडारा रोड, नागपुर, सेवाग्राम और बल्हारशाह सहित विभिन्न स्थानों से शुरू होगा। आईआरसीटीसी की तिरुपति बालाजी और मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग यात्रा के साथ 6 दिनों की यात्रा में तीर्थ और विरासत स्थलों का आनंद लें। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग यात्रा के साथ आईआरसीटीसी तिरुपति बालाजी यात्रा के पहले और आखिरी दो दिनों का उपयोग यात्रा के लिए किया जाएगा। नाश्ते के बाद तिरुपति से प्रस्थान करने वाले यात्री भगवान वेंकटेश्वर को देखने के लिए तिरुमाला हिल्स जाएंगे। अगली सुबह होटल छोड़ने के बाद आगंतुक पद्मावती अम्मान और आसपास के अन्य मंदिरों के दर्शन करने के लिए तिरुपति जाएंगे। इसके बाद वे मार्कापुर रोड (श्रीशैलम मल्लिकार्जुन) की अपनी यात्रा जारी रखने के लिए कार्यक्रम के अनुसार शाम को रेनिगुंटा स्टेशन लौट आएंगे। आगंतुक अपने अंतिम दिन मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन करेंगे। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग यात्रा के साथ आईआरसीटीसी तिरुपति बालाजी किराया इस दौरे के टिकट की कीमत 11,430 रुपये, जिसमें सभी भोजन, आवास, टूर गाइड, यात्रा बीमा, और अधिक सुविधाएं शामिल हैं। इच्छुक यात्रियों के पास अ...

तिरुपति बालाजी मंदिर: भगवान वेंकटेश्वर के माथे पर है चोट का निशान, आज भी ढका है सिर, हर शुक्रवार होती है मरहम

भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक तिरुपति बालाजी मंदिर की बहुत मान्यता है। इस मंदिर से जुड़ी आस्था, प्यार और रहस्य की वजह से लाखों लोगों की भीड़ यहां खिची चली आती है। आइए आज हम आपको तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कुछ रोचक बातों से रूबरू कराते हैं। वेंकटेश्वर, एक ऐसे भगवान जिन्होंने लोगों को बचाने और उनकी परेशानियों का निपटारा करने के लिए कलयुग में जन्म लिया था। वेंकटेश्वर को भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान वेंकेटश्वर तब तक रहेंगे जब तक इस धरती यानी कलयुग का अंत नहीं हो जाता। लेकिन कलयुग का अंत करेगा कौन? कहते हैं जब जब कलयुग में पाप बढ़ता है उसका अंत होता है और दोबारा एक नए युग का निर्माण होता है, आप सभी ने ये कभी न कभी सुना ही होगा। आइए आज हम बताते हैं ऐसा क्यों कहा जाता है। दरअसल जहां वेंकटेश्वर को कलयुग में दुख हरता के रूप में माना जाता है वही भगवान विष्णु के दूसरे अवतार कल्कि के बारे में मान्यता है कि उनका जन्म कलयुग को खत्म करने के लिए होगा। और धरती पर सब कुछ खत्म हो जाएगा, इसलिए तिरुपति बालाजी मंदिर को कलयुग के वैकुंठ और कलयुग प्रत्यक्ष दिव्यं के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही भगवान वेंकटेश्वर को कलयुग प्रत्यक्ष दिव्यं, गोविंदा, बालाजी, और श्रीनीवासा नाम से भी जाना जाता है। विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बाला जी का मंदिर, भारत में आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले तिरूमाला पहाड़ियों की सातवीं चोटी पर स्थापित है। इस चोटी को वेंकटाद्री के नाम से भी जाना जाता है। यह शेषचलम पहाड़ियों की एक किस्म है, यह 7 पहाड़ियों की एक श्रृंखला है जो अडिशैया के 7 प्रमुखों (भगवान विष्णु के नाग प्रकट) को दर्शाती है। यह मंदिर कई शताब्दी पहले बनाया गया था। मंदिर दक्...

जानिए देश के सबसे धनी तिरुपति मंदिर की 10 खास बातें, जो आज से खुल गया

कोरोना वायरस के लॉकडाउन के कारण करीब 80 दिनों तक बंद होने के बाद देश का सबसे धनी तिरुपति तिरुमला बालाजी मंदिर 11 जून से जनता के लिए खोल दिया गया. हालाकि इस बार मंदिर में उतनी भारी भीड़ नहीं आ पाएगी. कहां मंदिर में पहले रोज 50,000 से एक लाख लोग रोज दर्शन के लिए आया करते थे. कहां अब 6000 लोग ही रोज दर्शन कर पाएंगे. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी वो 10 दस खास बातें, जिससे ये मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है. ये मंदिर तिरुपति शहर की ही अर्थव्यवस्था नहीं चलाता बल्कि कई चैरिटी से जुड़े काम करता है. वैसे यहां दर्शन करना हमेशा से ही काफी सिस्टमेटिक रहा है. 1. तिरुपति रेलवे स्टेशन से 22 किमी दूर ये मंदिर तिरुपति रेलवे स्टेशन से करीब 22 किलोमीटर दूर तिरुमाला पहाड़ियों पर है. इसे भगवान वेंकटेश्वर बालाजी का मंंदिर कहा जाता है. ये विशाल परिसर वाला मंदिर है. यहां मंदिर की गतिविधियां सुबह पांच बजे से शुरू होकर तकरीबन रात 09 बजे तक चलती रहती हैं. हालांकि अब दर्शन का काम सुबह 06.30 से शाम 07.30 बजे तक होगा. 2. राजा श्रीकृष्णदेवराय के साम्राज्य का अंग था तिरुमाला का ये विश्व प्रसिद्ध मंदिर राजा श्रीकृष्णदेवराय के साम्राज्य का अंग था. अंग्रेज जब भारत आए. उन्होंने यहां प्रशासनिक तौर पर राज्यों का गठन किया तो ये जगह मद्रास प्रेसीडेंसी में चली गई. फिर देश की स्वतंत्रता के बाद जब फिर से राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो बालाजी का ये प्रसिद्ध तीर्थस्थान आंध्र प्रदेश में आ गया. 3. आवागमन से बेहतरीन संपर्क मंदिर आंध्र प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में चित्तूर जिले में है. तिरुपति सड़क़, रेल और हवाई मार्ग से बहुत बेहतर ढंग से जुड़ा है. चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद से यहां के लिए तमाम पैकेज...

तिरुपति बालाजी मंदिर: कालातीत आस्था का प्रतीक

आंध्र प्रदेश के तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर भारत के उन मंदिरों में से एक है जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिये जाते तो हैं लेकिन इनमें से कुछ लोगों को ही पता है कि ये मंदिर कितना पुराना है। मंदिर को लेकर कई दंतकथाएं हैं लेकिन एक बात जो हम अच्छी तरह जानते हैं वो ये कि ये हज़ार बरसों से पूजा-अर्चना का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और इसे दक्षिण में पल्लव से लेकर विजयनगर के राय राजवंश का संरक्षण प्राप्त था। इस मंदिर में आज भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ये मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले के तिरुपति शहर में तिरुमाला अथवा तिरुमलय पहाड़ी पर स्थित है। ये पूर्वी घाटों में शेषाचलम पर्वतमाला का हिस्सा है जिसकी सात चोटियां हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि ये सात चोटियां नागराज आदिशेष के सात फनों का प्रतिनिधित्व करती हैं। पर्वतमाला को देखने से लगता है मानों कोई सांप कुंडली मारे बैठा हो। पास की पहाड़ियों से दिखता तिरुपति बालाजी मंदिर | लिव हिस्ट्री इंडिया कहा जाता है कि तिरुमाला के भगवान श्री वेंकटेश्वर का आरंभिक उल्लेख ई.पू.दूसरी सदी के तमिल साहित्यिक ग्रंथ तोल्काप्पियम में मिला था। श्री वेंकटेश्वर सात पर्वतों के भगवान के रुप में जाने जाते हैं और ऐसा विश्वास किया जाता है कि वह कलि युग (हिंदू धर्म के अनुसार विश्व की चार अवस्थाओं में से एक) में भागवान विष्णु के अवतार हैं। श्री वेंकटेश्वर मंदिर के साथ कई कथाएं जुड़ी हुई हैं और इनमें एक कथा ये भी है कि यहां मुख्य देवता की प्रतिमा स्वयंभू मूर्ति है। इसी वजह से मंदिर को अपने तमाम श्रृद्धालों के लिये पवित्र स्थान माना जाता है। पुराणों में मंदिर को लेकर कई कहानी-क़िस्से हैं। वराह पुराण के अनुसार मंदिर का निर्माण टों...