Vibhakti kise kahate hain

  1. इतिहास किसे कहते हैं
  2. छंद किसे कहते है? (परिभाषा, भेद और उदाहरण)
  3. उपन्यास किसे कहते है? उपन्यास का विकास क्रम
  4. उपन्यास किसे कहते है? उपन्यास का विकास क्रम
  5. इतिहास किसे कहते हैं
  6. छंद किसे कहते है? (परिभाषा, भेद और उदाहरण)


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इतिहास किसे कहते हैं

इतिहास किसे कहते है – itihaas kise kahate hain इतिहास किसे कहते हैं(itihas kise kahate hain )अक्सर इस सवाल का उत्तर जानने की जिज्ञासा लाखों लोगों में होती है। तभी तो हजारों लोग इस प्रश्न का जवाव गूगल पर जानना चाहते हैं। इतिहास से अभिप्राय उने विगत घटनाओं से है। जिसमें देश समाज, ब्रह्मांड से जुड़ी हुई समस्त पिछली घटनाओ और उन घटनाओं के विषय में अवधारणाओं का उल्लेख किया जाता है। इतिहास किसे कहते हैं – ITIHAAS KISE KAHATE HAIN इतिहास का अर्थ – itihaas ka arth kya hai इतिहास का शाब्दिक अर्थ की बाद की जाय तो यह हिन्दी के दो शब्दों के मेल से बना है। इति और हास, इति का मतलब होता है बीती हुई और हास का मतलब कहानी से है। इस प्रकार इतिहास का अर्थ (itihas ka arth) होता है बीती हुई कहानी। इस प्रकार इसे इस रूप में समझा जा सकता है, की इतिहास वह शास्त्र है जिसमें विगत घटित घटनाओं के बारें में हमें जानकारी मिलती है। इतिहास के प्रकार ऊपर आपने इतिहास के अर्थ के बारें में जाना की इतिहास से क्या अभिप्राय है। अब हम इतिहास की उपयोगिता और इतिहास के प्रकार के बारें में जानते हैं। इतिहास को वर्गीकृत करना कठिन है। लेकिन सुविधा की दृष्टि से इतिहास को मुख्य रूप से भागों में बांटा जा सकता है। • प्राचीन इतिहास • मध्यकालीन इतिहास • आधुनिक इतिहास READ नीमराना किले का इतिहास और जानकारी | Neemrana Fort Palace History in Hindi इस वर्गीकरण के अलावा भी इतिहास के और भी प्रकार हो सकते हैं। सामाजिक इतिहास, साँस्कृतिक इतिहास, राजनीतिक इतिहास, धार्मिक इतिहास, आर्थिक इतिहास इत्यादि। इतिहास क्या है परिभाषा– itihas ki paribhasha kya hai अक्सर लोग इतिहास की परिभाषा जानना चाहते हैं की इतिहास क्या है। इतिहास की परिभाषा इन...

छंद किसे कहते है? (परिभाषा, भेद और उदाहरण)

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • छंद किसे कहते हैं? (Chhand Kise Kahate Hain) छंद की परिभाषा (Chhand ki Paribhasha): शब्द धातु से मिलकर बना हुआ है, जिसका अर्थ होता है आह्लादित करना, प्रसन्न करना या खुश करना आदि। अलहाज वर्ण या मात्रा की नियमित संख्या की बुनियाद से प्रकट होता है। ‘छंद’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है -‘बंधन’। जब “अंग्रेजी भाषा में छंद को Meta और Verse के नाम से जाना जाता हैं।” यह मात्राओं के नियमित संख्या के विज्ञान से अगर अलहाज पैदा हो, तो उसे हम छंद कहते हैं। हमारी महान पुराणों में से मैं भी छंद का उल्लेख किया जाता है। जैसे कि ऋग्वेद में छंद का उल्लेख पाया जाता है। जैसे कि कल का नियामक व्याकरण होता है, वैसे ही पद्य का छंद शास्त्र है। छंद का अर्थ छंद का अर्थ संस्कृत वाक्य मेंमुख्यतः लयको बताने के लिए होता है। अगर विशिष्टता छंद का अर्थ जाना जाए तो छंद का अर्थ कविता या गीत में वर्णों की संख्या या उसके स्थान से संबंधित नियमों को छंद कहते हैं। यह नियम काम में लें और रंजकता के विषय में बताती है। कोई छोटी या बड़ी ध्वनियां लघु-गुरु उच्चारण के कर्म और मात्रा को बताना छंद का कार्य है, यदि किसी काव्य रचना में एक सम्मानित व्यवस्था के साथ सामंजस्य बनाने के लिए किया जाता है तो उस एक शास्त्रीय नाम को छंद दिया जा सकता है और लघु गुरु मात्राओं के अनुसार वर्णों की व्यवस्था को जिसमें एक विशेष नाम वाला को छंद कहते हैं। जैसे कि दोहा, चौपाई, आर्य, इंद्रजा, गायत्री छंद इत्यादि छंद के उदाहरण हैं। और किस प्रकार की वाक्यों की व्यवस्था में मात्रा अथवा वर्णों की संख्या विराम गति ले तथा दुख आदि के नियमों को भी निर्धारण करना छंद का ही कार्य है, जिसका की पालन हमेशा एक कवि को करन...

उपन्यास किसे कहते है? उपन्यास का विकास क्रम

Upanyan arth paribhasha visheshta vikas;उपन्यास शब्द 'उप' उपसर्ग और 'न्यास' पद के योग से बना है। जिसका अर्थ है उप= समीप, न्याय रखना स्थापित रखना (निकट रखी हुई वस्तु)। अर्थात् वह वस्तु या कृति जिसको पढ़कर पाठक को ऐसा लगे कि यह उसी की है, उसी के जीवन की कथा, उसी की भाषा मे कही गई हैं। उपन्यास मानव जीवन की काल्पनिक कथा है। प्रेमचंद के अनुसार "मैं उपन्यास को मानव जीवन का चित्रमात्र समझता हूँ। मानव चरित्र पर प्रकाश डालना और उसके रहस्यों को खोलना ही उपन्यास का मूल तत्व है। बाबू गुलाब के अनुसार," उपन्यास जीवन का चित्र हैं, प्रतिबिंब नहीं। जीवन का प्रतिबिंब कभी पूरा नही हो सकता हैं। मानव-जीवन इतना पेचीदा है कि उसका प्रतिबिंब सामने रखना प्रायः असंभव है। उपन्यासकार जीवन के निकट से निकट आता हैं, किन्तु उसे भी जीवन में बहुत कुछ छोड़ना पड़ता हैं, किन्तु जहाँ वह छोड़ता हैं वहाँ अपनी ओर से जोड़ता भी हैं।" 6. जीवन की समग्रता का चित्र इस प्रकार उपस्थित किया जाता है कि पाठक उसकी अन्तर्वस्तु तथा पात्रों से अपना तादात्मीकरण कर सके। उपन्यास का विकास Upanyas ka vikas;हिन्दी उपन्यास का प्रारंभ 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से ही होता है। हिन्दी उपन्यास का विकास क्रम 1. भारतेंदु युग हिन्दी के भारतेन्दु युगीन मौलिक उपन्यासों पर संस्कृत के कथा साहित्य एवं परवर्ती नाटक साहित्य के साथ ही बंगाल उपन्यासों की छाया पाई जाती है। इस दृष्टिकोण से हिन्दी का प्रथम उपन्यास "परिक्षा गुरू" 1882 माना जाता हैं। भारतेंदु युग मे सामाजिक, ऐतिहासिक, तिलिस्मी, ऐय्यारी, जासूसी तथा रोमानी उपन्यासों की रचना परंपरा का सूत्रपात हुआ। इस युग की प्रमुख अनूदित कृति है बंकिमचन्द्र की "दुर्गेशनंन्दिनी"। 2. द्विवेदी युग 1900 से 19...

उपन्यास किसे कहते है? उपन्यास का विकास क्रम

Upanyan arth paribhasha visheshta vikas;उपन्यास शब्द 'उप' उपसर्ग और 'न्यास' पद के योग से बना है। जिसका अर्थ है उप= समीप, न्याय रखना स्थापित रखना (निकट रखी हुई वस्तु)। अर्थात् वह वस्तु या कृति जिसको पढ़कर पाठक को ऐसा लगे कि यह उसी की है, उसी के जीवन की कथा, उसी की भाषा मे कही गई हैं। उपन्यास मानव जीवन की काल्पनिक कथा है। प्रेमचंद के अनुसार "मैं उपन्यास को मानव जीवन का चित्रमात्र समझता हूँ। मानव चरित्र पर प्रकाश डालना और उसके रहस्यों को खोलना ही उपन्यास का मूल तत्व है। बाबू गुलाब के अनुसार," उपन्यास जीवन का चित्र हैं, प्रतिबिंब नहीं। जीवन का प्रतिबिंब कभी पूरा नही हो सकता हैं। मानव-जीवन इतना पेचीदा है कि उसका प्रतिबिंब सामने रखना प्रायः असंभव है। उपन्यासकार जीवन के निकट से निकट आता हैं, किन्तु उसे भी जीवन में बहुत कुछ छोड़ना पड़ता हैं, किन्तु जहाँ वह छोड़ता हैं वहाँ अपनी ओर से जोड़ता भी हैं।" 6. जीवन की समग्रता का चित्र इस प्रकार उपस्थित किया जाता है कि पाठक उसकी अन्तर्वस्तु तथा पात्रों से अपना तादात्मीकरण कर सके। उपन्यास का विकास Upanyas ka vikas;हिन्दी उपन्यास का प्रारंभ 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से ही होता है। हिन्दी उपन्यास का विकास क्रम 1. भारतेंदु युग हिन्दी के भारतेन्दु युगीन मौलिक उपन्यासों पर संस्कृत के कथा साहित्य एवं परवर्ती नाटक साहित्य के साथ ही बंगाल उपन्यासों की छाया पाई जाती है। इस दृष्टिकोण से हिन्दी का प्रथम उपन्यास "परिक्षा गुरू" 1882 माना जाता हैं। भारतेंदु युग मे सामाजिक, ऐतिहासिक, तिलिस्मी, ऐय्यारी, जासूसी तथा रोमानी उपन्यासों की रचना परंपरा का सूत्रपात हुआ। इस युग की प्रमुख अनूदित कृति है बंकिमचन्द्र की "दुर्गेशनंन्दिनी"। 2. द्विवेदी युग 1900 से 19...

इतिहास किसे कहते हैं

इतिहास किसे कहते है – itihaas kise kahate hain इतिहास किसे कहते हैं(itihas kise kahate hain )अक्सर इस सवाल का उत्तर जानने की जिज्ञासा लाखों लोगों में होती है। तभी तो हजारों लोग इस प्रश्न का जवाव गूगल पर जानना चाहते हैं। इतिहास से अभिप्राय उने विगत घटनाओं से है। जिसमें देश समाज, ब्रह्मांड से जुड़ी हुई समस्त पिछली घटनाओ और उन घटनाओं के विषय में अवधारणाओं का उल्लेख किया जाता है। इतिहास किसे कहते हैं – ITIHAAS KISE KAHATE HAIN इतिहास का अर्थ – itihaas ka arth kya hai इतिहास का शाब्दिक अर्थ की बाद की जाय तो यह हिन्दी के दो शब्दों के मेल से बना है। इति और हास, इति का मतलब होता है बीती हुई और हास का मतलब कहानी से है। इस प्रकार इतिहास का अर्थ (itihas ka arth) होता है बीती हुई कहानी। इस प्रकार इसे इस रूप में समझा जा सकता है, की इतिहास वह शास्त्र है जिसमें विगत घटित घटनाओं के बारें में हमें जानकारी मिलती है। इतिहास के प्रकार ऊपर आपने इतिहास के अर्थ के बारें में जाना की इतिहास से क्या अभिप्राय है। अब हम इतिहास की उपयोगिता और इतिहास के प्रकार के बारें में जानते हैं। इतिहास को वर्गीकृत करना कठिन है। लेकिन सुविधा की दृष्टि से इतिहास को मुख्य रूप से भागों में बांटा जा सकता है। • प्राचीन इतिहास • मध्यकालीन इतिहास • आधुनिक इतिहास READ नीमराना किले का इतिहास और जानकारी | Neemrana Fort Palace History in Hindi इस वर्गीकरण के अलावा भी इतिहास के और भी प्रकार हो सकते हैं। सामाजिक इतिहास, साँस्कृतिक इतिहास, राजनीतिक इतिहास, धार्मिक इतिहास, आर्थिक इतिहास इत्यादि। इतिहास क्या है परिभाषा– itihas ki paribhasha kya hai अक्सर लोग इतिहास की परिभाषा जानना चाहते हैं की इतिहास क्या है। इतिहास की परिभाषा इन...

छंद किसे कहते है? (परिभाषा, भेद और उदाहरण)

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • छंद किसे कहते हैं? (Chhand Kise Kahate Hain) छंद की परिभाषा (Chhand ki Paribhasha): शब्द धातु से मिलकर बना हुआ है, जिसका अर्थ होता है आह्लादित करना, प्रसन्न करना या खुश करना आदि। अलहाज वर्ण या मात्रा की नियमित संख्या की बुनियाद से प्रकट होता है। ‘छंद’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है -‘बंधन’। जब “अंग्रेजी भाषा में छंद को Meta और Verse के नाम से जाना जाता हैं।” यह मात्राओं के नियमित संख्या के विज्ञान से अगर अलहाज पैदा हो, तो उसे हम छंद कहते हैं। हमारी महान पुराणों में से मैं भी छंद का उल्लेख किया जाता है। जैसे कि ऋग्वेद में छंद का उल्लेख पाया जाता है। जैसे कि कल का नियामक व्याकरण होता है, वैसे ही पद्य का छंद शास्त्र है। छंद का अर्थ छंद का अर्थ संस्कृत वाक्य मेंमुख्यतः लयको बताने के लिए होता है। अगर विशिष्टता छंद का अर्थ जाना जाए तो छंद का अर्थ कविता या गीत में वर्णों की संख्या या उसके स्थान से संबंधित नियमों को छंद कहते हैं। यह नियम काम में लें और रंजकता के विषय में बताती है। कोई छोटी या बड़ी ध्वनियां लघु-गुरु उच्चारण के कर्म और मात्रा को बताना छंद का कार्य है, यदि किसी काव्य रचना में एक सम्मानित व्यवस्था के साथ सामंजस्य बनाने के लिए किया जाता है तो उस एक शास्त्रीय नाम को छंद दिया जा सकता है और लघु गुरु मात्राओं के अनुसार वर्णों की व्यवस्था को जिसमें एक विशेष नाम वाला को छंद कहते हैं। जैसे कि दोहा, चौपाई, आर्य, इंद्रजा, गायत्री छंद इत्यादि छंद के उदाहरण हैं। और किस प्रकार की वाक्यों की व्यवस्था में मात्रा अथवा वर्णों की संख्या विराम गति ले तथा दुख आदि के नियमों को भी निर्धारण करना छंद का ही कार्य है, जिसका की पालन हमेशा एक कवि को करन...