वैभव लक्ष्मी व्रत की सामग्री

  1. वैभव लक्ष्मी
  2. Vaibhav Laxmi Vrat (वैभव लक्ष्मी व्रत) कब से शुरू करें 2023: व्रत कथा, शुभ दिन, पूजा विधि, कौन कर सकता है?
  3. vaibhav laxmi vrat on friday brings prosperity and keeps money problems away
  4. वैभव लक्ष्मी व्रत : A To Z Info ~ [HINDI]
  5. Vaibhav Lakshmi Vrat Puja Vidhi: इस विधि से करें वैभव लक्ष्मी की पूजा, मिलेगा माता का आशीर्वाद
  6. वैभव लक्ष्मी व्रत विधि एवम कथा


Download: वैभव लक्ष्मी व्रत की सामग्री
Size: 58.9 MB

वैभव लक्ष्मी

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर स्रोत खोजें: · · · · वैभव लक्ष्मी व्रत आधिकारिक नाम वैभव लक्ष्मी व्रत अनुयायी प्रकार Hindu उद्देश्य धन सम्पति प्राप्ति आरम्भ शुक्रवार समान पर्व शुक्रवार को लक्ष्मी देवी का भी व्रत रखा जाता है। इसे वैभवलक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है। इस दिन स्त्री-पुरुष देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हुए श्वेत पुष्प, श्वेत चंदन से पूजा कर तथा चावल और खीर से भगवान को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस व्रत के दिन उपासक को एक समय भोजन करते हुए खीर अवश्य खानी चाहिए। == उद्देश्य == सुख और सम्रिधि के लिए वैभवलक्ष्मी व्रतकथा [ ] किसी शहर में लाखों लोग रहते थे। सभी अपने-अपने कामों में रत रहते थे। किसी को किसी की परवाह नहीं थी। भजन-कीर्तन, भक्ति-भाव, दया-माया, परोपकार जैसे संस्कार कम हो गए। शहर में बुराइयाँ बढ़ गई थीं। शराब, जुआ, रेस, व्यभिचार, चोरी-डकैती वगैरह बहुत से गुनाह शहर में होते थे। इनके बावजूद शहर में कुछ अच्छे लोग भी रहते थे। ऐसे ही लोगों में शीला और उनके पति की गृहस्थी मानी जाती थी। शीला धार्मिक प्रकृति की और संतोषी स्वभाव वाली थी। उनका पति भी विवेकी और सुशील था। शीला और उसका पति कभी किसी की बुराई नहीं करते थे और प्रभु भजन में अच्छी तरह समय व्यतीत कर रहे थे। शहर के लोग उनकी गृहस्थी की सराहना करते थे। देखते ही देखते समय बदल गया। शीला का पति बुरे लोगों से दोस्ती कर बैठा। अब वह जल्द से जल्द करोड़पति बनने के ख्वाब देखने लगा। इसलिए वह गलत रास्ते पर चल पड़ा फलस्वरूप वह रोडपति बन गया। यानी रास्ते पर भटकते भिखारी जैसी उसकी हालत हो गई थी। शराब, जुआ, रेस, चरस-गाँजा वगैरह बुरी आदतों में शीला का पति भी फँस गया। दो...

Vaibhav Laxmi Vrat (वैभव लक्ष्मी व्रत) कब से शुरू करें 2023: व्रत कथा, शुभ दिन, पूजा विधि, कौन कर सकता है?

Vaibhav Laxmi Vrat (वैभव लक्ष्मी व्रत) कब से शुरू करें 2023? यहाँ जाने जरूरी नियम, व्रत की कथा, व्रत को शुरू करने के लिए शुभ दिन, पूजा विधि, कौन कौन कर सकता है ये व्रत। जीवन हर समय खुशहाल रहे एवं जीवन में कभी भी पैसे की कमी ना हो,इसके लिए हर कोई चाहता है कि मां लक्ष्मी उनका साथ दें। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत किया जाता है;मान्यताओं के अनुसार लक्ष्मी माता को इस व्रत के जरिए प्रसन्न किया जाता है ताकि मां लक्ष्मी उन पर अपनी कृपा बनाए रखें। Vaibhav Laxmi Vrat Imortance (वैभव लक्ष्मी व्रत का महत्व) हिंदू धर्म में पूजा पाठ और तीज त्योहार का भी विशेष महत्व रखते हैं शायद ही ऐसा कोई दिन होगा जब कोई खास पूजा या सहयोग ना हो और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर व्रत और अनुष्ठान का अपना-अपना महत्व है। बाकी उपवास की तरह वैभव लक्ष्मी व्रत भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि कहते हैं कि घर परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए यदि कोई व्रत सबसे ज्यादा सहायक सिद्ध होता है तो वह वैभव लक्ष्मी का व्रत ही है। Vaibhav Laxmi Vrat Katha ( वैभव लक्ष्मी व्रत की कथा) पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है कि किसी शहर में कई लोग रहते थे जो कि अपने अपने कामों में व्यस्त रहते थे किसी को भी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ कोई मतलब नहीं था।भजन कीर्तन,दया माया परोपकार जैसे संस्कारों का भी एक तरह से विनाश ही हो चुका था और शहर में बुराइयां बहुत ज्यादा बढ़ गई थी।शराब,जुआ,चोरी चकारी डकैती जैसे गुना शहर में आम होने लगे थे।परंतु फिर भी उस शहर में कुछ ऐसे लोग भी रहते थे जो कि बहुत अच्छे आचरण वाले थे।इन्हीं में से एक शीला नाम की स्त्री थी जो धार्मिक प्रकृति और संतोष सभा वाली थी उसके...

vaibhav laxmi vrat on friday brings prosperity and keeps money problems away

नई दिल्ली: हर कोई यही चाहता है कि उसके जीवन में पैसों की कोई कमी ना हो. लेकिन कई बार मेहनत करने के बाद भी आपको उचित फल नहीं मिल पाता और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में जो पहला सवाल हमारे मन में आता है वो ये है कि क्या लक्ष्मी जी मुझ से रूठ गई हैं? अगर ऐसा है तो लक्ष्मी जी ( Goddess Lakshmi) को फिर से प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है वैभव लक्ष्मी (Vaibhav Laxmi Vrat) का व्रत जिसे शुक्रवार के दिन किया जाता है. शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी, दुर्गा मां और संतोषी माता का दिन माना जाता है और इस दिन मां लक्ष्मी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि वैभव लक्ष्मी का व्रत और पूरे विधि विधान के साथ पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है. धन संबंधी तंगी दूर होती है, घर में लक्ष्मी का वास होता है और नौकरी-व्यापार में मुनाफा भी होता है. मां वैभव लक्ष्मी की आराधना करने वाले व्यक्ति को सेहत संबंधी कोई समस्या भी नहीं होती. अगर लंबे समय से किए जा रहे प्रयासों और कड़ी मेहनत के बाद भी कोई काम नहीं बन पा रहा हो तो व्यक्ति को अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य अनुसार 11 या 21 शुक्रवार तक मां वैभव लक्ष्मी का व्रत जरूर करना चाहिए. इसके अलावा शुक्रवार (Friday) को मां वैभव लक्ष्मी पूजन के साथ ही श्रीयंत्र (Shri Yantra) की भी पूजा की जाती है और लक्ष्मी जी के विशेष मंत्रों का उच्चारण करने से मां ज़ल्दी ही प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि बढ़ाती हैं. ये भी पढ़ें- मां लक्ष्मी के घर से जाने से पहले मिलते हैं ये संकेत, सावधान हो जाएं वरना होगा नुकसान कब किया जाता है वैभव लक्ष्मी का व्रत इस व्रत को स्त्री और पुरुष, दोनों ही कर सकते हैं. लेकिन सुहागिन स्त्रियों के लिए...

वैभव लक्ष्मी व्रत : A To Z Info ~ [HINDI]

हिन्दू मान्यता में शुक्रवार को लक्ष्मी देवी का व्रत रखा जाता है। इसे वैभवलक्ष्मी व्रत भी कहते है। इस दिन स्त्री-पुरुष देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हुए श्वेत पुष्प, श्वेत चंदन से पूजा कर तथा चावल और खीर से लक्ष्मी को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। वैभव लक्ष्मी व्रत Goddess Laxmi नाम वैभव लक्ष्मी व्रत अनुयायी हिन्दू,भारतीय, भारतीय प्रवासी संबंध लक्ष्मी देवी प्रकार हिन्दू व्रत उद्देश्य धन वैभव प्राप्ति आरम्भ शुक्रवार मां लक्ष्मी के संबंध में (About Goddess Lakshmi) श्री महालक्ष्मी के संबंध में अनेक लोक कथाएं प्रचलित हैं। पुराणों के अनुसार सुरों और असुरों द्वारा किये गये समुद्र मंथन में चौदह रत्नों से युक्त महालक्ष्मी जी का प्राकट्य हुआ था। शास्त्रों में कहा गया है कि लक्ष्मी सुयोग्य व्यक्ति के पास ही रह सकती है। सृष्टि में ब्रह्मा, विष्णु, शिव को सुयोग्य और शक्तिशाली स्वीकार करते हुए सृष्टि के संरक्षक भगवान विष्णु को लक्ष्मी प्रदान की गई। लक्ष्मी के अनेक नाम एवं स्वरूप हैं। ये स्वर्ग लक्ष्मी, गृह लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, गजलक्ष्मी आदि रूपों में सर्वव्यापिनी है। दुःख-दारिद्रय को दूर करने हेतु इनसे अधिक उत्तम व्रत किसी अन्य देवी-देवता का नहीं है। भगवती लक्ष्मी का पूजन सभी देवी-देवताओं ने किया है। द्वापर में युधिष्ठिर ने अपने खोए हुए राज्य को पुनः प्राप्त करने हेतु लक्ष्मी जी का व्रत किया। बगैर धन, वैभव के सभी सुख मनुष्य, देवता, असुरों से दूर रहते हैं। अतः इस सृष्टि में लक्ष्मी व्रत से बढ़कर अन्य कोई व्रत नहीं है वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम (Rules of Vaibhava Lakshmi vrat ) लक्ष्मी प्राप्ति के लिए तप, साधना और त्याग की जरूरत है। लक्ष्मी जी को मन में धारण कर उनका व्रत रखें तथा...

Vaibhav Lakshmi Vrat Puja Vidhi: इस विधि से करें वैभव लक्ष्मी की पूजा, मिलेगा माता का आशीर्वाद

Vaibhav Lakshmi Vrat: आज के युग में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच हर व्यक्ति अपने घर परिवार के लिए खुशहाली और समृद्धि (Happiness And Wealth) चाहता है, और इसके लिए वो मां लक्ष्मी (Goddess Laxmi) को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के जतन भी करता है. ताकि भविष्य में उसको या उसके परिजनों को कभी पैसों की कमी न हो, लेकिन क्या आप जानते है? एक आसान से व्रत से आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं. हिन्दू धार्मिक पुराणों में इस व्रत को वैभव लक्ष्मी व्रत (Vaibhav Lakshmi Vrat) कहा जाता है. यदि मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) आपसे रूठ गई हैं तो वैभव लक्ष्मी व्रत (Vaibhav Laxmi Vrat) से आप माता लक्ष्मी को मना सकते हैं. हिन्दू धर्म में मान्यता है कि शुक्रवार के दिन विधि-विधान से वैभव लक्ष्मी व्रत और पूजा पाठ करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनका साथ सदैव आपके साथ बना रहता है. आइए जानते हैं वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजा विधि (Vaibhav Lakshmi Vrat Puja Vidhi) इसे भी पढ़ें : कब और कैसे करें वैभव लक्ष्मी व्रत? हिन्दू पुराणों के अनुसार वैभव लक्ष्मी का व्रत (Vaibhav Lakshmi Vrat) पुरुष व स्त्री दोनों कर सकते हैं, लेकिन शादीशुदा महिलाओं के लिए यह व्रत ज्यादा शुभफलदाई माना जाता है. व्रत को करने के लिए आपको व्रत का संकल्प लेने के साथ ही मन में ही अपनी मनोकामना माता लक्ष्मी के सामने कहनी चाहिए, और अपने सामर्थ्य के अनुसार 7, 11 या 21 शुक्रवार तक वैभव लक्ष्मी व्रत का पालन करना चाहिए. इसे भी पढ़ें : वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजन विधि वैसे तो वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजा शाम को की जाती है लेकिन व्रत रखने के लिए सुबह से ही महिला या पुरुष को स्नान कर व्रत का पालन करना चाहिए. व्रत वाले दिन सुबह के समय फलाहार ...

वैभव लक्ष्मी व्रत विधि एवम कथा

“Maa Vaibhav Laxmi ” fast is quick result oriented fast. If you could not get immediate result then, again restart the fast after one month interval and keep fast continuously after every three month till you get desired result. व्रत के मुख्य नियम:-(Important rules of fast) 1. इस व्रत को परिवार का कोई भी सदस्य कर सकता है। यदि घर की स्त्रियाँ इस व्रत को करें तो अति उत्तम माना जाता है। लेकिन यदि परिवार में कोई विवाहित स्त्री ना हो तो कुँवारी कन्या भी इस व्रत को कर सकती है। यदि घर के पुरुष इस व्रत को करें तो अति उत्तम फल देनेवाला कहा जाता है। 1. Any family member can keep this fast. It is more result oriented if women member keep this Vaibhav-laxhmi fast. If there are no married women at home then unmarried girl can also keep thee fast. It is most beneficial if, male family member keep this fast. 2. यह व्रत प्रत्येक शुक्रवार को किया जाता है। इस व्रत को शुरु करने से पहले यह तय कर लें की आप कितने शुक्रवार तक यह व्रत करेंगे। ( जैसे -11,21, इत्यादि)। जब आप व्रत आरम्भ करें तभी यह संकल्प करें कि आप इस व्रत को 11 या 21 या और अधिक शुक्रवार तक करेंगे तथा व्रत समाप्त होने पर यथापूर्वक उद्यापन करेंगे। 2. This fast keeps on every Friday. You must decide that how many Friday you will keep this fast before start the fast; like 11, 21, 51 etc..So, that you can take oath / sankalp at the beginning of “Vaibhav Laxhmi” fast and you will do the udyapan after completion of fast. 3. व्रत के शुक्रवार को स्त्री रजस्वला हो या सूतकी हो अथवा यदि आप घर से बाहर हों तो उस शुक्रवार को व्रत ना करें। हमेशा ...