उर्दू शब्दावली हिंदी में

  1. हिन्दी एवं उर्दू
  2. हिंदी, हिंदुई, हिंदुस्तानी, उर्दू
  3. उर्दू शाइरी की शब्दावली: रदीफ़ – wholistic wellness space
  4. उर्दू शब्दावली
  5. NCERT Solutions for Class 12 Hindi Core
  6. उर्दू हिंदी शब्दकोश पीडीएफ मुफ्त डाउनलोड
  7. उर्दू भाषा
  8. हिंदी, हिंदुई, हिंदुस्तानी, उर्दू
  9. उर्दू शाइरी की शब्दावली: रदीफ़ – wholistic wellness space


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हिन्दी एवं उर्दू

आधुनिक साहित्य की रचना पहले-पहले बोलचाल के लिए दिल्ली के सामान्य मुसलमान जो भाषा व्यवहार में लाते थे वह हिन्दी ही थी। चौदहवीं सदी में मुहम्मद तुगलक जब अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरि ले गया तब वहाँ जानेवाले पछाँह के मुसलमान अपनी सामान्य बोलचाल की भाषा भी अपने साथ लेते गए। प्रायः पंद्रहवीं शताब्दी में बीजापुर, गोलकुंडा आदि मुसलमानी राज्यों में साहित्य के स्तर पर इस भाषा की प्रतिष्ठा हुई। उस समय उत्तरभारत के मुसलमानी राज्य में साहित्यिक भाषा फारसी थी। दक्षिणभारत में सन्‌ १७०० के आस पास दखिनी के प्रसिद्ध कवि शम्स वलीउल्ला 'वली' दिल्ली आए। यहाँ आने पर शुरू में तो वली ने अपनी काव्यभाषा दखिनी ही रखी, जो भारतीय वातावरण के निकट थी। पर बाद में उनकी रचनाओं पर अरबी-फारसी की परंपरा प्रवर्तित हुई। आरंभ की दखिनी में फारसी प्रभाव कम मिलता है। दिल्ली की परवर्ती उर्दू पर फारसी शब्दावली और विदेशी वातावरण का गहरा रंग चढ़ता गया। हिंदी के शब्द ढूँढकर निकाल फेंके गए और उनकी जगह अरबी फारसी के शब्द बैठाए गए। मुगल साम्राज्य के पतनकाल में जब लखनऊ उर्दू का दूसरा केंद्र हुआ तो उसका हिंदीपन और भी सतर्कता से दूर किया। अब वह अपने मूल हिंदी से बहुत भिन्न हो गई। हिंदी और उर्दू के एक मिले जुले रूप को हिंदुस्तानी कहा गया है। भारत में अँगरेज शासकों की कूटनीति के फलस्वरूप हिंदी और उर्दू एक दूसरे से दूर होती गईं। एक की संस्कृतनिष्ठता बढ़ती गई और दूसरे का फारसीपन। हिंदी और उर्दू का अद्वैत [ ] भाषाविद प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने अपने " हिन्दी एवं उर्दू का अद्वैत " शीर्षक आलेख में हिन्दी एवं उर्दू की भाषिक एकता का प्रतिपादन किया है साथ ही 'साहित्यिक भाषा' में भाषा के अलावा अन्य बहुत से तत्व होते हैं। साहित्य में क...

हिंदी, हिंदुई, हिंदुस्तानी, उर्दू

हिंदी , हिंदुई , हिंदुस्तानी , उर्दू ' खड़ी बोली ' नाम का एक प्रयोग साहित्यिक हिंदी , उर्दू , हिंदुस्तानी आदि की आधार भाषा या आज की साहित्यिक हिंदी के लिए भी होता है। वस्तुतः आज हिंदी , उर्दू , हिंदुस्तानी नामों का प्रयोग जिन भाषा रूपों के लिए होता है , व्याकरणिक स्तर पर वे प्रायः एक ही हैं और उनकी आधार - भाषा वह मिश्रित बोली है जो मूलतः कौरवी , पंजाबी , ब्रज आदि के योग से बनी होगी। आज इस खड़ी बोली में जब बोलचाल के शब्दों (आधारभूत शब्दावली , बहुप्रचलित तद्भव शब्द , सरल बहुप्रचलित संस्कृत शब्द तथा सरल बहुप्रचलित अरबी , फारसी , तुर्की शब्द) का ही प्रयोग होता है तो उसे बोलचाल की हिंदी या हिंदुस्तानी कहते हैं ; उन शब्दों के साथ ही जब संस्कृत के अल्प प्रचलित अतः कठिन तत्सम शब्दों का भी काफी प्रयोग होता है तो उसे हिंदी या साहित्यिक हिंदी कहते हैं , और जब उन शब्दों के साथ अरबी , फारसी , तुर्की के अल्पप्रचलित अतः कठिन शब्दों का बहुत प्रयोग होने लगता है तो उसे उर्दू कहते हैं। इस तरह खड़ी बोली की या सामान्य हिंदी की ये तीन शैलियाँ हैं। ' हिंदुई ' शब्द ' हिंदुई ' शब्द ' हिंदु + ई ' से बना है।हिन्दवी , हिंदुई या हिंदवी का प्रयोग प्राचीन हिंदी के लिए काफी पहले से मिलता है। तेरहवीं सदी में औफी और अमीर खुसरो ने इसका प्रयोग किया है। ' खालिक बारी ' में ' हिंदी ' और ' हिंदवी ' दोनों का प्रयोग एक ही भाषा के लिए हुआ है किंतु हिंदी का प्रयोग केवल पांच बार है , जबकि हिंदवी का तीस बार । इसका अर्थ यह हुआ कि पहले ' हिंदी ' की तुलना में ' हिंदवी ' नाम ज्यादा प्रचलित था , धीरे-धीरे ' हिंदवी ' नाम उस भाषा के लिए सीमित हो गया जिसमें संस्कृत के शब्द अपेक्षाकृत अधिक थे ; और ' हिंदुस्तानी ' उस भाषा को कह...

उर्दू शाइरी की शब्दावली: रदीफ़ – wholistic wellness space

• ग़ज़ल के हर शेर में क़ाफ़िये के बाद आने वाला वह समांत शब्द या शब्द समूह रदीफ़ कहलाता है जो मतले (ग़ज़ल का पहला शे’र) के दोनों मिसरों के अंत में आता है तथा अन्य अश’आर के दूसरी पंक्ति के अंत में आता है और पूरी ग़ज़ल में एक सा रहता है। जैसे: बहुत रहा है कभी लुत्फ़-ए-यार हम पर भी गुज़र चुकी है ये फ़स्ल-ए-बहार हम पर भी! ख़ता किसी कि हो लेकिन खुली जो उनकी ज़बाँ तो हो ही जाते हैं दो एक वार हम पर भी [अकबर इलाहाबादी] • जैसे कि ऊपर दिए गए अश’आर में “हम पर भी” पहले शेर के दोनों मिसरों के अंत में आ रहा है तथा अन्य अश’आर के दूसरी पंक्ति के अंत में आ रहा है और पूरी ग़ज़ल में एक सा रहेगा। • तो “हम पर भी” इस ग़ज़ल का रदीफ़ कहलायेगा। • रदीफ़ एक शब्द की भी हो सकता है और एक से अधिक भी। • रदीफ़ को लेकर कोई नियम नहीं है कि वो कितना लम्‍बा हो। बस उसको बहर में होना चाहिये। • लम्बी रदीफों का प्रयोग, उर्दू शायरी के मध्य युग की विशेषता रही है। गैर मुरदद्फ ग़ज़ल रदीफ़ ग़ज़ल का अनिवार्य अंग नहीं है – बिना रदीफ़ की गज़लें भी कही गई हैं इन्हें गैर मुरदद्फ ग़ज़ल कहा जाता है। जैसे: मौसम से निकले शाखों से पत्ते हरे-हरे पौधे चमन में फूलों से देखे भरे-भरे आगे किस के क्या करें दस्ते तमअ दराज वह हाथ सो गया है सिरहाने धरे-धरे मरता था मैं तो बाज रखा मरने से मुझे यह कहके कोई ऐसा करे है अरे-अरे गुलशन में आग लग रही थी रंग-गुल से ‘मीर’ बुल बुल पुकारी देख के साहब परे-परे यहां दुहरा क़ाफ़िया है परन्तु रदीफ़ नहीं है. आभार: वर्तनी की कमियों के लिए माफ़ी! आगे पढ़ें: उर्दू ज़ुबान और शायरी से जुड़ी कुछ औरचीज़ें उर्दू मैंने यूँसीखी

उर्दू शब्दावली

उर्दू हिंदी शब्दकोश अ • अक़्ल= बुद्धि, तर्क, ज्ञान • अकबर= सबसे महान • अकसर= अधिकतर, आमतौर पर, बहुत, बार बार • अख्ज़= पकड़नेवाला, लेनेवाला, छीनने वाला, लोभी • अख़बार= समाचार, समाचारपत्र • अगर= यदि, तथापि • अग्यार= अजनबी, प्रतिद्वन्दी (गै़र का बहुवचन) • अगल़ात= अशुद्धियां (गल़त का बहुवचन) • अर्जमन्द= महान • अजनबी= आंगतुक, विदेशी, परदेसी • अज़ल= अनन्तकाल, सनातनत्व, नित्यता • अजब= कौतुक, आश्चर्य, असाधारण • अजीब= आश्चर्यजनक, अद्भुत, निराला • अज़ाब= पीड़ा, सन्ताप, दंड • अज़ीज़= प्रिय, माननीय, आदरणीय, गुणवान • अज़ीम= महान, विशाल, उच्च मर्यादा वाला • अटक=विघ्न, बाधा • अत्त्फ़ाल= बच्चे, संतति (तिफ़्ल का बहुवचन) • अत्फ़= दया, भेंट, प्रेम, कृपा • अदा= ऋण चुकाना, निबटारा • अदा= मनोहरता, श्रृंगार, सुन्दरता • अदीब= विद्वान • अदालत= न्यायालय, न्याय, क़ानून • अदम= शून्य, अस्तित्वहीन, अभाव • अन्जाम= अन्त, परिणाम, फल • अन्जुमन= परिषद, सभा, सम्मेलन • अन्दाज़ा= अनुमान, आंकना, माप • अन्दर= भीतर • अफ़स़ना= कहानी, कल्पित कथा • अफ़सुर्दा= उदास, विषाद • अफ़सोस= शोक, पछतावा, उदासी • अब= अभी, वर्तमान • अब्तर= नष्ट,बिखारा हुआ, मूल्यहीन • अबद=अनन्तकाल • अब्र= बादल • अब्रू= भौंह • अब्सार= आँखें (बसर का बहुवचन) • अब्ना= बेटे (इब्न का बहुवचन),सन्धि,सहमति, घटना, संयोग, अवसर • अबस= लाभहीन, बेकार, व्यर्थ, तुच्छ • अब्द= दास, प्रमात्मा का दास • अमलन= यथार्थ में, सच में, सत्यता पूर्वक • अमानत= धरोहर • अऱ्ज= याचना, विनय, विनती, परखना, प्रदर्शन • अर्श= छत, छत्र, सर्वोच्च स्वर्ग • अरमान= इच्छा, लालसा, आशा • अल्फ़ाज़= शब्द (ल्फ़ज़ का बहुवचन) • अल= कला • अलीम= बुद्धिमान, विद्वान • अव्वल= प्रथम, सर्वश्रेष्ठ, अतिउत्...

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Core

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Core – काव्य भाग – रुबाइयाँ, गज़ल कवि परिचय फ़िराक गोरखपुरी जीवन परिचय-फ़िराक गोरखपुरी उर्दू-फ़ारसी के जाने-माने शायर थे। इनका जन्म 28 अगस्त, सन 1896 को गोरखपुर में हुआ था। इनका मूल नाम रघुपति सहाय ‘फ़िराक’ था। इन्होंने रामकृष्ण की कहानियों से अपनी शिक्षा की शुरुआत की। बाद में अरबी, फ़ारसी और अंग्रेजी में शिक्षा ग्रहण की। 1917 ई० में ये डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित हुए, परंतु स्वतंत्रता आंदोलन के कारण इन्होंने 1918 ई० में इस पद को त्याग दिया। आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण सन 1920 में इन्हें डेढ़ वर्ष की जेल हुई। ये इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विषय के अध्यापक भी रहे। इन्हें ‘गुले-नग्मा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार और सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड मिला। सन 1938 में इनका देहावसान हो गया। रचनाएँ-गोरखपुरी जी ने शायरी के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए। इनकी महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं गुले-नग्मा, बज्में जिंदगी, रंगे-शायरी, उर्दू गजलगोई। काव्यगत विशेषताएँ-उर्दू शायरी साहित्य का बड़ा हिस्सा रुमानियत, रहस्य और शास्त्रीयता से बँधा रहा है जिसमें लोकजीवन और प्रकृति के पक्ष बहुत कम उभरकर सामने आए हैं। नजीर अकबराबादी, इल्ताफ हुसैन हाली जैसे कुछ शायरों ने इस परंपरा को तोड़ा है, फिराक गोरखपुरी भी उनमें से एक हैं। फ़िराक ने परंपरागत भावबोध और शब्द-भंडार का उपयोग करते हुए उसे नयी भाषा और नए विषयों से जोड़ा। उनके यहाँ सामाजिक दुख-दर्द व्यक्तिगत अनुभूति बनकर शायरी में ढला है। इंसान के हाथों इंसान पर जो गुजरती है, उसकी तल्ख सच्चाई और आने वाले कल के प्रति एक उम्मीद, दोनों को भारतीय संस्कृति और लोकभाषा के प्रतीकों से जोड़कर उन्होंने अ...

उर्दू हिंदी शब्दकोश पीडीएफ मुफ्त डाउनलोड

उर्दू एक इंडो-आर्यन भाषा है जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया में बोली जाती है। यह पाकिस्तान की आधिकारिक राष्ट्रीय भाषा और भाषा है। भारत में, उर्दू एक आठवीं अनुसूची भाषा है जिसकी स्थिति, कार्य और सांस्कृतिक विरासत को भारत के संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त है; इसे कई भारतीय राज्यों में किसी न किसी रूप में आधिकारिक दर्जा प्राप्त है। नेपाल में, उर्दू एक पंजीकृत क्षेत्रीय बोली है। उर्दू को हिंदुस्तानी भाषा के फारसीकृत मानक रजिस्टर के रूप में वर्णित किया गया है। उर्दू और हिंदी एक समान इंडो-आर्यन शब्दावली आधार और बहुत समान स्वर विज्ञान और वाक्य रचना साझा करते हैं, जिससे वे बोलचाल की भाषा में पारस्परिक रूप से सुगम हो जाते हैं।……… (Report through Urdu is an Indo-Aryan language spoken chiefly in South Asia. It is the official national language and lingua franca of Pakistan. In India, Urdu is an Eighth Schedule language whose status, function, and cultural heritage is recognized by the Constitution of India; it has some form of official status in several Indian states. In Nepal, Urdu is a registered regional dialect. Urdu has been described as a Persianised standard register of the Hindustani language. Urdu and Hindi share a common Indo-Aryan vocabulary base and very similar phonology and syntax, making them mutually intelligible in colloquial speech………… अन्य सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तकें के लिए यहाँ दबाइए – सभी हिंदी पुस्तकें पीडीएफ Free Hindi Books pdf श्रेणियो अनुसार हिंदी पुस्तके यहाँ देखें About Writer / लेखक के बारे में 1837 में पूरे उत्तरी भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन की भाषा क...

विक्षनरी:उर्दू

अ [ ] अक़्ल = बुद्धि, तर्क, ज्ञान अकबर = सबसे महान अकसर = अधिकतर, आमतौर पर, बहुत, बार बार अख्ज़ = पकड़नेवाला, लेनेवाला, छीनने वाला, लोभी अख़बार = समाचार, समाचारपत्र अगर = यदि, तथापि अग़्यार = अजनबी, प्रतिद्वन्दी (गै़र का बहुवचन) अगल़ात = अशुद्धियां (गल़त का बहुवचन) अर्जमन्द = महान अऱ्ज = धरती, क्षेत्र, पृथ्वी अजनबी = आंगतुक, विदेशी, परदेसी अज़ल = अनन्तकाल, सनातनत्व, नित्यता अजब = कौतुक, आश्चर्य, असाधारण अजीब = आश्चर्यजनक, अद्भुत, निराला अज़ाब = पीड़ा, सन्ताप, दंड अज़ीज़ = प्रिय, माननीय, आदरणीय, गुणवान अज़ीम = महान, विशाल, उच्च मर्यादा वाला अटक = विघ्न, बाधा अत्त्फ़ाल = बच्चे, संतति (तिफ़्ल का बहुवचन) अत्फ़ = दया, भेंट, प्रेम, कृपा अदा = ऋण चुकाना, निबटारा अदा = मनोहरता, श्रृंगार, सुन्दरता अदीब = विद्वान अदालत = न्यायालय, न्याय, कानून अदम = शून्य, अस्तित्वहीन, अभाव अन्जाम = अन्त, परिणाम, फल अन्जुमन = परिषद, सभा, सम्मेलन अन्दाज़ा = अनुमान, आंकना, माप अन्दर = भीतर अफ़स़ाना = कहानी, कल्पित कथा अफ़सुर्दा = उदास, विषाद अफ़सोस = शोक, पछतावा, उदासी अब = अभी, वर्तमान अब्तर = नष्ट,बिखारा हुआ, मूल्यहीन अबद = अनन्तकाल अब्र = बादल अब्रू = भौंह अब्सार = आंखें (बसर का बहुवचन) अब्ना = बेटे (इब्न का बहुवचन),सन्धि,सहमति, घटना, संयोग, अवसर अबस = लाभहीन, बेकार, व्यर्थ, तुच्छ अब्द = दास, प्रमात्मा का दास अमलन = यथार्थ में, सच में, सत्यता पूर्वक अमानत = धरोहर अऱ्ज = याचना, विनय, विनती, परखना, प्रदर्शन अर्श = छत, छत्र, सर्वोच्च स्वर्ग अरमान = इच्छा, लालसा, आशा अल्फ़ाज़ = शब्द (ल्फ़ज़ का बहुवचन) अल = कला अलीम = बुद्धिमान, विद्वान अव्वल = प्रथम, सर्वश्रेष्ठ, अतिउत्तम अश्फ़ाक = सहारा,अनुग्रह, कृपा ...

उर्दू भाषा

अनुक्रम • 1 'उर्दू' शब्द की व्युत्पत्ति • 2 साहित्य • 3 व्याकरण • 4 लिपि • 5 उर्दू की उपभाषाएँ • 6 आधुनिक उर्दू • 6.1 मातृभाषा के स्तर पर उर्दू बोलने वालों की संख्या • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ • 9 बाहरी कड़ियाँ 'उर्दू' शब्द की व्युत्पत्ति [ ] 'उर्दू' शब्द मूलतः कवि उर्दू शब्द का इस्तेमाल किया जब कि उन्हों ने ख़ुद भाषा के परिचय पर हिंदवी शब्द का प्रयोग किया था। 13वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी के अंत तक आज के उर्दू भाषा को हिन्दी हिन्दवी, हिंदुस्तानी साहित्य [ ] • Ethnologue . अभिगमन तिथि 1 मार्च 2019. • . अभिगमन तिथि 17 मई 2008. • (PDF). Commissioner for Linguistic Minorities, Ministry of Minority Affairs, Government of India. (PDF) से 8 जुलाई 2016 को पुरालेखित . अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2017. • web.archive.org. 2022-10-15. मूल से पुरालेखित 15 अक्तूबर 2022 . अभिगमन तिथि 2022-10-17. सीएस1 रखरखाव: BOT: original-url status unknown ( • Rahman, Tariq (2011). From Hindi to Urdu: a social and political history. Karachi. 978-0-19-906313-0. • Bhat, M. Ashraf (2017). The changing language roles and linguistic identities of the Kashmiri speech community. Newcastle upon Tyne, UK. 978-1-4438-6260-8. • Prasāda, Vinoda Kumāra (1 मार्च 1999). . अभिगमन तिथि 1 मार्च 2019– वाया Google Books. • . अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2017. • • • • बाहरी कड़ियाँ [ ] • • उर्दू-हिन्दी शब्दकोश - यहाँ उर्दू शब्द और उनके अर्थ देवनागरी लिपि में दिये गये हैं। • • Views on the issue of national language in Pakistan • • • • Acèh • Afrikaans • አማርኛ • Aragonés • Ænglisc • अंगिका • العربية • ܐܪܡܝܐ • الدارجة • مصرى • অসমীয়...

हिंदी, हिंदुई, हिंदुस्तानी, उर्दू

हिंदी , हिंदुई , हिंदुस्तानी , उर्दू ' खड़ी बोली ' नाम का एक प्रयोग साहित्यिक हिंदी , उर्दू , हिंदुस्तानी आदि की आधार भाषा या आज की साहित्यिक हिंदी के लिए भी होता है। वस्तुतः आज हिंदी , उर्दू , हिंदुस्तानी नामों का प्रयोग जिन भाषा रूपों के लिए होता है , व्याकरणिक स्तर पर वे प्रायः एक ही हैं और उनकी आधार - भाषा वह मिश्रित बोली है जो मूलतः कौरवी , पंजाबी , ब्रज आदि के योग से बनी होगी। आज इस खड़ी बोली में जब बोलचाल के शब्दों (आधारभूत शब्दावली , बहुप्रचलित तद्भव शब्द , सरल बहुप्रचलित संस्कृत शब्द तथा सरल बहुप्रचलित अरबी , फारसी , तुर्की शब्द) का ही प्रयोग होता है तो उसे बोलचाल की हिंदी या हिंदुस्तानी कहते हैं ; उन शब्दों के साथ ही जब संस्कृत के अल्प प्रचलित अतः कठिन तत्सम शब्दों का भी काफी प्रयोग होता है तो उसे हिंदी या साहित्यिक हिंदी कहते हैं , और जब उन शब्दों के साथ अरबी , फारसी , तुर्की के अल्पप्रचलित अतः कठिन शब्दों का बहुत प्रयोग होने लगता है तो उसे उर्दू कहते हैं। इस तरह खड़ी बोली की या सामान्य हिंदी की ये तीन शैलियाँ हैं। ' हिंदुई ' शब्द ' हिंदुई ' शब्द ' हिंदु + ई ' से बना है।हिन्दवी , हिंदुई या हिंदवी का प्रयोग प्राचीन हिंदी के लिए काफी पहले से मिलता है। तेरहवीं सदी में औफी और अमीर खुसरो ने इसका प्रयोग किया है। ' खालिक बारी ' में ' हिंदी ' और ' हिंदवी ' दोनों का प्रयोग एक ही भाषा के लिए हुआ है किंतु हिंदी का प्रयोग केवल पांच बार है , जबकि हिंदवी का तीस बार । इसका अर्थ यह हुआ कि पहले ' हिंदी ' की तुलना में ' हिंदवी ' नाम ज्यादा प्रचलित था , धीरे-धीरे ' हिंदवी ' नाम उस भाषा के लिए सीमित हो गया जिसमें संस्कृत के शब्द अपेक्षाकृत अधिक थे ; और ' हिंदुस्तानी ' उस भाषा को कह...

उर्दू शाइरी की शब्दावली: रदीफ़ – wholistic wellness space

• ग़ज़ल के हर शेर में क़ाफ़िये के बाद आने वाला वह समांत शब्द या शब्द समूह रदीफ़ कहलाता है जो मतले (ग़ज़ल का पहला शे’र) के दोनों मिसरों के अंत में आता है तथा अन्य अश’आर के दूसरी पंक्ति के अंत में आता है और पूरी ग़ज़ल में एक सा रहता है। जैसे: बहुत रहा है कभी लुत्फ़-ए-यार हम पर भी गुज़र चुकी है ये फ़स्ल-ए-बहार हम पर भी! ख़ता किसी कि हो लेकिन खुली जो उनकी ज़बाँ तो हो ही जाते हैं दो एक वार हम पर भी [अकबर इलाहाबादी] • जैसे कि ऊपर दिए गए अश’आर में “हम पर भी” पहले शेर के दोनों मिसरों के अंत में आ रहा है तथा अन्य अश’आर के दूसरी पंक्ति के अंत में आ रहा है और पूरी ग़ज़ल में एक सा रहेगा। • तो “हम पर भी” इस ग़ज़ल का रदीफ़ कहलायेगा। • रदीफ़ एक शब्द की भी हो सकता है और एक से अधिक भी। • रदीफ़ को लेकर कोई नियम नहीं है कि वो कितना लम्‍बा हो। बस उसको बहर में होना चाहिये। • लम्बी रदीफों का प्रयोग, उर्दू शायरी के मध्य युग की विशेषता रही है। गैर मुरदद्फ ग़ज़ल रदीफ़ ग़ज़ल का अनिवार्य अंग नहीं है – बिना रदीफ़ की गज़लें भी कही गई हैं इन्हें गैर मुरदद्फ ग़ज़ल कहा जाता है। जैसे: मौसम से निकले शाखों से पत्ते हरे-हरे पौधे चमन में फूलों से देखे भरे-भरे आगे किस के क्या करें दस्ते तमअ दराज वह हाथ सो गया है सिरहाने धरे-धरे मरता था मैं तो बाज रखा मरने से मुझे यह कहके कोई ऐसा करे है अरे-अरे गुलशन में आग लग रही थी रंग-गुल से ‘मीर’ बुल बुल पुकारी देख के साहब परे-परे यहां दुहरा क़ाफ़िया है परन्तु रदीफ़ नहीं है. आभार: वर्तनी की कमियों के लिए माफ़ी! आगे पढ़ें: उर्दू ज़ुबान और शायरी से जुड़ी कुछ औरचीज़ें उर्दू मैंने यूँसीखी