Tulsidas ki rachnaen

  1. तुलसीदास जी की साहित्यिक रचनाएं
  2. रामचरितमानस
  3. तुलसीदास का जीवन परिचय एवं रचनाएँ ।Tulsi Das ka Jeevan Parichay Rachnayen
  4. तुलसीदास की बेहतरीन कविताएं और चर्चित रचनाएं जानिए यहां
  5. तुलसीदास जी द्वारा श्री रामचरितमानस की रचना
  6. तुलसीदास
  7. तुलसीदास जी की रचनाएं बताइए? » Tulsidas Ji Ki Rachnaye Bataiye
  8. तुलसीदास की रचनाएँ


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तुलसीदास जी की साहित्यिक रचनाएं

Tulsidas ki Rachnaye तुलसीदास जी भारतीय हिन्दी साहित्य के सर्वोच्च कवि थे, जिन्हे भक्तिकाल के रामभक्ति शाखा के महानतम कवियों में गिना जाता था। वे भगवान राम के अनन्य भक्त थे, जिन्हें अपनी पत्नी की धित्कारना के बाद वैराग्य हो गया और फिर उन्होंने भगवान राम की भक्ति में अपना शेष जीवन सर्मपित कर दिया और उनके उन्मुख हो गए। महामहिम तुलसीदास जी द्धारा रचित प्रमुख रुप से उनकी 12 कृतियां दुनिया भर में मशहूर हैं, जिनमें से 6 उनकी अति महत्वपूर्ण एवं प्रमुख रचनाएं हैं, जबकि 6 उनकी लघु रचनाएं हैं। वहीं अवधि एवं ब्रजा भाषा के आधार पर महाकवि तुलसीदास जी की रचनाओं को दो अलग-अलग समूहों में बांटा गया है। तुलसीदास जी की साहित्यिक रचनाएं – Tulsidas ki Rachnaye तुलसीदास जी की कुछ रचनाओं के बारे में संक्षिप्त में विवरण- • रामचरितमानस – Ramcharitmanas रामचरितमानस, महाकवि तुलसीदास जी का सबसे प्रसिद्ध एवं हिन्दू धर्म का सबसे पवित्र महाकाव्य है। जिसकी रचना वाल्मीकि जी के अवतार माने जाने वाले एवं हिन्दी साहित्य के सर्वोत्तम कवि तुलसीदास जी ने अयोध्या में की थी। आपको बता दें कि महाकवि तुलसीदास जी ने इस पवित्र ग्रंथ को हिन्दू कैलेंडर के चैत्र महीने के रामनवमी में लिखना शुरु किया था, उन्होंने इस महाकाव्य को करीब 2 साल, 7 महीने 26 दिन में लिखा था। महाकवि तुलसीदास जी की अपने प्रभु मर्यादित पुरुषोत्तम राम के प्रति गहरा आस्था और भक्ति थी। उन्होंने भगवान राम की भक्ति में डूबकर भारतीय साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कवि तुलसीदास जी ने हिंदू ग्रंथ के इस महाकाव्य की रचना अवधि भाषा में बेहद आसान तरीके से की है। रामचरितमानस ने दोहा-चौपाईओं के माध्यम से भगवान राम के जीवन के समस्त दर्शन को बेहद सौम्यता एवं प्रेम भाव से अपनी...

रामचरितमानस

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 संक्षिप्त मानस कथा • 3 अध्याय • 4 भाषा-शैली • 5 नीति एवं सदाचार • 6 सन्दर्भ • 7 इन्हें भी देखें • 8 अन्य परियोजनाओं पर • 9 बाहरी कड़ियाँ परिचय [ ] रामचरितमानस १५वीं शताब्दी के कवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखा गया रामचरितमानस में गोस्वामी जी ने रामचरितमानस को गोस्वामी जी ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं - संक्षिप्त मानस कथा [ ] यह बात उस समय की है जब प्रभु सर्वग्य दास निज जानी, गति अनन्य तापस नृप रानी। माँगु माँगु बरु भइ नभ बानी, परम गँभीर कृपामृत सानी॥ इस आकाशवाणी को जब मनु सतरूपा सुनते हैं तो उनका ह्रदय प्रफुल्लित हो उठता है और जब स्वयं परमब्रह्म राम प्रकट होते हैं तो उनकी स्तुति करते हुए मनु और सतरूपा कहते हैं- "सुनु सेवक सुरतरु सुरधेनू, बिधि हरि हर बंदित पद रेनू। सेवत सुलभ सकल सुखदायक, प्रणतपाल सचराचर नायक॥" अर्थात् जिनके चरणों की वन्दना विधि, हरि और हर यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही करते है, तथा जिनके स्वरूप की प्रशंसा सगुण और निर्गुण दोनों करते हैं: उनसे वे क्या वर माँगें? इस बात का उल्लेख करके तुलसीदास ने उन लोगों को भी राम की ही आराधना करने की सलाह दी है जो केवल निराकार को ही परमब्रह्म मानते हैं। अध्याय [ ] रामचरितमानस में सात काण्ड (अध्याय) हैं- • • • • • • • भाषा-शैली [ ] रामचरितमानस की भाषा के बारे में विद्वान एकमत नहीं हैं। कोई इसे गोस्वामी जी ने भाषा को नया स्वरूप दिया। यह अवधी नहीं अपितु वही भाषा थी जो तुलसीदास 'ग्राम्य गिरा' के पक्षधर थे परन्तु वे नीति एवं सदाचार [ ] रामचरितमानस में भले रामकथा हो, किन्तु कवि का मूल उद्देश्य राम के चरित्र के माध्यम से नैतिकता एवं सदाचार की शिक्षा देना रहा है। रामचरितमान...

तुलसीदास का जीवन परिचय एवं रचनाएँ ।Tulsi Das ka Jeevan Parichay Rachnayen

तुलसीदास का जीवन परिचय एवं रचनाएँ नाम - तुलसीदास , बचपन का नाम - राम बोला जन्म - 1532 ई. , 1589 विक्रम संवत् स्थान कस्बा राजापुर जिला बांदा (उ.प्र.) निधन - संवत् 1680 पिता- आत्माराम माता - हुलसी बाई पत्नी - रत्नवाली रचनाएँ - • रामचरित मानस • गीतावली • दोहावली • कवितावली • विनय पत्रिका • पार्वती मंगल • कृष्ण गीतावली तुलसीदास के बारे में -गोस्वामी तुलसीदासजी का जीवन चरित्र • गोस्वामी तुलसीदासजी के जीवन चरित्र का सबसे प्रमाणिक रूप अंतसाक्ष्य के आधार पर ही दिया जा सकता है। उनके जीवन से संबंधित अनेक उक्तियाँ उनकी रचनाओं में मिलती हैं जो उनके जीवन संबंधी तथ्यों को प्रमाणित करती हैं। • गोस्वामीजी का जन्म 1532 ई. में. अर्थात् 1589 विक्रम संवत् में कस्बा राजापुर (जिला-बाँदा) में हुआ था। • तुलसीदासजी के पिता का नाम पंडित आत्माराम था और माता का नाम हुलसी था। • यद्यपि पिता का नामोल्लेख इनकी किसी भी कृति में नहीं मिलता परन्तु माता का उल्लेख इनकी कृतियों में मिलता है- ‘ रामहि प्रिय पावन तुलसी सी। तुलसीदास हितहिय हुलसी सी। इसका स्पष्ट अर्थ है कि रामकथा , तुलसी के लिए माता हुलसी के हृदय समान के है। • अनेक बाहरी साक्ष्यों में भी तुलसीदासजी की माता का नाम हुलसी मिलता है। • इनके विषय में एक प्रसिद्ध जनश्रुति यह भी है कि ये अभुक्त मूल नक्षत्र में पैदा हुए थे। अत: इनके ज्योतिषाचार्य पिता आत्माराम इन्हें जन्मते ही अशुभ मानकर दासी के हवाले कर दिया। इनको जन्म देते समय प्रसव पीड़ा से इनकी माता का देहांत हो जाने पर इनके पिता का क्रोध और भी स्वाभाविक हो गया । • तुलसीदास के बचपन का नाम रामबोला था। कतिपय जीवनियों और जनश्रुतियों के अनुसार जन्म लेते ही उन्होंने राम नाम का उच्चारण किया था , इसीलिए इनका न...

तुलसीदास की बेहतरीन कविताएं और चर्चित रचनाएं जानिए यहां

गोस्वामी तुलसीदास का नाम महान कवियों में आता है। तुलसीदास की रचनाएँ, तुलसीदास कविताएँ, तुलसीदास की कविता, तुलसीदास की छोटी कविताएँ, दोहे हर उम्र के व्यक्ति, मुश्किल हालातों और समय में लोगों को अपना जीवन जीने की एक बेहतर प्रेरणा देती हैं। उनके द्वारा लिखी गई हर एक लाइन आपके कठिन समय से आपको आगे बढ़ाने का प्रयास करती है। तो चलिए इस ब्लॉग के जरिए Tulsidas poems in Hindi के बारे में विस्तार से जानते हैं। Courtesy: Wikipedia तुलसीदास जी का जीवन परिचय तुलसीदास जी का जन्म सन् 1532 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के छोटे से गांव राजापुर में हुआ था। कुछ लोग उनका जन्म स्थान सोरों (जिला – एटा) भी मानते हैं। बचपन में ही तुलसीदास जी का उनके माता-पिता से बिछोह हो गया इसलिए तुलसीदास जी का जीवन बहुत ही संघर्षमय था। यह माना जाता है कि उन्हें रामभक्ति का मार्ग गुरु कृपा से मिला। तुलसीदास जी मानव मूल्यों के एक उपासक कवि थे। तुलसीदास जी राम जी के भक्त थे और रामचरितमानस उनकी इस अतुलनीय भक्ति का उदाहरण है । वे राम को मानवीय मर्यादा और आदर्शों के प्रतीक मानते थे जिसके माध्यम से तुलसीदास जी ने स्नेह, त्याग, नीति, वीनम्रता, शील जैसे कई और आदर्शों का बखान किया है। उत्तरी भारत की जनता के मध्य बहुत रामचरितमानस बहुत प्रचलित है । राम चरित्र मानस के अलावा उनकी कई और प्रमुख रचनाएं हैं जैसे कवितावली, गीतावली, दोहावली, कृष्णगीतावली, विनयपत्रिका आदि। तुलसीदास जी का अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं में ही समान अधिकार था। 1632 में काशी में उनकी मृत्यु हो गई। रामचरितमानस की रचना अवधि में थी वहीं कवितावली और विनयपत्रिका की रचना ब्रज भाषा में । उस समय प्रचलित सभी काव्यों को आप तुलसीदास की रचनाओं में देख सकते हैं। तुलसीद...

तुलसीदास जी द्वारा श्री रामचरितमानस की रचना

श्री रामचरितमानस की रचना: चित्रकूट से लौट कर, गोस्वामी जी काशी पहुँचे और वहां प्रह्लाद घाटपर एक ब्रह्मण के घर निवास किया । वहाँ उनकी कवित्व शक्ति स्फुरित हो गयी और वह संस्कृत में रचना करने लगे। यह एक अद्भुत बात थी कि दिन में वे जितनी कविता रचना करते रात मे सब की सब लुप्त हो जाती। यह घटना रोज घटती परंतु वे समझ नहीं पाते थे कि मुझको क्या करना चाहिये। आठवें दिन तुलसीदास जी को स्वप्न हुआ। भगवान् शंकर ने प्रकट होकर कहा कि तुम अपनी भाषा मे काव्य रचना करो, संस्कृत में नहीं। नींद उचट गयी तुलसीदास जी उठकर बैठ गये। उनके हृदय मे स्वप्न की आवाज गूंजने लगी। उसी समय भगवान् श्री शंकर और माता पार्वती दोनों ही उनके सामने प्रकट हुए। तुल्सीदास जी ने साष्टांग् प्रणाम किया। शिव जी ने कहा: मातृभाषा में काव्य निर्माण करो, संस्कृत के पचडे में मत पडो। जिससे सबका कल्याण हो वही करना चाहिये। बिना सोचे विचारे अनुकरण करने की आवश्यकता नहीं है। तुम जाकर अयोध्या में रहो और वही काव्य रचना करो। जहां भगवान् की जन्म स्थली है और जो भगवान् श्रीसीताराम जी का नित्य धाम है वही उनकी कथा की रचना करना उचित होगा। मेरे आशीर्वाद से तुम्हारी कविता सामवेद के समान सफल होगी। इतना कहकर गौरीशंकर जी अन्तर्धान हो गये और उनकी कृपा एवं अपने सौभाग्य की प्रशंसा करते हुए तुलसीदास जी अयोध्या पहुँचे। तुलसीदास जी वही रहने लगे। एक समय दूध पीते थे। भगवान् का भरोसा था। संसार की चिंता उनका स्पर्श नहीं कर पाती थी। कुछ दिन यों ही बीते, संवत् १६३१ आ गया। उस वर्ष चैत्र शुक्ल रामनवमी के दिन प्राय: वैसा ही योग जुट गया था, जैसा त्रेतायुग मे रामजन्म के दिन था। उस दिन प्रातः काल तुलसीदास जी सोचने लगे: क्या इस समय भगवान् का अवतार होने वाला है? आश्चर...

तुलसीदास

तुलसीदास काँच मन्दिर, तुलसी पीठ (चित्रकूट) में प्रतिष्ठित गोस्वामी तुलसीदास की प्रतिमा जन्म रामबोला 1511 ई० (सम्वत्- 1568 वि०) मृत्यु 1623 ई० (संवत 1680 वि०) गुरु/शिक्षक नरहरिदास खिताब/सम्मान गोस्वामी, अभिनववाल्मीकि, इत्यादि साहित्यिक कार्य रामचरितमानस, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, हनुमान चालीसा, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, इत्यादि कथन सीयराममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी ॥ (रामचरितमानस १.८.२) धर्म हिन्दू दर्शन अनुक्रम • 1 जन्म • 2 बचपन • 3 भगवान श्री राम जी से भेंट • 4 संस्कृत में पद्य-रचना • 5 रामचरितमानस की रचना • 6 मृत्यु • 7 तुलसी-स्तवन • 8 रचनाएँ • 8.1 कुछ ग्रंथों का संक्षिप्त विवरण • 8.1.1 रामललानहछू • 8.1.2 वैराग्य संदीपनी • 8.1.3 बरवै रामायण • 8.1.4 पार्वती-मंगल • 8.1.5 जानकी-मंगल • 8.1.6 रामाज्ञा प्रश्न • 8.1.7 दोहावली • 8.1.8 कवितावली • 8.1.9 गीतावली • 8.1.10 श्रीकृष्ण गीतावली • 8.1.11 हनुमानबाहुक • 9 इन्हें भी देखें • 10 बाहरी कड़ियाँ • 11 सन्दर्भ जन्म गोस्वामी तुलसीदास का जन्मस्थान विवादित है। अधिकांश विद्वानों व राजकीय साक्ष्यों के अनुसार इनका जन्म बचपन भगवान की प्रेरणा से शूकरक्षेत्र में रहकर पाठशाला चलाने वाले गुरु नृसिंह चौधरी ने इस रामबोला के नाम से बहुचर्चित हो चुके इस बालक को ढूँढ निकाला और विधिवत उसका नाम तुलसीदास रखा भगवान श्री राम जी से भेंट कुछ काल राजापुर रहने के बाद वे पुन: काशी चले गये और वहाँ की जनता को राम-कथा सुनाने लगे। कथा के दौरान उन्हें एक दिन मनुष्य के वेष में एक प्रेत मिला, जिसने उन्हें चित्रकूट पहुँच कर उन्होंने रामघाट पर अपना आसन जमाया। एक दिन वे प्रदक्षिणा करने निकले ही थे कि यकायक मार्ग में उन्हें श्रीराम...

तुलसीदास जी की रचनाएं बताइए? » Tulsidas Ji Ki Rachnaye Bataiye

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। तुलसीदास जी की रचनाएं देखे तो देखिए सबसे जो फेमस जो रचना है उनकी वह श्रीरामचरितमानस उसके अलावा जुने तुलसी दोहावली गीतावली पार्वती मंगल कवितावली द पिक ऑफ राम वैराग्य संदीपनी रामचरितमानस सुंदरकांड हनुमान चालीसा की सारी रचनाएं लिखी है tulsidas ji ki rachnaye dekhe toh dekhie sabse jo famous jo rachna hai unki wah shriramacharitmanas uske alava zune tulsi dohavali geetawali parvati mangal kavitavali the pic of ram varagya sandipani ramcharitmanas sundarakand hanuman chalisa ki saree rachnaye likhi hai तुलसीदास जी की रचनाएं देखे तो देखिए सबसे जो फेमस जो रचना है उनकी वह श्रीरामचरितमानस उसके अ

तुलसीदास की रचनाएँ

गोस्वामी तुलसीदास जी रामभक्ति शाखा के कवियों में गोस्वामी तुलसीदास सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। इनका प्रमुख ग्रन्थ “ श्रीरामचरितमानस” भारत में ही नहीं वरन् सम्पर्ण विशव में विख्यात है। तुलसीदास जी का जन्म विक्रमी संवत् 1554 (सन् 1497 ई०) बताया जाता है। गोस्वामी तुलसीदासजी के माता का नाम श्रीमती हुलसी एवं पिता का नाम श्री आत्मा राम दुबे था। गोस्वामी तुलसीदास जी के गुरु बाबा नरहरिदास जी थे। विषय-सूची • • • • • • • • • • • • • तुलसीदास की रचनाएँ – Tulsidas Ki Rachnaye यद्दपि नम्रतावश तुलसी ने अपने को कवि नहीं मन पर काव्यशास्त्र के सभी लक्षणों से युक्त इनकी रचनाएँ हिंदी का गौरव है। श्रृगार का जैसा मर्यादित वर्णन इन्होने किया है वैसा आज तक किसी दूसरे कवि से न बन पड़ा। तुलसीदास की रचनाएँ (Tulsidas Ki Rachnaye): • श्रीरामचरितमानस • विनयपत्रिका • कवितावली • गीतावली • दोहावली • बरवै रामायण • रामलला नहछू • श्रीकृष्ण गीतावली • वैराग्य संदीपनी • जानकी मंगल • पार्वती मंगल • रामाज्ञा प्रश्न तुलसीदास की रचनाएँ: गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखित 37 ग्रन्थ माने जाते है किन्तु प्रामाणिक ग्रन्थ 12 ही मान्य है, जिनमे पांच प्रमुख है – श्रीरामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावली, गीतावली, दोटावली। श्रीरामचरितमानस अवधी भाषा में रचित रामचरितमानस बड़ा लोकप्रिय ग्रन्थ है | विश्व साहित्य के प्रमुख ग्रन्थो में इसकी गणना की जाती है | तुलसी के ग्रन्थ ‘ श्रीरामचरितमानस‘ दिशाहीन भारतीय समाज को प्रत्येक क्षेत्र में मार्ग दिखाया और उसके सामने जीवन के ऐसे आदर्श को रखा जो वास्तव में संसार के प्रत्येक मनुष्य और प्रत्येक समाज के लिए आदर्श हो सकता है। “एक भरोसा एक बल, एक आस – विश्वास। रामचरित – मानस रचौं, जय हो तुलस...