Usne kaha tha shirshak kahani ka kendriya bhav kya hai varnan karen

  1. Urdu/Vocabulary/Basic Phrases
  2. उसने कहा था
  3. सद्गति कहानी की समीक्षा
  4. उसने कहा था पाठ का सारांश
  5. "उसने कहा था" शीर्षक कहानी का सारांश लिखिए? » Usne Kaha Tha Shirshak Kahani Ka Saransh Likhiye
  6. आज का सोने का भाव क्या है जानिए
  7. उसने कहा था कहानी की समीक्षा


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Urdu/Vocabulary/Basic Phrases

• Good morning صُبح بخیر . good morning students. • We: Hum ھم .. We are playing cricket. • Us: Hum ھم . you go with us. • Our: Hamara ھمارا this is our tournament. • He: Woh وہus he is a good boy. • She :Woh وہ she is a beautiful • You: Tu تُو, Tum تُم or Aap آپ (intimate, informal, polite or plural form) • Your: Tera تیرا , Tumhara تُمہارا or Aap ka آپ کا (intimate, informal, polite or plural form) • Haan ھاں / Ji haan جی ھاں (Respect): Yes • Nahin: no نہیں • Idher اِدھر / Yahan یھاں / Iss Jegha اِس جگہہ: here • Udher اُدھر / Wahan وھاں / ooss Jegha اُس جگہہ: there • Aisey ایسے / Is tarha اِس طرح: like this • jaisey جیسے / oos tarha اُس طرح : like (that) • hello ھیلو: hello • Assalam-O-Alai-qum اسلام و علیکم (From Arabic language meaning "peace be upon you") , aap kaise hain? آپ کیسے ھیں ؟: (greetings), how are you? • kya haal hay? کیا حال ھے: How are you? • Yeh Kya hay? یہ کیا ھے: What is This • Woh kya hay? وہ کیا ھے ؟: What is That? • Abbu ابو /Ammi امی: Father/Mother • Bhai بھائی /Bahen بہن: Brother/Sister • Beta بیٹا /Beti بیٹی: Son/Daughter • Muaf Kijiye Ga معاف کیجیے گا / Main Muafi chata hun میں معافی چاہتا ھوں: Sorry / Excuse me. • Tumhara تُمہارا / Aapka naam kya hay آپ کا نام کیا ھے: What is your name? • Mujhey Tum مُجھے تم / Aap say mil kar bari kushi huhi آپ سے مل کر بڑی خوشی ھوئی: I'm very pleased to meet you. • Tumhara تُمہارا / Aapka ta'aluk kahan say hay? آپ کا تعلق کہاں سے ھے ؟: Where are you from? • Tumhari تُمہاری / Aapki umer kitne hay? آپ کی عُمرکِت...

उसने कहा था

रचनाकार: चंद्रधर शर्मा गुलेरी | Chandradhar Sharma Guleri (एक) बडे-बडे शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की जवान के कोड़ो से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गये हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगायें। जब बडे़-बडे़ शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्केवाले कभी घोड़े की नानी से अपना निकट-सम्बन्ध स्थिर करते हैं, कभी राह चलते पैदलों की आँखों के न होने पर तरस खाते हैं, कभी उनके पैरों की अंगुलियों के पोरे को चींघकर अपने-ही को सताया हुआ बताते हैं, और संसार-भर की ग्लानि, निराशा और क्षोभ के अवतार बने, नाक की सीध चले जाते हैं, तब अमृतसर में उनकी बिरादरी वाले तंग चक्करदार गलियों में, हर-एक लङ्ढी वाले के लिए ठहर कर सब्र का समुद्र उमड़ा कर, 'बचो खालसाजी। "हटो भाईजी।"ठहरना भाई जी।"आने दो लाला जी।"हटो बाछा।' - कहते हुए सफेद फेटों, खच्चरों और बत्तकों, गन्नें और खोमचे और भारेवालों के जंगल में से राह खेते हैं। क्या मजाल है कि जी और साहब बिना सुने किसी को हटना पडे़। यह बात नहीं कि उनकी जीभ चलती नहीं; पर मीठी छुरी की तरह महीन मार करती हुई। यदि कोई बुढ़िया बार-बार चितौनी देने पर भी लीक से नहीं हटती, तो उनकी बचनावली के ये नमूने हैं - 'हट जा जीणे जोगिए'; 'हट जा करमा वालिए'; 'हट जा पुतां प्यारिए'; 'बच जा लम्बी वालिए।' समष्टि में इनके अर्थ हैं, कि तू जीने योग्य है, तू भाग्योंवाली है, पुत्रों को प्यारी है, लम्बी उमर तेरे सामने है, तू क्यों मेरे पहिये के नीचे आना चाहती है? बच जा। ऐसे बम्बूकार्टवालों के बीच में होकर एक लड़का और एक लड़की चौक की एक दूकान पर आ मिले। उसके बालों और इसके ढीले सुथने से जान पड़ता था कि दोनों सिक्ख हैं। वह अपने मामा...

सद्गति कहानी की समीक्षा

सद्गतिकहानी की समीक्षा - Sadgati Kahani ki Samiksha सद्गति कहानी की समीक्षा -हिन्दी कहानी के इतिहास में 'सद्गति' अति चर्चित व ज़रूरी कहानी है। यह एक हृदयविदारक कहानी है। यह धार्मिक पाखंड, कर्मकांडी पुरोहितों की घिनौनी मानसिकता और दलित शोषण को दर्शाती है। इस कहानी के लेखक प्रेमचंद हैं, वे दलितों के शोषण का मूल कारण वर्ण व्यवस्था का स्वीकार व मानसिकता को मानते हैं। अनेक धार्मिक व सामाजिक संस्कार / मान्यताएँ रूढ़ियों और पाखंड में तब्दील कर दी गईं। प्रेमचंद धर्म, जाति, पूंजी और राजनीति के सम्बन्धों को अच्छी तरह से जानते थे। उनके साहित्य में हमारे समाज की विद्रूपताओं, समस्याओं, अंधविश्वासों, दुर्बलताओं, विसंगतियों का प्रामाणिक चित्रण हुआ है। जहाँ तक सद्गति का सवाल है तो यह कहानी भी एक यथार्थ व समस्यापरक कहानी है। यह दलित की नाबालिग बेटी के विवाह ( मुहूर्त) संस्कार से शुरू होकर दलित के अंतिम संस्कार के सवाल पर आकर ब्राह्मणवादी शोषकों की पोल खोलती है। इस कहानी को अनेक मंचों से खेला गया है, 1981 में इस पर सत्यजीत रे ने इसी नाम से एक गज़ब फिल्म बनाई थी। प्रेमचंद इस कहानी के माध्यम से जातिवाद, अस्पर्श्यता, रूढ़ियों, सामाजिक कर्मकांडों, लोक-व्यवहार के नियमों से बंधे दलितों और सदियों से चलते आ रहे धार्मिक पाखंड पर ज़ोरदार चोट करते हैं। यह शोषण पर लिखी गई मारक व संवेदनशील कहानी है। इसका कथ्य दुखी नाम के एक ग़रीब दलित, उसकी पत्नी झुरिया, पण्डित घासीराम, उसकी पत्नी और चिखुरी गोंड के इर्द-गिर्द घूमता है। इसका कथ्य, परिवेश, चरित्र और भाषा शोषक की निर्ममता को बड़ी सूक्ष्मता से सामने लाते हैं। दुखी अपनी बेटी की शादी की साइत (मुहूर्त) विचरवाने को लेकर पण्डित घासीराम को आमंत्रित करने के लिए जा...

उसने कहा था पाठ का सारांश

उसने कहा था शीर्षक कहानी चंद्रधर शर्मा गुलेरी द्वारा लिखी गई एक अमर रचना है। जिसकी शुरुआत अमृतसर के भीड़ भरे बाजार से शुरू होती है,जहां 12 वर्ष का लड़का एक 8 वर्ष की लड़की को टांगे के नीचे आने से बचाता है। लड़का लड़की से पूछता है कि क्या तेरी (कुड़माई) मंगनी हो गई है,इस पर लड़की थत कर भाग जाती है। दोनो बाजार में अक्सर कभी सब्जी वाले तो कभी दूध वाले के यहां मिलते थे और लड़का बार-बार उससे यही प्रश्न पूछता था। कुछ समय बाद जो लड़का पुनः उस लड़के से पूछता है तो वह कहती है कि हां मेरी (कुड़माई) मंगनी हो गई इस बात पर लड़का उदास हो जाता है। उस घटना के बाद वह लड़का सेना में भर्ती होता है और अंग्रेजों की ओर से फ्रांस में लड़ने जाता है। सेना में सूबेदार हजारा सिंह, जमादार लहना सिंह, वजीरा सिंह और बोधा सिंह के बीच प्रेम,शौर्य और मस्ती की चर्चाएं चलती है। बोधा सिंह बीमार होता है,तथा लहना उसका पूरा ख्याल रखता है। एक बार सूबेदार हजारा सिंह के बुलाने पर जब लहना सिंह उसके घर जाता है तो सूबेदारनी लहना सिंह को पहचान लेती है,और उसे बुलाकर कहती है कि जिस प्रकार तुमने मेरी बचपन में रक्षा की थी। वैसे ही हम दोनों को बचाना। अंततः लहना सिंह की युद्ध में मृत्यु हो जाती है इस प्रकार यह कहानी त्याग प्रेम देशभक्ति इत्यादि की भावनाएं प्रकट करती है। उसने कहा था कहानी का सारांश लिखिए, उसने कहा था कहानी का सारांश pdf, उसने कहा था समरी, उसने कहा था कहानी के लेखक कौन है, उसने कहा था किस प्रकार की कहानी है, उसने कहा था’ कहानी के प्रश्न उत्तर pdf, उसने कहा था कहानी की व्याख्या, usne kaha tha summary in hindi, usne kaha tha short summary in hindi, usne kaha tha kahani ka saransh, usne kaha tha shirshak kahani k...

"उसने कहा था" शीर्षक कहानी का सारांश लिखिए? » Usne Kaha Tha Shirshak Kahani Ka Saransh Likhiye

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। उपयुक्त प्रश्न में आपने पूछा है उसने कहा था शीर्षक कहानी के नायक या कहानी का सारांश लिखिए इस प्रसार शिक्षा के बारे में बताना चाहता हूं कि या इसके लेखक है चंद्रधर शर्मा गुलेरी जिस इस कहानी के माध्यम से upyukt prashna mein aapne poocha hai usne kaha tha shirshak kahani ke nayak ya kahani ka saransh likhiye is prasaar shiksha ke bare mein batana chahta hoon ki ya iske lekhak hai chandradhar sharma guleri jis is kahani ke madhyam se उपयुक्त प्रश्न में आपने पूछा है उसने कहा था शीर्षक कहानी के नायक या कहानी का सारांश लिखिए

आज का सोने का भाव क्या है जानिए

लेक़िन विशेषज्ञों के अनुसार, सोना एक मुल्यवान वस्तु होने के कारण एक अच्छा निवेश विकल्प भी है इसलिए आज के समय मे लोग सोने में निवेश कर रहे हैं जिसके लिए भी प्रतिदिन सोने का रेट व सोने का भाव देखना आवश्यक होता हैं। क्योंकि बाज़ार में हर रोज सोने का भाव घटता-बढ़ता रहता हैं इसलिए अगर आप भी सोना ख़रीदना चाहतें हैं या फ़िर सोने में निवेश करना चाहते हैं तो आपकों प्रतिदिन सोने का रेट व सोने का भाव देखते रहना चाहिए इसके लिए आप हर रोज NewsMeto वेबसाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं। 5.6 Q-सोना कब सस्ता होगा? सोने का भाव- सोने का भाव सोने का भाव सोने की शुद्धता पर निभर्र करता हैं जितना शुद्ध सोना होगा उसी अनुसार उसकी कीमत होंगी सोने की गुणवत्ता कैरेट में मापी जाती हैं और 24 कैरेट सोने को 100% शुद्ध सोना माना जाता है जिसमें शुद्ध सोने की मात्रा 99.9% होती हैं इसलिए यह सबसे महँगा सोना होता हैं। इसके बाद 22 कैरेट सोना आता है जिसमें शुद्ध सोने की मात्रा 91.7% तथा बाकी कॉपर व जिंक जैसे धातुओं का इस्तेमाल किया जाता हैं भारत मे सोने के आभूषण पहनें का चलन सदियों से रह हैं जिसमें इयर रिंग, अंगूठी और गले की चेन सबसे ज्यादा पहनी जाती है औऱ गहनों के लिहाज से 22 कैरेट सोना सबसे उपयुक्त होता है। 22 कैरेट सोने में शुद्ध सोने की मात्रा 91.7% होती है जिसके कारण यह 24 कैरेट सोने की तुलना में सस्ता होता हैं तथा 22 कैरेट सोने का रेट 24 कैरेट के सोने से 1 से 3 हजार रुपए तक कम रहता है औऱ 22 कैरेट सोने से बने आभूषण ज्यादा मजबूत भी होते हैं। आज का पंचांग आज का चौघड़िया आज का सुविचार आज का केलिन्डर Gold Rate Today- आज सोने का भाव 6 January 2022- 22 कैरेट सोने का भाव सोना ग्राम आज-22 Karat Gold कल- 22 Karat Gold 1 ग्राम ₹...

उसने कहा था कहानी की समीक्षा

एक लड़का और एक लड़की अमृतसर के बाजार में एक चौक की दुकान पर आ मिले। वेश-भूषा से दोनों सिक्स हैं, एक दही लेने आया था, दूसरी बड़ियाँ लेने आई थी। यह दोनों का प्रथम, किन्तु आकस्मिक मिलन था, जिसमें लड़के के पवित्र प्रेम, वीरता आदि का और लड़की की स्वाभाविक तज्जा और सुशीलता का कथाबीज में संकेत किया गया है। इसके बाद कचानक का विकास होता है। 25 वर्ष बाद वह लड़का लहनासिंह न0 77 सिख राइफल का जमादार बनकर अंग्रेजों की ओर के फ्रांस के युद्ध-स्थल में पहुंचा। उसे अपने मुकदमें के लिए इस बीच भारत आना पड़ा। लौटते समय वह अपने सूबेदार हजार सिंह के घर गया और वहाँ संयोग से लहना सिंह को उस लड़की के दर्शन हुए जो अब सूबेदारनी थी। सूबेदारनी ने अपने पति और पुत्र दोनों के युद्ध में जाने का कथन करते हुए प्रथम आकस्मिक मिलन की घटना के साथ उनके प्राणों की रक्षा की भिक्षा मांगी। लहना सिंह का प्रथम आकस्मिक मिलन का प्रेम युवावस्था के इस स्मृति-चित्र से संयुक्त होकर ‘कर्तव्य’ में बदल गया। यहां से कहानी का कलात्मक विकास आरम्भ होकर अन्त में कर्त्तव्यपालन करते हुए लहना सिंह की मृत्यु पर चरम सीमा को पार कर जाता है। कहानी के आरम्भ में जागृत हुआ कुतूहल चलता-चलता असीम प्रभावोत्पादक बन जाता है। इस चरम विकास में बोधा सिंह का बीमार होना, लहना का उसके प्रति अपार प्यार, लपटनसाहब को नकली वेश में पहचानकर तहना द्वारा भेद खोलना, शत्रु द्वारा आक्रमण, घायल होकर भी लहनासिंह द्वारा सबको विदा करके अकेले मोर्चे की रक्षा करना, मृत्यु से पूर्व लहना की स्मृति में पिछली घटनाओं का चलचित्र के समान आना और अन्त में लहना का वाक्य ‘उसने कहा था’ आदि सब घटनाओं में एक करूणापूर्ण प्रभावोत्पादक रूप में कहानी का अन्त होता है। कहानीकार ने स्वयं कुछ...