Typhoid me kya nahi khana chahiye

  1. Typhoid Diet chart in Hindi
  2. Typhoid: Symptoms, treatment, causes, and prevention
  3. टाइफाइड में क्या खाना और क्या नहीं खाना चाहिए
  4. प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या नहीं खाना चाहिए
  5. बवासीर के मरीजों के लिए डाइट चार्ट (Diet chart for piles treatment in Hindi)
  6. बवासीर के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज
  7. टाइफाइड बुखार के लक्षण, कारण, निदान, इलाज और घरेलू उपचार
  8. खाना खाने के कितनी देर बाद पानी पीना चाहिए
  9. आज का हेल्थ टिप्स:हाई ब्लड प्रेशर में भूलकर भी न करें इन चीजों का सेवन, बढ़ सकती है समस्या
  10. बवासीर के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज


Download: Typhoid me kya nahi khana chahiye
Size: 25.53 MB

Typhoid Diet chart in Hindi

क्या आप जानते हैं कि दूषित भोजन या दूषित पानी पीने से आप टाइफॉयड बुखार के शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा टाइफॉयड बुखार होने का एक और कारण होता है- वह है एक बैक्टीरिया। बैक्टीरिया जिसके कारण टाइफॉयड बुखार होता है उसे साल्मोनेला टाइफी के नाम से जाना जाता है। क्यूँकि टाइफॉयड बुखार होने का कारण दूषित भोजन होता है इस कारण जरूरी है की इस दौरान क्या खाएं और क्या न खाएं इस बात का विशेष ध्यान (Typhoid Diet chart in Hindi) रखें। इस लेख में पहले हम टाइफॉयड बुखार के बारे में और इसके लक्षणों, कारणों के बारे में जानेगें और उसके बाद टाइफॉयड बुखार में क्या डाइट लें इस पर चर्चा करेंगे। टाइफॉयड एक इंटेस्टाइनल विकार है, इसलिए इसमें खाने की गुणवत्ता (Typhoid diet in Hindi) का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। इसलिए टाइफॉयड से पीड़ित होने पर, नियमित अंतराल पर थोड़ी मात्रा में भोजन लेते रहना चाहिए जिससे आपके शरीर की ताकत और ऊर्जा बनी रहे। लेकिन आपको खाने वाले भोजन के प्रकार की भी अच्छे से जांच करनी चाहिए। आम तौर पर लोग ब्लेंड भोजन खाना पसंद करते हैं, क्योंकि यह आरामदायक और पचाने में आसान होता है। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ टाइफॉयड के रोगी की डाइट का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, उसे अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। इसके अलावा टाइफॉयड बुखार में क्या खाना चाहिए (typhoid fever treatment and food in hindi) यह निचे दिया गया है। टाइफॉयड बुखार के लिए एक पूर्ण (diet for typhoid patient in hindi) और सेहतमंद डाइट वह है जिसमे छोटे छोटे और हल्का भोजन शामिल हो। इस डाइट में ऐसा भोजन शामिल होना चाहिए जो प्रोटीन से युक्त हो, सॉफ्ट और ब्लेंड हो, आसानी से पचाने योग्य, और जिसमे फाइबर और फैट कम मात्रा में हो। इसके अला...

Typhoid: Symptoms, treatment, causes, and prevention

Share on Pinterest Universal History Archive/Smith Collection/Gado/Getty Images A person typically contracts typhoid through contaminated food and drinking water. It may also pass from person to person by carriers who do not know they carry the bacteria. Typhoid is more prevalent in places with less efficient sanitation and hygiene. The Centers for Disease Control and Prevention (CDC) estimate that there are around Globally, 11–20 million people per year contract typhoid. Here are some key points about typhoid. More detail is in the main article. • Untreated, typhoid is fatal in around • Symptoms include a high • Some people carry the bacteria without developing symptoms. • Most cases reported in the U.S. are contracted overseas. • The only treatment for typhoid is Typhoid is an infection caused by the bacterium S. typhi. The bacterium lives in the intestines and bloodstream of humans. It spreads between individuals through direct contact with the feces of a person with an infection. No animals carry this disease, so transmission is always from human to human. S. typhi enters through the mouth and spends From the bloodstream, it spreads into other tissues and organs. The immune system of the host can do little to fight back, because S. typhi can live within the host’s cells, safe from the immune system. Doctors diagnose typhoid by detecting the presence of S. typhi via blood, stool, urine, or Symptoms typically begin 1–3 weeks after exposure to the bacteria. The two main s...

टाइफाइड में क्या खाना और क्या नहीं खाना चाहिए

आइए इस लेख के माध्यम से हम टाइफाइड में क्या नहीं खाना चाहिए इस बारे में जानकारी प्राप्त करें ताकि इस विषय में अपनी जानकारी बढ़ा सकें. कैसी होता है टाइफाइड? - टाइफाइड साल्मोनेला टाइफीमुरियम संक्रमित व्यक्ति के मल के साथ सीधे संपर्क से लोगों के बीच फैलता है. कोई भी जानवर इस बीमारी का वाहक नहीं होता है, इसलिए टायफाइड हमेशा व्यक्ति से व्यक्ति में फैलता है. अगर टाइफाइड का इलाज नहीं किया जाता है, तो इस बीमारी से लगभग 4 में से 1 मामले में परिनाम मृत्यु पर समाप्त होती है. फिर भी अगर सही समय पर इलाज किया जाता है, तो मृत्यु दर 4 प्रतिशत से कम है. एक बार बैक्टीरिया मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, तो यह एसटीफी बैक्टीरिया होस्ट की आंत में 1-3 सप्ताह तक रहता है. इसके बाद यह धीरे-धीरे संक्रमित रोगी के रक्त प्रवाह में अपना रास्ता बना देता है. इसके बाद यह मेजबान के अन्य टिश्यू और अंगों में फैलता है. रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली शायद एसटीफी बैक्टीरिया से लड़ सकती है, क्योंकि यह रोगी की कोशिकाओं के भीतर रहती है, मेजबान की प्रतिरक्षा प्रणाली से दूर हो जाती है. • फाइबर से प्रचुर पदार्थ, जैसे- साबुत अनाज और उससे बने उत्पाद, साबुत दाल का सेवन करने से बचें. • केला और पपीता के अलावा सभी कच्ची सब्जियां और फल का सेवन करने से करें. • इसके अलावा आपको तले हुए भोजन से भी परहेज करना चाहिए, जैसे- समोसे, पकोडे, लड्डू और हलवा आदि. • चटकदार और मसाले से परिपूर्ण भोजन जैसे- अचार, चटनी और गेहन स्वाद वाली सब्जियों जैसे गोभी, शलगम, शिमला मिर्च, मूली, प्याज और लहसुन का सेवन ना करें. • तीव्र गंध वाली चीजों से परहेज टाइफ़ाइड से पीड़ित व्यक्ति को तीव्र गंध युक्त खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए. जाहिर है हमारे ...

प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या नहीं खाना चाहिए

प्रेगनेंसी (Pregnancy) एक ऐसा दौर है, जिसमें प्रेगनेंसी पता लगने के पहले दिन से ही हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम क्या खा सकते हैं और क्या नहीं। अक्सर महिलाएं शुरुआत के दिनों में ही कुछ ऐसी गड़बड़ कर देती हैं जिससे उनको बहुत बड़ खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है कि प्रेगनेंसी में के दौरान अच्छा खाना, अच्छा सोचना, अच्छी बाते करना बहुत आवश्यक होता है और पहले महीने में तो खासकर खुद का बहुत ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। एक प्रेगनेंट महिला को यह पता होना चाहिए कि उसे क्या खाना है और क्या नहीं। लेकिन कई बार महिलाओं को इस बारे में जानकारी नहीं होती। इसके लिए आज हम इस लेख के जरिए आपको जानकारी देंगे। गर्म तासीर की चीजों का न करें सेवन (Do not consume hot things) - प्रेगनेंसी के दौरान गर्म चीजों का सेवन करना बिल्कुल ही बंद कर दें। जिस दिन भी आपको पता लगे की आप मां बनने वाली हैं। उसी दिन से आप गर्म तासीर वाले खाने या पीने का सेवन बंद करें। गर्म तासीर की चीजें खाने से मिसकैरेज का खतरा होता है। जिससे ब्लीडिंग शुरू हो सकती है। इसलिए इस बात का खासा ध्यान रखें कि गर्म तासीर वाली चीजों का सेवन भूलकर भी न करें। कच्‍चे अंडे (Raw eggs) - प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में कच्‍चा अंडा या इससे बनी चीजों का सेवन भूलकर भी न करें। क्योंकि इसके सेवन से फूड पॉइजनिंग होने का खतरा होता है। मैयोनीज न खाएं। अंडे का सफेद और पीला हिस्‍सा पकाने के बाद प्रेगनेंट महिलाओं के लिए सुरक्षित होता है। और अधपका अंडा खाने से भी बचे। सहजन (Drumstick) - सहजन खाने में स्वादिष्ट तो लगता ही है, लेकिन सहजन का सेवन प्रेगनेंसी के समय नहीं करना चाहिए। दरअसल इसमें एल्‍फा सिटोस्‍टेरोल ह...

बवासीर के मरीजों के लिए डाइट चार्ट (Diet chart for piles treatment in Hindi)

बवासीर में मरीज के गुदा के अंदर और बाहर सूजन और मस्से हो जाते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रोगी को बहुत अधिक तकलीफ होती है। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि बवासीर के लक्षणों का पता चलते ही रोगी बीमारी का इलाज कराने की कोशिश करता है, और डॉक्टर के बताए अनुसार, दवाओं का सेवन भी करता है, लेकिन इसके बाद भी कई बार बवासीर का पूरा उपचार नहीं हो पाता है। इससे नौबत ऑपरेशन तक पहुंच जाती है। दरअसल बवासीर जैसी बीमारी में रोगी को दवाओं के साथ-साथ अपने खान-पान पर भी बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। इसलिए यहां बवासीर के लिए डाइट चार्ट की जानकारी दी जा रही है। इस जानकारी को अपनाकर आप ना सिर्फ बीमारी की रोकथाम कर पाएंगे बल्कि रोगग्रस्त होने पर जल्द बवासीर का सही से इलाज कर पाएंगे। Contents • 1 बवासीर की बीमारी में क्या खाएं (Your Diet During Piles or Hemorrhoids Disease) • 2 बवासीर की बीमारी में क्या ना खाएं (Food to Avoid in Piles Disease) • 3 बवासीर के इलाज के लिए आपका डाइट प्लान (Diet Plan for Piles or Hemorrhoids Treatment) • 4 बवासीर रोग के इलाज लिए आपकी जीवनशैली (Your Lifestyle for Piles or Hemorrhoids Treatment) • 5 बवासीर रोग में ध्यान रखने वाली बातें (Points to be Remember in Piles or Hemorrhoids Disease) • 6 बवासीर रोग का उपचार करने के लिए योग और आसन (Yoga and Asana for Piles or Hemorrhoids Treatment) बवासीर की बीमारी में क्या खाएं (Your Diet During Piles or Hemorrhoids Disease) बवासीर से पीड़ित होने पर आपका आहार ऐसा होना चाहिएः- • अनाज : गेहूं , जौ , शाली • दाल : मसूर दाल , मूंग , गेहूं , अरहर। • फल एवं सब्जियां : सहजन ( शिग्रु टिण्डा , जायफल , परवल , लहसुन , लौकी , तोरई , क...

बवासीर के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

बवासीर (Piles) को आमतौर पर पाइल्स के रूप में जाना जाता है। यह पुरानी कब्ज़ और टाईट दस्त के कारण होता है। जब गुदा व मलाशय के नीचे के क्षेत्र में मौजूद नसों में सूजन और जलन होती है़ तब यह बवासीर या पाइल्स का रूप ले लेता है। बवासीर होने के कई कारण हैं। सामान्यतः बवासीर के कारणों को जानना संभव नहीं होता है। पाइल्स होने का एक कारण मल त्याग करते समय अधिक जोर लगाना भी है। यही कारण है कि गर्भावस्था के दौरान गुदा की नसों पर दबाव पड़ने के कारण तनाव हो जाता है। यह महिलाओं में बवासीर का कारण बनता है। बवासीर मलाशय के अंदर या गुदा के पास की त्वचा के नीचे हो सकता है। चार में से हर तीसरा वयस्क आज इस परेशान से जूझ रहा है। आमतौर पर बवासीर किसी भी प्रकार के अन्य दुष्प्रभावों के लिए जिम्मेदार नहीं है, लेकिन सही समय पर इलाज नहीं करने पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। बवासीर दर्दनाक हो सकता है। हालांकि इसका डॉक्टरी इलाज संभव है। इसके अलावा घरेलू उपचार और जीवन शैली में बदलाव के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है। ग्रेड 4 हेमोराइड बवासीर की एक गंभीर स्थिति है। यह गुदा के बाहर फैलता है और मैन्युअली इसे वापस अंदर नहीं ढकेला जा सकता है। ग्रेड 4 बवासीर के लिए तत्काल इलाज की आवश्यकता होती है। ये बवासीर प्रोलेप्सेड और स्थायी होते हैं। हालांकि नॉन-सर्जिकल इलाज के जरिए इसकी स्थिति में सुधार कर सकते हैं। आमतौर पर ग्रेड 4 हेमोराइड के लिए सर्जरी की सलाह दी जाती है। जब कोई व्यक्ति बवासीर से पीड़ित होता है तो उसे निम्नलिखित लक्षणों और संकेतों का अनुभव हो सकता है। बवासीर के लक्षण हेमोराइड के प्रकार पर निर्भर करते हैं। एक्सटर्नल बवासीर के लक्षण: • ब्लीडिंग हो सकती है। • गुदा के आसपास सूजन हो सकती है। • इससे दर्द और असु...

टाइफाइड बुखार के लक्षण, कारण, निदान, इलाज और घरेलू उपचार

टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever), बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी है। इसे आंतों का बुखार भी कहते हैं। यह साल्मोनेला एन्टेरिका सेरोटाइप टाइफी बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया खाने और पीने की चीजों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है और हमें बीमार बना देता है। कुछ देशों में यह महामारी बनकर टूटा है। WHO के अनुसार, टाइफाइड का सबसे हालिया प्रकोप 2015 में युगांडा में हुआ था। • टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever) से संक्रमित मरीज के मल के संपर्क में आना। • दूषित पानी व भोजन का सेवन करना। • गंदगी के बीच रहना। • गंदे टॉयलेट का इस्तेमाल करना। • बिना हाथ साफ किए भोजन करना। • लोगों के मल से फर्टिलाइज़्ड कच्ची सब्जियों का सेवन करना। • दूषित दूग्ध उत्पादों का सेवन करना। • साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति के साथ ओरल या एनल सेक्स करना। टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever) पेट से संबंधित बीमारी है। यह मुख्य रूप से साल्मोनेला टाइफिम्यूरियम बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति के मल के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। इसके अलावा यह दूषित जल या भोजन के सेवन से भी होता है। टाइफाइड का बैक्टीरिया आसानी से एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है। इसका सही इलाज न होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। टाइफाइड बुखार (Typhoid fever) का बैक्टीरिया जब एक बार शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो यह आंत में लगभग 1-3 सप्ताह तक रहता है। इसके बाद यह धीरे-धीरे खून में रास्ता बनाते हुए अन्य टिश्यू और अंगों तक फैल जाता है। टाइफाइड रैश में छोटे गुलाबी स्पॉट्स होते हैं जिन्हें 'रोज स्पॉट्स' कहा जाता है। टाइफाइड (Typhoid) के बैक्टीरिया का शरीर में रहना इस बात पर भी निर्भर करता है कि यह आपके शरीर में कैसे पहुंच...

खाना खाने के कितनी देर बाद पानी पीना चाहिए

हड्डियों का ढांचा पहला सबसे बड़ा तंत्र है लेकिन पेट ही सभी बीमारियों का कारण है। अगर आपका पेट ठीक है तो आपको बीमारियाँ परेशान नहीं कर सकती हैं। इसके साथ साथ ये भी ध्यान दें कि जब भी आपको कोई बीमारी होती है तो डॉक्टर सबसे पहले आपके खाने को एकदम हल्का कर देता है। उसकी वजह ये है कि आयुर्वेद के अनुसार, आपके पैर गर्म, पेट नरम और सर ठंडा रहना चाहिए। इनमें से कोई भी स्थिति बिगड़ती है तो आपकी सेहत पर बुरा असर होने लगता है। खाने के बाद पानी पीने से आप इसमें से पेट वाली प्रक्रिया को तोड़ देते हैं जिसकी वजह से आपको नुकसान होता है। खाना खाने के कितनी देर बाद पानी पीना चाहिए खाना खाने के आधे घंटे पहले और खाना खाने के एक घंटे बाद आपको पानी पीना चाहिए। इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं जो आपकी सेहत से जुड़े हुए हैं। अगर आप खाना खाते समय या खाने के तुरंत बाद पानी पी लेते हैं तो आप खुद को नुकसान पहुँचा रहे हैं। आइए आपको बताते हैं कि क्यों खाना खाने के बाद पानी पीना सेहत के लिए हानिकारक है: ये भी पढ़ें: पाचन को प्रभावित करता है जब आप खाना खाते हैं तो वो आपके पेट में जाता है और पेट में से एसिड निकलकर आपके खाने पर अपना काम शुरू करते हैं। इस प्रक्रिया से आपके द्वारा खाए गए खाने को पचाया जा रहा होता है। इस दौरान अगर आप पानी पी लेते हैं तो वो पेट में जाकर इन एसिड्स को कमजोर कर देता है जिसकी वजह से पाचन सही से नहीं हो पाता है। शरीर को मिनरल्स की प्राप्ति नहीं हो पाती है आपके हर खाने में मिनरल्स होते हैं लेकिन अगर आप खाने को पचने ही नहीं देंगे तो उसमें मौजूद मिनरल्स आपके शरीर का हिस्सा कैसे बन पाएंगे। इसलिए ये जरूरी है कि आप अपने शरीर को मिनरल्स प्रदान होने दें। इसकी कमी होने पर आपको डॉक्टर के पास ज...

आज का हेल्थ टिप्स:हाई ब्लड प्रेशर में भूलकर भी न करें इन चीजों का सेवन, बढ़ सकती है समस्या

स्वास्थ्य विशेषज्ञ उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन को शरीर के लिए सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक मानते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हाइपरटेंशन एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो कई अन्य रोगों के खतरे को बढ़ा देती है। हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति में धमनी की दीवारों के खिलाफ रक्त का दबाव काफी बढ़ जाता है, अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रह जाए तो कई तरह के हृदय रोगों का कारण बन सकती है। कई लोगों में वर्षों तक हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण नजर नहीं आते हैं। समय रहते इसका निदान और उपचार आवश्यक होता है, वरना यह कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सभी लोगों को हाई ब्लड प्रेशर से बचाव के उपायों को प्रयोग में लाते रहना चाहिए। आहार संबंधी बदलाव इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक हाई ब्लड प्रेशर में क्या खाना है, इससे ज्यादा क्या नहीं खाना चाहिए, महत्वपूर्ण है। आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में किन चीजों का सेवन स्थिति को बिगाड़ सकती है? सोडियम की मात्रा कम करें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बचे रहने के लिए सभी लोगों को ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जिसमें सोडियम की मात्रा कम हो। भोजन में नमक का इस्तेमाल कम करें। हम में से अधिकांश लोग प्रतिदिन 2,300 मिलीग्राम (करीब दो चम्मच) नमक का सेवन करते हैं, इस बीमारी वाले लोगों को इसकी मात्रा घटाकर 1,500 मिलीग्राम तक कर देनी चाहिए। डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, नमकीन चिप्स, ब्रेड, पिज्जा आदि का सेवन कम करना चाहिए। न पिएं शराब शराब का सेवन हाई ब्लड प्रेशर की समस्याओं को बढ़ा सकता है। दिन में तीन से अधिक ड्रिंक लेने वाले लोगों में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ सकता है। स्वास्...

बवासीर के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

बवासीर (Piles) को आमतौर पर पाइल्स के रूप में जाना जाता है। यह पुरानी कब्ज़ और टाईट दस्त के कारण होता है। जब गुदा व मलाशय के नीचे के क्षेत्र में मौजूद नसों में सूजन और जलन होती है़ तब यह बवासीर या पाइल्स का रूप ले लेता है। बवासीर होने के कई कारण हैं। सामान्यतः बवासीर के कारणों को जानना संभव नहीं होता है। पाइल्स होने का एक कारण मल त्याग करते समय अधिक जोर लगाना भी है। यही कारण है कि गर्भावस्था के दौरान गुदा की नसों पर दबाव पड़ने के कारण तनाव हो जाता है। यह महिलाओं में बवासीर का कारण बनता है। बवासीर मलाशय के अंदर या गुदा के पास की त्वचा के नीचे हो सकता है। चार में से हर तीसरा वयस्क आज इस परेशान से जूझ रहा है। आमतौर पर बवासीर किसी भी प्रकार के अन्य दुष्प्रभावों के लिए जिम्मेदार नहीं है, लेकिन सही समय पर इलाज नहीं करने पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। बवासीर दर्दनाक हो सकता है। हालांकि इसका डॉक्टरी इलाज संभव है। इसके अलावा घरेलू उपचार और जीवन शैली में बदलाव के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है। ग्रेड 4 हेमोराइड बवासीर की एक गंभीर स्थिति है। यह गुदा के बाहर फैलता है और मैन्युअली इसे वापस अंदर नहीं ढकेला जा सकता है। ग्रेड 4 बवासीर के लिए तत्काल इलाज की आवश्यकता होती है। ये बवासीर प्रोलेप्सेड और स्थायी होते हैं। हालांकि नॉन-सर्जिकल इलाज के जरिए इसकी स्थिति में सुधार कर सकते हैं। आमतौर पर ग्रेड 4 हेमोराइड के लिए सर्जरी की सलाह दी जाती है। जब कोई व्यक्ति बवासीर से पीड़ित होता है तो उसे निम्नलिखित लक्षणों और संकेतों का अनुभव हो सकता है। बवासीर के लक्षण हेमोराइड के प्रकार पर निर्भर करते हैं। एक्सटर्नल बवासीर के लक्षण: • ब्लीडिंग हो सकती है। • गुदा के आसपास सूजन हो सकती है। • इससे दर्द और असु...