Vaishvikaran mein praudyogiki ka kya yogdan hai

  1. जैव विविधता क्या है? महत्व/आवश्यकता, प्रकार
  2. स्वयं प्रकाश, Popular Questions: CBSE Class 10 HINDI, Ncert Solutions
  3. मेरे बचपन के दिन, Popular Questions: CBSE Class 9 HINDI, क्षितिज भाग 1 Ncert Solution
  4. पुनर्जागरण का अर्थ, कारण एवं विशेषताएं


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जैव विविधता क्या है? महत्व/आवश्यकता, प्रकार

जैव विविधता किसे कहते हैं? (jaiv vividhata kya hai) jaiv vividhata arth mahatva prakar;जैविक विविधता का अर्थ है पृथ्वी पर उपस्थित अनेक प्रकार के जीव-जन्तु उनके आकार-प्रकार व्यवहार, जीवनचक्र और प्रकृति मे उनका योगदान ब्लू ह्रेल मछली से लगाकर सूक्ष्मदर्शी, जीवाणु, मनुष्य से लेकर फफून्द और सैकड़ों लाखो मे बिखरा प्रकृति का यह जीवित खजाना मनुष्य के विकास का गवाह है और उसके भविष्य की निधि भी है। सतही संदर्भ मे कहा जा सकता है कि घांस का गेहूं खाने वालो से क्या संबंध है। किन्तु इस घासों के कारण ही गेहूं और चावल की किस्मों का जन्म हुआ है। सब तथा परस्पर जुड़े हुए है। जैव विविधता शब्द का सर्मथन प्रयोग सन् 1986 मे वाल्टर जी. रोसेन नामक जीव विज्ञानी ने किया। रोसेन के अनुसार," पादपों, जन्तुओं तथा सूक्ष्म जीवो की विविधता तथा भिन्नता तथा भिन्नता जैव विविधता कहलाती है।" संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार," जीव-जन्तुओं मे मिलने वाली भिन्नता, विषमता तथा पारिस्थितिक जटिलता को जैव विविधता कहा जाता है। वस्तुतः जैव विविधता मे पौधों तथा जन्तुओं (पादप, जन्तु तथा सूक्ष्म जीवधारी) की विभिन्न प्रजातियां सम्मिलित होती है, जो किसी पारिस्थितिकी तंत्र मे पारस्परिक क्रियाओं के परिणामस्वरूप निवास करती है। जैव विविधता मे पौधों तथा जन्तुओं की विभिन्न प्रजातियां सम्मिलित होती है। संक्षेप मे जैव विविधता जीन्स, प्रजातियों तथा पारिस्थितिक तंत्रो की समग्रता होती है। जैविक विविधता की आवश्यकता तथा महत्व jaiv vividhata ka mahatva;व्यावहारिक जीवन मे जैविक विविधता के महत्व तथा आवश्यकता को प्रायः क्रमबद्ध करना कठिन है, क्योंकि यह प्राणी मात्र के जीवन के हर क्षेत्र को किसी-न-किसी तरह लाभ पहुंचाता है तथा वस्तुतः हमे स्वस्थ, स...

स्वयं प्रकाश, Popular Questions: CBSE Class 10 HINDI, Ncert Solutions

1." NETAJI KA CHASMAH" KAHANI CAPTAIN CHASMAHWALE KE MADHYAM SE DESH KE KARORO NAGRIKO KE YOGDAN KO REKHANKIT KARTI HAI-PROVE IT? 2.PAANWALE KE LIYE-- -------DRAVIT KARNE WALI-YEH LINE KIS BAAT KI ORR SANKET KARTI HAI?ISSE DESH KI VARTAMAN STITHI( PRSENT SOTUATION) KISS PRAKAR UBHAR KAR AII HAI? PLZ ANSWER THIS ONLY 2 QUESTIONS?PLZZZZZ HELP ME TO GET THE ANSWERS......

मेरे बचपन के दिन, Popular Questions: CBSE Class 9 HINDI, क्षितिज भाग 1 Ncert Solution

hello, i feel difficult to cover hindi syllabus in time during my studies due to my heavy syllabus in maths and science, in my 1st term i did not feel much difficult but in 2nd term i feel very difficult to cope up. i dont have time to read the whole lesson and understand in hindi i am totally diverted into covering my syllabus in maths and science which is very much imp of course hindi too. so iam very much worrried about hindi so can you please give me a brief summary of the lessons mere bachpan ke din and eake kutha aaur ake maina lesson no: 7and 8. kindy help me as soon as possible since i have a class test on 18-01-2011 tuesday . thankyou sathish kumar. E

पुनर्जागरण का अर्थ, कारण एवं विशेषताएं

यूरोप मे पुनर्जागरण का समय 1300 से 1600 ई. तक माना गया है। इस लेख मे हम पुनर्जागरण क्या है? पुनर्जागरण किसे कहते है? पुनर्जागरण का अर्थ, पुनर्जागरण के कारण और पुनर्जागरण की विशेषताएं जानेंगे। नीचे पुनर्जागरण के प्रभाव भी दिऐ गये है। पुनर्जागरण का अर्थ (punarjagran ka arth) पुनर्जागरण का शाब्दिक अर्थ होता है ", फिर से जगाना।" पं. नेहरू के शब्दों मे पुनर्जागरण का अर्थ है " विद्या, कला, विज्ञान, साहित्य और यूरोपीय भाषाओं का विकास।" मध्यकाल मे प्राचीन आर्दश एवं जीवन मूल्यों को भूला दिया गया था या उनको रूढ़ियों, अन्धविश्वासों, धार्मिक और राजनैतिक नेताओं के स्वार्थो की परतों ने ढँक लिया था, जिसे आधुनिक काल मे कुरेदकर झकझोर दिया गया। जिससे प्राचीन आदर्शो का स्मरण, वैज्ञानिक चिंतन व उपयोगिता का स्मरण हुआ तथा उन्होंने नवीन रूप धारण किया। अतः इसे पुनर्जागरण कहा गया। कुछ विद्वानों ने इस सांस्कृतिक पुनरोत्थान भी कहा है। पुनर्जागरण काल मुख्य तौर पर चौदहवीं शताब्दी के प्रारंभ को पुनजार्गरण काल का नाम दिया जाता है। सामान्य रूप से इतिहासकार इसका आरंभ मई 1453 से मानते है। इस काल मे यूरोवासियों ने जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदल कर अपनी समस्याओं पर विचार किया। वे प्रत्येक बात को वैज्ञानिकता के आधार पर लेने लगे और नवीन ज्ञान की प्राप्ति हुई। इस प्रक्रिया के दौर गुजरते हुए यूरोपवासियो ने जो वैचारिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं बौद्धिक उन्नति की, उसी को पुनजार्गरण काल कहा जाता है। यूरोप मे पुनर्जागरण एक आक्स्मिक घटना नही थी। मानवीय,जीवन के सभी क्षेत्रों मे धीरे-धीरे होने वाली विकास की प्रक्रिया का परिणाम ही पुनर्जागरण की पृष्ठभूमि थी। यूरोप मे आधुनिक मे पुनर्जागरण के निम्म कारण थे-- 1. कुस्तुन...