ट्रांसफार्मर pdf in hindi

  1. [Solved] एक तीन
  2. ऑटो ट्रांसफार्मर क्या होता है? इसके लाभ,हानि और उपयोग
  3. Autotransformer in Hindi: परिभाषा ,बनावट ,प्रकार ,उपयोग तथा लाभ
  4. Relay in hindi
  5. Types Of Transformer In Hindi
  6. Types of Transformer in Hindi
  7. Transformer tests in Hindi
  8. Autotransformer in Hindi: परिभाषा ,बनावट ,प्रकार ,उपयोग तथा लाभ
  9. Relay in hindi
  10. Transformer tests in Hindi


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[Solved] एक तीन

डेल्टा-डेल्टा संयोजन: माना कि तीन एकल-चरण वाले ट्रांसफार्मर से डेल्टा-डेल्टा बैंक लेते हैं। माना कि 1 - ϕ ट्रांसफार्मर​ (kVA) 1 -ϕ= V ph.I phलेते हैं। डेल्टा-डेल्टा बैंक की क्षमता: (kVA) Δ -Δ=√3V LI L हम जानते हैं कि, डेल्टा संयोजन में लाइन वोल्टेज (V L) = चरण वोल्टेज (V ph), औरलाइन धारा (I L) = √3 × चरण धारा (I ph) ⇒ (kVA) Δ -Δ=√3× V ph× (√3× I ph) = 3 V ph.I ph= 3× (kVA) 1 -ϕ विवृतडेल्टा (V -V) संयोजन: विवृत डेल्टा बैंक की क्षमता: (kVA) 3 -ϕ =√3V LI L विवृत डेल्टा संयोजन के लिए लाइन वोल्टेज (V L) = चरण वोल्टेज (V ph), औरलाइन धारा (I L) = चरण धारा (I ph) ⇒ (kVA) V -V =√3× V ph× I ph= √3 V ph.I ph= 3× (kVA) 1 -ϕ ⇒ \(\frac = 0.866\) ∴ट्रांसफार्मर के अतिभारण का कारण बने बिना विवृत डेल्टा का उपयोग कारक 0.866 है। Important Points • यदि 100% भार को विवृत डेल्टा बैंक पर बनाये रखा जाता है, तो लाइन धारा √3.I phहोती है और प्रत्येक एकल-चरण वाला ट्रांसफार्मर 73% अतिभारित होता है। • कुल भार के 57.7% पर दो ट्रांसफार्मर आंशिक रूप से रेटेड kVA के 86.6% तक भरित होते हैं, इसलिए प्रत्येक एकल-चरण वाला ट्रांसफार्मर 13.3% के बराबर है।

ऑटो ट्रांसफार्मर क्या होता है? इसके लाभ,हानि और उपयोग

आज के इस आर्टिकल में आपको सिखाने वाला हूं कि ऑटो ट्रांसफार्मर क्या होता है? (auto transformer in hindi) और ऑटो ट्रांसफार्मर के लाभ और हानि और इसके उपयोग ( auto transfomer advantages,disadvantages and uses in hindi) के बारे में बताने वाला हूं तो अगर आप भी आ जाना चाहते हो कि ऑटो ट्रांसफॉर्मर क्या होता है और इसके लाभ और हानि. यहां पर आपको अच्छी तरीके से जानकारी देने वाला हूं| ऑटो ट्रांसफॉर्मर क्या होता है? (Auto Transformer in hindi) ऑटो ट्रांसफॉर्मर (स्व ट्रांसफॉर्मर) में लेमिनेटेड क्रोड पर केवल एक ही कुण्डलन की जाती है। इस कुण्डलन का कुछ भाग प्राथमिक तथा द्वितीयक कुण्डलन में उभयनिष्ठ होता है। इसका कार्य सिद्धान्त दो कुण्डलन ट्रांसफार्मर की तरह ही होता है। एक कुण्डलन होने के कारण इस Read more– डीसी मशीन क्या होती है? ऑटो ट्रांसफॉर्मर के लाभ (Advantages of Auto Transformer) ऑटो ट्रांसफॉर्मर के लाभ निम्नलिखित हैं 1. इस ट्रांसफॉर्मर से निरंतर परिवर्तनशील मान का आउटपुट वोल्टेज प्राप्त किया जाता है। 2.स्व-ट्रांसफार्मर को कम तांबे की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसके कुंडल के एक भाग में (जो प्राथमिक और द्वितीयक दोनों के लिए सामान्य है) द्वितीयक और प्राथमिक धारा के बीच का अंतर है 3. इस ट्रांसफार्मर की दक्षता का मूल्य अधिक है। 4. ऑटो ट्रांसफार्मर के अच्छे वोल्टेज रेगुलेशन पर काम करता है। इसलिए इनका उपयोग रेगुलेटिंग ट्रांसफॉर्मर के रूप में भी किया जाता है। ऑटो ट्रांसफॉर्मर की हानियां (Disadvantages of Auto Transformer) 1. इसकी सबसे बड़ी कमी, इसके प्राथमिक एवं द्वितीयक के बीच सीधे विद्युत संयोजन का होना है। यदि प्राथमिक को उच्च वोल्टता प्रदाय दी जाए, तो कुण्डलन में दोष (fault) होने की दश...

Autotransformer in Hindi: परिभाषा ,बनावट ,प्रकार ,उपयोग तथा लाभ

यह एक विशेष प्रकार का ट्रांसफार्मर होता है जिसमे केवल एक ही प्रकार के वाइंडिंग किया जाता है। यह कार्य सिद्धांत तथा बाहरी संरचना के आधार पर सामान्य ट्रांसफार्मर के जैसा ही होता है लेकिन इस ट्रांसफार्मर में प्राइमरी तथा सेकेंडरी वाइंडिंग एक Coil में होती है। यह ट्रांसफार्मर सिमित कार्य में ही इस्तेमाल होता है। इसका उपयोग औद्योगिक क्षेत्र ,प्रयोगशाला आदि में कम वोल्टेज पर किया जाता है। केवल एक प्रकार की वाइंडिंग होने की वजह से इसमें विधुत उर्जा ह्रास दो वाइंडिंग वाले ट्रांसफार्मर की तुलना में बहुत कम होता है। विधुत उर्जा ह्रास कम होने की वजह से इसकी दक्षता भी ज्यादा होता है। अधिकांशतः ऑटो ट्रांसफार्मर में वाइंडिंग के लिए चालक के लिए ताम्बे के तार का उपयोग किया जाता है। कॉपर वायर उपयोग करने की मुख्य वजह यह है की कॉपर का आंतरिक प्रतिरोध अन्य चालक के तुलना में बहुत कम होता है। कॉपर वायर को आपस में लपेटकर वाइंडिंग तैयार की जाती है। इस वाइंडिंग के प्रारंभिक तथा अंतिम सिरों को इनपुट टर्मिनल रख लिया जाता है। वाइंडिंग के बीच में से एक अन्य दूसरी टर्मिनल निकाल लिया जाता है। अंतिम टर्मिनल तथा बीच से निकले टर्मिनल ,दोनों आउटपुट टर्मिनल की तरह कार्य करते है। अर्थात दोनों इनपुट टर्मिनल में से कोई एक आउटपुट के लिए उभयनिष्ट प्राइमरी वाइंडिंगएवं अंतिम सिरा और बीच से निकला हुआ टर्मिनल सेकेंडरी वाइंडिंगकी तरह कार्य करता है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है। चुंबकीय कोर क्या होता है? यह किसी भी प्रकार के ट्रांसफार्मर का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है। इसका कार्य वाइंडिंग में प्रवाहित विधुत धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय फ्लक्स के प्रवाह के लिए रास्ता तैयार करना होता है। यह उच्च किस्म के स...

Relay in hindi

Relay in hindi , relay working in hindi ये सब हम इस आर्टिकल में जानेगे, पावर सिस्टम में जनरेटर, ट्रांसफार्मर, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सर्किट होते है इसलिए ये तय है की इसमें किसी ना किसी प्रकार के fault आ सकते है| relay उन faults को रोकने का काम करता है | इसलिए Relay in hindi इस आर्टिकल में रिले के बारेमे जानकारी लेंगे साथी साथ रिले कितने प्रकार के होते types of relay in hindi भी देखेंगे Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • Relay in Hindi (रिले क्या होता है ?):- Relay definition:- A relay is a device that detects faults and initiates the operation of the circuit breaker to isolates defective parts from the rest of the system. Relay definition in Hindi:- रिले एक ऐसा यंत्र है जो दोष या फाल्ट का पता लगाता है सर्किट ब्रेकर को सुरु करता है ताकि ख़राब या फिर दोष वाले हिस्से को सिस्टम से अलग करे | Relay इलेक्ट्रिकल सर्किट में होने वाले असामान्य गतिविधि का पता लगता है यह पता लगाने के लिए वह लगातार इलेक्ट्रिकल मात्रा को जब fault होता है तब इलेक्ट्रिकल मात्रा (quantities) जैसे की current, frequency, voltage और phase angle इनमे बदलाव आता है | इनमे से किसी में भी बदलाव आता है तो रिले उसे भाप लेता है इसमें कोनसा relay लगा हुआ है और कहा पर लगा है ही भी महत्त्व पूर्ण होता है | जब रिले fault का पता लगता है उसके बाद रिले operate होता है ताकि breaker के circuit को trip कर सके इसकी से circuit breaker open हो जाता है और circuit breaker faluty भाग को अलग कर देता है | Relay working in hindi (रिले कैसे काम करता है ?):- रिले किस तरह काम करता है ये जानने के लिए निचे दिखाए चित्र को ...

Types Of Transformer In Hindi

Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Types of Transformer in Hindi | ट्रांसफार्मर के प्रकार Types of Transformer in Hindi | ट्रांसफार्मर के प्रकार– आप हर रोज कही ना कहीं किसी ना किसी प्रकार के Transformer को देखते होंगे। आप हमारी इस पोस्ट में विभिन्न प्रकार के Transformer के बारे में जानेंगे। लेकिन Electrical Transformers के प्रकार के बारे में अधिक बताने से पहले आपको यहां Transformer के basic principle के बारे में संक्षिप्त बताते हैं। Transformers एक ऐसा उपकरण होता है जो दो AC circuits के बीच पावर ट्रांसफर करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह फैराडे के Law of electromagnetic induction के ऊपर काम करता है। auto-transformers को छोड़कर सभी ट्रांसफार्मर में एक common magnetic field द्वारा एक सर्किट से दूसरे में पावर ट्रांसफर की जाती है। जब Transformer द्वारा हम AC पावर को कम या ज्यादा करता है तो उसकी फ्रीक्वेंसी नही बदलती, जो फ्रीक्वेंसी हमने इनपुट में दी थी वही आउटपुट में मिलती है। जब एक ट्रांसफार्मर की Primary Winding पे alternating current दिया जाता है, तो यह एक magnetic field उत्तपन्न करता है। AC supply के sinusoidal प्रकृति के कारण, उत्त्पन्न चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) अलग-अलग होगा। जब ये magnetic field ट्रांसफार्मर के आउटपुट यानी Secondary Winding के साथ intersects (काटना या मिलना) करता है, तो इसमें E.M.F प्रेरित (induced) होता है। Transformer Kitne Prakar ke Hote Hain | Types of Transformer in Hindi ट्रांसफार्मर को कई तरीकों से वर्गीकृत (classified) किया गया है। इस पोस्ट में, हमने उन्हें उनके application यानी इस्तेमाल क...

Types of Transformer in Hindi

यहां हम Types of transformer in Hindi के इस लेसन में अलग-अलग प्रकार के ट्रांसफार्मर और उसके उपयोग के बारे मे विस्तृत में जानेंगे। टांस्फॉर्मर इलेक्ट्रिकल शाखा में हदय के समान हे। बिना ट्रांसफार्मर के हम इलेक्ट्रिकल फैसिलिटी के बारे में नहीं सोच सकते। ट्रांसफार्मर के प्रकार – Types of Transformer in Hindi ट्रांसफार्मर के प्रकार अपने उपयोग के आधार पर, बनावट के आधार पर,फेज के आधार पर,कूलिंग के आधार पर, वोल्टेज के आधार पर,और वाइंडिंग के आधार पर हमारी जरूरियात के मुताबित अलग-अलग प्रकार के उपलब्ध हे। Classification of Transformer Phase – के आधार पे Types of Transformer in Hindi Types of Transformer in Hindi – According to phase 1- Single phase Transformer :- इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में एक ही कोर में इनर कोइल और आउटर कोइल रहती हे। जिसमे एक प्राइमरी के रूप में और एक सेकेंडरी के रूप में काम करती हे। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर का उपयोग ज्यादातर वोल्टेज और करंट के मूल्य को स्टेप डाउन करके किया जाता हे। जैसे की इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जिसमे स्टेप डाउन करके rectifier से DC में कन्वर्ट करके उपयोग किया जाता हे। 2- 3 Phase Transformer :- इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में थ्री फेज प्राइमरी और थ्री फेज सेकेंडरी वाइंडिंग होती हे। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर का मुख्य लाभ ये हे की सामान क्षमता वाले तीन सिंगल फेज ट्रांसफार्मर से थ्री फेज ट्रांसफार्मर की लागत कम रहती हे और उसका आकर भी छोटा हो जाता हे। Three phase Transformer इसीलिए तीन सिंगल फेज ट्रांसफार्मर की तुलना में इंस्टालेशन में जगह भी कम लगती हे। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर पावर ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन में उपयोग होता हे। Voltage – के आधार पर T...

Transformer tests in Hindi

Table of Contents • • • • • Transformer tests in Hindi (ट्रांसफार्मर टेस्टिंग):- अगर ट्रांसफार्मर के परफॉरमेंस को कैलकुलेट करना हो तब एक सर्किट कि मदद से जिसमे चार मुख्य पैरामीटर होते है जो कि • Open circuit test • Short circuit test ये दोनों टेस्ट बोहोत कम खर्चीली याने economic और आसान है, क्यू की इन टेस्ट को करने के लिए ट्रांसफार्मर किसी तरह का लोड देने की जरुरत नहीं पड़ती है | Open circuit test in hindi (No-load test) (ओपन सर्किट टेस्ट):- इस टेस्ट के करने का उद्देश्य यह होता है की इस टेस्ट की मदद से नो लोड लोस्सेस और कोर लोस को कैलकुलेट किया जा सके है | इस टेस्ट में एक विन्डिंग जो की ज्यादा वोल्टेज वाली या फिर कम वोल्टेज वाली हो सकती है जिसका इस्तेमाल करना आसान हो उसे ओपन याने की खुला रखा जाता है और दुसरे तरफ सप्लाई को दिया जाता है जो की नार्मल सप्लाई होता है और उसकी फ्रीक्वेंसी भी समे याने 50Hz होती है | इसके लो वोल्टेज वाइंडिंग में कुछ Transformer tests in Hindi जैसे ही सामान्य वोल्टेज को प्राइमरी साइड के वाइंडिंग में दिया जाता है तब कोर में भी सामान्य फ्लक्स ही उत्पन्न होते है, उसकी वजह से सामान्य आयरन लोस होते है और वह wattmeter में रेकॉर्ड हो जाते है या दर्शाए जाते है | प्राइमरी में नो लोड करंट I0 कम होता है उसकी वजह से Cu लोस्सेस एकदम न के बराबर हो जाते है और सेकेंडरी में कुछ भी Cu लोस्सेस नहीं होते है क्यू की वह ओपन होता है | उसकी वजह से जो wattmeter में रीडिंग दिखाई देती है वह वह कोर लोस होते है जब सेकेंडरी ओपन होती है याने की नो लोड स्थिति | कभी कभी high resistance voltmeter को सेकेंडरी साइड में लगाया जाता है, Short circuit test in hindi (Impedance test) (शोर्ट ...

Autotransformer in Hindi: परिभाषा ,बनावट ,प्रकार ,उपयोग तथा लाभ

यह एक विशेष प्रकार का ट्रांसफार्मर होता है जिसमे केवल एक ही प्रकार के वाइंडिंग किया जाता है। यह कार्य सिद्धांत तथा बाहरी संरचना के आधार पर सामान्य ट्रांसफार्मर के जैसा ही होता है लेकिन इस ट्रांसफार्मर में प्राइमरी तथा सेकेंडरी वाइंडिंग एक Coil में होती है। यह ट्रांसफार्मर सिमित कार्य में ही इस्तेमाल होता है। इसका उपयोग औद्योगिक क्षेत्र ,प्रयोगशाला आदि में कम वोल्टेज पर किया जाता है। केवल एक प्रकार की वाइंडिंग होने की वजह से इसमें विधुत उर्जा ह्रास दो वाइंडिंग वाले ट्रांसफार्मर की तुलना में बहुत कम होता है। विधुत उर्जा ह्रास कम होने की वजह से इसकी दक्षता भी ज्यादा होता है। अधिकांशतः ऑटो ट्रांसफार्मर में वाइंडिंग के लिए चालक के लिए ताम्बे के तार का उपयोग किया जाता है। कॉपर वायर उपयोग करने की मुख्य वजह यह है की कॉपर का आंतरिक प्रतिरोध अन्य चालक के तुलना में बहुत कम होता है। कॉपर वायर को आपस में लपेटकर वाइंडिंग तैयार की जाती है। इस वाइंडिंग के प्रारंभिक तथा अंतिम सिरों को इनपुट टर्मिनल रख लिया जाता है। वाइंडिंग के बीच में से एक अन्य दूसरी टर्मिनल निकाल लिया जाता है। अंतिम टर्मिनल तथा बीच से निकले टर्मिनल ,दोनों आउटपुट टर्मिनल की तरह कार्य करते है। अर्थात दोनों इनपुट टर्मिनल में से कोई एक आउटपुट के लिए उभयनिष्ट प्राइमरी वाइंडिंगएवं अंतिम सिरा और बीच से निकला हुआ टर्मिनल सेकेंडरी वाइंडिंगकी तरह कार्य करता है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है। चुंबकीय कोर क्या होता है? यह किसी भी प्रकार के ट्रांसफार्मर का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है। इसका कार्य वाइंडिंग में प्रवाहित विधुत धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय फ्लक्स के प्रवाह के लिए रास्ता तैयार करना होता है। यह उच्च किस्म के स...

Relay in hindi

Relay in hindi , relay working in hindi ये सब हम इस आर्टिकल में जानेगे, पावर सिस्टम में जनरेटर, ट्रांसफार्मर, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सर्किट होते है इसलिए ये तय है की इसमें किसी ना किसी प्रकार के fault आ सकते है| relay उन faults को रोकने का काम करता है | इसलिए Relay in hindi इस आर्टिकल में रिले के बारेमे जानकारी लेंगे साथी साथ रिले कितने प्रकार के होते types of relay in hindi भी देखेंगे Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • Relay in Hindi (रिले क्या होता है ?):- Relay definition:- A relay is a device that detects faults and initiates the operation of the circuit breaker to isolates defective parts from the rest of the system. Relay definition in Hindi:- रिले एक ऐसा यंत्र है जो दोष या फाल्ट का पता लगाता है सर्किट ब्रेकर को सुरु करता है ताकि ख़राब या फिर दोष वाले हिस्से को सिस्टम से अलग करे | Relay इलेक्ट्रिकल सर्किट में होने वाले असामान्य गतिविधि का पता लगता है यह पता लगाने के लिए वह लगातार इलेक्ट्रिकल मात्रा को जब fault होता है तब इलेक्ट्रिकल मात्रा (quantities) जैसे की current, frequency, voltage और phase angle इनमे बदलाव आता है | इनमे से किसी में भी बदलाव आता है तो रिले उसे भाप लेता है इसमें कोनसा relay लगा हुआ है और कहा पर लगा है ही भी महत्त्व पूर्ण होता है | जब रिले fault का पता लगता है उसके बाद रिले operate होता है ताकि breaker के circuit को trip कर सके इसकी से circuit breaker open हो जाता है और circuit breaker faluty भाग को अलग कर देता है | Relay working in hindi (रिले कैसे काम करता है ?):- रिले किस तरह काम करता है ये जानने के लिए निचे दिखाए चित्र को ...

Transformer tests in Hindi

Table of Contents • • • • • Transformer tests in Hindi (ट्रांसफार्मर टेस्टिंग):- अगर ट्रांसफार्मर के परफॉरमेंस को कैलकुलेट करना हो तब एक सर्किट कि मदद से जिसमे चार मुख्य पैरामीटर होते है जो कि • Open circuit test • Short circuit test ये दोनों टेस्ट बोहोत कम खर्चीली याने economic और आसान है, क्यू की इन टेस्ट को करने के लिए ट्रांसफार्मर किसी तरह का लोड देने की जरुरत नहीं पड़ती है | Open circuit test in hindi (No-load test) (ओपन सर्किट टेस्ट):- इस टेस्ट के करने का उद्देश्य यह होता है की इस टेस्ट की मदद से नो लोड लोस्सेस और कोर लोस को कैलकुलेट किया जा सके है | इस टेस्ट में एक विन्डिंग जो की ज्यादा वोल्टेज वाली या फिर कम वोल्टेज वाली हो सकती है जिसका इस्तेमाल करना आसान हो उसे ओपन याने की खुला रखा जाता है और दुसरे तरफ सप्लाई को दिया जाता है जो की नार्मल सप्लाई होता है और उसकी फ्रीक्वेंसी भी समे याने 50Hz होती है | इसके लो वोल्टेज वाइंडिंग में कुछ Transformer tests in Hindi जैसे ही सामान्य वोल्टेज को प्राइमरी साइड के वाइंडिंग में दिया जाता है तब कोर में भी सामान्य फ्लक्स ही उत्पन्न होते है, उसकी वजह से सामान्य आयरन लोस होते है और वह wattmeter में रेकॉर्ड हो जाते है या दर्शाए जाते है | प्राइमरी में नो लोड करंट I0 कम होता है उसकी वजह से Cu लोस्सेस एकदम न के बराबर हो जाते है और सेकेंडरी में कुछ भी Cu लोस्सेस नहीं होते है क्यू की वह ओपन होता है | उसकी वजह से जो wattmeter में रीडिंग दिखाई देती है वह वह कोर लोस होते है जब सेकेंडरी ओपन होती है याने की नो लोड स्थिति | कभी कभी high resistance voltmeter को सेकेंडरी साइड में लगाया जाता है, Short circuit test in hindi (Impedance test) (शोर्ट ...