वैश्वीकरण

  1. 03: उदारीकरण; निजीकरण और वैश्वीकरणः एक समीक्षा / Bharatiya Arthvyavstha ka Vikas
  2. वैश्वीकरण : सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव
  3. वैश्वीकरण की आड़ में संरक्षणवाद
  4. क्षैतिज असमानता
  5. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण
  6. उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति
  7. Globalization
  8. वैश्वीकरण क्या है


Download: वैश्वीकरण
Size: 2.69 MB

03: उदारीकरण; निजीकरण और वैश्वीकरणः एक समीक्षा / Bharatiya Arthvyavstha ka Vikas

• • NCERT: Text Format • • • • • • • • • • • • • Rationalised NCERT • • • • • • • • • • • • • Old NCERT (2015) • • • • • • • • • • • • • Lab Manuals & Kits • • e-Books for UPSC • • Android App • • NCERT Books • • • • • • • • • H. C. Verma • • • Lakhmir Singh • • • • • • • • • R. D. Sharma • • • • • • • • R. S. Aggarwal • • • • • • • All in One • • • • • • • • • Evergreen Science • • • Together with Science • • • Xam Idea 10 th Science • • Classroom Courses • • • • • • • UPSC Exams • • Teaching • • Banking • • • Hair Accessories • Jewellery • Stationery • Lunch Boxes • • Explore Store नियोजित विकास के चालीस वर्षों के बाद, भारत एक सशक्त औद्योगिक आधार तथा खाद्यन्नों के उत्पादन में स्व-निर्भरता प्राप्त करने में सक्षम रहा है। इसके बावजूद, जनसंख्या का एक बड़ा भाग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। 1991 में, भुगतान संकट के कारण भारत में आर्थिक सुधार का सूत्रपात हुआ। इस इकाई में सुधारों की प्रक्रिया तथा भारत के संदर्भ में उनके प्रयोग का मूल्यांकन किया गया है। 3.1 परिचय आपने पिछले अध्याय में पढ़ा कि स्वतंत्रता के बाद भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था के ढाँचे को अपनाया। इसमें पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताओं के साथ समाजवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ एक साथ थीं। कुछ विद्वानों का तर्क है कि इन वर्षाें में इस व्यवस्था के नियमन और नियंत्रण के लिए इतने अधिक नियम-कानून बनाए गए कि उनसे आर्थिक संवृद्धि और विकास की समूची प्रक्रिया ही अवरुद्ध हो गई। अन्य विद्वानों का मत है कि भारत जिसने अपनी विकास-यात्रा लगभग गतिहीनता के स्तर से वही आरंभ की थी, जो बचत में संवृद्धि और विविधतापूर्ण औद्योगिक आध...

वैश्वीकरण : सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव

प्रश्न: वैश्वीकरण, सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से भारत की समकालीन शिक्षा प्रणाली को आकार देने में एक महत्वपूर्ण शक्ति रहा है। परीक्षण कीजिए। दृष्टिकोण • वैश्वीकरण को संक्षिप्त में परिभाषित कीजिए। • भारतीय शिक्षा प्रणाली पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों की संक्षिप्त चर्चा कीजिए। उत्तर • वैश्वीकरण से तात्पर्य वैश्विक प्रक्रियाओं की एक बहुआयामी व्यवस्था से है, जो विश्व भर में सामाजिक अंतर्निर्भरता और आदान-प्रदान को सृजित करता है, बढ़ाता है, विस्तृत करता है और तीव्र बनाता है, वहीं दूसरी ओर लोगों में स्थानीय और दूरस्थ के मध्य संबंधों को सुदृढ़ बनाने के प्रति बढ़ती जागरूकता को बनाए रखता है। • भारत में शिक्षा प्रणाली पर वैश्वीकरण का प्रभाव अन्तर्भूत और महत्वपूर्ण है। समकालीन भारतीय शिक्षा में सार्वजनिक और निजी स्वामित्व विद्यमान है साथ ही इसकी विषय वस्तु उदार और धर्मनिरपेक्ष प्रकृति की है। तथापि, वैश्वीकरण ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को जटिल और परस्पर विरोधी तरीकों से प्रभावित किया है: सकारात्मक प्रभाव: • प्रतिस्पर्धा के माध्यम से गुणवत्ता का बेहतर होना: वैश्वीकरण ने प्रतिस्पर्धा और सहयोग का सृजन किया है जो भारत में शिक्षा परिदृश्य के सकारात्मक पुनरुद्धार के लिए आवश्यक है। इसने विभिन्न स्तरों पर ज्ञान और कौशल के वैश्विक साझाकरण को भी बढ़ावा दिया है। • चयन की व्यापकता: छात्र और संकाय सदस्य अब भारत में ही ग्लोबल डिस्टेंस लर्निंग नेटवर्क (GDLN), MOOCs, फैकल्टी एक्सचेंज एग्रीमेंट आदि जैसी पहलों के माध्यम से अपनी पसंद की शैक्षिक प्रणाली का लाभ उठा सकते हैं। इस प्रकार विश्व के सर्वोत्तम अवसरों का लाभ उठाया जा सकता है। • देशों और क्षेत्रों में सांस्कृतिक विविधता के प...

वैश्वीकरण की आड़ में संरक्षणवाद

टैग्स: • वैश्वीकरण का आशय विश्व अर्थव्यवस्था में खुलापन, बढ़ती आत्मनिर्भरता तथा आर्थिक एकीकरण के विस्तार से लगाया जाता है। वैश्वीकरण के तहत विश्व बाज़ारों के मध्य पारस्परिक निर्भरता की स्थिति उत्पन्न होती है तथा देश की सीमाओं को पार करते हुए व्यवसायों का स्वरूप विश्वव्यापी हो जाता है। वैश्वीकरण के तहत ऐसे प्रयास किये जाते हैं कि विश्व के सभी देश व्यवसाय एवं उद्योग के क्षेत्र में एक-दूसरे के साथ सहयोग एवं समन्वय स्थापित कर सकें। परंतु वर्तमान समय में वैश्वीकरण के प्रयासों के मध्य संरक्षणवाद ने पनाह ले ली है। संयुक्त राज्य अमेरिका जो स्वंय को वैश्वीकरण का पैरोकार कहता था, आज संरक्षणवादी नीतियों को प्रश्रय देने लगा है। यह बात सोचने वाली है कि एक समय तक वैश्वीकरण का नेतृत्व करने वाला देश अचानक से संरक्षणवादी नीतियों को प्र‌श्रय क्यों देने लगा है। अमेरिका का यह झुकाव क्या सिर्फ राष्ट्रवाद है या फिर वर्तमान में स्वतंत्र व्यापार का स्वरूप विकृत होने लगा है? क्या स्वतंत्र व्यापार में आई कमियों को सिर्फ संरक्षणवाद से ही दूर किया जा सकता है? गौरतलब है कि वैश्वीकरण एवं संरक्षणवाद एक-दूसरे की विपरीत अवधारणाएँ हैं। वैश्वीकरण स्वतंत्र व्यापार पर आधारित होता है, जहाँ पर बिना किसी भेदभाव के वस्तुओं एवं सेवाओं का स्वतंत्र व्यापार होता है। परंतु इसके विपरीत संरक्षणवादी नीति में विदेशी उत्पादों के साथ भेदभाव कर उनकी कीमतों या मात्रा आदि को दुष्प्रभावित किया जाता है। इसकी वजह विदेशी उत्पादों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता में कमी एवं उनके बदले स्वदेशी उत्पादों की मांग में वृद्धि करनी होती है। इस प्रकार सरकारें घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्द्धा से सुरक्षा प्रदान करती है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में...

क्षैतिज असमानता

क्षैतिज असमानता असमानता है - आर्थिक, सामाजिक या अन्य - जो लोगों के लिए बुद्धिमत्ता, अर्थशास्त्र में क्षैतिज असमानता तब देखी जाती है जब समान मूल, बुद्धि आदि के लोग अभी भी समान सफलता नहीं पाते हैं और अलग-अलग स्थिति, आय और पारंपरिक आर्थिक सिद्धांत भविष्यवाणी करता है कि मुक्त बाजार में क्षैतिज असमानता मौजूद नहीं होनी चाहिए। हालांकि, क्षैतिज असमानता वास्तविक और अनुकरणीय 'मुक्त बाजार' प्रणालियों में देखी जाती है। पेरेटो इष्टतम अर्थव्यवस्था समस्या का एक पारंपरिक दृष्टिकोण है। सिम्युलेटेड सिस्टम में भी, "अमीर और गरीब" देने के लिए पूरी तरह से समान अभिनेताओं की असमानता उत्पन्न होती है। अनुक्रम • 1 कारण • 1.1 प्रभाव • 1.2 अन्य समाजशास्त्रीय संबंध • 2 यह सभी देखें • 3 संदर्भ कारण [ ] क्षैतिज असमानता के तीन मुख्य कारण हैं; प्रत्यक्ष भेदभाव, सार्वजनिक वस्तुओं की विशिष्टता और संसाधनों तक असमान पहुंच। इन संसाधनों में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संसाधन शामिल हैं। इन संसाधनों तक पहुंच का अभाव अवसर की असमानता की ओर ले जाता है, जो बाद में परिणाम की असमानता को जन्म दे सकता है। समूहों के बीच सीमित गतिशीलता के कारण क्षैतिज असमानता बनी रहती है। प्रभाव [ ] किसी की स्वयं की छवि के कारण क्षैतिज असमानता का मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अक्सर नकारात्मक बाह्यताएं हो सकती हैं, यह उस समूह पर निर्भर करता है जिसका एक हिस्सा है। निहित या स्पष्ट भेदभाव के साथ-साथ कथित भेदभाव (इस बात की परवाह किए बिना कि किसी के साथ भेदभाव किया जा रहा है या नहीं) के कारण हाशिए के समूह के साथ पहचान करने से किसी की आत्म-धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। वंचित सांस्कृतिक समूह अपनी सामूहिक स्थिति पर विरोध...

उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण

• दे • वा • सं 1980 का दशक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरणमाँडल ( एक अधिक कुशल स्तर करने के लिए देश की अर्थव्यवस्था को उठाने पर लक्षित व्यापार, विनिर्माण करने का संबंध है, और वित्तीय सेवाओं ने उद्योगों के साथ जगह ले ली है कि सुधारों की श्रृंखला। इन आर्थिक सुधारों को एक महत्वपूर्ण तरीके से देश के समग्र आर्थिक विकास को प्रभावित किया था। उदारीकरण उदारीकरण सरकार के नियमों में आई कमी को दर्शाता है। भारत में निजीकरण और वैश्वीकरण निजीकरण के रूप में अच्छी तरह से निजी क्षेत्र के लिए व्यापार और सेवाओं और अनुक्रम • 1 एलपीजी और भारत के आर्थिक सुधार नीति • 2 नरसिंह राव समिति की सिफारिशें • 2.1 नीति की मुख्य विशेषताएं • 2.2 इस प्रकार इस नीति के व्यापक सुविधाओं थे: • 3 उदारीकरण • 3.1 भारतीय उद्योग ने उदारीकरण के लिए सम्मान के साथ जगह ले ली है: • 4 निजीकरण • 5 वैश्वीकरण • 6 इन्हेंभीदेखें एलपीजी और भारत के आर्थिक सुधार नीति [ ] 15 अगस्त 1947 को अपनी स्वतंत्रता के बाद, भारत गणराज्य समाजवादी आर्थिक रणनीतियों के लिए अटक गया। 1980 के दशक में राजीव गांधी भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री, आर्थिक पुनर्गठन उपायों के एक नंबर शुरू कर दिया। 1991 में, देश के खाड़ी युद्ध और तत्कालीन सोवियत संघ के पतन के बाद भुगतान दुविधा की एक संतुलन का अनुभव किया। देश स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड और 20 टन सोने की 47 टन की राशि जमा करने के लिए किया था। इस आईएमएफ या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ एक वसूली संधि के तहत जरूरी हो गया था। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष व्यवस्थित आर्थिक पुनर्संगठन के एक दृश्य की कल्पना करने के भारत जरूरी हो। नतीजतन, देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने आ...

उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति

More • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति (LPG सुधार की नीति) भारत सरकार ने 1991 में नए आर्थिक सुधारों की घोषणा की थी जिसे नई आर्थिक नीति (न्यू इकोनामिक पॉलिसी) या आमतौर पर LPG सुधार के नाम से जाना जाता है | यहां “L” का तात्पर्य लिबरलाइजेशन (उदारीकरण); “P” का अर्थ प्राइवेटाइजेशन (निजीकरण) और “G” का अर्थ ग्लोबलाइजेश...

Globalization

• Afrikaans • Alemannisch • العربية • Aragonés • অসমীয়া • Asturianu • Avañe'ẽ • Azərbaycanca • تۆرکجه • বাংলা • Bân-lâm-gú • Башҡортса • Беларуская • Беларуская (тарашкевіца) • Български • Bosanski • Brezhoneg • Буряад • Català • Čeština • Cymraeg • Dansk • Deutsch • Eesti • Ελληνικά • Emiliàn e rumagnòl • Español • Esperanto • Euskara • فارسی • Fiji Hindi • Føroyskt • Français • Frysk • Gaeilge • Galego • گیلکی • ગુજરાતી • 한국어 • Հայերեն • हिन्दी • Hrvatski • Ido • Ilokano • বিষ্ণুপ্রিয়া মণিপুরী • Bahasa Indonesia • Íslenska • Italiano • עברית • Jawa • Kabɩyɛ • ಕನ್ನಡ • Къарачай-малкъар • ქართული • Қазақша • Kernowek • Kiswahili • Kriyòl gwiyannen • Кыргызча • ລາວ • Latina • Latviešu • Lëtzebuergesch • Lietuvių • Limburgs • Lingua Franca Nova • Lombard • Magyar • Македонски • Malagasy • മലയാളം • मराठी • მარგალური • Bahasa Melayu • Mirandés • Монгол • မြန်မာဘာသာ • Nederlands • नेपाली • नेपाल भाषा • 日本語 • Нохчийн • Norsk bokmål • Norsk nynorsk • Occitan • Oʻzbekcha / ўзбекча • ਪੰਜਾਬੀ • پنجابی • پښتو • Patois • Piemontèis • Polski • Português • Qaraqalpaqsha • Română • Rumantsch • Русиньскый • Русский • Саха тыла • संस्कृतम् • Scots • Shqip • Sicilianu • සිංහල • Simple English • Slovenčina • Slovenščina • کوردی • Српски / srpski • Srpskohrvatski / српскохрватски • Sunda • Suomi • Svenska • Tagalog • தமிழ் • Татарча / tatarça • తెలుగు • ไทย • Тоҷикӣ • Türkçe • Українська • اردو • Tiếng Việt • Võro • Winaray • 吴语 • ייִדיש • 粵語 • Zazaki • Žemaitėška • 中文 • v • t • e Globalizati...

वैश्वीकरण क्या है

- Advertisement - किसी भी देश को आगे बढ़ने में वैश्वीकरण में अपना सबसे बड़ा सहयोग दिया है। यदि आप यह सोच रहे हैं कि वैश्वीकरण क्या है और यह कैसे शुरू हुआ और कैसे इसने हमें लाभ पहुंचाया तो आप इन सभी का जवाब हमारी इस पोस्ट “ वैश्वीकरण क्या है – परिभाषा, प्रभाव और परिणाम” मैं पा सकते हैं। इसके साथ-साथ आपको यहां पर वैश्वीकरण का इतिहास और इससे होने वाले लाभ और हानि आदि के बारे में भी जानने को मिलेगा। • • • • • • • • वैश्वीकरण क्या है – What is Globalisation in Hindi जब भी किसी देश में व्यापार बढ़ता है तो उस देश का बाजार व्यापार के अनुसार छोटा लगने लगता है और एक नए बाजार की कमी महसूस होने लगती है जिसके कारण दुसरे देशों के बाजारों से सम्बन्ध स्थापित किया जाता है। इस प्रकार जिस तरह व्यापार बढ़ रहा है इस प्रवृति ने दुनिया के सब देशों को निकट ला दिया है। जिससे पूरी दुनिया के बाजारों का एकीकरण हुआ है। ऐसा होने से लगने लगा है जैसे पूरा विश्व किसी बड़े गाँव के जैसा है जिसमें एक ही बाजार है। जब एक देश में निर्मित वस्तुओं को दुसरे देश के बाजारों में बेचा जाता है तो इसको हम वैश्वीकरण कहते हैं। व्यापार को बढ़ाने और नए बाजारों की खोज ने परिवहन के साधनों में भी बढ़ोतरी की है। क्योंकि एक देश के बाजार का दुसरे देश के बाजार से सम्बन्ध स्थापित करने में परिवहन के साधनों की अहम् भूमिका है। वैश्वीकरण ने पूरी दुनिया के बाजारों को बहुत निकट ला दिया है, और इन सब बाजारों ने मिलकर एक नए विश्व बाजार का रूप ले लिया है ऐसा प्रतीत हो रहा है। सब बाजार मिलकर एक इकाई के रूप में कार्य कर रहे हैं। - Advertisement - इस प्रकार हम कह सकते हैं की वैश्वीकरण का अर्थ है सब देशों का मिलकर, परस्पर समन्वय और सहयोग से एक बाजार...