उत्प्रेक्षा अलंकार के 10 उदाहरण

  1. उत्प्रेक्षा अलंकार
  2. उत्प्रेक्षा अलंकार की पूरी जनकरी, परिभाषा, पहचान, उदाहरण
  3. अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण
  4. UP Board Class 10th Hindi
  5. अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी
  6. Alankar In Hindi / अलंकार
  7. अलंकार (साहित्य)
  8. उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं? परिभाषा एवं उदाहरण
  9. उत्प्रेक्षा अलंकार
  10. अलंकार (साहित्य)


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उत्प्रेक्षा अलंकार

परिभाषा - जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। पहचान - जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि। शब्द अगर किसी अलंकार में आते है तो वह उत्प्रेक्षा उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उनका लगा मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा। सोहत ओढ़े पीत पर, स्याम सलोने गात। मनहु नील मनि सैण पर, आतप परयौ प्रभात।।

उत्प्रेक्षा अलंकार की पूरी जनकरी, परिभाषा, पहचान, उदाहरण

इस लेख में उत्प्रेक्षा अलंकार की समस्त जानकारी निहित है। उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा, उदाहरण तथा प्रश्न उत्तर को पढ़कर आप समस्त जानकारी हासिल करेंगे। यह लेख विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उनके कठिनाई स्तर की पहचान करते हुए सरल शब्दों में प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है। इसके अध्ययन से आप परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर सकते हैं। Table of Contents • • • • • उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा, पहचान, प्रश्न उत्तर और उदाहरण अलंकार काव्य की शोभा को बढ़ाने का कार्य करते हैं। अलंकारों के प्रयोग से काव्य की सुंदरता बढ़ती है उसमें चमत्कार उत्पन्न होता है। अलंकार मुख्य रूप से दो प्रकार के माने गए हैं शब्दालंकार तथा अर्थालंकार। उत्प्रेक्षा अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है। उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा :- जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु , मानो , जानो , जनु ,ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए , वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। उत्प्रेक्षा का शाब्दिक अर्थ है ‘ देखने की उत्कट इच्छा’। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान भिन्न होने पर भी समानता का भाव उत्पन्न करता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। जैसे – सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात मनौ नीलमणि सैल पर आतप परयो प्रभात। । उपरोक्त पंक्ति में श्रीकृष्ण के श्यामल शरीर में नील मणि पर्वत तथा पीले वस्त्रों पर धूप की संभावना व्यक्त की गई है। अतः यहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है। अलंकार के अन्य लेख उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण ( utpreksha alankar ke udaharan ) उत्प्रेक्षा के उदहारण पहचान संकेत कहती हुई यों उतरा के नेत्...

अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

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UP Board Class 10th Hindi

परिभाषा–अलंकार का अर्थ है-‘आभूषण’; जैसे आभूषण सौन्दर्य को बढ़ाने में सहायक होते हैं, उसी प्रकार काव्य में अलंकारों का प्रयोग करने से काव्य की शोभा बढ़ जाती है; अत: काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्त्वों को अलंकार कहते हैं। अलंकारों के प्रयोग से शब्द और अर्थ में चमत्कार उत्पन्न होता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार, “भावों का उत्कर्ष दिखाने और वस्तुओं के रूप, गुण, क्रिया का अधिक तीव्रता से अनुभव कराने में सहायक होने वाली उक्ति अलंकार है। (अ) शब्दालंकार–जहाँ केवल शब्दों के प्रयोग के कारण काव्य में चमत्कार पाया जाता है, उसे शब्दालंकार कहते हैं। यदि उन शब्दों के स्थान पर उनके पर्यायवाची शब्द रख दिये जाएँ तो वह चमत्कार समाप्त हो जाएगा और वहाँ अलंकार नहीं रह जाएगा। (ब) अर्थालंकार-जहाँ अर्थ के कारण काव्य में चमत्कार पाया जाता है, वहाँ अर्थालंकार होता है। इसमें शब्दों के पर्यायवाची रखने पर भी अलंकार बना रहता है। शब्दालंकार में अनुप्रास, यमक और श्लेष मुख्य हैं, जबकि अर्थालंकारों में उपमा, रूपक और उत्प्रेक्षा मुख्य हैं। [विशेष-पाठ्यक्रम में केवल उपमा, रूपक और उत्प्रेक्षा अर्थालंकार ही सम्मिलित हैं। पद्यांशों का काव्य-सौन्दर्य लिखने में अनुप्रास, यमक, श्लेष शब्दालंकारों का ज्ञान भी आवश्यक होता है; अत: यहाँ संक्षेप में उनका परिचय भी दिया जा रहा है। परिभाषा–जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति की किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से समान गुण-धर्म के आधार पर तुलना की जाए या समानता बतायी जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है; जैसे–‘राधा के चरण गुलाब के समान कोमल हैं।’ यहाँ राधा के चरण की तुलना या समानता गुलाब से दिखाई गयी है। इसलिए यहाँ उपमा अलंकार है। उपमा अलंकार के निम्नलिखित चार अंग होते हैं| (1) उपमेय-जिस वस...

अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी

अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है किआभूषण, यह दो शब्दों से मिलकर बनता है-अलम + कार। जिस प्रकार स्त्री की शोभाआभूषणों से होती है उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जो शब्द आपके वाक्यांश को अलंकृत करें वह अलंकार कहलाता है। Alankar के बारे में विस्तार से जानने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़ें। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • अलंकार किसे कहते हैं? Alankar किसी काव्यांश-वाक्यांश की सुंदरता को बढ़ाने वाले शब्द होते हैं जैसे अपने शब्दों के माध्यम से किसी की सुंदरता को चांद की उपाधि देना यह बिना अलंकार के संभव नहीं है। भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित और सुंदर बनाने का काम Alankar का ही है। अलंकरोति इति अलंकार भारतीय साहित्य के अंदर जिन शब्दों के द्वारा किसी वाक्य को सजाया जाता है उन्हें Alankar कहते हैं। • अनुप्रास • उपमा • रूपक • यमक • श्लेष • उत्प्रेक्षा • संदेह • अतिशयोक्ति आदि ये भी पढ़ें : क्लॉज़िज़ अलंकार के भेद Alankar को व्याकरण के अंदर उनके गुणों के आधार पर तीन हिस्सों में बांटा गया है। • शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार शब्दालंकार अलंकार शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार , जिसके दो रूप होते हैं – ध्वनी और अर्थ। जब Alankar किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। अर्थात जिस Alankar में शब्दों का प्रयोग करने से कोई चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार कहीं गायब हो जाता है तो, ऐसी प्रक्रिया को शब्दालंकार कहा जाता है। शब्दालंकार के भेद शब्द ...

Alankar In Hindi / अलंकार

अलंकार शब्द का अर्थ ‘आभूषण’ होता है। अलंकार शब्द ‘अलम्+कार’ यह दो शब्द को जोड़कर बना है। जिसमे ‘अलम्’ शब्द का अर्थ ‘भूषण’ होता है। जिस प्रकार अलंकार स्री के सौंदर्य को बढ़ाता है। उसी प्रकार काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्द को अलंकार कहते है। अलंकार से काव्य में रोचकता और सुंदरता उभरकर आती है। अलंकार को काव्य की आत्मा भी कहा जाता है। अलंकार काव्य के साथ जुड़कर उसकी सुन्दरता को दुगनी कर देता है। अलंकार को संक्षेप में कहा जाए तो यह भाषा को सुंदर शब्दार्थ से सुज्जित करता है। यह भाषा और काव्य के रूप को सुंदर और मधुर बना देता है। संस्कृत भाषा में ‘अलंकरोति इति अलंकारः’ कहा है। जिसका अर्थ जो अलंकृत करता है उसे अलंकार कहते है। भारतीय साहित्य के अनुसार किसी भी भाषा में अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिशयोक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख और इनके अलावा अन्य अलंकार भी है। काव्य में कथनीय वस्तू को अच्छे रूप में अभिव्यक्ति देने के लिए अलंकार का उपयोग होता है। काव्य में अलंकार का विचार गुण, रस, ध्वनि, प्रसंग को ध्यान में रखकर किया जाता है। अलंकार के भेद / Types Of Alankar In Hindi जिस अलंकार में शब्दों का उपयोग करके काव्य में चमत्कार उत्पन्न होता है उसे ‘शब्दालंकार’ कहते है। और उन शब्दो पर समानर्थी शब्द रखा जाए तो यह चमत्कार समाप्त हो जाता है। शब्दालंकार मुख्यतः दो शब्दों से बनता है-‘शब्द+अलंकार’ उसके दो रूप होते है ‘ध्वनी और अर्थ’ उसका अर्थ किसी काव्य को शब्दों के माध्यम से अलंकृत करना होता है। इस अलंकार में कविता और काव्य में शब्दों के आधार पर वर्णन किया जाता है। शब्दालंकार के भेद / Shabdalankar Ke Bhed In Hindi • छेकानुप्रास अलंकार • वृत्यानुप्रास अलंकार • लाटानुप्...

अलंकार (साहित्य)

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर स्रोत खोजें: · · · · अलंकार, अलंकरोति इति अलंकारः' (जो अलंकृत करता है, वही अलंकार है।) उपमा आदि के लिए अलंकार शब्द का संकुचित अर्थ में प्रयोग किया गया है। व्यापक रूप में सौंदर्य मात्र को अलंकार कहते हैं और उसी से काव्य ग्रहण किया जाता है। ( काव्यं ग्राह्ममलंकारात्। सौन्दर्यमलंकार: - वक्राभिधेतशब्दोक्तिरिष्टा वाचामलं-कृति:।) अभिधानप्रकाशविशेषा एव चालंकारा:)। काव्यशोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते)। सौंदर्य, चारुत्व, काव्यशोभाकर धर्म इन तीन रूपों में अलंकार शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है और शेष में शब्द तथा अर्थ के अनुप्रासोपमादि अलंकारों के संकुचित अर्थ में। एक में अलंकार काव्य के प्राणभूत तत्त्व के रूप में ग्रहीत हैं और दूसरे में सुसज्जितकर्ता के रूप में। अनुक्रम • 1 आधार • 2 स्थान और महत्व • 3 वर्गीकरण • 4 कुछ अलंकार • 4.1 उपमा अलंकार • 4.2 अतिशयोक्ति अलंकार • 4.3 रूपक अलंकार • 4.4 विभावना अलंकार • 4.5 अनुप्रास अलंकार • 4.6 यमक अलंकार • 4.7 श्लेष अलंकार • 4.8 वक्रोक्ति अलंकार • 4.9 प्रतीप अलंकार • 4.10 उत्प्रेक्षा अलंकार • 4.11 ब्याजस्तुति अलंकार • 4.12 दृष्टांत अलंकार • 4.13 भ्रांतिमान अलंकार • 4.14 ब्याजनिन्दा अलंकार • 4.15 पाश्चात्य अलंकार • 4.16 विशेषोक्ति अलंकार • 4.17 मानवीकरण अलंकार • 5 सन्दर्भ • 6 इन्हेंभीदेखें • 7 बाहरी कड़ियाँ आधार [ ] सामान्यत: कथनीय वस्तु को अच्छे से अच्छे रूप में अभिव्यक्ति देने के विचार से अलंकार प्रयुक्त होते हैं। इनके द्वारा या तो भावों को उत्कर्ष प्रदान किया जाता है या रूप, गुण, तथा क्रिया का अधिक तीव्र अनुभव कराया जाता है। अत: मन का ओज ही अलं...

उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं? परिभाषा एवं उदाहरण

उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं? परिभाषा एवं उदाहरण ||Utpreksha Alankar in Hindi |सबसे सरल उदाहरण| प्रिय पाठक स्वागत है आपका Nitya Study Point.com के एक नए आर्टिकल में इस आर्टिकल में हम उत्प्रेक्षा अलंकार के बारे में पढ़ेंगे, साथ ही उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा और उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण भी देखेंगे तो चलिए विस्तार से जानते हैं। - Utpreksha alankar Kise Kahate Hain. अभी तक आपने हमारे चैनल को सब्स क्राइब नहीं किया है तो नीचे आपको लिंक दी जा रही है। और साथ में टेलीग्राम ग्रुप की भी लिंक जॉइन कर लीजिएगा। 👉 Joined Telegram Group 👈 👉 Visit our YouTube Channel👈 उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं, अलंकार की परिभाषा, उत्प्रेक्षा अलंकार के सबसे सरल उदाहरण, utpreksha Alankar ke sabse saral udaharan, utpreksha Alankar Kise Kahate Hain, utpreksha Alankar ki paribhasha परिभाषा - जहां उपमेय में उपमान की संभावना की जाए वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। मनु मानो, जनु - जानो, मनहुँ - जनहूँ आदि उत्प्रेक्षा के वाचक शब्द है। जहां पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए। आधार से जहां पर अप्रस्तुत को प्रस्तुत मान लिया जाए वहां पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके लक्षण है - जनु , मनु , मानो , मनहूं , मनो , इव आदि। पहचान - मनो, मानो, मनु, मनुह, जानो, झव, जनु, जानहुं, ज्यों आदि शब्द अगर किसी अलंकार में आते हैं तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। उदाहरण - 1 सोहत ओढ़े पीतु पटु, स्याम सलोने गात। मनो नीलमनि - सैल पर, आतपु परयौ प्रभात ॥ स्पष्टीकरण - यहां पीला वस्त्र धारण किए हुए कृष्ण के श्याम शरीर ( उपमेय, प्रस्तुत) में प्रातः कालीन धूप से शोभित नीलमणि शैल ( उपमान, अप्रस्तुत ) की संभावना...

उत्प्रेक्षा अलंकार

परिभाषा - जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। पहचान - जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि। शब्द अगर किसी अलंकार में आते है तो वह उत्प्रेक्षा उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उनका लगा मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा। सोहत ओढ़े पीत पर, स्याम सलोने गात। मनहु नील मनि सैण पर, आतप परयौ प्रभात।।

अलंकार (साहित्य)

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर स्रोत खोजें: · · · · अलंकार, अलंकरोति इति अलंकारः' (जो अलंकृत करता है, वही अलंकार है।) उपमा आदि के लिए अलंकार शब्द का संकुचित अर्थ में प्रयोग किया गया है। व्यापक रूप में सौंदर्य मात्र को अलंकार कहते हैं और उसी से काव्य ग्रहण किया जाता है। ( काव्यं ग्राह्ममलंकारात्। सौन्दर्यमलंकार: - वक्राभिधेतशब्दोक्तिरिष्टा वाचामलं-कृति:।) अभिधानप्रकाशविशेषा एव चालंकारा:)। काव्यशोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते)। सौंदर्य, चारुत्व, काव्यशोभाकर धर्म इन तीन रूपों में अलंकार शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है और शेष में शब्द तथा अर्थ के अनुप्रासोपमादि अलंकारों के संकुचित अर्थ में। एक में अलंकार काव्य के प्राणभूत तत्त्व के रूप में ग्रहीत हैं और दूसरे में सुसज्जितकर्ता के रूप में। अनुक्रम • 1 आधार • 2 स्थान और महत्व • 3 वर्गीकरण • 4 कुछ अलंकार • 4.1 उपमा अलंकार • 4.2 अतिशयोक्ति अलंकार • 4.3 रूपक अलंकार • 4.4 विभावना अलंकार • 4.5 अनुप्रास अलंकार • 4.6 यमक अलंकार • 4.7 श्लेष अलंकार • 4.8 वक्रोक्ति अलंकार • 4.9 प्रतीप अलंकार • 4.10 उत्प्रेक्षा अलंकार • 4.11 ब्याजस्तुति अलंकार • 4.12 दृष्टांत अलंकार • 4.13 भ्रांतिमान अलंकार • 4.14 ब्याजनिन्दा अलंकार • 4.15 पाश्चात्य अलंकार • 4.16 विशेषोक्ति अलंकार • 4.17 मानवीकरण अलंकार • 5 सन्दर्भ • 6 इन्हेंभीदेखें • 7 बाहरी कड़ियाँ आधार [ ] सामान्यत: कथनीय वस्तु को अच्छे से अच्छे रूप में अभिव्यक्ति देने के विचार से अलंकार प्रयुक्त होते हैं। इनके द्वारा या तो भावों को उत्कर्ष प्रदान किया जाता है या रूप, गुण, तथा क्रिया का अधिक तीव्र अनुभव कराया जाता है। अत: मन का ओज ही अलं...