उत्तम हा चैत्र मास

  1. आजपासून सुरु होणाऱ्या ज्येष्ठ मासाचे महत्त्व आणि या मासात येणाऱ्या सण उत्सवाची माहिती घेऊया!
  2. चैत्र मास, जानिए हिन्दू कैलेंडर के प्रथम माह को
  3. चैत्र मास है हिन्दू कैलेंडर का प्रथम माह, जानिए इस माह की विशेषता। Chaitra month
  4. Hindu Calendar 2023 Know Hindu 12 Months Name Significance
  5. चैत्र
  6. चैत्र मास, जानिए हिन्दू कैलेंडर के प्रथम माह को
  7. आजपासून सुरु होणाऱ्या ज्येष्ठ मासाचे महत्त्व आणि या मासात येणाऱ्या सण उत्सवाची माहिती घेऊया!
  8. Hindu Calendar 2023 Know Hindu 12 Months Name Significance
  9. चैत्र मास है हिन्दू कैलेंडर का प्रथम माह, जानिए इस माह की विशेषता। Chaitra month
  10. चैत्र


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आजपासून सुरु होणाऱ्या ज्येष्ठ मासाचे महत्त्व आणि या मासात येणाऱ्या सण उत्सवाची माहिती घेऊया!

हिंदूपंचांगानुसार चैत्र- वैशाखादी मासगणनेत हा वर्षाचा तिसरा महिना आहे. या मासाच्या पौर्णिमेला किंवा तिच्या मागे-पुढे ज्येष्ठा नक्षत्र असते. म्हणून या महिन्याला `ज्येष्ठ' असे नाव आहे. ज्येष्ठा नक्षत्राचे वैदिक काळातील दुसरे नाव `ज्येष्ठघ्नी' असे होते. `वृत्र' हा असुर सर्व असुरांमध्ये वयाने ज्येष्ठ होता. 'आम्ही वृत्रासुराला मारू' असा निश्चय देवांनी ज्येष्ठा नक्षत्र असताना केला, म्हणून ते ज्येष्ठघ्नी झाले. कालांतराने त्या नावाचा संक्षेप होऊन `ज्येष्ठा' झाले. ज्येष्ठ मासात अनेक महत्त्वाची मानली गेलेली व्रत वैकल्ये येतात. विशेष म्हणजे विविध प्रांतांमध्ये ही व्रत वैकल्ये केली जातात. त्यांचे वैविध्य मनोहार आहे. `उमाचतुर्थी' हे व्रत बंगालमधील मुली उत्तम पती मिळावा म्हणून करतात. या दिवशी उमा जन्मली म्हणून तिची कुंदाच्या फुलांनी पूजा केली जाते. सौभाग्यासाठी हे व्रत स्त्रियांप्रमाणे पुरुषही करतात. या पाठोपाठ येणाऱ्या षष्ठीला `अरण्यषष्ठ' तसेच 'स्कंदषष्ठी' अशा दोन नावांनी संबोधतात. या दिवशी राजस्थानातील स्त्रिया हातातील पंख्याने वारा घेत मनसोक्त फिरतात. उपास असल्यामुळे फळे, कंदमुळे यांचे आस्वाद घेतात. विंध्यवासिनीची पूजा करतात. संतानप्राप्तीसाठी हे व्रत करतात. ज्येष्ठ शुक्ल दशमीला देशभर गंगादशहरा उत्सव साजरा केला जातो. गंगेची पूजा केली जाते. त्यानंतर येणारी एकादशी निर्जला एकादशी नावाने ओळखली जाते. हे व्रत पाणी न पिता दिवसभर उपास करून पार पाडले जाते. अन्य एकादशींपेक्षा या एकादशीला अधिक महत्त्व असते. ज्येष्ठ द्वादशीला चंपक द्वादशी म्हणतात. गोविंदाला चाफ्याच्या फुलांनी सजवले जाते. ज्येष्ठ पौर्णिमा हा दिवस आंध्र प्रदेशातील शेतकऱ्यांसाठी सणासारखा असतो. त्या दिवशी शेतकरी शेतात प्रथम नांगर चा...

चैत्र मास, जानिए हिन्दू कैलेंडर के प्रथम माह को

प्राचीन काल में दुनिया भर में मार्च को ही वर्ष का पहला महिना माना जाता था। आज भी बहीखाते का नवीनिकरण और मंगल कार्य की शुरुआत मार्च में ही होती है। ज्योतिष विद्या में ग्रह, ऋतु, मास, तिथि एवं पक्ष आदि की गणना भी चैत्र प्रतिपदा से ही की जाती है। मार्च से ही सूर्य मास अनुसार मेष राशि की शुरुआत भी मानी गई है। चैत्र माह की शुरुआत : अमावस्या के पश्चात चन्द्रमा जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर प्रतिदिन एक-एक कला बढ़ता हुआ 15वें दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्णता को प्राप्त करता है, तब वह मास 'चित्रा' नक्षत्र के कारण 'चैत्र' कहलाता है। इसे संवत्सर कहते हैं जिसका अर्थ है ऐसा विशेषकर जिसमें बारह माह होते हैं। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। शीत ऋतु की शुरुआत आश्विन मास से होती है, सो आश्विन मास की दशमी को 'हरेला' मनाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत चैत्र मास से होती है, सो चैत्र मास की नवमी को हरेला मनाया जाता है। इसी प्रकार से वर्षा ऋतु की शुरुआत श्रावण माह से होती है, इसलिये श्रावण में हरेला मनाया जाता है।

चैत्र मास है हिन्दू कैलेंडर का प्रथम माह, जानिए इस माह की विशेषता। Chaitra month

प्राचीन काल में दुनिया भर में मार्च को ही वर्ष का पहला महीना माना जाता था। आज भी बहीखाते का नवीनीकरण और मंगल कार्य की शुरुआत मार्च में ही होती है। ज्योतिष विद्या में ग्रह, ऋतु, मास, तिथि एवं पक्ष आदि की गणना भी चैत्र प्रतिपदा से ही की जाती है। मार्च से ही सूर्य मास अनुसार मेष राशि की शुरुआत भी मानी गई है। चैत्र माह की शुरुआत : अमावस्या के पश्चात चंद्रमा जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर प्रतिदिन एक-एक कला बढ़ता हुआ 15वें दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्णता को प्राप्त करता है, तब वह मास 'चित्रा' नक्षत्र के कारण 'चैत्र' कहलाता है। इसे संवत्सर कहते हैं जिसका अर्थ है ऐसा विशेषकर जिसमें बारह माह होते हैं। इस दिन का महत्व : पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका का सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। शीत ऋतु की शुरुआत आश्विन मास से होती है, सो आश्विन मास की दशमी को 'हरेला' मनाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत चैत्र मास से होती है, सो चैत्र मास की नवमी को हरेला मनाया जाता है। इसी प्रकार से वर्षा ऋतु की शुरुआत श्रावण माह से होती है, इसलिए श्रावण में हरेला मनाया जाता है। शुक्ल तृतीयों को उमा, शिव तथा अग्नि का पूजन करना चाहिए। शुक्ल तृतीया को दिन मत्स्य जयंती मनानी चाहिए, क्योंकि यह मन्वादि तिथि है। चतुर्थी को गणेशजी का पूजन करना चाहिए। पंचमी को ल...

Hindu Calendar 2023 Know Hindu 12 Months Name Significance

Hindu Calendar 2023: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिंदू नव वर्ष की शुरुआत हर साल चैत्र माह से होती है. ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी इसलिए इस तिथि को नव संवत्सर के रूप में मनाया जाता है. जैसे अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत जनवरी और अंत 12वें महीने दिसंबर में होता है वैसे ही हिंदू कैलेंडर में भी साल के 12 महीने होते हैं. आइए जानते हैं हिंदू कैलेंडर के 12 महीनों के नाम और उनके महत्व. हिंदू कैलेंडर के 12 महीनों के नाम (Hindu Calendar 12 Months Name) • चैत्र मास (Chaitra) • वैशाख मास (Vaisakha) • ज्येष्ठ मास (Jyaistha) • आषाढ़ मास (Asadha) • श्रावण मास (Shravan) • भाद्रपद मास (Bhadra) • आश्विन मास (Ashwin) • कार्तिक मास (Kartika) • मार्गशीर्ष मास (Margasirsa /Agrahayana) • पौष मास (Pausha) • माघ मास (Magha) • 12.फाल्गुन मास (Phalguna) चैत्र माह 2023 - (22 मार्च 2023 - 6 अप्रैल 2023) हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने से हिंदू नव वर्ष का आरंभ होता है. चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. चैत्र मास की पूर्णिमा, चित्रा नक्षत्र में होती है इसी कारण इसका महीने का नाम चैत्र पड़ा. चैत्र महीने में हनुमान जयंती, राम नवमी, पापमोचिनी एकादशी, शीतलाष्टमी का व्रत किया जाता है. वैशाख माह 2023 - (7 अप्रैल 2023 - 5 मई 2023) विशाखा नक्षत्र से संबंध होने के चलते इस महीने को वैशाख कहा जाता है.विशाखा नक्षत्र के स्वामी देवगुरु बृहस्पति और देवता इंद्र है. ऐसे में इस पूरे महीने में स्नान-दान, व्रत और पूजा से अक्षय पुण्य मिलता है. वैशाख के महीने में भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी की ...

चैत्र

चैत्र महिना हा ग्रेगोरियन कॅलेंडरच्या मार्च आणि एप्रिल महिन्यांत येतो. सूर्य जेव्हा मेष राशीमध्ये प्रवेश करतो, त्या वेळी पौर्णिमान्त पंचांगानुसार फाल्गुन महिन्यानंतर चैत्रातला कृष्ण पक्ष येत असला, तरी त्या महिन्यात नववर्ष सुरू होत नाही. त्यांचे नवीन शकसंवत्सर हे चैत्र शुद्ध प्रतिपदेला, गुढी पाडव्याच्या दिवशीच सुरू होते. जर चैत्राचा महिना अधिकमास असेल तर वर्षारंभ पाडव्याच्याही एक महिना आधी होतो. त्यादिवशी शकाचा अनुक्रमांक एकाने वाढतो. पौर्णिमान्त आणि अमावास्यान्त्य ह्या दोन्ही प्रकारांत अधिक मासाचे दोन्ही पक्ष एकाच कालावधीत येतात. मात्र, चैत्र महिना हा अधिक मास असण्याचे प्रसंग फार थोडे आहेत. उदा० इसवी सनाच्या १९०१ सालापासून ते २०५० सालापर्यंत सन १९४५, १९६४ आणि २०२९ ह्या तीनच वर्षी अधिक चैत्र होता.. गुढी पाडवा, उगादी आदी सण निज चैत्राच्या पहिल्या दिवशी असतात, अधिक महिन्यात सण नसतात. चैत्र महिन्यातील सण, यात्रा, जयंत्या, पुण्यतिथ्या • चैत्र शुद्ध प्रतिपदा • • चेटी चांद (चैत्री चंद्र) • चैत्र नवरात्रारंभ • कृष्णाजी महाराज यात्रा, सावंगा (अमरावती) • गौतम ऋषी जयंती • भगवान झुलेलाल जयंती • दादा ठणठणपाळ आनंद महोत्सव • निंबादेवीची यात्रा, निंबोळा (बुलढाणा) • बाबाजी महाराज पुण्यतिथी, लोधीखेडा (छिंदवाडा) • महालक्ष्मी पालखी यात्रा (मुंबई) • माधवनाथ महाराज जन्मोत्सव, चित्रकूट-इंदूर • छत्रपती संभाजी महाराज पुण्यतिथी • सीतारामबाबा उंडेगावकर जन्मोत्सव, उंडेगाव-परांडा (उस्मानाबाद) • डाॅ. हेडगेवार जयंती • चैत्र शुद्ध द्वितीया • अक्कलकोट महाराज प्रकट दिन • सिंधारा दोज • हरिहर महाराज (त्याडी) पुण्यतिथी, अमरावती • चैत्र शुद्ध तृतीया-(गण)गौरी तृतीया; मत्स्य जयंती; सौभाग्यसुंदरी व्रत; • चैत्र शु...

चैत्र मास, जानिए हिन्दू कैलेंडर के प्रथम माह को

प्राचीन काल में दुनिया भर में मार्च को ही वर्ष का पहला महिना माना जाता था। आज भी बहीखाते का नवीनिकरण और मंगल कार्य की शुरुआत मार्च में ही होती है। ज्योतिष विद्या में ग्रह, ऋतु, मास, तिथि एवं पक्ष आदि की गणना भी चैत्र प्रतिपदा से ही की जाती है। मार्च से ही सूर्य मास अनुसार मेष राशि की शुरुआत भी मानी गई है। चैत्र माह की शुरुआत : अमावस्या के पश्चात चन्द्रमा जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर प्रतिदिन एक-एक कला बढ़ता हुआ 15वें दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्णता को प्राप्त करता है, तब वह मास 'चित्रा' नक्षत्र के कारण 'चैत्र' कहलाता है। इसे संवत्सर कहते हैं जिसका अर्थ है ऐसा विशेषकर जिसमें बारह माह होते हैं। इस दिन का महत्व : पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका का सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। शीत ऋतु की शुरुआत आश्विन मास से होती है, सो आश्विन मास की दशमी को 'हरेला' मनाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत चैत्र मास से होती है, सो चैत्र मास की नवमी को हरेला मनाया जाता है। इसी प्रकार से वर्षा ऋतु की शुरुआत श्रावण माह से होती है, इसलिये श्रावण में हरेला मनाया जाता है। Kalava in hindi : कई लोग हाथ की कलाई पर काला या लाल धागा बांधते हैं। पीला धागा अक्सर मांगलिक कार्य के दौरान बांधा जाता है लेकिन काला या सफेद धागा ज्योतिष की मान्यता या लोकमान्य...

आजपासून सुरु होणाऱ्या ज्येष्ठ मासाचे महत्त्व आणि या मासात येणाऱ्या सण उत्सवाची माहिती घेऊया!

हिंदूपंचांगानुसार चैत्र- वैशाखादी मासगणनेत हा वर्षाचा तिसरा महिना आहे. या मासाच्या पौर्णिमेला किंवा तिच्या मागे-पुढे ज्येष्ठा नक्षत्र असते. म्हणून या महिन्याला `ज्येष्ठ' असे नाव आहे. ज्येष्ठा नक्षत्राचे वैदिक काळातील दुसरे नाव `ज्येष्ठघ्नी' असे होते. `वृत्र' हा असुर सर्व असुरांमध्ये वयाने ज्येष्ठ होता. 'आम्ही वृत्रासुराला मारू' असा निश्चय देवांनी ज्येष्ठा नक्षत्र असताना केला, म्हणून ते ज्येष्ठघ्नी झाले. कालांतराने त्या नावाचा संक्षेप होऊन `ज्येष्ठा' झाले. ज्येष्ठ मासात अनेक महत्त्वाची मानली गेलेली व्रत वैकल्ये येतात. विशेष म्हणजे विविध प्रांतांमध्ये ही व्रत वैकल्ये केली जातात. त्यांचे वैविध्य मनोहार आहे. `उमाचतुर्थी' हे व्रत बंगालमधील मुली उत्तम पती मिळावा म्हणून करतात. या दिवशी उमा जन्मली म्हणून तिची कुंदाच्या फुलांनी पूजा केली जाते. सौभाग्यासाठी हे व्रत स्त्रियांप्रमाणे पुरुषही करतात. या पाठोपाठ येणाऱ्या षष्ठीला `अरण्यषष्ठ' तसेच 'स्कंदषष्ठी' अशा दोन नावांनी संबोधतात. या दिवशी राजस्थानातील स्त्रिया हातातील पंख्याने वारा घेत मनसोक्त फिरतात. उपास असल्यामुळे फळे, कंदमुळे यांचे आस्वाद घेतात. विंध्यवासिनीची पूजा करतात. संतानप्राप्तीसाठी हे व्रत करतात. ज्येष्ठ शुक्ल दशमीला देशभर गंगादशहरा उत्सव साजरा केला जातो. गंगेची पूजा केली जाते. त्यानंतर येणारी एकादशी निर्जला एकादशी नावाने ओळखली जाते. हे व्रत पाणी न पिता दिवसभर उपास करून पार पाडले जाते. अन्य एकादशींपेक्षा या एकादशीला अधिक महत्त्व असते. ज्येष्ठ द्वादशीला चंपक द्वादशी म्हणतात. गोविंदाला चाफ्याच्या फुलांनी सजवले जाते. ज्येष्ठ पौर्णिमा हा दिवस आंध्र प्रदेशातील शेतकऱ्यांसाठी सणासारखा असतो. त्या दिवशी शेतकरी शेतात प्रथम नांगर चा...

Hindu Calendar 2023 Know Hindu 12 Months Name Significance

Hindu Calendar 2023: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिंदू नव वर्ष की शुरुआत हर साल चैत्र माह से होती है. ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी इसलिए इस तिथि को नव संवत्सर के रूप में मनाया जाता है. जैसे अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत जनवरी और अंत 12वें महीने दिसंबर में होता है वैसे ही हिंदू कैलेंडर में भी साल के 12 महीने होते हैं. आइए जानते हैं हिंदू कैलेंडर के 12 महीनों के नाम और उनके महत्व. हिंदू कैलेंडर के 12 महीनों के नाम (Hindu Calendar 12 Months Name) • चैत्र मास (Chaitra) • वैशाख मास (Vaisakha) • ज्येष्ठ मास (Jyaistha) • आषाढ़ मास (Asadha) • श्रावण मास (Shravan) • भाद्रपद मास (Bhadra) • आश्विन मास (Ashwin) • कार्तिक मास (Kartika) • मार्गशीर्ष मास (Margasirsa /Agrahayana) • पौष मास (Pausha) • माघ मास (Magha) • 12.फाल्गुन मास (Phalguna) चैत्र माह 2023 - (22 मार्च 2023 - 6 अप्रैल 2023) हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने से हिंदू नव वर्ष का आरंभ होता है. चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. चैत्र मास की पूर्णिमा, चित्रा नक्षत्र में होती है इसी कारण इसका महीने का नाम चैत्र पड़ा. चैत्र महीने में हनुमान जयंती, राम नवमी, पापमोचिनी एकादशी, शीतलाष्टमी का व्रत किया जाता है. वैशाख माह 2023 - (7 अप्रैल 2023 - 5 मई 2023) विशाखा नक्षत्र से संबंध होने के चलते इस महीने को वैशाख कहा जाता है.विशाखा नक्षत्र के स्वामी देवगुरु बृहस्पति और देवता इंद्र है. ऐसे में इस पूरे महीने में स्नान-दान, व्रत और पूजा से अक्षय पुण्य मिलता है. वैशाख के महीने में भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी की ...

चैत्र मास है हिन्दू कैलेंडर का प्रथम माह, जानिए इस माह की विशेषता। Chaitra month

प्राचीन काल में दुनिया भर में मार्च को ही वर्ष का पहला महीना माना जाता था। आज भी बहीखाते का नवीनीकरण और मंगल कार्य की शुरुआत मार्च में ही होती है। ज्योतिष विद्या में ग्रह, ऋतु, मास, तिथि एवं पक्ष आदि की गणना भी चैत्र प्रतिपदा से ही की जाती है। मार्च से ही सूर्य मास अनुसार मेष राशि की शुरुआत भी मानी गई है। चैत्र माह की शुरुआत : अमावस्या के पश्चात चंद्रमा जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर प्रतिदिन एक-एक कला बढ़ता हुआ 15वें दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्णता को प्राप्त करता है, तब वह मास 'चित्रा' नक्षत्र के कारण 'चैत्र' कहलाता है। इसे संवत्सर कहते हैं जिसका अर्थ है ऐसा विशेषकर जिसमें बारह माह होते हैं। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। शीत ऋतु की शुरुआत आश्विन मास से होती है, सो आश्विन मास की दशमी को 'हरेला' मनाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत चैत्र मास से होती है, सो चैत्र मास की नवमी को हरेला मनाया जाता है। इसी प्रकार से वर्षा ऋतु की शुरुआत श्रावण माह से होती है, इसलिए श्रावण में हरेला मनाया जाता है। शुक्ल तृतीयों को उमा, शिव तथा अग्नि का पूजन करना चाहिए। शुक्ल तृतीया को दिन मत्स्य जयंती मनानी चाहिए, क्योंकि यह मन्वादि तिथि है। चतुर्थी को गणेशजी का पूजन करना चाहिए। पंचमी को लक्ष्मी पूजन तथा नागों का पूजन। षष्ठी के लिए स्वामी कार्तिकेय की पूजा। सप्तमी को सूर्यपूजन। अष्टमी को मां दुर्गा का पूजन और इस दिन का ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान करने का महत्व भी है। नवमी को भद्रकाली की पूजा करना चाहिए। दशमी को धर्मराज की पूजा। शुक्ल एकादशी को कृष्ण भगवान का दोलोत्सव अर्थात कृष्णपत्नी रुक्मिण...

चैत्र

चैत्र महिना हा ग्रेगोरियन कॅलेंडरच्या मार्च आणि एप्रिल महिन्यांत येतो. सूर्य जेव्हा मेष राशीमध्ये प्रवेश करतो, त्या वेळी पौर्णिमान्त पंचांगानुसार फाल्गुन महिन्यानंतर चैत्रातला कृष्ण पक्ष येत असला, तरी त्या महिन्यात नववर्ष सुरू होत नाही. त्यांचे नवीन शकसंवत्सर हे चैत्र शुद्ध प्रतिपदेला, गुढी पाडव्याच्या दिवशीच सुरू होते. जर चैत्राचा महिना अधिकमास असेल तर वर्षारंभ पाडव्याच्याही एक महिना आधी होतो. त्यादिवशी शकाचा अनुक्रमांक एकाने वाढतो. पौर्णिमान्त आणि अमावास्यान्त्य ह्या दोन्ही प्रकारांत अधिक मासाचे दोन्ही पक्ष एकाच कालावधीत येतात. मात्र, चैत्र महिना हा अधिक मास असण्याचे प्रसंग फार थोडे आहेत. उदा० इसवी सनाच्या १९०१ सालापासून ते २०५० सालापर्यंत सन १९४५, १९६४ आणि २०२९ ह्या तीनच वर्षी अधिक चैत्र होता.. गुढी पाडवा, उगादी आदी सण निज चैत्राच्या पहिल्या दिवशी असतात, अधिक महिन्यात सण नसतात. चैत्र महिन्यातील सण, यात्रा, जयंत्या, पुण्यतिथ्या • चैत्र शुद्ध प्रतिपदा • • चेटी चांद (चैत्री चंद्र) • चैत्र नवरात्रारंभ • कृष्णाजी महाराज यात्रा, सावंगा (अमरावती) • गौतम ऋषी जयंती • भगवान झुलेलाल जयंती • दादा ठणठणपाळ आनंद महोत्सव • निंबादेवीची यात्रा, निंबोळा (बुलढाणा) • बाबाजी महाराज पुण्यतिथी, लोधीखेडा (छिंदवाडा) • महालक्ष्मी पालखी यात्रा (मुंबई) • माधवनाथ महाराज जन्मोत्सव, चित्रकूट-इंदूर • छत्रपती संभाजी महाराज पुण्यतिथी • सीतारामबाबा उंडेगावकर जन्मोत्सव, उंडेगाव-परांडा (उस्मानाबाद) • डाॅ. हेडगेवार जयंती • चैत्र शुद्ध द्वितीया • अक्कलकोट महाराज प्रकट दिन • सिंधारा दोज • हरिहर महाराज (त्याडी) पुण्यतिथी, अमरावती • चैत्र शुद्ध तृतीया-(गण)गौरी तृतीया; मत्स्य जयंती; सौभाग्यसुंदरी व्रत; • चैत्र शु...