तुलसी के हृदय में किसका डर है

  1. तुलसी है इन पांच रोगों का जबरदस्त इलाज, ऐसे करें सेवन
  2. तुलसी की चाय पीने के 13 बेहतरीन फायदे
  3. तुलसी का महत्व
  4. वक्तव्य : तुलसीदास भारतीय जनता के हृदय पर राज्य करते है
  5. [Solved] तुलसी के पौधे का औषधीय महत्व निम्नलिखित में स�
  6. तुलसी का भक्ति
  7. तुलसी (पौधा)
  8. Side Effects of Tulsi in Hindi: तुलसी के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान भी जानें


Download: तुलसी के हृदय में किसका डर है
Size: 67.76 MB

तुलसी है इन पांच रोगों का जबरदस्त इलाज, ऐसे करें सेवन

अनेक औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी लगभग हर घर में होती है। सुख-शांति की प्रतीक तुलसी का सेवन सिर्फ आपकी सर्दी-खांसी ही नहीं बल्कि कई बीमारियों को दूर रखती हैं। दादी-नानी के तुलसी को लेकर बताए गए कई नुस्खे आज भी इस्तेमाल किए जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको तुलसी के वो फायदे बताने जा रहे हैं जिससे बड़ी-बड़ी बीमारियों को मात देने में मदद मिलती है। सांस की बीमारी के लिए फायदेमंद अगर आप सांस संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो दूध के साथ तुलसी की पत्तियों को उबालकर पिएं। ऐसा करना दमा रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है। पथरी की समस्या दूर करे अगर किसी व्यक्ति को पथरी की समस्या है तो उसे नियमित रूप से खाली पेट दूध में तुलसी की पत्तियों को उबालकर पीना चाहिए। ऐसा करने से किडनी के पथरी की समस्या और दर्द दूर हो जाता है।

तुलसी की चाय पीने के 13 बेहतरीन फायदे

By Mar 2, 2018 भारतीयसभ्यतामेंतुलसीसदापूजनीयरहाहै।तुलसीकेविषयमेंअनेकपौराणिककथायेंप्रसिद्धहैंऔरघरोंमेंतुलसीकोआँगनमेंलगाकरइसकीपूजाभीकीजातीहै।तुलसीकाप्रयोगनासिर्फ़धार्मिककर्मकांडोंमेंहीहोताहैबल्कियहहमारेस्वास्थ्यकेलिएभीबहुतलाभकारीहै। तुलसीकाप्रयोगअनेकरूपोंमेंहोतारहाहैजिनमेंसेतुलसीकीचायप्रमुखहै।इसलेखमेंहमतुलसीकीचायकेलाभोंकेविषयमेंविस्तृतचर्चाकरेंगे। तुलसीकीचायकेलाभ: 1. डायबिटीज़केलिए जोलोग तुलसीहमारेशरीरकीउपपचयीक्रियाओंकोसुचारूरूपसेचलानेमेंसहायताकरताहैजिससेकीशुगरकेकणऊर्जामेंपरिवर्तितहोजातेहैंऔरशुगरकास्तरसामान्यरहताहै। 2. प्रतिरक्षातंत्रकेलिए तुलसीकीचायहमारेप्रतिरक्षातंत्रकोमज़बूतबनाताहैजिससेकीशरीरकीअनेकरोगोंसेरक्षाहोतीहै।तुलसीमेंकईऐसेऔषधीयगुणहै, जोशरीरकोहानिकारककणोंसेबचातेहैं।नियमितरूपसेतुलसीकीचायकासेवनकरनेसेहमाराशरीरस्वस्थरहताहै। 3. त्वचाएवंबालोंकेलिए तुलसीकीचायमेंऐंटीआक्सिडंटगुणपाएजातेहैंजोशरीरकेहानिकारकतत्वोंकानाशकरतीहैजिससेकिहमारीत्वचास्वस्थरहतीहै।तुलसीकीचायमेंपॉलीफेनॉलपायाजाताहैजोत्वचाकोदाग़-धब्बोवझुर्रियोंसेबचाताहै। (यहभीपढ़ें: तुलसीकीचायबालोंकीजड़ोंकोड्राईहोनेसेबचातीहैजिससेबालझड़नेकीसमस्यासेनिजातमिलतीहै। 4. पाचनक्रियाकेलिए तुलसीकीचायकेसेवनसेपाचनक्रियासुचारूरूपसेचलतीरहतीहै।कार्बोहाइड्रट, लिपिडतथाप्रोटीनआदिकीपाचनप्रक्रियाअत्यंतजटिलहोतीहैकिंतुनियमितरूपसेतुलसीकीचायपीनेसेइनतत्वोंकापाचनसरलतासेहोजाताहै। 5. कैंसरकेलिए तुलसीकीचायकेनियमितसेवनसेकैंसरकीसम्भावनाओंमेंकमीआतीहै।तुलसीकैंसरकोजन्मदेनेवालीअनियंत्रितकोशिकाओंकोबढ़करविभाजितहोनेसेरोकताहैऔरकैंसरसेशरीरकीरक्षाकरताहै। 6. सिरदर्दकेलिए आजकलकार्यऔरभागदौड़सेभरेजीवनकीवजहसेहरव्यक्तिबेचैनीऔरतनावसेग्रसितहैऔरइसकारणउन्हेंअक्सरसिरदर्दकीसमस्या...

तुलसी का महत्व

भारत में तुलसी का महत्वपूर्ण स्थान है। तुलसी के तीन प्रकार होते हैं- कृष्ण तुलसी, सफेद तुलसी तथा राम तुलसी। इनमें कृष्ण तुलसी सर्वप्रिय मानी जाती है। तुलसी में खड़ी मंजरियाँ उगती हैं। इन मंजरियों में छोटे-छोटे फूल होते हैं। देव और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका, उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मदेव ने उसे भगवान विष्णु को सौंपा। भगवान विष्णु, योगेश्वर कृष्ण और पांडुरंग (श्री बालाजी) के पूजन के समय तुलसी पत्रों का हार उनकी प्रतिमाओं को अर्पण किया जाता है। तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पापनाशक समझा जाता है तथा पूजन करना मोक्षदायक। देवपूजा और श्राद्धकर्म में तुलसी आवश्यक है। तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप, होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है। कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी अत्यंत प्रिय है। स्वर्ण, रत्न, मोती से बने पुष्प यदि श्रीकृष्ण को चढ़ाए जाएँ तो भी तुलसी पत्र के बिना वे अधूरे हैं। श्रीकृष्ण अथवा विष्णुजी तुलसी पत्र से प्रोक्षण किए बिना नैवेद्य स्वीकार नहीं करते। कार्तिक मास में विष्णु भगवान का तुलसीदल से पूजन करने का माहात्म्य अवर्णनीय है। तुलसी विवाह से कन्यादान के बराबर पुण्य मिलता है साथ ही घर में श्री, संपदा, वैभव-मंगल विराजते हैं। Jagannatha rathayatra 2023: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ओडिशा के पुरी में प्रतिवर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 20 जून 2023 को यह रथ यात्रा निकलेगी। यह रथ यात्रा कहां से कहां तक निकलती है, आओ जानते हैं इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी। यदि आपके जीवन में समस्याएं बनी हुई है, आप घोर संकट से घिर गए हैं तो आपको भगवान...

वक्तव्य : तुलसीदास भारतीय जनता के हृदय पर राज्य करते है

तुलसी की प्रासंगिकता का प्रश्न क्यों ? ये बात भी सही है कि हम सब लोग उन व्यामोह में पड़ जाते हैं कि एजेंडा तो कोई और तय करता है और हम जवाब देते हैं। एक लंबे समय से कुछ लोगों ने कुछ नैरेटिव ऐसा बना दिया, मेरी कुछ बातों से आपकी असहमति हो सकती है, लेकिन फिर भी मैं अपनी बात आपको समर्पित करूँगा....कुछ नैरेटिव पॉइंट बना दिया कि तुलसी के समय में ही तुलसी का विरोध हुआ, ब्राह्मणों ने उनका बहुत अधिक विरोध किया, इसकी कुछ कथाएं भी हैं तुलसी के जीवन चरित्र के बारे में भी कुछ कुछ कथाएं रही हैं और तुलसीदास के समय के बाद आज पिछले अगर 70-80 वर्षों में देखें तो लगातार कुछ विद्वानों, विद्वानों तो नहीं कहूँगा लेकिन एक ऐसा वर्ग है जो तुलसीदास को बिना संदर्भ के जाने हुए उनकी आलोचना करता है, और तुलसी की आलोचना क्यों करनी है ये महत्त्वपूर्ण बात है, ये अगर जान लें तो जो आलोचना करते हैं उनके मन्तव्य को समझ जाएंगे। विल्सन स्मिथ नाम के एक इतिहासकार हैं, जिन्होंने मुगलकाल पर लिखा हैं। मैं कोई अंग्रेजी के इतिहासकारों के व्यामोह में नहीं रहता कि उनका कोई अतिरिक्त प्रभाव है लेकिन विल्सन स्मिथ की एक बात के बारे में आपका ध्यान आकर्षित करूंगा। विल्सन ने लिखा है कि मध्यकाल में भारतवर्ष में दो ही महान व्यक्तित्व हुए हैं एक सम्राट अकबर और दूसरे गोस्वामी तुलसीदास अब आप कह सकते हैं कि अकबर से समानता करे तुलसी को छोटा कर दिया , पर अगली पंक्ति में लिखते हैं कि अकबर तो भारतवर्ष की जनता पर भौगोलिक रूप से शासन करता था पर गोस्वामी तुलसीदास भारतीय जनता के हृदय पर राज्य करते थे वे भारतीयों के हृदय-सम्राट थे। अब यह समझ लीजिए विल्सन स्मिथ जब उस काल का अध्ययन करता है तो उसका मन्तव्य क्या है, अपने समय में तुलसी कितने प्रभावश...

[Solved] तुलसी के पौधे का औषधीय महत्व निम्नलिखित में स�

सही उत्तर फिनोल एवं फ्लेवोनाॅयड्सहै। Key Points तुलसी का पौधा​ - • ओसीमम टेनुइफ्लोरम , जिसे ओसीमम सेंक्टम, तुलसी, या परिवार लैमियासी से पवित्र तुलसी के रूप में भी जाना जाता है, को इसके कथित औषधीय गुणों के कारण "पौधों की रानी" और "प्रकृति की औषधिक जनक" के रूप में वर्णित किया गया है। • तुलसी अपने असंख्य औषधीय गुणों - जीवाणुरोधी, कवकरोधी , ज्वरनाशक, प्रतिउपचायक , एंटीसेप्टिक और कैंसर विरोधी- के लिए जानी जाती है । • तुलसी के पौधे में फिनोल और फ्लेवोनोइड्स की उपस्थिति के कारण औषधीय महत्व हैं। अतः सही उत्तर विकल्प 3 है। • इस प्रकार यह एक प्राकृतिक प्रतिरक्षा उत्प्रेरकके रूप में कार्य करता है और संक्रमण को दूर रखता है। • इसमें शक्तिशाली अपचायकहोते हैं जो आपके रक्तचाप के स्तर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे यह सबसे अच्छा हृदय के लिएस्वस्थ भोजन बन जाता है। • तुलसी के पत्ते विटामिन A, C और K और कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, लोहा और पोटेशियम जैसे खनिजों से भरपूर होते हैं। • इसमें प्रोटीन और फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है। • तुलसी के लाभहैं​ • प्राकृतिक प्रतिरक्षा उत्प्रेरक • बुखार कम कर देता है ( ज्वरनाशक ) और दर्द (दर्दनाशक) • सर्दी, खांसी और अन्य श्वसन संबंधी विकारों को कम करता है • तनाव और रक्तचाप को कम करता है • कैंसर रोधी गुण • हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा • मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा • गुर्दे की पथरी और गठिया में उपयोगी • त्वचा और बालों के लिए अच्छा है

तुलसी का भक्ति

भक्ति रस का पूर्ण परिपाक जैसा तुलसीदासजी में देखा जाता है वैसा अन्यत्र नहीं। भक्ति में प्रेम के अतिरिक्त आलंबन के महत्त्व और अपने दैन्य का अनुभव परम आवश्यक अंग हैं। तुलसी के हृदय से इन दोनों अनुभवों के ऐसे निर्मल शब्दस्रोत निकले हैं, जिनमें अवगाहन करने से मन की मैल कटती है और अत्यंत पवित्र प्रफुल्लता आती है। गोस्वामीजी के भक्ति क्षेत्र में शील, शक्ति और सौंदर्य तीनों की प्रतिष्ठा होने के कारण मनुष्य की संपूर्ण भावात्मिका प्रकृति का परिष्कार और प्रसार के लिए मैदान पड़ा हुआ है। वहाँ जिस प्रकार लोक व्यवहार से अपने को अलग करके आत्म कल्याण की ओर अग्रसर होनेवाले काम, क्रोध आदि शत्रुओं से बहुत दूर रहने का मार्ग पा सकते हैं, उसी प्रकार लोक व्यवहार में मग्न रहनेवाले अपने भिन्न भिन्न कर्त्तव्यों के भीतर ही आनंद की वह ज्योति पा सकते हैं जिससे इस जीवन में दिव्य जीवन का आभास मिलने लगता है और मनुष्य के वे सब कर्म, वे सब वचन और वे सब भाव क्या डूबते हुए को बचाना, क्या अत्याचारी पर शस्त्र चलाना, क्या स्तुति करना, क्या निंदा करना, क्या दया से आर्द्र होना, क्या क्रोध से तमतमाना ज़िनसे लोक का कल्याण होता आया है, भगवान् के लोक पालन करनेवाले कर्म, वचन और भाव दिखाई पड़ते हैं। यह प्राचीन भक्तिमार्ग एकदेशीय आधार पर स्थित नहीं, यह एकांगदर्शी नहीं। यह हमारे हृदय को ऐसा नहीं करना चाहता कि हम केवल व्रत उपवास करनेवालों और उपदेश करनेवालों ही पर श्रद्धा रखें और जो लोग संसार के पदार्थों का उचित उपभोग करके अपनी विशाल भुजाओं से रणक्षेत्र में अत्याचारियों का दमन करते हैं, या अपनी अंतर्दृष्टि की साधना और शारीरिक अध्यवसाय के बल से मनुष्य जाति के ज्ञान की वृद्धि करते हैं, उनके प्रति उदासीन रहें। गोस्वामीजी की र...

तुलसी (पौधा)

अनुक्रम • 1 प्रजातियाँ • 2 रासायनिक संरचना • 3 तुलसी माला • 4 तुलसी का औषधीय महत्व • 5 म्रत्यु के समय तुलसी के पत्तों का महत्त्व • 6 चित्र दीर्घा • 7 सन्दर्भ • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कड़ियाँ प्रजातियाँ तुलसी की सामान्यतः निम्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं: १- ऑसीमम सैक्टम २- ऑसीमम वेसिलिकम (मरुआ तुलसी) मुन्जरिकी या मुरसा। ३- ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम। ४- आसीमम ग्रेटिसिकम (राम तुलसी / वन तुलसी / ५- ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम (कर्पूर तुलसी)। ६- ऑसीमम अमेरिकम (काली तुलसी) गम्भीरा या मामरी। ७- ऑसीमम विरिडी। इनमें ऑसीमम सैक्टम को प्रधान या पवित्र तुलसी माना गया जाता है। इसकी भी दो प्रधान प्रजातियाँ हैं- श्री तुलसी, जिसकी पत्तियाँ हरी होती हैं तथा कृष्णा तुलसी (या श्यामा तुलसी) जिसकी पत्तियाँ नीलाभ-कुछ रासायनिक संरचना तुलसी में अनेक जैव सक्रिय रसायन पाए गए हैं, जिनमें ट्रैनिन, सैवोनिन, ग्लाइकोसाइड और एल्केलाइड्स प्रमुख हैं। अभी भी पूरी तरह से इनका विश्लेषण नहीं हो पाया है। प्रमुख सक्रिय तत्व हैं एक प्रकार का पीला उड़नशील तेल जिसकी मात्रा संगठन स्थान व समय के अनुसार बदलते रहते हैं। ०.१ से ०.३ प्रतिशत तक तेल पाया जाना सामान्य बात है। 'वैल्थ ऑफ इण्डिया' के अनुसार इस तेल में लगभग ७१ प्रतिशत यूजीनॉल, बीस प्रतिशत यूजीनॉल मिथाइल ईथर तथा तीन प्रतिशत कार्वाकोल होता है। श्री तुलसी में श्यामा की अपेक्षा कुछ अधिक तेल होता है तथा इस तेल का सापेक्षिक घनत्व भी कुछ अधिक होता है। तेल के अतिरिक्त पत्रों में लगभग ८३ मिलीग्राम प्रतिशत विटामिन सी एवं २.५ मिलीग्राम प्रतिशत कैरीटीन होता है। तुलसी बीजों में हरे पीले रंग का तेल लगभग १७.८ प्रतिशत की मात्रा में पाया जाता है। इसके घटक हैं कुछ सीटोस्टेरॉल, अनेकों वसा...

Side Effects of Tulsi in Hindi: तुलसी के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान भी जानें

Written by |Updated : February 1, 2021 3:21 PM IST • • • • • Side Effects of Tulsi in Hindi: तुलसी एक पवित्र, पूजनीय औषधी है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में वर्षों से किया जा रहा है। तुलसी (Tulsi) का पौधा आमतौर पर अधिकतर भारतीय घरों के आंगन, बलकनी में मिल जाएगा। लोग सुबह-शाम इस पवित्र पोधे में जल, अगरबत्ती, दीया जलाकर पूजा करते हैं। इसके स्वास्थ्य लाभों की बात करें, तो यह अनगिनत फायदों (Tulsi benefits) से भरपूर होती है। तुलसी (Basil leaves) का इस्तेमाल काढ़ा, चाय बनाने में खूब किया जाता है। साथ ही इसकी पत्तियों को आप यूं ही चबाकर खा सकते हैं। इससे सांस की बदबू, मुंह के रोग दूर होने के साथ कई अन्य सेहत लाभ होते हैं। इसके अलावा, कोरोना काल में तुलसी खाने से शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है। हालांकि, तुलसी की तासीर (Tulsi ki tasir) गर्म होती है, लेकिन सर्दियों के दिनों में इसका अत्यधिक सेवन करना भी नुकसानदायक हो सकता है। आइए जानते हैं तुलसी के अधिक सेवन के क्या-क्या नुकसान (Tulsi leaves Side Effects in Hindi) होते हैं। तुलसी खाने के नुकसान (Tulsi side effects in hindi) 1 जब आप तुलसी की पत्तियों को किसी भोजन में मिलाकर खाते हैं, तो यह हेल्दी होती है। लेकिन, जब आप इसे सीधा चबाकर खाते हैं, तो यह नुकसानदायक हो सकती है। तुलसी और इससे तैयार तेल में एस्ट्रागोल (Estragole) नाम का केमिकल होता है, जो लिवर कैंसर होने की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। 2 तुलसी का तेल (Basil oil) और इसका सत या एक्सट्रैक्ट (Extract) शरीर में ब्लड क्लॉटिंग प्रॉसेस को धीमा कर सकते हैं। जिन लोगों को ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या है, उनमें ब्लीडिंग के रिस्क को बढ़ा सकता है। सर्जरी के दौरान भी ब्लीडिंग की समस्या हो सकती ह...