Vat savitri vrat katha 2023 in hindi

  1. Vat Savitri Vrat Katha 2023
  2. वट सावित्री व्रत 2023। Vat Savitri Vrat 2023: A Unique Tale Of Cultural Heritage
  3. Vat Savitri 2023: इस दिन क्‍यों की जाती है बरगद के वृक्ष की पूजा? जानिए व्रत का महत्‍व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
  4. Vat Savitri Vrat 2023: जानें वट सावित्री व्रत की कथा, सामग्री लिस्ट और पूजा विधि
  5. वट सावित्री अमावस्या के दिन पढ़ें यह व्रत कथा, पूजा हो जाएगी सफल, मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद
  6. Vat Savitri Purnima 2023 Date Shubh Muhurat Puja Vidhi Niyam Vrat katha And Importance In Hindi। Vat Savitri Purnima 2023: वट सावित्री पूर्णिमा व्रत, जानें शुभ मुहूर्त,नियम और पूजा विधि
  7. वट सावित्री व्रत 2023: व्रत का महत्व, कथा और पूजा विधि
  8. वट सावित्री व्रत 2023: व्रत का महत्व, कथा और पूजा विधि
  9. Vat Savitri Vrat Katha 2023
  10. Vat Savitri Vrat 2023: जानें वट सावित्री व्रत की कथा, सामग्री लिस्ट और पूजा विधि


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Vat Savitri Vrat Katha 2023

वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri Vrat Katha 2023) • वट सावित्री व्रत की कथा का उल्लेख भविष्य पुराण में मिलता है। वट सावित्री व्रत के नाम से पता चलता है कि यह व्रत सावित्री देवी द्वारा शुरू हुआ था। • पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सावित्री राजा अश्वपति की कन्या थीं और सत्यवान उनके पति थे। सावित्री ने सत्यवान को अपने वर के रूप में चुना था। • देवर्षि नारद (देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु को क्यों दिया श्राप) को जब यह पता चला तो उन्होंने सावित्री को सत्यवान के अल्पायु यानी कि कम आयु में ही रित्यु हो जाने वाली बात बताई। यह भी पढ़ें: • सावित्री ने चतुराई के साथ सत्यवान से 100 पुत्र होने का आशीर्वाद यमराज से मांगा। बिना सत्यवान के पुत्र संभव ही कहां। • यमराज समझ गए और उन्होंने पति की तरफ सावित्री की निष्ठा देख उन्हें सत्यवान के प्राण लौटा दिए। • तभी से यह ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत का चलन शुरू हुआ। इस दिन सावित्री सत्यवान की कथा सुनने से अखंड सौभग्य मिलता है। तो ये है वट सावित्री व्रत की संपूर्ण कथा। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। Image Credit: freepik, shutterstock

वट सावित्री व्रत 2023। Vat Savitri Vrat 2023: A Unique Tale Of Cultural Heritage

वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2023) हिंदू धर्म में मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। जो संपूर्ण भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है? वट सावित्री पूजा के महत्व (Vatt Savitri Puja importance), कथा और रीति रिवाज में के बारे में, साथ ही 2023 में इससे कब मनाया जाएगा उसके बारे में भी जानेंगे। बरगद का वृक्ष, जो वट वृक्ष (Vat Tree) के नाम से भी जाना जाता है, इस व्रत में इसका विशेष महत्व है। वट वृक्ष को प्राचीन काल से ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है। कहा जाता है कि इस पर्व में इसकी पूजा करने से पति-पत्नी के प्रेम संबंध और भी ज्यादा मजबूत हो जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जैसे बरगद का वृक्ष हजारों साल तक जीवित रहता है, उसी प्रकार इस व्रत में उसकी पूजा करने से पति की आयु भी हजारों साल होगी। वट सावित्री पूजा त्योहार का एक अभिन्न हिस्सा है, और इसमें कोई रीति-अनुष्ठान और परम्पराएं (Vat Savitri Vrat rituals and customs) शामिल होती हैं। व्रत के दिन, शादी शुदा महिलाएँ सुबह जल्दी उठकर, स्नान करके,व्रत करने का संकल्प करे और दिन भर व्रत रखे। एक टोकरी में 7 तरह के अनाज रखें फिर बरगद के पेड़ के नीचे विघ्न विनाशक गणेश जी और नवग्रह को स्थापित करें और सावित्री, सत्यवान की तस्वीर भी रखें। सर्वप्रथम गणेश जी और नवग्रह की पूजा करें रोली, भीगे काले चने, अक्षत, कलावा, फूल, फल, सुपारी, पान, मिष्ठान और बाकी चीजें अर्पित करें फिर उसके बाद सावित्री , सत्यवान की तस्वीर की भी इसी प्रकार पूजा करें और बांस के पंखे से हवा करें। इसके बाद वट वृक्ष की परिक्रमा करें। इसके लिए कच्चा धागा लेकर वृक्ष के 108,या 5 से 7 बार परिक...

Vat Savitri 2023: इस दिन क्‍यों की जाती है बरगद के वृक्ष की पूजा? जानिए व्रत का महत्‍व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Vat Savitri Vrat 2023: हर साल ज्‍येष्‍ठ मास की अमावस्‍या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के साथ व्रत रखती हैं. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. बरगद के वृक्ष (Banyan Tree) को वट वृक्ष भी कहा जाता है. साथ ही सत्‍यवान और सावित्री की कथा (Satyavan Savitri Katha) पढ़ी जाती है. इसलिए इस दिन को वट अमावस्‍या, बड़ अमावस्‍या और वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है. आज 19 मई को वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri Vrat) रखा जाएगा. यहां जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और अन्‍य जरूरी बातें. पूजा का शुभ मुहूर्त (Vat Savitri Vrat Shubh Muhurat) वट सावित्री व्रत के दिन बरगद की पूजा की जाती है, साथ ही बरगद की परिक्रमा करके सात बार सूत का धागा लपेटा जाता है और वृक्ष के नीचे सत्‍यवान सावित्री की कथा पढ़ी जाती है. इसका कारण है कि हिंदू धर्म में वट वृक्ष को पीपल की तरह ही पूज्‍यनीय माना गया है. इस वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है. इस कारण इस वृक्ष को अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है. ऐसे में सुहागिन महिलाएं इस वृक्ष की पूजा करके और वृक्ष के नीचे सत्‍यवान और सावित्री की कथा पढ़कर ये प्रार्थना करती हैं कि बरगद के पेड़ की तरह उनके पति को भी दीर्घायु मिले और जिस तरह सावित्री ने अपने पति और उसके परिवार के सभी संकटों को चतुराई से दूर कर दिया था, उसी तरह हम सभी के परिवार से भी संकट दूर हों. बरगद में सात बार सूत लपेट कर हर महिला ये प्रार्थना करती है कि उसका पति के साथ सात जन्मों तक संबन्‍ध रहे और जीवन सुख और समृद्धि से बीते. वट अमावस्‍या पूजा विधि (Vat Amavasya Puja Vidhi) सुबह उठकर स्‍नानादि करने के बाद व्रत का संकल्‍प लें. वट वृक्ष ...

Vat Savitri Vrat 2023: जानें वट सावित्री व्रत की कथा, सामग्री लिस्ट और पूजा विधि

Vat Savitri Vrat 2023: हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस बार 19 मई 2023 को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा। इस दिन वट वृक्ष के साथ सावित्री, सत्यवान और यमराज की विधिवत पूजा की जाती है। सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत काफी अच्छा माना जाता है। आइए जानते हैं वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri Vrat katha) पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री और सत्यवान का विवाह हुआ था। सत्यवान एक राजा के बेटे थे। लेकिन उनका राज-पाट उनसे छिन गया था। एक दिन सत्यवान जंगल में लकड़ी काटने के लिए गए और उनके साथ उनकी धर्म पत्नी सावित्री भी गई। तभी सत्यवान के सिर में पीड़ा होने लगी और वह सावित्री की गोद में सिर रखकर लेट गए। यमराज वहां आ गए और सत्यवान की आत्मा को लेकर दक्षिण दिशा की और जाने लगे। सावित्री भी उसी दिशा में बढ़ने लगी। यमराज ने सावित्री को वापस जाने के लिए कहा लेकिन वह वापस लौट कर नहीं गई। और यमराज से कहने लगी कि ‘जहां तक मेरे पति जाएंगे वहां तक मुझे जाना चाहिए’ यमराज ने सावित्री से वर मांगने को कहा। सावित्री ने पहला वर अपने अंधे सास-ससुर के लिए नेत्र ज्योति मांगी। दूसरा वर अपने ससुर का खोया हुआ राज-पाट मांगा और तीसरे वर के रूप में सत्यवान के 100 पुत्रों की मां बनने का वर मांगा। इस वर के बाद यमराज को सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े। वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री (Vat Savitri Vrat katha samagri list) • वट वृक्ष • घर से बना मीठा पकवान • सावित्री और सत्यवान की मूर्ति • मिट्‌टी का घड़ा जल से भरा • सात प्रकार के अनाज • दो बांस की टोकरी • बांस का पंखा • वट सावित्री व्रत कथा की पुस्तक • सुहाग का सामान, श्रृंगार सामग्री • मखाने का लावा • भीगे काले चने • लाल रंग का कलावा •...

वट सावित्री अमावस्या के दिन पढ़ें यह व्रत कथा, पूजा हो जाएगी सफल, मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

वट सावित्री व्रत या वट सावित्री अमावस्या 19 मई दिन शुक्रवार को है. शुभ मुहूर्त में सावित्री, सत्यवान और वट वृक्ष की पूजा करते हैं. वट सावित्री व्रत या वट सावित्री अमावस्या आज 19 मई दिन शुक्रवार को है. वट सावित्री व्रत उत्तर भारत में रखा जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं यह व्रत रखती हैं. वे शुभ मुहूर्त में सावित्री, सत्यवान और वट वृक्ष की पूजा करके अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. वट सावित्री व्रत की पूजा के समय वट सावित्री व्रत कथा का श्रवण या पाठ करना जरूरी होता है. इससे व्रत पूर्ण होता है और मनोकामना पूरी होती है. व्रत कथा के बिना वट सावित्री व्रत अधूरा रहता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं वट सावित्री व्रत की कथा. वट सावित्री व्रत की प्रमाणिक कथा पौराणिक कथा के अनुसार, राजर्षि अश्वपति को एक मात्र संतान थी, जिसका नाम सावित्री था. उसका विवाह द्युमत्सेन के बेटे सत्यवान से हुआ. वह अल्पायु थे. विवाह के एक साल बाद ही उनकी मृत्यु तय थी. नारद जी से जब इस बात की जानकारी अश्वपति को हुई तो उन्होंने सावित्री को दूसरा विवाह करने का सुझाव दिया. लेकिन सावित्री नहीं मानीं और वे अपने पति सत्यवान के साथ वन में रहती थीं. साथ में उनके दृष्टिहीन सास और सुसर भी रहते थे. सावित्री उनकी सेवा करती थीं. यह भी पढ़ें: 19 मई को अखंड सौभाग्य का वट सावित्री व्रत, नोट कर लें पूजन सामग्री, इनके बिना अधूरी रह जाएगी पूजा सावित्री को जब पता चला कि सत्यवान कम दिन ही जीवित रहेंगे तो वे उपवास करने लगीं. जिस दिन सत्यवान के प्राण निकलने वाले थे, उस दिन सावित्री भी उनके साथ लकड़ी लेने के लिए जंगल गईं. सत्यवान पेड़ पर चढ़कर लकड़ी काटने लगे, तभी उनके सिर में तेज दर्द होने लगा. वे नीचे आए और एक बर...

Vat Savitri Purnima 2023 Date Shubh Muhurat Puja Vidhi Niyam Vrat katha And Importance In Hindi। Vat Savitri Purnima 2023: वट सावित्री पूर्णिमा व्रत, जानें शुभ मुहूर्त,नियम और पूजा विधि

Vat Savitri Purnima 2023 Shubh Muhurat And Puja Vidhi: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार वट सावित्री का व्रत रखा जाता है, जो 15 दिन के अंतराल में ही होता है यानी पहला ज्येष्ठ अमावस्या को और दूसरा ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन होता है। इन दोनों में ही बरगद के पेड़ की पूजा करने का विधान है। ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले व्रत को उत्तर भारत में रखा जाता है। वहीं, दूसरा दक्षिण भारत के साथ महाराष्ट्र, गुजरात आदि में रखा जाता है। इस साल वट सावित्री पूर्णिमा व्रत पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। मान्यता है कि इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वट वृक्ष की पूजा करके अपना व्रत खोलती है। जानिए वट सावित्री पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त, शुभ योग और पूजा विधि। वट सावित्री पूर्णिमा 2023 का शुभ मुहूर्त ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि आरंभ– 3 जून शनिवार को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से शुरू ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि समाप्त- 4 जून को सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक शिव योग- सूर्योदय से लेकर दोपहर 02 बजकर 48 मिनट तक सिद्धि योग- दोपहर 2 बजकर 48 मिनट से 4 जून को सुबह 11 बजकर 48 मिनट तक रवि योग- सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक विशाखा नक्षत्र- 3 जून को सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक अनुराधा नक्षत्र – सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक 4 जून को सुबह 05 बजकर 03 मिनट तक वट सावित्री पूर्णिमा 2023 पूजा मुहूर्त शुभ उत्तम मुहूर्त- 3 जून को सुबह में 07 बजकर 07 मिनट से सुबह 08 बजकर 51 मिनट तक दोपहर को पूजा का मुहूर्त- 12 बजकर 19 मिनट से शाम 05 बजकर 31 मिनट तक है लाभ-उन्नति मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से 03 बजकर 47 मिनट तक अमृत-सर्वोत्तम...

वट सावित्री व्रत 2023: व्रत का महत्व, कथा और पूजा विधि

वट सावित्री व्रत2023 विवाहित हिंदू महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण समारोह है, जो पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में ‘ज्येष्ठ’ के महीने में या तो ‘पुरीना’ (पूर्णिमा के दिन) या ‘अमावस्या’ (चंद्रमा के दिन नहीं) पर मनाया जाता है। उपवास अनुष्ठान ‘त्रयोदशी’ (13 वें दिन) से शुरू होता है और पूर्णिमा या अमावस्या पर समाप्त होता है। वट सावित्री 2023 इस वर्ष शुक्रवार 19 मई 2023 को पड़ रहा है। पूर्णिमांत और अमंता के चंद्र कैलेंडर में अधिकांश हिंदू छुट्टियां एक ही दिन आती हैं, वट सावित्री व्रत का एकमात्र अपवाद है। पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार यह ‘ज्येष्ठ अमावस्या’ को मनाया जाता है और इसे ‘शनि जयंती’ के रूप में भी मनाया जाता है, जबकि अथे मन्ता कैलेंडर में वट सावित्री व्रत ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ के दौरान आता है और इसे ‘वट पूर्णिमा व्रत’ कहा जाता है। इस कारण से, गुजरात, महाराष्ट्र और भारत के दक्षिणी राज्यों में विवाहित महिलाएं उत्तरी राज्यों में महिलाओं के उत्सव के 15 दिन बाद वट सावित्री व्रत मनाती हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर में, वट सावित्री व्रत मई और जून के महीनों के बीच आता है। वट सावित्री व्रत 2023 वट सावित्री व्रत विवाहित भारतीय महिलाएं अपने पति और बच्चों की सलामती और लंबी उम्र के लिए रखती हैं। हिंदू किंवदंतियों के अनुसार, यह कहा जाता है कि इस दिन, देवी सावित्री ने मृत्यु के देवता भगवान यमराज को अपने पति सत्यवान को जीवन बहाल करने के लिए मजबूर किया था। भगवान यमराज उसकी भक्ति से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उसके मृत पति को लौटा दिया। तब से, विवाहित महिलाएं ‘वट’ (बरगद) के पेड़ की पूजा करती हैं और इस दिन सावित्री को ‘देवी सावित्री’ के रूप में भी पूजा जाता है। वे अपने पति के धन को बनाए रखने के लिए आशीर्वाद ...

वट सावित्री व्रत 2023: व्रत का महत्व, कथा और पूजा विधि

वट सावित्री व्रत2023 विवाहित हिंदू महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण समारोह है, जो पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में ‘ज्येष्ठ’ के महीने में या तो ‘पुरीना’ (पूर्णिमा के दिन) या ‘अमावस्या’ (चंद्रमा के दिन नहीं) पर मनाया जाता है। उपवास अनुष्ठान ‘त्रयोदशी’ (13 वें दिन) से शुरू होता है और पूर्णिमा या अमावस्या पर समाप्त होता है। वट सावित्री 2023 इस वर्ष शुक्रवार 19 मई 2023 को पड़ रहा है। पूर्णिमांत और अमंता के चंद्र कैलेंडर में अधिकांश हिंदू छुट्टियां एक ही दिन आती हैं, वट सावित्री व्रत का एकमात्र अपवाद है। पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार यह ‘ज्येष्ठ अमावस्या’ को मनाया जाता है और इसे ‘शनि जयंती’ के रूप में भी मनाया जाता है, जबकि अथे मन्ता कैलेंडर में वट सावित्री व्रत ‘ज्येष्ठ पूर्णिमा’ के दौरान आता है और इसे ‘वट पूर्णिमा व्रत’ कहा जाता है। इस कारण से, गुजरात, महाराष्ट्र और भारत के दक्षिणी राज्यों में विवाहित महिलाएं उत्तरी राज्यों में महिलाओं के उत्सव के 15 दिन बाद वट सावित्री व्रत मनाती हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर में, वट सावित्री व्रत मई और जून के महीनों के बीच आता है। वट सावित्री व्रत 2023 वट सावित्री व्रत विवाहित भारतीय महिलाएं अपने पति और बच्चों की सलामती और लंबी उम्र के लिए रखती हैं। हिंदू किंवदंतियों के अनुसार, यह कहा जाता है कि इस दिन, देवी सावित्री ने मृत्यु के देवता भगवान यमराज को अपने पति सत्यवान को जीवन बहाल करने के लिए मजबूर किया था। भगवान यमराज उसकी भक्ति से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उसके मृत पति को लौटा दिया। तब से, विवाहित महिलाएं ‘वट’ (बरगद) के पेड़ की पूजा करती हैं और इस दिन सावित्री को ‘देवी सावित्री’ के रूप में भी पूजा जाता है। वे अपने पति के धन को बनाए रखने के लिए आशीर्वाद ...

Vat Savitri Vrat Katha 2023

वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri Vrat Katha 2023) • वट सावित्री व्रत की कथा का उल्लेख भविष्य पुराण में मिलता है। वट सावित्री व्रत के नाम से पता चलता है कि यह व्रत सावित्री देवी द्वारा शुरू हुआ था। • पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सावित्री राजा अश्वपति की कन्या थीं और सत्यवान उनके पति थे। सावित्री ने सत्यवान को अपने वर के रूप में चुना था। • देवर्षि नारद (देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु को क्यों दिया श्राप) को जब यह पता चला तो उन्होंने सावित्री को सत्यवान के अल्पायु यानी कि कम आयु में ही रित्यु हो जाने वाली बात बताई। यह भी पढ़ें: • सावित्री ने चतुराई के साथ सत्यवान से 100 पुत्र होने का आशीर्वाद यमराज से मांगा। बिना सत्यवान के पुत्र संभव ही कहां। • यमराज समझ गए और उन्होंने पति की तरफ सावित्री की निष्ठा देख उन्हें सत्यवान के प्राण लौटा दिए। • तभी से यह ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत का चलन शुरू हुआ। इस दिन सावित्री सत्यवान की कथा सुनने से अखंड सौभग्य मिलता है। तो ये है वट सावित्री व्रत की संपूर्ण कथा। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। Image Credit: freepik, shutterstock

Vat Savitri Vrat 2023: जानें वट सावित्री व्रत की कथा, सामग्री लिस्ट और पूजा विधि

Vat Savitri Vrat 2023: हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस बार 19 मई 2023 को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा। इस दिन वट वृक्ष के साथ सावित्री, सत्यवान और यमराज की विधिवत पूजा की जाती है। सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत काफी अच्छा माना जाता है। आइए जानते हैं वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri Vrat katha) पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री और सत्यवान का विवाह हुआ था। सत्यवान एक राजा के बेटे थे। लेकिन उनका राज-पाट उनसे छिन गया था। एक दिन सत्यवान जंगल में लकड़ी काटने के लिए गए और उनके साथ उनकी धर्म पत्नी सावित्री भी गई। तभी सत्यवान के सिर में पीड़ा होने लगी और वह सावित्री की गोद में सिर रखकर लेट गए। यमराज वहां आ गए और सत्यवान की आत्मा को लेकर दक्षिण दिशा की और जाने लगे। सावित्री भी उसी दिशा में बढ़ने लगी। यमराज ने सावित्री को वापस जाने के लिए कहा लेकिन वह वापस लौट कर नहीं गई। और यमराज से कहने लगी कि ‘जहां तक मेरे पति जाएंगे वहां तक मुझे जाना चाहिए’ यमराज ने सावित्री से वर मांगने को कहा। सावित्री ने पहला वर अपने अंधे सास-ससुर के लिए नेत्र ज्योति मांगी। दूसरा वर अपने ससुर का खोया हुआ राज-पाट मांगा और तीसरे वर के रूप में सत्यवान के 100 पुत्रों की मां बनने का वर मांगा। इस वर के बाद यमराज को सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े। वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री (Vat Savitri Vrat katha samagri list) • वट वृक्ष • घर से बना मीठा पकवान • सावित्री और सत्यवान की मूर्ति • मिट्‌टी का घड़ा जल से भरा • सात प्रकार के अनाज • दो बांस की टोकरी • बांस का पंखा • वट सावित्री व्रत कथा की पुस्तक • सुहाग का सामान, श्रृंगार सामग्री • मखाने का लावा • भीगे काले चने • लाल रंग का कलावा •...