Vaishvikaran ke do arthik prabhav

  1. गांधी और उनके विचार
  2. vaishvikaran ke samajik prabhav, वैश्वीकरण का भारतीय समाज पर प्रभाव
  3. वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव क्या है? » Vaishvikaran Ke Aarthik Prabhav Kya Hai


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गांधी और उनके विचार

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में महात्मा गांधी और उनके विचारों का उल्लेख किया गया है। साथ ही वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता पर भी चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। जो बदलाव तुम दुनिया में देखना चाहते हो, वह खुद में लेकर आओ -महात्मा गांधी महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि “भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।” गांधी के विचारों ने दुनिया भर के लोगों को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि करुणा, सहिष्णुता और शांति के दृष्टिकोण से भारत और दुनिया को बदलने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने समस्त जीवन में सिद्धांतों और प्रथाओं को विकसित करने पर ज़ोर दिया और साथ ही दुनिया भर में हाशिये के समूहों और उत्पीड़ित समुदायों की आवाज़ उठाने में भी अतुलनीय योगदान दिया। साथ ही महात्मा गांधी ने विश्व के बड़े नैतिक और राजनीतिक नेताओं जैसे- मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और दलाई लामा आदि को प्रेरित किया तथा लैटिन अमेरिका, एशिया, मध्य पूर्व तथा यूरोप में सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलनों को प्रभावित किया। महात्मा गांधी - परिचय गांधी जी का जन्म पोरबंदर की रियासत में 2 अक्तूबर, 1869 में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी, पोरबंदर रियासत के दीवान थे और उनकी माँ का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। मात्र 13 वर्ष की उम्र में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा कपाड़िया से कर दिया गया। गांधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट से प्राप्...

vaishvikaran ke samajik prabhav, वैश्वीकरण का भारतीय समाज पर प्रभाव

वैश्वीकरण प्रतिस्पर्धी दुनिया में एक महत्वपूर्ण कारक है जो वैश्विक स्तर पर लोगों के सांस्कृतिक मूल्यों को एकीकृत और संगठित करता है। तेजी से तकनीकी प्रगति के युग में, वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण कई देश एकीकृत और परिवर्तित हो गए हैं। वैश्वीकरण का देशों के सांस्कृतिक, सामाजिक, मौद्रिक, राजनीतिक और सांप्रदायिक जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। प्रचुर मात्रा में सैद्धांतिक अध्ययनों से पता चला है कि वैश्वीकरण जनसंख्या के सांस्कृतिक जीवन में हस्तक्षेप करता है जो कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाता है (रॉबर्टसन, 1992)। व्यापक अर्थों में, 'वैश्वीकरण' शब्द का अर्थ है सूचना, विचारों, प्रौद्योगिकियों, वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी, वित्त और लोगों के क्रॉस कंट्री प्रवाह के माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं और समाजों का संयोजन। भारत में वैश्वीकरण के पहलू प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया भर में वैश्वीकरण के शुरुआती रुझान कई बाधाओं के कारण कम हो गए, जिन्होंने वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया। वास्तव में, सांस्कृतिक और सामाजिक एकीकरण आर्थिक एकीकरण से भी बढ़कर है। वैश्वीकरण कंपनी स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाता है, जो कंपनी प्रबंधन और सरकारों को उत्पादकता, गुणवत्ता और नवाचार के संदर्भ में श्रम प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई रणनीतियों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। आम तौर पर, वैश्वीकरण में ऐसी अर्थव्यवस्थाएं शामिल होती हैं जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए खुल रही हैं और जो अंतरराष्ट्रीय पूंजी के खिलाफ अंतर नहीं करती हैं। नतीजतन, वैश्वीकरण अक्सर बाजारों के उदारीकरण और उत्पादक संपत्तियों के निजीकरण के साथ होता है। लेकिन वैश्वीकरण से बेरोजगारी भी ब...

वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव क्या है? » Vaishvikaran Ke Aarthik Prabhav Kya Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। नमस्कार आपका किसना कि वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव क्या है देखिए वैश्वीकरण का मतलब होता है कि विश्व से दूसरे देशों से आने वाली वस्तुए जिनको हमारे देश के जो लोग हैं उन लोगों को अपना रहे हैं उसका मतलब होता है वैश्वीकरण तो इसके प्रभाव यह रहा कि हमारे जो उद्योग धंधे हैं वह धीरे-धीरे बंद हो रही बाहर की चीजों को ज्यादा अपना रहे हैं हमारे यहां खादी कब चलता लेकिन आज हम सब लोगों ने देश पहन रखे जो भारत के भविष्य के बड़े एक बड़ी कंपनी भारत में स्थापित कर रखी है रोली के द्वारा वजन से वगैरह सप्लाई होते छोटी से छोटी चीज से आप यह मान सकते हैं इसका प्रभावी रहा है यह बेरोजगारी की समस्या है व्यक्ति अपने फिर दूर खड़ा नहीं हो सकता सबसे बढ़िया है कि यदि व्यक्ति लघु उद्योग कुटीर उद्योग में किसी दूसरे के उपर निर्भर नहीं रहना पड़ता लेकिन इसके कारण लोगों का जो ध्यान है वह विश्व पटल पर जो हो रही विभिन्न क्रियाएं जो भारत में आयात निर्यात का काम होता है उसका पेपर जब बाहर से आने वाली चीजों को लोग ज्यादा आकर्षित होते हैं या हो सकता है कि मुझे चेंज से फोन आ रहे हैं चाइनीस फोन है वह बहुत सोचते हैं भारत में जो फोन में थोड़े महंगे लोग सस्ते के चक्कर में उसको ज्यादा उपयोग करने लग रहे हैं इसकी हानी भरत को अवश्य ही हो रही है namaskar aapka kisna ki vaishvikaran ke aarthik prabhav kya hai dekhiye vaishvikaran ka matlab hota hai ki vishwa se dusre deshon se aane wali bastuye jinako hamare desh ke jo log hai un logo ko apna rahe hai uska matlab hota hai vaishvikaran toh iske prabhav yah raha ki ha...