वैश्वीकरण के आर्थिक आयाम

  1. वैश्वीकरण के आयाम pdf
  2. 04: वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था / Arthik Vikas ki Samaj
  3. वैश्वीकरण : गतिमंदता अथवा परिवर्तनशीलता
  4. वैश्वीकरण क्या है इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव?
  5. कोरोना वैश्वीकरण और महात्मा गांधी का आर्थिक विकास का मॉडल आज कहीं श्रेष्ठतर विकल्प


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वैश्वीकरण के आयाम pdf

वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है।[1]वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के सन्दर्भ में किया जाता है, अर्थात, व्यापार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पूंजी प्रवाह, प्रवास और प्रौद्योगिकी के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण

04: वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था / Arthik Vikas ki Samaj

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वैश्वीकरण : गतिमंदता अथवा परिवर्तनशीलता

प्रासंगिकता / पाठ्यक्रमसेसम्बद्धताकीवर्ड-दइकोनॉमिस्ट, ग्लोबलविलेज,ऑक्सफैमरिपोर्ट, बहुपक्षीयबनाममिनी-लेटरल (मात्रकुछदेशोकेसमूह ), बेल्टएंडरोडइनिशिएटिव, इंटरनेशनलटैक्सहैवन संदर्भ: • विश्वमेंकोरोनामहामारीकेपूर्वहीवैश्वीकरणकीअवधारणाकमजोरहोनेलगीथीतथाऐसामानाजारहाथाकि 1990 से 2008 तकविश्वकीसर्वाधिकमहत्वपूर्णआर्थिकअवधारणा, वैश्वीकरणकाचरणअबसमाप्तहोरहाहै। • दइकोनॉमिस्टकेएकलेखकेअनुसार, 2008-09 केबादकीअवधिमें, "सीमापारनिवेश, व्यापार, बैंकऋणऔरआपूर्तिश्रृंखलासभीविश्वजीडीपीकेसापेक्षस्थिरअथवासंकीर्णहोरहेथे। वैश्वीकरणक्याहै? • वैश्वीकरणएकऐसीप्रक्रियाहैजिसकेद्वाराक्षेत्रीयअर्थव्यवस्थाओं, समाजोंतथासंस्कृतियोंकोसंचार, परिवहनतथाव्यापारकेवैश्विकनेटवर्ककेमाध्यमसेएकीकृतकियागयाहै। • वैश्वीकरणएकसीमाहीनविश्वकीपरिकल्पनाकरताहै।यहसम्पूर्णविश्वकोवैश्विकगांवकेरूपमेंदेखताहै।यहवस्तुओं , व्यक्तियों, पूंजी, सूचनातथाऊर्जाकेसीमापारत्वरितप्रवाहकोसुनिश्चितकरताहै। विभिन्नतकनीकी, आर्थिकऔरराजनीतिककारकजोवर्तमानमेंवैश्वीकरणविरोधीप्रवृत्तियोंकोजन्मदेरहेहैं- • परिवहनऔरसंचारक्रांति: परिवहनऔरसंचारकेविशालप्रभाव (विशेषरूपसे, व्यापकजेटऔरकंटेनरजहाजोंकेआगमन, औरइंटरनेटऔरआईटीक्रांतिकेकारणसूचनाकेकमवैश्विकप्रवाह) नेसूचनाविषमताकोकमकरदियाहै। • गैट/डब्ल्यूटीओकेतत्वावधानमेंकईदौरकीबहुपक्षीयवार्ताकेबादभीवैश्विकसहमतिनहींबनपाती। • बहुराष्ट्रीयकंपनियांबनामस्थानीयकंपनियां:- सम्पूर्णविश्वमेंअपनेनेटवर्ककाएकजालबनाकरआपूर्तिश्रृंखलासुनिश्चितकरनेवालीबहुराष्ट्रीयकम्पनियोकोत्वरितरूपसेसीखकरआगेबढ़नेवालीस्थानीयकंपनियोंकेसाथप्रतिस्पर्धाकरनाकठिनहोरहाहै।स्थानीयकंपनियोंकोराज्यकासंरक्षणभीप्राप्तहोताहै। वैश्वीकरणकेविरुद्धबढ़ताअसंतोष : • वित्तीयवैश्वीकरणकेका...

वैश्वीकरण क्या है इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव?

वैश्वीकरण एक प्रक्रिया (Process) है, जबकि वैश्विकृत विश्व (Globalized World) लक्ष्य है, जिसे हासिल किया जाना है। साधारणत: यह एक आर्थिक संकल्पना है परंतु इसके राजनीतिक, सांस्कृतिक, प्रोद्योगिकी आयाम भी हैं। वैश्वीकरण आखिरकार क्या है? इसके प्रमुख घटक क्या है? इसके लिए वैश्वीकरण की कोई सार्वभौमिक एवं निश्चित परिभाषा नहीं है। सामान्य अर्थों में वैश्वीकरण से तात्पर्य भौगोलिक सीमाओं का न होना तथा भौगोलिक दूरियों की समाप्ति को माना जा सकता है। अर्थात् अलग-अलग राष्ट्रों (देशों) एवं व्यक्तियों से संबंधित विचारों, तकनीकों, संस्कृतियों तथा अर्थव्यवस्थाओं के बीच घटती दूरियां तथा अदान-प्रदान है। Table of Contents Show • • • • • • • • • • • • वैश्वीकरण के कारण (Reasons Behind Globalization) दुनिया के राष्ट्रों और लोगों के बीच कम होते इस फासले के कई कारण है, जैसे कि :- • विज्ञान एवं तकनीक का विकास • देशो के बीच आपसी निर्भरता • घटनाओं का विश्वव्यापी प्रभाव • बड़े पैमाने पर उत्पादन एवं नये बाजारों की तलाश • उत्पादन, औद्योगिक संरचना एवं प्रबंधन का लचीलापन • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय एवं वाणिज्यिक संस्थाए (विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व व्यापार संगठन) वैश्वीकरण का इतिहास (History of Globalization) वैश्वीकरण की उत्पत्ति को लेकर कुछ विद्वानों का मत है कि वैश्वीकरण बीसवीं शताब्दी की देन है, किंतु हमें यह भी बात ध्यान रखनी चाहिए कि वैश्वीकरण अलादीन के चिराग के जिन की तरह अचानक से बीसवीं शताब्दी में उत्पन्न नहीं हुआ। बल्कि इसका स्वरूप तो प्राचीन काल से ही विकसित होता चला आ रहा है। इतिहासकार, साधु-महात्मा तथा राजा तब धन, शक्ति और ज्ञान की तलाश में नए-नए मार्गों की तलाश करते हुए दूर-दर...

कोरोना वैश्वीकरण और महात्मा गांधी का आर्थिक विकास का मॉडल आज कहीं श्रेष्ठतर विकल्प

विमल कुमार। संकट सदैव संभावनाओं की राह तलाशने को प्रेरित करता है। कोरोना संकट ने भी नई संभावनाओं और एक नए विमर्श को जन्म दिया है। संकट के इस दौर में हम ग्लोबल से लोकल की तरफ उन्मुख हो रहे हैं। 20वीं सदी के अंत की वैश्वीकरण की लोकप्रिय अवधारणा और विकास के विभिन्न प्रतिमानों पर फिर से चर्चा जोर पकड़ रही है। सामान्य अर्थो में वस्तु, सेवा तथा वित्त के मुक्त प्रवाह की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण है और वैश्वीकृत विश्व ही इस प्रक्रिया का लक्ष्य है, जिसे पाया जाना है। वैश्वीकरण एक आर्थिक संकल्पना है जिसका तात्पर्य घरेलू अर्थव्यवस्था का वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण है। परंतु इसके सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक आयाम भी हैं। इस प्रक्रिया के फलस्वरूप शेष विश्व में हो रहे घटनाक्रम का घरेलू अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता रहा है। विदेशी वस्तुओं और पूंजी के लिए घरेलू बाजार खोलना पड़ा। विदेशी पूंजी और व्यापार से सभी प्रतिबंध हटा दिए गए। इससे घरेलू उत्पादों के लिए विदेशी बाजारों में पहुंच मिली। गुणवत्तायुक्त उत्पादों का उत्पादन किया जाता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में टिकने में मदद मिलती है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मुख्य रूप से आर्थिक नीतियों में बदलाव किया गया है। विभिन्न देशों द्वारा आयात लाइसेंस में ढील दी जा रही है अर्थात आयात पर से प्रतिबंध को सीमित किया जा रहा है। साथ ही शुल्क ढांचे को ताíकक बनाया जा रहा है। वित्तीय और व्यापार क्षेत्र में सुधार किया जा रहा है। आधारभूत ढांचे में भी सुधार करके अर्थव्यवस्था को जीवंत बनाने की कोशिश की जा रही है। इस प्रक्रिया के फलस्वरूप औद्योगिक उत्पादन में उत्साह है और निजी क्षेत्र का प्रवेश सरल हुआ है। उपभोक्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही ...