Vidyut sthitij urja

  1. स्थितिज ऊर्जा
  2. स्थिरवैद्युत स्थितिज ऊर्जा अंतर किसी यादृच्छिक आवेश विन्यास के विद्युत बल क्षेत्र में अंदर आवेश q को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक (बिना त्वरित किए) ले जाने के लिए आवश्यक बाह्य बल द्वारा किए जाने वाले न्यूनतम कार्य के बराबर होता है।
  3. विद्युत आवेश तथा क्षेत्र नोट्स


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स्थितिज ऊर्जा

अन्य वस्तुओं के साथ अपने सापेक्ष स्थिति के कारण, या स्वयं के भीतर तनाव के कारण, स्थितिज ऊर्जा (potential energy) कहते हैं। इसका अंतर्राष्ट्रीय इकाई मात्रक 2T -2 है। इस प्रकार, यदि किसी वस्तु को भूमि के सतह से ऊपर उठा दिया जाय तो उसमें स्थितिज ऊर्जा संचित हो गयी है (वस्तु को छोड़ने पर वह धरती की ओर गिरती है और उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। यदि यह वस्तु किसी दूसरी वस्तु के ऊपर गिरे तो उसकी यह गतिज ऊर्जा उष्मीय ऊर्जा एवं ध्वनि ऊर्जा में बदल जाती है। इसी प्रकार तने हुए या दबाए हुए स्प्रिंग में भी स्थितिज ऊर्जा होती है। ऊँचाई पर भण्डारित जल में स्थितिज ऊर्जा होती है जिसका उपयोग जलविद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है। एक-दूसरे के कुछ दूरी पर रखे दो आवेशों के निकाय में भी स्थितिज ऊर्जा छिपी हुई है। धनुष की डोरी जब तनी हुई हो तो उसमें स्थितिज ऊर्जा है। धरती के सतह के पास किसी वस्तु की स्थितिज ऊर्जा = m g h , जहाँ m वस्तु का द्रव्यमान, g सन्दर्भ [ ] • العربية • অসমীয়া • Asturianu • Azərbaycanca • Bikol Central • Беларуская • Беларуская (тарашкевіца) • Български • বাংলা • Bosanski • Català • Čeština • Чӑвашла • Cymraeg • Dansk • Deutsch • Ελληνικά • English • Esperanto • Español • Eesti • Euskara • فارسی • Suomi • Français • Gaeilge • Kriyòl gwiyannen • Galego • עברית • Hrvatski • Kreyòl ayisyen • Magyar • Հայերեն • Bahasa Indonesia • Íslenska • Italiano • 日本語 • Patois • Jawa • ქართული • Қазақша • ಕನ್ನಡ • 한국어 • Latina • Lietuvių • Latviešu • Македонски • മലയാളം • मराठी • Bahasa Melayu • Nederlands • Norsk nynorsk • Norsk bokmål • Occitan • ਪੰਜਾਬੀ • Polski • Piemon...

स्थिरवैद्युत स्थितिज ऊर्जा अंतर किसी यादृच्छिक आवेश विन्यास के विद्युत बल क्षेत्र में अंदर आवेश q को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक (बिना त्वरित किए) ले जाने के लिए आवश्यक बाह्य बल द्वारा किए जाने वाले न्यूनतम कार्य के बराबर होता है।

स्थिरवैद्युत स्थितिज ऊर्जा अंतर किसी यादृच्छिक आवेश विन्यास के विद्युत बल क्षेत्र में अंदर आवेश q को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक (बिना त्वरित किए) ले जाने के लिए आवश्यक बाह्य बल द्वारा किए जाने वाले न्यूनतम कार्य के बराबर होता है। -Physics Notes in Hindi स्थिरवैद्युत स्थितिज ऊर्जा अंतर किसी यादृच्छिक आवेश विन्यास के विद्युत बल क्षेत्र में अंदर आवेश q को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक (बिना त्वरित किए) ले जाने के लिए आवश्यक बाह्य बल द्वारा किए जाने वाले न्यूनतम कार्य के बराबर होता है। – Edukate Me Online Courses like CBSE, NCERT, ICSE, UPBOARD, NEET & JEE, UPSC, BANK PO, RAILWAYS Notes स्थिरवैद्युत स्थितिज ऊर्जा अंतर किसी यादृच्छिक आवेश विन्यास के विद्युत बल क्षेत्र में अंदर आवेश q को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक (बिना त्वरित किए) ले जाने के लिए आवश्यक बाह्य बल द्वारा किए जाने वाले न्यूनतम कार्य के बराबर होता है। स्थिरवैद्युत स्थितिज ऊर्जा अंतर किसी यादृच्छिक आवेश विन्यास के विद्युत बल क्षेत्र में अंदर आवेश q को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक (बिना त्वरित किए) ले जाने के लिए आवश्यक बाह्य बल द्वारा किए जाने वाले न्यूनतम कार्य के बराबर होता है। Hinglish Excerpt Sthiravaidyut sthitij urja antar kisee yaadrchchhik aavesh vinyaas ke vidyut bal kshetra mein andar aavesh q ko ek bindu se doosare bindu tak (bina tvarit kie) le jaane ke lie aavashyak baahy bal dvaara kie jaane vaale nyoonatam kaarya ke barabar hota hai. Asked February 2, 2022 300 views Tags: Subjects: Exams:

विद्युत आवेश तथा क्षेत्र नोट्स

Physics class 12 chapter 1 notes in hindi pdf, इस पोस्ट में class 12 Physics chapter 1 के लगभग सारे टाॅपिक को कवर किया गया है। आशा है, कि आपको यह पोस्ट पसन्द आयेगा। Physics class 12 chapter 1 notes in hindi pdf विद्युत आवेश जब हम दो वस्तुओं (जैसे कांच की छड़ और रेशम) को आपस में रगड़ते हैं तो दोनों वस्तुएं आवेशित हो जाती हैं। परंतु इन दोनों वस्तुओं पर आवेश एक दूसरे से वितरित प्रकृति का होता है। एक वस्तु धनावेशित तथा दूसरी वस्तु ऋणावेशित हो जाती है। जैसा कि कांच की छड़ से इलेक्ट्रॉन निकलकर रेशम के टुकड़े में चले गए हैं इसलिए कांच की छड़ पर धनावेश तथा रेशम पर ऋणावेश आ जाता है क्योंकि ऋणावेशित परमाणु इलेक्ट्रॉन कांच की छड़ से निकल जाता है। यह हम जानते ही हैं कि इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश होता है। इसी कारण कांच की छड़ पर धनात्मक आवेश आ जाता है। Note- परमाणु में भाग लेने वाले इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन ही होते हैं। किंतु परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन ही रहते हैं। जबकि इलेक्ट्रॉन परमाणु की बाहरी कक्षा में घूमता रहता है। इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश होता है तथा प्रोटोन पर धनात्मक आवेश होता है एवं न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं होता यह उदासीन होता है। इलेक्ट्रॉन का आवेश = -e प्रोटोन का आवेश = +e α-कण का आवेश = +2e आवेश को दो भागों में बांटा गया है। (1) सजातीय आवेश (2) विजातीय आवेश (1) सजातीय आवेश इस प्रकार की आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं क्योंकि यह एक जैसी प्रकृति के आवेश होते हैं। जैसे (++ आवेश) या (– आवेश) । (2) विजातीय आवेश इस प्रकार की आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं क्योंकि यह विपरीत प्रकृति के आवेश होते हैं। जैसे (+- आवेश) या (-+ आवेश) । पढ़ें… मूल आवेश...