Upniveshvad kise kahate hain

  1. उपन्यास किसे कहते है? उपन्यास का विकास क्रम
  2. उपनिषद किसे कहते हैं
  3. Upniveshvad Kya Hai: जानिए उपनिवेशवाद से जुडी सभी जानकारी बहुत ही सरल शब्दों में
  4. Upniveshvad Meaning in Hindi
  5. कारक किसे कहते हैं, परिभाषा, भेद, उदहारण


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उपन्यास किसे कहते है? उपन्यास का विकास क्रम

Upanyan arth paribhasha visheshta vikas;उपन्यास शब्द 'उप' उपसर्ग और 'न्यास' पद के योग से बना है। जिसका अर्थ है उप= समीप, न्याय रखना स्थापित रखना (निकट रखी हुई वस्तु)। अर्थात् वह वस्तु या कृति जिसको पढ़कर पाठक को ऐसा लगे कि यह उसी की है, उसी के जीवन की कथा, उसी की भाषा मे कही गई हैं। उपन्यास मानव जीवन की काल्पनिक कथा है। प्रेमचंद के अनुसार "मैं उपन्यास को मानव जीवन का चित्रमात्र समझता हूँ। मानव चरित्र पर प्रकाश डालना और उसके रहस्यों को खोलना ही उपन्यास का मूल तत्व है। बाबू गुलाब के अनुसार," उपन्यास जीवन का चित्र हैं, प्रतिबिंब नहीं। जीवन का प्रतिबिंब कभी पूरा नही हो सकता हैं। मानव-जीवन इतना पेचीदा है कि उसका प्रतिबिंब सामने रखना प्रायः असंभव है। उपन्यासकार जीवन के निकट से निकट आता हैं, किन्तु उसे भी जीवन में बहुत कुछ छोड़ना पड़ता हैं, किन्तु जहाँ वह छोड़ता हैं वहाँ अपनी ओर से जोड़ता भी हैं।" 6. जीवन की समग्रता का चित्र इस प्रकार उपस्थित किया जाता है कि पाठक उसकी अन्तर्वस्तु तथा पात्रों से अपना तादात्मीकरण कर सके। उपन्यास का विकास Upanyas ka vikas;हिन्दी उपन्यास का प्रारंभ 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से ही होता है। हिन्दी उपन्यास का विकास क्रम 1. भारतेंदु युग हिन्दी के भारतेन्दु युगीन मौलिक उपन्यासों पर संस्कृत के कथा साहित्य एवं परवर्ती नाटक साहित्य के साथ ही बंगाल उपन्यासों की छाया पाई जाती है। इस दृष्टिकोण से हिन्दी का प्रथम उपन्यास "परिक्षा गुरू" 1882 माना जाता हैं। भारतेंदु युग मे सामाजिक, ऐतिहासिक, तिलिस्मी, ऐय्यारी, जासूसी तथा रोमानी उपन्यासों की रचना परंपरा का सूत्रपात हुआ। इस युग की प्रमुख अनूदित कृति है बंकिमचन्द्र की "दुर्गेशनंन्दिनी"। 2. द्विवेदी युग 1900 से 19...

उपनिषद किसे कहते हैं

वेदांत भी कहा जाता है। उपनिषद् मुख्यतः ज्ञानमार्गी रचनायें हैं, जिनमें हम वैदिक चिन्तन की चरम परिणति पाते हैं। इनका मुख्य विषय ब्रह्मविद्या का प्रतिपादन है। उपनिषद का शाब्दिक अर्थ है उप = समीप + नि = निष्ठापूर्वक + सद् बैठना।अर्थात् गुरु के निकट निष्ठापूर्वक (रहस्य ज्ञान के लिये) बैठना। इस प्रकार उपनिषद् वह साहित्य है, जिनमें रहस्यात्मक ज्ञान एवं सिद्धांत का संकलन है। उपनिषदों की संख्या के विषय में मतभेद है। मुक्तिकोपनिषद में 108 उपनिषदों का उल्लेख मिलता है। शंकराचार्य ने केवल दस उपनिषदों पर अपना भाष्य लिखा था। वे ही प्राचीनतम तथा प्रमाणिक माने जाते हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं – • ईश, • केन, • कठ, • प्रश्न, • मुण्डक, • माण्डूक्य, • तैत्तिरीय, • ऐतरेय, • छान्दोग्य, • वृहदारण्यक इनके अलावा कौषीतकि, श्वेताश्वर, मैत्रायणी उपनिषद भी प्राचीन हैं। इनका काल भिन्न-भिन्न हैं। इन्हें तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है- • प्रथम वर्ग के उपनिषद-ऐतरेय, तैत्तिरीय, वृहदारण्यक, छान्दोग्य तथा केन हैं। इनकी रचना • द्वितीय वर्ग के उपनिषद-इस वर्ग में कठ, श्वेताश्वतर, ईश, मुण्डक तथा प्रश्न उपनिषद हैं। इनका समय प्रथम वर्ग के बाद किन्तु • तृतीय वर्ग के उपनिषद-इस वर्ग के उपनिषद इन सभी उपनिषदों के अलावा कुछ उपनिषद ऐसे भी हैं, जिनका संबंध YouTube Video उपनिषद पूर्णतया दार्शनिक ग्रंथ हैं, जिनका मुख्य ध्येय ज्ञान की खोज है। ये बहुदेववाद के स्थान पर परब्रह्म की प्रतिष्ठा करते हैं। यज्ञीय कर्मकाण्डों तथा पशुबलि की निन्दा इनमें मिलती है तथा उनके स्थान पर ज्ञानयज्ञ का प्रतिपादन हुआ है। छन्दोग्योपनिषद में सर्व खल्विदं ब्रह्म अर्थात् ब्रह्म ही सब कुछ है कहकर अद्वैतवाद की प्रतिष्ठा की गयी है। सृष्टि का सा...

Upniveshvad Kya Hai: जानिए उपनिवेशवाद से जुडी सभी जानकारी बहुत ही सरल शब्दों में

7 Conclusion: Upniveshvad Kya Hai (उपनिवेशवाद क्या होता है): Upniveshvad एक ऐसी प्रथा है जिसमें कोई एक देश या कोई एक समूह के लोग दूसरे देश या क्षेत्र को अपने अधीन करते हैं और उनका मुख्य उद्देश्य उस देश के संसाधनों और लोगों का शोषण करना होता है। उपनिवेशवादी देशों के जरिए स्थानीय लोगों पर नियंत्रण रखने के लिए सैन्य बलों का भी उपयोग किया जाता है इसके साथ ही वहां के लोगों पर आक्रमण कर अपनी संस्कृति, भाषा और मूल्यों को अपनाने पर जोर दिया जाता है। उपनिवेशवाद की शुरुआत सोलवीं शताब्दी के बीच का समय माना जाता है जब यूरोपीय शक्तियां अफ्रीका, एशिया और अमेरिका अपनी समृद्धि बढ़ाने के लिए उपनिवेशों की स्थापना करके अपना क्षेत्र विस्तार करने लग गए थे। Upniveshvad के प्रभाव से अक्सर आम लोगों की जिंदगी विनाशकारी हो जाती है क्योंकि उन्हें अपनी जमीन, संसाधन और संस्कृतियों से नुकसान का सामना करना पड़ता है इसके साथ ही उन्हें विदेशी शासन और शोषण का भी सामना करना पड़ जाता है। • उपनिवेशवाद के कारण यह देखा गया है कि विदेशी शासन के दौरान कॉलोनी के संसाधन जैसे कि धातु, तेल और खाद्य पदार्थों को बेशुमार नुकसान पहुंचता है। • इसके कारण लोगों को अक्सर उनकी संस्कृति, और भाषा से वंचित कर दिया जाता है। • उपनिवेशवाद से प्रभावित देशों के लोगों का स्वास्थ्य भी अक्सर बहुत ही खराब रहता है क्योंकि उन्हें खाद्य पदार्थ और अन्य आवश्यकता की चीजें अपेक्षाकृत नहीं मिल पाती। • उपनिवेशवाद के दौरान देशों में असंतुलन, उपेक्षा और जातिवाद जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। Upniveshvad Ki Paribhasha: आर्गेंन्सी के अनुसार ” उन सभी क्षेत्रों को हम उपनिवेश कहेंगे जो एक विदेशी सत्ता द्वारा शासित है तथा जिसके निवासियों को पूरे राजनीति...

Upniveshvad Meaning in Hindi

उपनिवेशवाद भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ा एक शब्द है यह एक प्रक्रिया है जिसका सबसे अधिक चलन 15 वीं से 20 वीं शताब्दी के मध्य तक रहा। आइए जानते हैं कि आखिर उपनिवेशवाद होता क्या है। उपनिवेशवाद की परिभाषा के अनुसार एक भौगोलिक क्षेत्र या एक देश के लोगों का दूसरे देश में जाकर एक समूह स्थापित करना या एक विशेष स्थान पर काबिज हो जाना जिससे वे उस नए देश में अपना जीवनयापन कर सकें व व्यापार बढ़ा सकें उपनिवेशवाद कहलाता है इसे उदाहरण सहित समझने का प्रयास करते हैं। उपनिवेशवाद का लाभ सबसे ज्यादा ब्रिटिश लोगों ने उठाया है तो उन्हीं का उदाहरण लेते हैं मान लीजिए कुछ ब्रिटिश व्यक्ति समूह बनाकर किसी दूसरे देश में जाकर अपनी एक कॉलोनी स्थापित कर लेते हैं और धीरे-धीरे वहां अपनी खुद की जमीन खरीद कर खुद का व्यापार शुरू कर देते हैं तो इसे कहा जाएगा उपनिवेशवाद यानी कि उपनिवेश करना। इससे वे धीरे-धीरे उस देश में अपना व्यापार बड़ा कर लेंगे व अपनी भाषा, संस्कृति व शिक्षाओं का प्रसार करना शुरू कर देंगे इस क्रिया को उपनिवेशवाद कहा जाता है। इससे मातृदेश (जहाँ से ब्रिटिश आए हैं) की शक्ति बढ़ती है व उनकी संस्कृति पूरे विश्व में फैलती है। इसके अलावा उपनिवेशवाद कभी-कभी मातृदेश में अपराध कर चुके लोगों के लिए सजा से बचने का एक रास्ता भी बनता है। किसी भी देश में उपनिवेशवाद का विरोध होना स्वाभाविक है क्योंकि इसका उस देश के क्षेत्रीय लोगों की संस्कृति, रक्षा व अधिकारों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

कारक किसे कहते हैं, परिभाषा, भेद, उदहारण

• 1 Karak Kise Kahate Hain in Hindi – कारक की परिभाषा • 2 Karak Ke Bhed in Hindi-कारक के भेद एवं प्रकार • 3 कारक के भेदो की परिभाषा • 3.1 कर्ता कारक किसे कहते हैं? – Karta Karak Kise Kahate Hain in Hindi • 3.2 कर्म कारक किसे कहते हैं? – Karm Karak Kise Kahate Hain in Hindi • 3.3 करण कारक किसे कहते हैं? – Karan Karak Kise Kahate Hain in Hindi • 3.4 सम्प्रधान कारक किसे कहते हैं? – Sampradan Karak Kise Kahate Hain in Hindi • 3.5 आपादान कारक किसे कहते हैं? – Aapadaan Karak Kise Kahate Hain in Hindi • 3.6 संबंध कारक किसे कहते हैं? – Sambhand Karak Kise Kahate Hain in Hindi • 3.7 अधिकरण कारक किसे कहते हैं? – Adhikaran Karak Kise Kahate Hain in Hindi • 3.8 संबोधन कारक किसे कहते हैं? – Sambodhan Karak Kise Kahate Hain in Hindi Karak Kise Kahate Hain in Hindi – कारक की परिभाषा आसान भाषा में कारक की निम्न परिभाषाएं होती हैं: • जो भी जीव किसी कार्य को करता है अर्थात क्रिया करने की भूमिका निभाता है, वह कारक कहलाता है| • किसी काम को करने वाले को कारक कहते हैं| जैसे- • वह सब खेलते हैं| • रेखा ने आजा गाना गाया| • अलीना खाना खाती है| Karak Ke Bhed in Hindi-कारक के भेद एवं प्रकार कारक के 8 मुख्य भेद होते हैं: • कर्ता कारक • कर्म कारक • कारण कारक • सम्प्रधान कारक • आपादान कारक • संबंध कारक • अधिकरण कारक • संबोधन कारक कारक के भेदो की परिभाषा कर्ता कारक किसे कहते हैं? – Karta Karak Kise Kahate Hain in Hindi वाक्य के जिस रूप से हमे क्रिया किसके द्वारा की जा रही है इसका बोध हो अर्थात क्रिया करने वाले का पता चले वह कर्ता कारक कहलाता है| विभक्ति चिन्ह –“ने” जैसे – • राहुल ने श्याम को खाना खाने के...