तुलसीदास का जीवन परिचय इन हिंदी इन शार्ट

  1. कवि गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय
  2. Tulsidas Biography In Hindi
  3. गोस्वामी तुलसीदास जी की संक्षिप्त जीवनी
  4. कवि तुलसीदास का जीवन परिचय इन हिंदी
  5. तुलसीदास का जीवन परिचय
  6. तुलसीदास
  7. Goswami Tulsidas ke Dohe In Hindi: गोस्वामी तुलसीदास के दोहे और चौपाई।
  8. तुलसीदास का जीवन परिचय
  9. तुलसीदास का जीवन परिचय
  10. कवि गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय


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कवि गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय

। ऐसे विचित्र बालक का जन्म सुनकर पड़ोस के लोग इकट्ठे हो गए। ज्योतिषी बुलाए गए और भी विद्वान् लोगों से सलाह-मशवरा किया गया । अंत में सबकी राय हुई कि यह बालक जिंदा नहीं बचेगा। यदि यह बच गया, तो बहुत बड़ा आदमी बनेगा, समाज को एक नया रास्ता दिखाएगा और स्वयं भगवान् का परम भक्त होगा; लेकिन यह परिवार के अन्य सदस्यों की मौत का कारण भी बन सकता है। कुछ लोगों ने यह भी सलाह दी कि कोई और कदम उठाने से पहले तीन दिन तक इंतजार किया जाए। यदि बालक जीवित रहता है तो बाद में उसके वैदिक संस्कार किए जा सकते हैं । थे बुद्धि के तेज तुलसी बड़े गुरुभक्त थे । वह अपने गुरु की सेवा में बड़ी लगन से लगे रहते । वह गुरु के मुख से एक बार जो कुछ सुनते, वह उन्हें सहज ही याद हो जाता। कुछ दिन बाद तुलसीदास गुरु के साथ सोरों पहुँचे। वहाँ गुरु ने उन्हें अयोध्या के राजा राम की कहानी सुनाई। बालक तुलसीदास को राम की कथा पूरी तरह समझ में नहीं आई। यह बात तुलसीदास ने अपने ‘रामचरितमानस’ में स्वयं ही स्वीकार की है । इन शब्दों ने वह काम किया, जो दुनिया भर के उपदेश भी नहीं कर पाते। इन शब्दों ने एक क्षण में तुलसीदास के जीवन की दिशा ही बदल दी। अब उनके हृदय में रत्नावली की जगह राम की मूर्ति विराजमान हो चुकी थी । एक क्षण भी रुके बिना वह वहाँ से चलकर सीधे प्रयाग पहुँचे। वहाँ उन्होंने साधुवेश धारण कर लिया। फिर साधुओं की जमात में शामिल होकर काशी पहुँचे। काशी में तुलसीदास ने रामकथा कहना शुरू कर दिया। वहीं उन्हें चित्रकूट जाने की प्रेरणा मिली। तुलसी की एक ही साधना, एक ही लालसा और एक ही टेक थी – राम का दर्शन । तुलसी को राम का दर्शन हुआ या नहीं – यह विवाद का विषय हो सकता है, किंतु उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं एवं रचनाओं में उनकी आत्माभिव्य...

Tulsidas Biography In Hindi

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है ,आज हम Tulsidas Biography In Hindi में भारतीय तथा विश्व साहित्य के महान कवी और संस्कृत के मुख्य तजज्ञ tulsidas ji ka jivan parichay बताने वाले है। संस्कृत से वास्वतिक रामायण को अनुवादित करने वाले तुलसीदास जी हिन्दी और भारतीय तथा विश्व साहित्य के महान कवि हैं। तुलसीदास के द्वारा ही बनारस के प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर की स्थापना हुयी , tulsidas ke dohe पुरे भारत में ख्यात नाम है। आज tulsidas kiske bhakt the ?, tulsidas in hindi और tulsidas ki rachnaye in hindi की जानकारी बताने वाले है। अपनी मृत्यु तक वो वाराणसी में ही रहे। वाराणसी का तुलसी घाट का नाम उन्हीं के नाम पर पड़ा है। गोस्वामी तुलसीदास एक महान हिन्दू संत, समाजसुधारक के साथ ही दर्शनशास्त्र और कई प्रसिद्ध किताबों के भी रचयिता थे। राम के प्रति अथाह प्रेम की वजह से ही वे महान महाकाव्य रामचरित मानस के लेखक बने। तुलसीदास को हमेशा वाल्मिकी (संस्कृत में रामायण और हनुमान चालीसा के वास्वतिक रचयिता) के अवतरण के रुप में प्रशंसा मिली। तुलसीदास ने अपना पूरा जीवन शुरुआत से अंत तक बनारस में ही व्यतीत किया था। तो चलिए तुलसीदास का साहित्यिक परिचय करवाते है। नाम गोस्वामी तुलसीदास जन्म सवंत 1589 जन्म स्थान राजापुर ( उत्तर प्रदेश ) पिता आत्माराम माता हुलसी पत्नी रत्नावली गुरु श्री नरहरिदास भाषा वज्र तथा अवधी भाषा धर्म हिन्दू दर्शन वैष्णव मृत्यु 1623 ई० (संवत 1680 वि०) वाराणसी Tulsidas Biography In Hindi – तुलसीदास का जन्म श्रावण मास के सातवें दिन में चमकदार अर्ध चन्द्रमा के समय पर हुआ था। उत्तर प्रदेश के यमुना नदी के किनारे राजापुर (चित्रकुट) को तुलसीदास का जन्म स्थान माना जाता है। इनके मात...

गोस्वामी तुलसीदास जी की संक्षिप्त जीवनी

तुलसीदास जी के जन्म की कथा ही अद्भुत है जो उनके महापुरुष होने का उनके जन्म के समय ही इंगित करती है। आज के भारत वर्ष के उत्तरप्रदेश के चित्रकूट जिले में राजापुर नाम का एक गांव है जहां तुलसीदास जी के पिता, आत्मा राम दुबे निवास करते थे। वे एक सम्मानित ब्राह्मण थे। तुलसीदास जी की माता का नाम हुलसी था। तुलसीदास जी का जन्म सम्वत १५५४ में श्रावण मास में शुक्ल सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में हुआ। यह नक्षत्र शुभ नहीं माना जाता है। इस शंका को बढ़ाने के लिए जो घटनाएं हुई उनमें कुछ हैं, जैसे तुलसीदास जी जन्मते ही रोये ही नहीं अपितु उन्होंने 'राम' शब्द किया। उनके शरीर का आकार भी समान्य शिशु की तुलना में अधिक था और सबसे बढ़कर उनके मुख में जन्म के समय ही दाँतों की उपस्थिति थी। यह सब लक्षण देखकर उनके पिता किसी अमंगल की आशंका से भयभीत थे। उनकी माता ने घबराकर, कि बालक के जीवन पर कोई संकट न आए, अपनी एक चुनियां नाम की दासी को बालक के साथ उसके ससुराल भेज दिया। विधि का विधान ही कुछ और था और वे अगले दिवस ही गोलोक वासी हो गयी। चुनियां ने बालक तुलसीदास का पालन पोषण बड़े प्रेम से किया पर वह भी जब तुलसीदास जी करीब साढ़े पांच वर्ष के हुए शरीर छोड़ कर चली गई। अनाथ बालक द्वार द्वार भटकने लगा। इस पर माता पार्वती को दया आई और वे एक ब्राह्मणी का वेश रखकर प्रतिदिन बालक को भोजन कराने लगी। श्री अनन्तानन्दजी के प्रिय शिष्य श्री नरहर्यानन्दजी जो रामशैल पर निवास कर रहे थे, उन्हें भगवन शंकर से प्रेरणा हुई और वे बालक तुलसीदास को ढूढ़ते हुए वहां पहुंचे और मिलकर उनका नाम रामबोला रखा। वे बालक को अपने साथ अयोध्या ले गए और वहां उनका यज्ञोपवीत संस्कार कराया। तुलसीदास जी ने यहां एक बार फिर सभी को विस्मित किया। उन्होंने ब...

कवि तुलसीदास का जीवन परिचय इन हिंदी

विश्व के इतिहास और विश्वपटल पर भारत एक महान देश के रूप में आज भी अपनी प्रभुसत्ता को कायम रखे हुए है. भारत देश ने इस विश्व को एक से बढकर एक महान कवि और संत के रत्नों से सुशोभित किया है. इस देश को संतो, योगियों, सिद्धो और ऋषि-मुनियों की धरती कहा जाता है. आज हम आपको ऐसे ही एक अद्भुत संत के बारे में बताने जा रहे है. हम बात कर रहे है हिंदी साहित्य के महान कवि, रामचरितमानस के रचयिता एवं संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे. तुलसीदास जी का जन्मकाल गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्मकाल सन १५११-१६२३ इस्वी तक का माना गया है. कुछ विद्वान उनका जन्म स्थान सोरो शूकरक्षेत्र जोकि वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तरप्रदेश बतलाते है तो वही कुछ उनका जन्मस्थान राजापुर जिला बांदा जोकि वर्तमान में चित्रकूट में स्थित है, मानते है. तुलसीदास जी को आदिकवि और रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है. तुलसीदास जी के पिता का नाम आत्माराम दुबे था एवं उनकी माताजी का नाम हुलसी था. तुलसीदास जी का बचपन तुलसीदास जी के बचपन का नाम रामबोला था. ऐसी मान्यता है कि उनके जन्म से ही उनके मुख में १२ दांत थे. इनके गुरूजी का नाम नरहर्यानन्द (नरहरी बाबा) जी था. तुलसीदास नाम नरहरी बाबा के द्वारा ही दिया गया है. इनकी बुद्धि बचपन से ही प्रखर थी. यज्ञोपवित संस्कार के समय बिना सिखाये ही इन्होने गायत्री मंत्र का स्पष्ट उच्चारण कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया था. गुरु तुलसीदास जी की एक विशेषता थी कि वो गुरु मुख से जो भी सुन लेते थे वह उन्हें एक बार में ही कंठस्थ हो जाता था. तुलसीदास जी का विवाह ज्येष्ठ शुक्ल की त्रयोदशी , गुरुवार , संवत् १५८३ को २९ वर्ष की आयु में राजापुर से थोडी ही दूर यमुना पार स्थित एक गाँव की भारद्व...

तुलसीदास का जीवन परिचय

गोस्वामी तुलसीदास (1511 – 1623) हिंदी साहित्य के महान कवि थे। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वाँ स्थान दिया गया। तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के महान तुलसीदास जी का जन्म 1511 ई. में हुआ था। इनके जन्म स्थान के बारे में काफी मतभेद है, परन्तु अधिकांश विद्वानों के अनुसार इनका जन्म राजापुर, चित्रकूट जिला, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके बचपन का नाम रामबोला था और इनके पिता जी का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। तुलसी दास के गुरु का नाम नर हरिदास था।अक्सर लोग अपनी मां की कोख में 9 महीने रहते हैं लेकिन तुलसी दास जी अपने मां के कोख में 12 महीने तक रहे और जब इनका जन्म हुआ तो इनके दाँत निकल चुके थे और उन्होंने जन्म लेने के साथ ही राम नाम का उच्चारण किया जिससे इनका नाम बचपन में ही रामबोला पड़ गया। जन्म के अगले दिन ही उनकी माता का निधन हो गया। इनके पिता ने किसी और दुर्घटनाओं से बचने के लिए इनको चुनिया नामक एक दासी को सौंप दिया और स्वयं सन्यास धारण कर लिए। चुनिया रामबोला ( तुलसीदास ) का पालन पोषण कर रही थी और जब रामबोला ( तुलसीदास ) साढ़े पाँच वर्ष के हुए तो चुनिया दासी भी चल बसी। अब रामबोला ( तुलसीदास ) अनाथों की तरह जीवन जीने के लिए विवश हो गया। तुलसीदास के गुरु नर हरिदास को बहुचर्चित रामबोला का नाम बदलकर तुलसी राम रखा और उसे अयोध्या उत्तर प्रदेश ले आए। तुलसी राम जी ने संस्कार के...

तुलसीदास

तुलसीदास काँच मन्दिर, तुलसी पीठ (चित्रकूट) में प्रतिष्ठित गोस्वामी तुलसीदास की प्रतिमा जन्म रामबोला 1511 ई० (सम्वत्- 1568 वि०) मृत्यु 1623 ई० (संवत 1680 वि०) गुरु/शिक्षक नरहरिदास खिताब/सम्मान गोस्वामी, अभिनववाल्मीकि, इत्यादि साहित्यिक कार्य रामचरितमानस, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, हनुमान चालीसा, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, इत्यादि कथन सीयराममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी ॥ (रामचरितमानस १.८.२) धर्म हिन्दू दर्शन अनुक्रम • 1 जन्म • 2 बचपन • 3 भगवान श्री राम जी से भेंट • 4 संस्कृत में पद्य-रचना • 5 रामचरितमानस की रचना • 6 मृत्यु • 7 तुलसी-स्तवन • 8 रचनाएँ • 8.1 कुछ ग्रंथों का संक्षिप्त विवरण • 8.1.1 रामललानहछू • 8.1.2 वैराग्य संदीपनी • 8.1.3 बरवै रामायण • 8.1.4 पार्वती-मंगल • 8.1.5 जानकी-मंगल • 8.1.6 रामाज्ञा प्रश्न • 8.1.7 दोहावली • 8.1.8 कवितावली • 8.1.9 गीतावली • 8.1.10 श्रीकृष्ण गीतावली • 8.1.11 हनुमानबाहुक • 9 इन्हें भी देखें • 10 बाहरी कड़ियाँ • 11 सन्दर्भ जन्म गोस्वामी तुलसीदास का जन्मस्थान विवादित है। अधिकांश विद्वानों व राजकीय साक्ष्यों के अनुसार इनका जन्म बचपन भगवान की प्रेरणा से शूकरक्षेत्र में रहकर पाठशाला चलाने वाले गुरु नृसिंह चौधरी ने इस रामबोला के नाम से बहुचर्चित हो चुके इस बालक को ढूँढ निकाला और विधिवत उसका नाम तुलसीदास रखा भगवान श्री राम जी से भेंट कुछ काल राजापुर रहने के बाद वे पुन: काशी चले गये और वहाँ की जनता को राम-कथा सुनाने लगे। कथा के दौरान उन्हें एक दिन मनुष्य के वेष में एक प्रेत मिला, जिसने उन्हें चित्रकूट पहुँच कर उन्होंने रामघाट पर अपना आसन जमाया। एक दिन वे प्रदक्षिणा करने निकले ही थे कि यकायक मार्ग में उन्हें श्रीराम...

Goswami Tulsidas ke Dohe In Hindi: गोस्वामी तुलसीदास के दोहे और चौपाई।

संत तुलसीदास जी महान संत और कवि के साथ ही भगवान राम के परम भक्त के रूप में भी जाने जाते हैं। तुलसीदास जी ने ना सिर्फ अपनी रचनाओं से बल्कि अपने जीवन से भी लोगो को प्रेरित करने का काम किया हैं। ऐसे में आज के इस पोस्ट Tulsidas In Hindi के माध्यम से हम आपको ना सिर्फ उनके जीवन के बारे में बताने वाले हैं बल्कि उनके द्वारा बताए गए जीवन के कुछ मूल को भी कोट्स के जरिये समझने की कोशिश करेंगे। इस क्रम में आइये सबसे पहले जान लेते हैं तुलसीदास जी के जीवन के बारे में:- “दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोडिये जब तक घट में प्राण।” पूरा नाम जन्म गोस्वामी तुलसीदास सन 1532 (संवत – 1589 ) राजापुर, उत्तर प्रदेश मृत्यु पिता सन 1623 (संवत – 1660) काशी आत्माराम दुबे माता पत्नी हुलसी रात्रावली कार्यक्षेत्र कर्मभूमि कवि, समाज सुधारक बनारस गुरु धर्म आचार्य रामानंद हिन्दू धर्म काल विधा भक्ति काल कविता, दोहा, चौपाई विषय प्रमुख रचनाये सगुण भक्ति रामचरितमानस, दोहावली, कवितावली, गीतावली, हनुमान चालीसा तुलसीदास जी का जीवन –Tulsidas Biography in Hindi रामचरितमानस के रचयिता संत तुलसीदास के जन्म और प्रारंभिक जीवन को लेकर अभी भी काफी मतभेद है। कोई उनके जन्म वर्ष को 1511 बताता है तो कोई 1554। वहीं बहुत से लोगों का मानना है कि तुलसीदास जी का जन्म 1579 ईसवीं में हुआ था। वैसे अधिकतर मान्यता यही है कि तुलसीदास जी का जन्म 1554 ईसवी में ही हुआ था। तुलसीदास जी की माता का नाम हुलसी और पिता का नाम आत्माराम दुबे था। उनका जन्म राजापुर (चित्रकूट) में हुआ था। विलक्षण प्रतिभा के धनी तुलसीदास जी का बचपन भी काफी विलक्षण था। कहा जाता है कि वो अपनी माँ के गर्भ में और 12 महीने तक रहे थे। साथ ही जन्म के समय से ही उ...

तुलसीदास का जीवन परिचय

Table of Contents • • • • • • • • तुलसीदास की जीवनी: पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास जन्म सन 1532 (संवत-1589) जन्म भूमि राजापुर,उत्तर प्रदेश मृत्यु सन 1623 (संवत- 1680) मृत्यु स्थान काशी अभिभावक आत्माराम दुबे और हुलसी पति/पत्नी रत्नावली कर्म भूमि कर्म-क्षेत्र कवि, समाज सुधारक मुख्य रचनाएँ रामचरितमानस,दोहावली,कवितावली,गीतावली,विनय पत्रिका,हनुमान चालीसाआदि विषय सगुण भक्ति भाषा अवधी,हिन्दी नागरिकता भारतीय संबंधित लेख तुलसीदास जयंती गुरु आचार्य रामानन्द अन्य जानकारी तुलसीदास जी कोमहर्षि वाल्मीकिका भी अवतार माना जाता है जो मूल आदिकाव्यरामायणके रचयिता थे। तुलसीदास का जीवन-परिचय: तुलसीदास का जन्म श्रावण मास के सातवें दिन में चमकदार अर्ध चन्द्रमा के समय पर हुआ था। उत्तर प्रदेश के यमुना नदी के किनारे राजापुर (चित्रकुट) को तुलसीदास का जन्म स्थान माना जाता है। इनके माता-पिता का नाम हुलसी और आत्माराम दुबे है। तुलसीदास के जन्म दिवस को लेकर जीवनी लेखकों के बीच कई विचार है। इनमें से कई का विचार था कि इनका जन्म विक्रम संवत के अनुसार वर्ष 1554 में हुआ था लेकिन कुछ का मानना है कि तुलसीदास का जन्म वर्ष 1532 हुआ था। उन्होंने 126 साल तक अपना जीवन बिताया। एक कहावत के अनुसार जहाँ किसी बच्चे का जन्म 9 महीने में हो जाता है वहीं तुलसीदास ने 12 महीने तक माँ के गर्भ में रहे। उनके पास जन्म से ही 32 दाँत थे और वो किसी पाँच साल के बच्चे की तरह दिखाई दे रहे थे। ये भी माना जाता है कि उनके जन्म के बाद वो रोने के बजाय राम-राम बोल रहे थे। इसी वजह से उनक नाम रामबोला पड़ गया। इस बात को उन्होंने विनयपत्रिका में भी बताया है। इनके जन्म के चौथे दिन इनके पिता की मृत्यु हो गयी थी। अपने माता पिता के निधन के बाद अपने एकाकी...

तुलसीदास का जीवन परिचय

गोस्वामी तुलसीदास (1511 – 1623) हिंदी साहित्य के महान कवि थे। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वाँ स्थान दिया गया। तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के महान तुलसीदास जी का जन्म 1511 ई. में हुआ था। इनके जन्म स्थान के बारे में काफी मतभेद है, परन्तु अधिकांश विद्वानों के अनुसार इनका जन्म राजापुर, चित्रकूट जिला, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके बचपन का नाम रामबोला था और इनके पिता जी का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। तुलसी दास के गुरु का नाम नर हरिदास था।अक्सर लोग अपनी मां की कोख में 9 महीने रहते हैं लेकिन तुलसी दास जी अपने मां के कोख में 12 महीने तक रहे और जब इनका जन्म हुआ तो इनके दाँत निकल चुके थे और उन्होंने जन्म लेने के साथ ही राम नाम का उच्चारण किया जिससे इनका नाम बचपन में ही रामबोला पड़ गया। जन्म के अगले दिन ही उनकी माता का निधन हो गया। इनके पिता ने किसी और दुर्घटनाओं से बचने के लिए इनको चुनिया नामक एक दासी को सौंप दिया और स्वयं सन्यास धारण कर लिए। चुनिया रामबोला ( तुलसीदास ) का पालन पोषण कर रही थी और जब रामबोला ( तुलसीदास ) साढ़े पाँच वर्ष के हुए तो चुनिया दासी भी चल बसी। अब रामबोला ( तुलसीदास ) अनाथों की तरह जीवन जीने के लिए विवश हो गया। तुलसीदास के गुरु नर हरिदास को बहुचर्चित रामबोला का नाम बदलकर तुलसी राम रखा और उसे अयोध्या उत्तर प्रदेश ले आए। तुलसी राम जी ने संस्कार के...

कवि गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय

। ऐसे विचित्र बालक का जन्म सुनकर पड़ोस के लोग इकट्ठे हो गए। ज्योतिषी बुलाए गए और भी विद्वान् लोगों से सलाह-मशवरा किया गया । अंत में सबकी राय हुई कि यह बालक जिंदा नहीं बचेगा। यदि यह बच गया, तो बहुत बड़ा आदमी बनेगा, समाज को एक नया रास्ता दिखाएगा और स्वयं भगवान् का परम भक्त होगा; लेकिन यह परिवार के अन्य सदस्यों की मौत का कारण भी बन सकता है। कुछ लोगों ने यह भी सलाह दी कि कोई और कदम उठाने से पहले तीन दिन तक इंतजार किया जाए। यदि बालक जीवित रहता है तो बाद में उसके वैदिक संस्कार किए जा सकते हैं । थे बुद्धि के तेज तुलसी बड़े गुरुभक्त थे । वह अपने गुरु की सेवा में बड़ी लगन से लगे रहते । वह गुरु के मुख से एक बार जो कुछ सुनते, वह उन्हें सहज ही याद हो जाता। कुछ दिन बाद तुलसीदास गुरु के साथ सोरों पहुँचे। वहाँ गुरु ने उन्हें अयोध्या के राजा राम की कहानी सुनाई। बालक तुलसीदास को राम की कथा पूरी तरह समझ में नहीं आई। यह बात तुलसीदास ने अपने ‘रामचरितमानस’ में स्वयं ही स्वीकार की है । इन शब्दों ने वह काम किया, जो दुनिया भर के उपदेश भी नहीं कर पाते। इन शब्दों ने एक क्षण में तुलसीदास के जीवन की दिशा ही बदल दी। अब उनके हृदय में रत्नावली की जगह राम की मूर्ति विराजमान हो चुकी थी । एक क्षण भी रुके बिना वह वहाँ से चलकर सीधे प्रयाग पहुँचे। वहाँ उन्होंने साधुवेश धारण कर लिया। फिर साधुओं की जमात में शामिल होकर काशी पहुँचे। काशी में तुलसीदास ने रामकथा कहना शुरू कर दिया। वहीं उन्हें चित्रकूट जाने की प्रेरणा मिली। तुलसी की एक ही साधना, एक ही लालसा और एक ही टेक थी – राम का दर्शन । तुलसी को राम का दर्शन हुआ या नहीं – यह विवाद का विषय हो सकता है, किंतु उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं एवं रचनाओं में उनकी आत्माभिव्य...