वीर रस कविता महाराणा प्रताप

  1. Maharana Pratap Poem in Hindi, Maharana Pratap ki Kavita, महाराणा प्रताप पर कविता
  2. महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदी
  3. महाराणा प्रताप
  4. महाराणा प्रताप पर कविता
  5. 10 बेस्ट महाराणा प्रताप की वीरता पर कविताएं
  6. महाराणा प्रताप शायरी
  7. वीर रस की प्रसिद्ध कविताएं, Veer Ras ki Kavita in Hindi
  8. Maharana Pratap Poem in Hindi, Maharana Pratap ki Kavita, महाराणा प्रताप पर कविता
  9. 10 बेस्ट महाराणा प्रताप की वीरता पर कविताएं
  10. महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदी


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Maharana Pratap Poem in Hindi, Maharana Pratap ki Kavita, महाराणा प्रताप पर कविता

Maharana Pratap Poem in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में आपको कुछ बेहतरीन Maharana Pratap ki Kavita दी गई हैं. यह सभी महाराणा प्रताप पर कविता को हमारे हिन्दी के लोकप्रिय कवियों ने महाराणा प्रताप के सम्मान में लिखी हैं. हमारे स्कूल के पाठ्यक्रम में भी महाराणा प्रताप के वीरगाथा पर कविता पढनें को मीलती हैं. महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ राजस्थान में महाराणा उदय सिंह के यहाँ हुआ था. कुछ ऐसी बाते महाराणा प्रताप में थी जो सुनकर लोगों को एक बार में विश्वास नहीं होता हैं. जैसे – उनके छाती का कवच 72 किलोग्राम का था. उनके भाले का वजन 81 किलोग्राम था. महाराणा प्रताप के भाला, ढाल, कवच और 2 तलवार का कुल वजन 208 किलोग्राम था. यह सभी चीजें आज भी उदयपुर राजघराने संग्रहालय में रखी हैं. महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था. चेतक की सूझ – बूझ इतनी अच्छी थी. की कहा जाता हैं. की चेतक जैसे घोड़ा कोई और नहीं हुआ हैं. नहीं ही भविष्य में होगा. चेतक युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ था. आइए अब यहाँ कुछ नीचे Maharana Pratap Poem in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढतें हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Maharana Pratap ki Kavita आपको पसंद आयगी. इस महाराणा प्रताप पर कविता को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें. महाराणा प्रताप पर कविता, Maharana Pratap Poem in Hindi, Maharana Pratap ki Kavita Maharana Pratap Poem in Hindi 1. Maharana Pratap Poem in Hindi – राणा सांगा का ये वंशज राणा सांगा का ये वंशज, रखता था रजपूती शान। कर स्वतंत्रता का उद्घोष, वह भारत का था अभिमान। मानसींग ने हमला करके, राणा जंगल दियो पठाय। सारे संकट क्षण में आ गए, घास की रोटी दे खवाय। हल्दी घाटी रक्त से सन गई, अरिदल मच गई चीख-पुकार। हुआ युद्ध...

महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदी

महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदी– उड़ती बात के सभी सुधि पाठकों को अमित मौलिकका सादर अभिवादन। मित्रो, अद्वितीय शौर्य और बेमिसाल साहस के स्तंभ महाराणा प्रताप की सच्ची कहानियाँभारतीयों को आकर्षित करती रहीं हैं। आज का आर्टीकल महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदीके द्वारा मैंने उनके अतुलित शौर्य को अपनी छोटी कलम से वर्णित करने का प्रयास किया है। आशा करता हूँ कि यह आर्टीकल महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदीआपको पसंद आयेगा। महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदी जिस महामहिम की महिमा से, धरती नभ महिमा मंडित है जिस आन बान की गरिमा का, यशगान अभी तक गुंजित है। जिनके रौरव के गौरव का, माथे पर तिलक लगाती थी जिस वीर लाल के साहस पर, माता जीवट मुस्काती थी। मुगलों के दुष्कर विप्लव से, लड़ सकने वाले हंता थे कुंभलगढ़ क्या भारत भर के, जो अतिंम भाग्य नियंता थे। वो एकमात्र चिर आशा थे, भारत भर के श्रीमंतों के प्रतिउत्तर खुलकर दे सकते, जो रक्त सने षड्यंत्रों के। सिंहों का गरम लहू उस दिन, तेज़ाबी होकर धधक उठा गोगुन्दा में जब शूरवीर, राणा बन सिहांसन बैठा। चौड़ी छाती उन्नत ललाट, भाले से सज्जित रहते थे उस महाप्रतापी योद्धा को, महाराणा प्रताप कहते थे। भौंहें कमान हो जायें तो, भय की सिहरन उठ जाती थी भीतर घाती जयचंदों की, साँसें तक रुक-रुक जातीं थीं। गर हुआ सामना राणा से, है निश्चित मृत्यु भाँप गये हुँकार भरा सुन सिंहनाद, ऊपर से नीचें काँप गये। अकबर का यश क्षय कर डाला, सब तुर्क यवन घबराये थे कितनों ने मुँह की खाई थी, कितनों ने प्राण गंवाये थे। तलवार अगर उठ जाये तो, अंबार लगाते शीशों का सब छिन्न-भिन्न कर देते थे, मद निर्मम सत्ताधीशों का। भारत को जिसनें जीत लिया, वह शहंशाह भी डरता था उससे कैसे जीतें रण में, जो मर जाने को ल...

महाराणा प्रताप

अणु-अणु पै मेवाड के, छपी तिहारी छाप। तेरे प्रखर प्रताप तें, राणा प्रबल प्रताप॥ जगत जाहिं खोजत फिरै, सो स्वतंत्रता आप। बिकल तोहिं हेरत अजौं, राणा निठुर प्रताप॥ हे प्रताप! मेवाड मे, तुहीं समर्थ सनाथ। धनि-धनि तेरे हाथ ये, धनि-धनि तेरो माथ॥ रजपूतन की नाक तूँ, राणा प्रबल प्रताप। है तेरी ही मूँछ की राजस्थान में छाप॥ काँटे-लौं कसक्यौ सदा, को अकबर-उर माहिं। छाँडि प्रताप-प्रताप जग, दूजो लखियतु नाहिं॥ ओ प्रताप मेवाड के! यह कैसो तुव काम? खात लखनु तुव खडग पै, होत काल कौ नाम॥ उँमडि समुद्र लौं, ठिलें आप तें आप। करुण-वीर-रस लौं मिले, सक्ता और प्रताप॥ परिचय "मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

महाराणा प्रताप पर कविता

Comments भारत के महान सपूतो में से एक सपूत महाराणा प्रताप जो की एक महान योद्धा थे उनके भुजाओ में इतनी ताक़त थी की वह एक वार में ही दुश्मन के घोड़े और उसे काट डालते थे | इसीलिए हर साल 9 मई के दिन ही महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है जिसके लिए हमारे कई महँ कवियों ने महाराणा प्रताप जयंती के ऊपर कई बेहतरीन कविताये लिखी है अगर आप उन कविताओं के बारे में जानना चाहते है तो इसके लिए आप हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी को पढ़ सकते है तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते है | Small Poem on Maharana Pratap in Hindi मुगल काल में पैदा हुआ वो बालक कहलाया राणा होते जौहर चित्तौड़ दुर्ग फिर बरसा मेघ बन के राणा हरमों में जाती थीं ललना बना कृष्ण द्रौपदी का राणा रौंदी भूमि ज्यों कंस मुग़ल बना कंस को अरिसूदन राणा छोड़ा था साथियों ने भी साथ चल पड़ा युद्ध इकला राणा चेतक का पग हाथी मस्तक ज्यों नभ से कूद पड़ा राणा मानसिंह भयभीत हुआ जब भाला फैंक दिया राणा देखी शक्ति तप वीर व्रती हाथी भी कांप गया राणा चहुँ ओर रहे रिपु घेर देख सोचा बलिदान करूँ राणा शत्रु को मृगों का झुण्ड जान सिंहों सा टूट पड़ा राणा देखा झाला यह दृश्य कहा अब सूर्यास्त होने को है सब ओर अँधेरा बरस रहा लो डूबा आर्य भानु राणा गरजा झाला के भी होते रिपु कैसे छुएगा तन राणा ले लिया छत्र अपने सिर पर अविलम्ब निकल जाओ राणा हुंकार भरी शत्रु को यह मैं हूँ राणा मैं हूँ राणा नृप भेज सुरक्षित बाहर खुद बलि दे दी कह जय हो राणा कह नमस्कार भारत भूमि रक्षित करना रक्षक राणा! चेतक था दौड़ रहा सरपट जंगल में लिए हुए राणा आ रहा शत्रुदल पीछे ही नहीं छुए शत्रु स्वामी राणा आगे आकर एक नाले पर हो गया पार लेकर राणा रह गए शत्रु हाथों मलते चेतक बलवान बली राणा ले पार गया पर अब ह...

10 बेस्ट महाराणा प्रताप की वीरता पर कविताएं

हम महाराणा प्रताप जैसे एक महान योद्धा की बहादुरी को कुछ शब्दों में बयाँ नहीं कर सकते हैं। हमारा प्रताप ऐसे महान योद्धा हुए, जिन्होंने कई कष्ट सहन कर लिए लेकिन मुगलों की गुलामी स्वीकार नहीं की। आज हम यहां पर महाराणा प्रताप कविता (Maharana Pratap Poem) शेयर कर रहे हैं। उम्मीद करते हैं आपको यह महाराणा प्रताप पर कविताएं पसंद आयेंगी। विषय सूची • • • • • • • • • • • • महाराणा प्रताप पर कविताएं | Maharana Pratap Poem in Hindi Poems On Maharana Pratap in Hindi महाराणा प्रताप पर कविता (Maharana Pratap Poem) – 1 SMALL POEM ON MAHARANA PRATAP IN HINDI वण्डोली है यही, यहीं पर है समाधि सेनापति की। महातीर्थ की यही वेदिका यही अमर–रेखा स्मृति की एक बार आलोकित कर हा यहीं हुआ था सूर्य अस्त। चला यहीं से तिमिर हो गया अन्धकार–मय जग समस्त आज यहीं इस सिद्ध पीठ पर फूल चढ़ाने आया हूँ। यह भी पढ़े: महाराणा प्रताप की कविता (maharana pratap kavita) – 2 राणा सांगा का ये वंशज, रखता था रजपूती शान। कर स्वतंत्रता का उद्घोष, वह भारत का था अभिमान। मानसींग ने हमला करके, राणा जंगल दियो पठाय। सारे संकट क्षण में आ गए, घास की रोटी दे खवाय। हल्दी घाटी रक्त से सन गई, अरिदल मच गई चीख-पुकार। हुआ युद्ध घनघोर अरावली, प्रताप ने भरी हुंकार। शत्रु समूह ने घेर लिया था, डट गया सिंह-सा कर गर्जन। सर्प-सा लहराता प्रताप, चल पड़ा शत्रु का कर मर्दन। मान सींग को राणा ढूंढे, चेतक पर बन के असवार। हाथी के सिर पर दो टापें, रख चेतक भरकर हुंकार। रण में हाहाकार मचो तब, राणा की निकली तलवार मौत बरस रही रणभूमि में, राणा जले हृदय अंगार। आंखन बाण लगो राणा के, रण में न कछु रहो दिखाय। स्वामिभक्त चेतक ले उड़ गयो, राणा के लय प्राण बचाय। मुकुट लगाकर ...

महाराणा प्रताप शायरी

महाराणा प्रताप शायरी– उड़ती बात के सभी क़द्रदानों को अमित मौलिक का स्नेहिल अभिवादन। राजपूत योद्धा महाप्रतापी परम् वीर महाराणा प्रतापभारतीय इतिहास के एक ऐसे योद्धा रहे हैं जिनसे प्रेरणा लेकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मेे हज़ारों नौजवान वीर क्रूर फ़िरंगियों से लोहा लेते रहे हैं। आन बान और शान के जीवंत प्रतीक महाराणा प्रतापने साहस और शौर्य की ऐसी मिसाल गढ़ी जिसका यशोगान भारतीय जनमानस आज तक कर रहा है और सदा ही करता रहेगा। आज के इस आर्टीकल महाराणा प्रताप शायरीके माध्यम से मैं इस परम योद्धा को पुष्पांजली अर्पित कर रहा हूँ। अगर आप शहीदों पर शायरी, राजपूतों पर शायरी या महाराणा प्रताप शायरीकी तलाश में हैं तो यह आर्टीकल आप सब लोगों के काम आयेगा ऐसा विश्वास है। महाराणा प्रताप शायरी मद जिसका था प्रचंड, सारा दूर कर दिया इक़बाल था बुलंद, उसे धूल कर दिया राणा प्रताप एकमात्र, ऐसे वीर थे अकबर का सब घमंड, जिनने चूर कर दिया। मुगलों के यूँ ख़िलाफ़, कोई और ना हुआ जिसका हो यूँ प्रताप, कोई और ना हुआ बाइस हज़ार लड़ गये, अस्सी हजार से राणा जी आप जैसा, कोई और ना हुआ। ये हिन्द तुमको, परम् वीर याद करता है कहाँ से आयेंगे, राणा प्रताप कहता है यहाँ तो आज सियासत में, मोहरा बन के वतन का नौजवान ही, फ़साद करता है। राजा महान ऐसा, आज तक नहीं हुआ योद्धा महान ऐसा, आज तक नहीं हुआ बलवान बुद्धिमान वीर, ढेर हुये हैं राणा महान जैसा, आज तक नहीं हुआ। साहस से भरा इस तरह, बलवान ना मिला दृढ़ता का कोई इस तरह, प्रतिमान ना मिला इतिहास रंगा है कई, वीरों के नाम से राणा प्रताप जैसा कोई, नाम ना मिला। ये हिंद झूम उठे गुल चमन में खिल जायें कलेजे दुश्मनों के नाम सुन के हिल जायें कोई औकात नहीं चीन पाक जैसों की वतन को फिर से जो राणा प्रताप मिल ...

वीर रस की प्रसिद्ध कविताएं, Veer Ras ki Kavita in Hindi

वीर रस को नौ रसों में से एक माना जाता हैं. वीर रस का कविताओं में इस्तेमाल उत्साह और वीरता के लिए किया जाता हैं. रानी लक्ष्मीबाई की कविताओं में वीर रस को महसूस कर सकते हैं. अब आइए यहाँ पर कुछ Veer Ras ki Kavita in Hindi में दिया गया हैं. इसको पढते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Veer Ras ki Poems in Hindi आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें. वीर रस की प्रसिद्ध कविताएं, Veer Ras ki Kavita in Hindi 1. Famous Veer Ras Poem – आज हिमालय की चोटी से आज हिमालय की चोटी से फिर हम ने ललकरा है दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है। जहाँ हमारा ताज-महल है और क़ुतब-मीनारा है जहाँ हमारे मन्दिर मस्जिद सिक्खों का गुरुद्वारा है इस धरती पर क़दम बढ़ाना अत्याचार तुम्हारा है। शुरू हुआ है जंग तुम्हारा जाग उठो हिन्दुस्तानी तुम न किसी के आगे झुकना जर्मन हो या जापानी आज सभी के लिये हमारा यही क़ौमी नारा है दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है। प्रदीप 2. Veer Ras Kavita – चढ़ चेतक पर तलवार उठा चढ़ चेतक पर तलवार उठा, रखता था भूतल पानी को। राणा प्रताप सिर काट काट, करता था सफल जवानी को।। कलकल बहती थी रणगंगा, अरिदल को डूब नहाने को। तलवार वीर की नाव बनी, चटपट उस पार लगाने को।। वैरी दल को ललकार गिरी, वह नागिन सी फुफकार गिरी। था शोर मौत से बचो बचो, तलवार गिरी तलवार गिरी।। पैदल, हयदल, गजदल में, छप छप करती वह निकल गई। क्षण कहाँ गई कुछ पता न फिर, देखो चम-चम वह निकल गई।। क्षण इधर गई क्षण उधर गई, क्षण चढ़ी बाढ़ सी उतर गई। था प्रलय चमकती जिधर गई, क्षण शोर हो गया किधर गई।। लहराती थी सिर काट काट, बलखाती थी भू पाट पाट। बिखराती अवयव बाट बाट, तनती थी लोहू चाट चाट।। क्षण भीषण हलचल मचा मचा, रा...

Maharana Pratap Poem in Hindi, Maharana Pratap ki Kavita, महाराणा प्रताप पर कविता

Maharana Pratap Poem in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में आपको कुछ बेहतरीन Maharana Pratap ki Kavita दी गई हैं. यह सभी महाराणा प्रताप पर कविता को हमारे हिन्दी के लोकप्रिय कवियों ने महाराणा प्रताप के सम्मान में लिखी हैं. हमारे स्कूल के पाठ्यक्रम में भी महाराणा प्रताप के वीरगाथा पर कविता पढनें को मीलती हैं. महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ राजस्थान में महाराणा उदय सिंह के यहाँ हुआ था. कुछ ऐसी बाते महाराणा प्रताप में थी जो सुनकर लोगों को एक बार में विश्वास नहीं होता हैं. जैसे – उनके छाती का कवच 72 किलोग्राम का था. उनके भाले का वजन 81 किलोग्राम था. महाराणा प्रताप के भाला, ढाल, कवच और 2 तलवार का कुल वजन 208 किलोग्राम था. यह सभी चीजें आज भी उदयपुर राजघराने संग्रहालय में रखी हैं. महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था. चेतक की सूझ – बूझ इतनी अच्छी थी. की कहा जाता हैं. की चेतक जैसे घोड़ा कोई और नहीं हुआ हैं. नहीं ही भविष्य में होगा. चेतक युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ था. आइए अब यहाँ कुछ नीचे Maharana Pratap Poem in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढतें हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Maharana Pratap ki Kavita आपको पसंद आयगी. इस महाराणा प्रताप पर कविता को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें. महाराणा प्रताप पर कविता, Maharana Pratap Poem in Hindi, Maharana Pratap ki Kavita Maharana Pratap Poem in Hindi 1. Maharana Pratap Poem in Hindi – राणा सांगा का ये वंशज राणा सांगा का ये वंशज, रखता था रजपूती शान। कर स्वतंत्रता का उद्घोष, वह भारत का था अभिमान। मानसींग ने हमला करके, राणा जंगल दियो पठाय। सारे संकट क्षण में आ गए, घास की रोटी दे खवाय। हल्दी घाटी रक्त से सन गई, अरिदल मच गई चीख-पुकार। हुआ युद्ध...

10 बेस्ट महाराणा प्रताप की वीरता पर कविताएं

हम महाराणा प्रताप जैसे एक महान योद्धा की बहादुरी को कुछ शब्दों में बयाँ नहीं कर सकते हैं। हमारा प्रताप ऐसे महान योद्धा हुए, जिन्होंने कई कष्ट सहन कर लिए लेकिन मुगलों की गुलामी स्वीकार नहीं की। आज हम यहां पर महाराणा प्रताप कविता (Maharana Pratap Poem) शेयर कर रहे हैं। उम्मीद करते हैं आपको यह महाराणा प्रताप पर कविताएं पसंद आयेंगी। विषय सूची • • • • • • • • • • • • महाराणा प्रताप पर कविताएं | Maharana Pratap Poem in Hindi Poems On Maharana Pratap in Hindi महाराणा प्रताप पर कविता (Maharana Pratap Poem) – 1 SMALL POEM ON MAHARANA PRATAP IN HINDI वण्डोली है यही, यहीं पर है समाधि सेनापति की। महातीर्थ की यही वेदिका यही अमर–रेखा स्मृति की एक बार आलोकित कर हा यहीं हुआ था सूर्य अस्त। चला यहीं से तिमिर हो गया अन्धकार–मय जग समस्त आज यहीं इस सिद्ध पीठ पर फूल चढ़ाने आया हूँ। यह भी पढ़े: महाराणा प्रताप की कविता (maharana pratap kavita) – 2 राणा सांगा का ये वंशज, रखता था रजपूती शान। कर स्वतंत्रता का उद्घोष, वह भारत का था अभिमान। मानसींग ने हमला करके, राणा जंगल दियो पठाय। सारे संकट क्षण में आ गए, घास की रोटी दे खवाय। हल्दी घाटी रक्त से सन गई, अरिदल मच गई चीख-पुकार। हुआ युद्ध घनघोर अरावली, प्रताप ने भरी हुंकार। शत्रु समूह ने घेर लिया था, डट गया सिंह-सा कर गर्जन। सर्प-सा लहराता प्रताप, चल पड़ा शत्रु का कर मर्दन। मान सींग को राणा ढूंढे, चेतक पर बन के असवार। हाथी के सिर पर दो टापें, रख चेतक भरकर हुंकार। रण में हाहाकार मचो तब, राणा की निकली तलवार मौत बरस रही रणभूमि में, राणा जले हृदय अंगार। आंखन बाण लगो राणा के, रण में न कछु रहो दिखाय। स्वामिभक्त चेतक ले उड़ गयो, राणा के लय प्राण बचाय। मुकुट लगाकर ...

महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदी

महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदी– उड़ती बात के सभी सुधि पाठकों को अमित मौलिकका सादर अभिवादन। मित्रो, अद्वितीय शौर्य और बेमिसाल साहस के स्तंभ महाराणा प्रताप की सच्ची कहानियाँभारतीयों को आकर्षित करती रहीं हैं। आज का आर्टीकल महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदीके द्वारा मैंने उनके अतुलित शौर्य को अपनी छोटी कलम से वर्णित करने का प्रयास किया है। आशा करता हूँ कि यह आर्टीकल महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदीआपको पसंद आयेगा। महाराणा प्रताप पर कविता इन हिंदी जिस महामहिम की महिमा से, धरती नभ महिमा मंडित है जिस आन बान की गरिमा का, यशगान अभी तक गुंजित है। जिनके रौरव के गौरव का, माथे पर तिलक लगाती थी जिस वीर लाल के साहस पर, माता जीवट मुस्काती थी। मुगलों के दुष्कर विप्लव से, लड़ सकने वाले हंता थे कुंभलगढ़ क्या भारत भर के, जो अतिंम भाग्य नियंता थे। वो एकमात्र चिर आशा थे, भारत भर के श्रीमंतों के प्रतिउत्तर खुलकर दे सकते, जो रक्त सने षड्यंत्रों के। सिंहों का गरम लहू उस दिन, तेज़ाबी होकर धधक उठा गोगुन्दा में जब शूरवीर, राणा बन सिहांसन बैठा। चौड़ी छाती उन्नत ललाट, भाले से सज्जित रहते थे उस महाप्रतापी योद्धा को, महाराणा प्रताप कहते थे। भौंहें कमान हो जायें तो, भय की सिहरन उठ जाती थी भीतर घाती जयचंदों की, साँसें तक रुक-रुक जातीं थीं। गर हुआ सामना राणा से, है निश्चित मृत्यु भाँप गये हुँकार भरा सुन सिंहनाद, ऊपर से नीचें काँप गये। अकबर का यश क्षय कर डाला, सब तुर्क यवन घबराये थे कितनों ने मुँह की खाई थी, कितनों ने प्राण गंवाये थे। तलवार अगर उठ जाये तो, अंबार लगाते शीशों का सब छिन्न-भिन्न कर देते थे, मद निर्मम सत्ताधीशों का। भारत को जिसनें जीत लिया, वह शहंशाह भी डरता था उससे कैसे जीतें रण में, जो मर जाने को ल...