Tv ke lakshan in hindi

  1. वैरीकोसेल के लक्षण, कारण, जाँच, इलाज, उपचार और परहेज
  2. एड्स के सामान्य लक्षण और AIDS के शुरुआती लक्षणों में फर्क समझिए
  3. कैंसर के लक्षण और बचाव । cancer ke lakshan in hindi
  4. डेंगू: कारण, लक्षण, निदान और उपचार
  5. Tb ke lakshan
  6. एनीमिया (खून की कमी) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज
  7. अपेंडिक्स के कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपाय


Download: Tv ke lakshan in hindi
Size: 19.51 MB

वैरीकोसेल के लक्षण, कारण, जाँच, इलाज, उपचार और परहेज

भारत में प्रति वर्ष 10 मिलियन (1 करोड़) से अधिक व्यक्ति वैरीकोसेल से पीड़ित होते हैं। इसे वृषण-शिरापस्फीति के रूप में भी जाना जाता है। हालाँकि वैरीकोसेल की बीमारी से सम्बंधित कुछ मामलों में किसी भी प्रकार के लक्षण प्रगट नहीं होते हैं, लेकिन यह समस्या कम शुक्राणु उत्पादन और शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी का कारण बन सकती है, जिससे बांझपन की समस्या उत्पन्न होती है। यदि वैरीकोसेल रोग, लक्षणों को उत्पन्न नहीं करता है, तो इस स्थिति में उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन यदि लक्षण उत्पन्न होते हैं, तो उपचार के दौरान शल्य चिकित्सा का उपयोग किया जा सकता है। यह कई वर्षों तक रह सकता है या आजीवन समस्या के रूप में उत्पन्न हो सकता है। इस लेख में आप जानेगें वैरीकोसेल क्या है, इसके कारण, लक्षण, जांच और उपचार के साथ वैरीकोसेल को दूर करने वाले घरेलू उपाय के बारे में। • • • • • • • • • • • • वैरीकोसेल से जुड़े फैक्ट – Varicocele Facts in Hindi • वैरीकोसेल की समस्या वैरिकाज़ नसों के समान है, लेकिन यह स्थिति पुरुषों के वृषण क्षेत्र (testicular area) को प्रभावित करती है। • आमतौर पर 15 से 25 वर्ष की आयु के बीच के 15 प्रतिशत पुरुषों को प्रभावित करती है। • इसके सटीक कारण अज्ञात है। • वैरीकोसेल आमतौर पर गंभीर नहीं होता है, लेकिन कुछ जटिलताओं का कारण बन सकता है। वैरीकोसेल क्या है – What is Varicocele in Hindi वैरीकोसेल अंडकोष की थैली के अन्दर की नसों से सम्बंधित एक बीमारी है, जिसमें अंडकोष (scrotum) के भीतर नसों में विस्तार होता है। चूँकि अंडकोश की थैली (scrotum) में धमनियां और शिराएं उपस्थित होती हैं, जो प्रजनन ग्रंथियों तक रक्त पहुंचाने का कार्य करती हैं। वैरीकोसेल एक प्रकार से पैम्पिनिफॉर्म प्लेक्स...

एड्स के सामान्य लक्षण और AIDS के शुरुआती लक्षणों में फर्क समझिए

आप तो जानते होंगे कि एड्स का संपूर्ण इलाज मौजूदा समय में उपलब्ध नहीं है। आपने कई स्लोगनों में पढ़ा होगा कि एड्स की जानकारी ही बचाव है। एड्स रोग के लक्षणों का पहले ही पता लगा लिया जाए तो इस बीमारी से लड़ा जा सकता है। कभी-कभी जाने अनजाने में हम सभी से ग़लतियाँ हो जाती हैंं। पर इस बीमारी के लक्षणों का अगर सही ज्ञान हो तो इसे जल्दी पता किया जा सकता है। 5 Conclusion Point एड्स के सामान्य लक्षणों को पहले जान लीजिए किसी को पहले से पता नहीं होता है कि वह एचआईवी से संक्रमित हैं। हम भारतीयों को जब बीमारी के लक्षण दिखने शुरू हो जाता है। तभी हम डॉक्टरों से सलाह-मशवरा करते हैं। ज्यादातर लोग एचआईवी से संक्रमित होने पर तुरंत नहीं जान पाते हैं। लेकिन थोड़े समय बाद, जब उनमें लक्षण उत्पन्न होना शुरू होता है, तभी वह जान पाता है। एड्स रोग के लक्षणों में शामिल है हर समय थके होना, लिम्फ नोड्स सूजन, बुख़ारी, रात को पसीना और वजन घटाना आदि एड्स के लछण हो सकते हैं। पुरुषों और महिलाओं में एड्स के सामान्य लक्षणों शामिल है • बुखार • हर समय थकान • ध्यान केंद्रित नहीं कर पाना • सरदर्द • शक्ति की कमी • त्वचा के लाल चकत्ते (rash) • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द • गले में खराश • वजन घटना (एनोरेक्सिया) • जी मिच-लाना, उल्टी • मौखिक अल्सर • जननांग में अल्सर • रात को पसीना • लगातार खांसी • गर्दन और ग्रोइन में लिम्फ नोड्स बढ़ाया • लगातार दस्त. एड्स के शुरुआती लक्षणों को जानिए एड्स के शुरुआती लक्षणों को जान कर फायदा उठाया जा सकता है क्योंकि HIV वायरस की संख्या उस समय काफी कम होती है और हमारा इम्यूनिटी सिस्टम इतना कमजोर नहीं हुआ होता है। एचआईवी वायरस का संक्रमण 2 से 6 हफ्तों के बीच में होता है जिसमें शुरुआती लक्...

कैंसर के लक्षण और बचाव । cancer ke lakshan in hindi

Cancer ke lakshan in hindi. आज की आधुनिक जीवन शैली में कैंसर इस रोग से सभी परिचित हैं । कैंसर कोशिकाएं असाधारण रूप में बढ़ने लगती है । यह कोशिकाएं बढ़कर टयूमर का रूप लेती है । जो साधारण रूप से बढ़ी हुई चर्बी की गांठ होती है । किसी ना किसी को कैंसर हुआ है । या कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को अपने आसपास या पहचान में रिश्तेदारों में हुआ है ऐसा सुन लेते हैं । कैंसर एक घातक बीमारी है जिनका कोई इलाज नहीं है मगर कुछ खानपान का परहेज रखकर सामान्य जीवन जिया जा सकता है । WHO के मुताबिक दुनिया भर में प्रतिवर्ष दस मिलियन कैंसर के मरीज सामने आते है । भारत में दस में से एक व्यक्ति कैंसर का शिकार होने की तरफ जा रहा होता है । कैंसर होने के कई कारण हो सकते है । विटामिन 17 की कमी का एक कारण माना जा रहा है । मगर वैज्ञानिकों ने अभी तक इनकी पुष्टि नहीं की है इस शोध जारी है । कैंसर एक असाधारण रोग है जिनका कोई इलाज न होने के कारण इनके शुरुआती लक्षणों ( Cancer ke lakshan ) को पहचान कर बचा जा सकता है तो चलिए जानते है कैंसर के लक्षण और उपाय ( cancer ke lakshan our upay ) के बारे में – Also read ◆ ◆ Table of Contents • • • • • • • • • • • कैंसर क्या हैं | What is cancer ? – मानव शरीर कोशिकाओं का जाल से बना हुआ है । यह कोशिकाए नियंत्रित रूप से शरीर में बढ़ती है और विभाजित होती है । जब पुरानी कोशिकाएं मर जाती है । तब उनकी जगह नई कोशिकाएं लेती है । जो स्वस्थ होती है । जो तंत्र प्रणाली के अनुसार चलती है । सामान्य कोशिका का स्वरूप जो हमारे शरीर में चलता है । शरीर में कैंसर कोशिकाओं का निर्माण होता है । वह असामान्य रूप से बढ़ने लगता है । तब वह कोशिकाओं के तंत्रप्रणाली या नियमों का पालन नहीं करती । तब कोशिकाओं म...

डेंगू: कारण, लक्षण, निदान और उपचार

डेंगू: कारण, लक्षण, निदान और उपचार सीडीसी के अनुशार, हर साल 40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं। लगभग 100 मिलियन लोग संक्रमण से बीमार हो जाते हैं, और 22,000 लोग गंभीर डेंगू से मर जाते हैं। डेंगू क्या है | De ngue in Hindi डेंगू एक वायरल बिमारी है जो एक खास प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलती है। डेंगू वायरस मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी प्रजाति के मादा मच्छरों द्वारा फैलता है और कुछ हद तक एई अल्बोपिक्टस से भी। ये मच्छर चिकनगुनिया, येलो फीवर और जीका वायरस के भी वाहक हैं। डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है क्योकिं इसमे हड्डी टूटने जैसा दर्द होता है और कई दिनो तक रहता है। कम फीसदी मे डेंगू बुखार वाले लोगों को डेंगू रक्तस्रावी बुखार (dengue hemorrhagic fever) नामक बीमारी का एक अधिक गंभीर रूप विकसित कर सकता है। सीडीसी के मुताबिक, डेंगू दुनिया भर के 100 से अधिक देशों में समान्य है। दुनिया की चालीस प्रतिशत आबादी, लगभग 3 अरब लोग, डेंगू के जोखिम वाले क्षेत्रों में रहते हैं। जोखिम वाले क्षेत्रों में डेंगू अक्सर बीमारी का एक प्रमुख कारण होता है। गंभीर डेंगू कुछ एशियाई और लैटिन अमेरिकी देशों में गंभीर बीमारी और मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। इसके लिए चिकित्सा पेशेवरों द्वारा प्रबंधन की ज़रूरत होती है। डेंगू/गंभीर डेंगू के लिए कोई खास इलाज नहीं है। गंभीर डेंगू से जुड़े रोग की प्रगति का जल्दी पता लगाना, और सही चिकित्सा देखभाल तक पहुंच गंभीर डेंगू की मृत्यु दर को 1 फीसदी से कम कर देती है। डब्लूएचओ के अनुशार , विश्व स्तर पर अब तक दर्ज किए गए डेंगू के मामलों की सबसे ज्यादा संख्या 2019 में थी। डेंगू होने का कारण | Dengue Fever Causes in Hindi डेंगू पैदा करने के लिए जिम्मेदार वायरस को डेंगू वाय...

Tb ke lakshan

4-खाने में भूख कम लगती है और कमजोरी बढ़ती ही जा रही है, 5-रात को सोने पर पसीना बहुत ज्यादा आता है, टी.बी के फलने के कारण ठीक भोजन न करना, और बहुत ही कम जगह में काफी लोगो का एक साथ रहना, और साथ ही कच्चा दूध पीना. जो लोग कपडे की मिल में काम करते है उन लोगो को ज्यादा खतरा होता है इस बीमारी का, क्योकि उनका संपर्क कपडे के रेसो में अधिकतर होता है. मदिरा पान , धूम्रपान, और मांस के सेवन करना, और किसी व्यक्ति को अगर ये बीमारी है तो उससे उचित दूरी बनाये रखना, किसी दूसरे व्यक्ति के खून देना अगर वो इस बीमारी से घृस्त है, टी.बी का इलाज अगर ज्यादा हफ्ते तक लगातार खाँसी है तो अपनी जाच जरूर करए और जैसी दवाई की मात्रा बताई गयी है उसी के अनुसार ही ले, और जिसे भी यह बीमारी है उससे दूरी और अगर खुद को ही यह बीमारी है तो आप खासते वक़्त रुमाल का जरूर ध्यान रखे और इसका प्रयोग करे. 1-अपने खाने में लहसुन का प्रयोग करे, लहसुन में सल्फ्यूरिक एसिड होता है जिससे टी.बी के कीटाणु को मारने में बहुत ही अच्छा होता है, और इस बीमारी के खतरे को भी कम करता है, 2-केले के प्रयोग से भी आप इस बीमारी से लड़ने में काफी मदद मिलती है और यह बूख और खाँसी में लाभदायक होता है, 3-टी.बी होने के दौरान आप काली मिर्च का प्रयोग करे इससे आपको साइन में होने वाले दर्द में काफी राहत मिलती है, और इस बीमारी के कीटाणु मारने में भी सहायक होती है, 4-अखरोट का इस्तमाल करने पर आप को बहुत फायदा होता है और जिन लोगो को टी.बी है उनको इस बीमारी में लड़ने में काफी मदद करता है, 5- tb ke lakshan, tb ka ilaj,पुदीना का भी आप बहुत अच्छी तरह प्रयोग कर सकते है और यह टी.बी की बीमारी में काफी अच्छा होता है, और इसमे ऐसे गुण पाए जाते है जो टी.बी की बीमारी में अ...

एनीमिया (खून की कमी) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

खराब खानपान और हमारी लापरवाही के कारण हमें कई बार शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं, समय पर इलाज न करवाया जाए, तो ये शारीरिक समस्याएं गंभीर रूप भी धारण कर सकती हैं और इसमें एक नाम एनीमिया का भी है। इसे शरीर में खून की कमी भी कहते हैं। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम आपको एनीमिया के बारे में विस्तार बताएंगे। साथ ही एनीमिया के लक्षण, कारण और एनीमिया के लिए घरेलू उपाय से जुड़ी जानकारी भी देंगे। पूरी जानकारी के लिए आर्टिकल को अंत तक पढ़ें। विषय सूची • • • • • • • • • • एनीमिया (खून की कमी) क्या है – What is Anemia in Hindi एनीमिया एक चिकित्सकीय स्थिति है, जिसमें हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से नीचे चला जाता है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद आयरन युक्त प्रोटीन है, जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने का काम करता है। हीमोग्लोबिन कम होने के कारण शरीर में आयरन की कमी का होना है ( एनीमिया क्या है, यह जानने के बाद नीचे जानिए एनीमिया के प्रकार। एनीमिया के प्रकार – Types of Anemia in Hindi एनीमिया कई रूपों में प्रभावित कर सकता है, जो इस प्रकार हैं : • आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया : आयरन की कमी वाला एनीमिया, एनीमिया का सबसे आम प्रकार है। शरीर में हीमोग्लोबिन का उत्पादन करने के लिए आयरन की आवश्यकता होती है। आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया में पीड़ित को थकान और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है ( • विटामिन-बी12 की कमी से एनीमिया : आयरन की तरह, हीमोग्लोबिन के उचित और पर्याप्त उत्पादन के लिए भी विटामिन-बी12 की आवश्यकता होती है। अधिकांश पशु उत्पाद विटामिन-बी12 से समृद्ध होते हैं, लेकिन अगर कोई शाकाहारी है, तो विटामिन-बी12 की कमी हो सकती है। इससे शरीर में हीमोग्लोबिन का उ...

अपेंडिक्स के कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपाय

इस बात को तो आप भी मानेंगे कि पेट अच्छा, तो पूरा दिन भी अच्छा। वहीं, अगर पेट में कुछ गड़बड़ हो, तो दिनभर मूड अजीब-सा रहता है और किसी काम में मन भी नहीं लगता। अब जब बात पेट की हो रही हो, तो अपेंडिक्स का जिक्र करना भी बनता है। यह हमारी आंत का छोटा-सा हिस्सा होता है। अपेंडिक्स में दर्द या सूजन होने पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख हम अपेंडिक्स के बारे में ही बात करेंगे। इस लेख में हम कुछ ऐसे घरेलू उपचार बता रहे हैं, जो अपेंडिक्स से बचाए रखने में मदद कर सकते हैं। वहीं, अपेंडिक्स की अवस्था में उसके लक्षणों को कुछ हद तक कम कर सकते हैं और मेडिकल ट्रीटमेंट के असर को बढ़ा सकते हैं। इस लेख में हम अपेंडिक्स क्या होता है और अपेंडिक्स के लक्षण के साथ ही अपेंडिक्स का इलाज कैसे करें, इस संबंध में विस्तार से बताया जा रहा है। विषय सूची • • • • • • • • अपेंडिक्स क्या है? – What is Appendix in Hindi अपेंडिसाइटिस, अपेंडिक्स से जुड़ी समस्या होती है। ऐसा अपेंडिक्स में सूजन या संक्रमण के कारण होता है। अपेंडिक्स बड़ी आंत से जुड़ी एक तरह की छोटी थैली होती है। यह पेट के निचले दाहिने भाग में होती है। अगर किसी को अपेंडिसाइटिस हो जाए, तो उसका समय रहते इलाज कर लेना चाहिए। अगर इलाज नहीं किया गया, तो इससे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ये समस्याएं तब होती है, जब अपेंडिक्स में किसी प्रकार की रुकावट उत्पन्न हो जाती है। अपेंडिक्स में रुकावट के कारण उसके अंदर बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जो दर्द का कारण भी बन सकते हैं ( लेख के अगले भाग में हम बता रहे हैं कि अपेंडिक्स कितने प्रकार के हो सकते हैं। अपेंडिक्स के प्रकार – Types of Appendix in Hindi अपेंडिक्स के मुख्य रू...