वीर सावरकर की माफी का सच

  1. Veer Savarkar Biography
  2. माफीवीर सावरकर ‘वीर’ कैसे ? — Pratibha Ek Diary
  3. Veer Savarkar had apologized to all political prisoners Says Ranjit Savarkar
  4. Savarkar: Did Veer Savarkar Apologise To The British And Begged For Mercy? Discloses Vikram Sampath
  5. सावरकर : वीर या माफ़ी
  6. Veer Savarkar Jayanti 2023: जानिए क्या है वीर सावरकर की माफी का सच? – HindiKhojijankari
  7. Veer Savarkar never filed mercy petition to british ordinary petitioner termed as MP congress propaganda against veer savarkar वीर सावरकर ने अंग्रेजों से कभी नहीं मांगी माफी, कांग्रेस का है एक और दुष्प्रचार
  8. Savarkar: Did Veer Savarkar Apologise To The British And Begged For Mercy? Discloses Vikram Sampath
  9. Veer Savarkar Jayanti 2023: जानिए क्या है वीर सावरकर की माफी का सच? – HindiKhojijankari
  10. माफीवीर सावरकर ‘वीर’ कैसे ? — Pratibha Ek Diary


Download: वीर सावरकर की माफी का सच
Size: 23.27 MB

Veer Savarkar Biography

Veer Savarkar Biography – दोस्तों आज के आर्टिकल में हम बात करेंगे वीर सावरकर की जीवनी के बारे में. दोस्तों वीर सावरकर का नाम तो हम सभी ने सुना ही है. वीर सावरकर एक भारतीय राष्ट्रवादी थे. वह राष्ट्रवादी संगठन हिंदू महासभा के प्रमुख सदस्य थे. वीर सावरकर पेशे से वकील और लेखक थे. वीर सावरकर वह शख्स थे, जिसे अंग्रेजों ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ले जाकर कालापानी की सजा दी. आजादी के इतने साल बाद आज भी वीर सावरकर भारत में एक विवादित शख्सियत है. इसका कारण यह है कि जहां एक ओर उनके समर्थक वीर सावरकर को आजादी की लड़ाई का महान सेनानी और प्रखर राष्ट्रभक्त मानते हैं जबकि दूसरी तरफ कुछ और लोग ऐसे भी हैं, जो कहते है कि सावरकर कायर और अंग्रेजों के एजेंट थे. यह बात कहने के पीछे उनकी एक अलग दलील हैं. तो चलिए दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि वीर सावरकर की माफी का सच क्या है?, वीर सावरकर की मृत्यु कैसे हुई? साथ ही जानेंगे वीर सावरकर का जीवन परिचय. वीर सावरकर की जीवनी (veer savarkar biography in hindi) वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को ब्रिटिश भारत के नासिक जिले के भागुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वीर सावरकर का असली नाम विनायक सावरकर है. वीर सावरकर के भाई-बहनों का नाम गणेश, मैनाबाई और नारायण था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जब वीर सावरकर महज 12 वर्ष के थे तब उनके गाँव में हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के बीच दंगा भड़क गया था. इस दंगे में वीर सावरकर ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उत्पादी तत्वों का सामना किया और उन्हें भगा दिया. इसको लेकर कुछ लोगों का कहना है कि इस घटना से वीर सावरकर की मुस्लिम लोगों के प्रति वैमनस्य का पता चलता है. इसके उलट उनके समर्थकों का कहना है कि मुस्लिम लड़को...

माफीवीर सावरकर ‘वीर’ कैसे ? — Pratibha Ek Diary

'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला, प्रख्यात लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता ‘वीर’ सावरकर का अंग्रेजों के नाम प्रेम (माफी) पत्र माफीवीर सावरकर की जीवनी की शुरुआती कुछ पंक्तियों में लिखा था ‘वीर सावरकर महान क्रांतिकारी, महान देशभक्त और महान संगठनवादी थे. उन्होंने आजीवन देश की स्वतंत्रता के लिए तप और त्याग किया. उनकी प्रशंसा शब्दों में नहीं की जा सकती. सावरकर को जनता ने वीर की उपाधि से विभूषित किया अर्थात वे वीर सावरकर कहलाए.’ हालांकि, बाद की सरकार ने सावरकर की इस जीवनी में सुधार करते हुए नए तथ्य जोड़े हैं, उनमें स्पष्ट किया गया है कि ‘जेल के कष्टों से परेशान होकर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार के पास चार बार दया याचिकाएं भेजी थीं. इसमें उन्होंने सरकार के कहे अनुसार काम करने और खुद को पुर्तगाल का बेटा बताया था.’ सावरकर के बारे में जो ऐतिहासिक सच्चाई है, उसे भाजपा और संघ बार-बार झुठलाना या छिपाना चाहती है. यही कारण है कि वह भगतसिंह, गांधी, नेहरु, कांग्रेस समेत सभी स्ववतंत्रता सेनानियों और उसके वंशजों को भाजपा देशद्रोही, गद्दार बताने और गद्दार-माफीवीर सावरकर को ‘देशभक्त वीर’ साबित करने के लिए देशभक्ति और गद्दारी की परिभाषा को बदल रही है. हिंदू धर्म और हिंदू आस्था से अलग, राजनीतिक ‘हिंदुत्व’ की स्थापना करने वाले माफीवीर विनायक दामोदर सावरकर की आज (28 मई) जन्मति...

Veer Savarkar had apologized to all political prisoners Says Ranjit Savarkar

मुंबई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के बयान के बाद से राजनीतिक बयानबाजी के बीच वीर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) के पौत्र रंजीत सावरकर ने बुधवार को कहा कि स्वतंत्रता सेनानी ने सभी राजनीतिक कैदियों के लिए आम माफी मांगी थी. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सावकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी होती तो उन्हें कोई न कोई पद दिया जाता. रंजीत सावरकर ने मुंबई में यह भी कहा कि महात्मा गांधी (Majatma Ganhdi) जैसे व्यक्ति को राष्ट्रपिता नहीं कहा जा सकता क्योंकि देश के गठन में हजारों लोगों ने योगदान दिया है जिसका पांच हजार साल से भी पुराना इतिहास है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कोई भी यह मांग नहीं कर रहा कि वीर सावरकर को राष्ट्रपिता कहा जाए क्योंकि यह अवधारणा उन्हें खुद स्वीकार्य नहीं थी. रंजीत सावरकर ने कहा, ‘मेरे दादा ने सभी राजीतिक बंदियों के लिए आम माफी मांगी थी, यदि उन्होंने वास्तव में अंग्रेजों से माफी मांगी होती तो उन्हें कोई न कोई पद दिया गया होता.’ राजनाथ सिंह ने दिया था ये बयान राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने मंगलवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा था कि यह महात्मा गांधी के आग्रह पर हुआ था कि वीर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार को दया याचिकाएं लिखीं और मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधारा के लोग सावरकर पर फासीवादी होने का झूठा आरोप लगाते हैं. बुधवार को विपक्ष के कुछ नेताओं ने रक्षा मंत्री पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि वह ‘इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं.’ असदुद्दीन ओवैसी का निशाना कांग्रेस नेता जयराम रमेश और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने गांधी द्वारा एक मामले के संबंध में 25 जनवरी 1920 को सावरकर के भाई को लिखा गया एक...

Savarkar: Did Veer Savarkar Apologise To The British And Begged For Mercy? Discloses Vikram Sampath

नई दिल्ली: अंग्रेज़ी सत्ता के विरुद्ध भारत की स्वतंत्रता में वीर सावरकर (Veer Savarkar) का खास योगदान था. लेकिन वीर सावरकर को लेकर देश के लोग दो वर्गों में विभाजित हैं. एक वर्ग वो है जिनके लिए सावरकर हीरो हैं और दूसरा वर्ग वो जिनके लिए वह एक विलेन हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक हित के लिए पार्टियों ने सावरकर के नाम का जमकर इस्तेमाल किया. सावरकर को लेकर लोगों के बीच कई तरह की बातें हैं... इतिहासकार और लेखक विक्रम संपथ (Vikram Sampath) ने सावरकर की बायोग्राफी लिखी है. उन्होंने अपनी किताब 'सावरकर- इकोज़ फ्रॉम अफॉरगॉटन पास्‍ट' (Savarkar Echoes from a Forgotten Past) में सावरकर के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को उजागर किया. सावरकर के जीवन को उन्होंने दो पार्ट में प्रस्तुत किया है. यह किताब पहला पार्ट है जिसमें 1883–1924 तक के उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया है. वहीं दूसरे पार्ट में रीडर्स को 1926-1966 तक के सफर की जानकारी मिलेगी. विक्रम ने NDTVKhabar से खास बातचीत में सावरकर के जीवन से जुड़ी कई बातें बताईं. साथ ही उन्होंने दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय में सावरकर की मूर्ति को लेकर हुए बवाल और अन्य कई मुद्दों पर भी खुलकर बात की. 1. आपको ऐसा क्यों लगा कि सावरकर की बायोग्राफी लिखने की जरूरत है? जवाब:सावरकर को गुजरे हुए इतने साल हो गए. 1966 में इनका निधन हुआ था. आज भी चुनाव प्रचार के दौरान हमेशा उनका नाम लिया जाता है. राहुल गांधी उनका मजाक उड़ाते हैं, सावरकर के पोते उन पर मानहानि का मुकदमा चलाते हैं. वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी सेल्युलर जेल में जाकर उनको श्रद्धांजलि देते हैं. राजस्थान सरकार कहती है कि क्या पाठ्यपुस्तकों में इनके नाम से 'वीर' शब्द हटा दिया जाए? पार्टियों के बीच उनका इस्तेमाल फुटब...

सावरकर : वीर या माफ़ी

By Nov 22, 2022 विनयदामोदरसावरकर (VD Sawarkar)भारतकेस्वतंत्रता-संग्रामसेनिकलेवहव्यक्तिहैंजिन्हेंभारतमेहीरोऔरविलेनदोनोंहीतरहकीख्यातिप्राप्तहै।कुछलोगउन्हें“वीर”सावरकरकीउपाधिदेतेहैंतोकुछलोग“माफीवीर”…लेकिनसावरकरएकऐसाचरित्रहैंजिन्हें“वीर”और“माफी-वीर”केबीचझूलतेरहकरभीसंसदभवनकेसेंट्रलहॉलमेंगांधीकीप्रतिमाकेठीकसामनेजगहहासिलहै। अभीहालहीमेंभारतजोड़ोयात्राकेदौरानमहाराष्ट्रमेंबिरसामुंडाकेजन्मदिवसपरकांग्रेसनेताराहुलगांधीकेद्वारासावरकरद्वारालिखेमाफ़ीनामेकीप्रतियांमीडियामेंदिखाकरभारतीयराजनीतिमें“सावरकर”नामकीछौंकफिरलगादीजिसेलेकरमहाराष्ट्रकेसाथ-साथदेशभरमेंसावरकरकीभूमिकाकोलेकरचर्चाहोनेलगीहै। सावरकरऔरउनकाहिन्दुत्व (Sawarkar and his Hindutwa) सावरकरभारत-भूमिकोमातृ-भूमिकेबजाएपितृ-भूमिऔरपुण्य-भूमिमानतेहैंअर्थातवहपितृसत्तात्मकसमाजकासमर्थनकरतेहैं।जबकिभारतमे“जननिजन्मभूमिश्चस्वर्गाधिअपिगरियसी”कीविचारधारारहीहै।भारतकोहमेशा“भारत-माता”मानागयाहै। (Image Source: veersawarkar.co.in) अगरयहकहाजाएकिविनयदामोदरसावरकर (VD Sawarkar) भारतकेहालियाइतिहासकेसबसेविवादितयाबेहतरकहेंतोसबसेविरोधाभासीचरित्र (Paradoxical Personality) वालेव्यक्तिरहेहैं, तोयहकोईअतिशयोक्तिनहींहोगी। सचहैकिसावरकरनेहिंदुत्वमेंसुधारवादीकीभूमिकानिभाईहैलेकिनसावरकरकोहिंदुत्वकाप्रणेताबतानेवालेभीआजउनकेहिंदुत्वसेचुनिंदामुद्दोंपरहीसहमतदिखतेहैं। दक्षिणपंथीऔरहिंदुत्ववादीविचारधाराकेलोगोंकेलिएसावरकरपसंदीदाहैंक्योंकिवहइस्लाम-विरोधीहिंदुत्वकीबातकरतेहैंलेकिनठीकउसीवक़्तयहीहिंदुत्ववादीसावरकरसेदूरीभीबनालेतेहैंजबवहहिन्दूधर्मकीकईबातोंकाखंडनकरतेहैं। सावरकरगायकोएकउपयोगीपशुतोमानतेहैंलेकिनवहगायकोगौ-मातामाननेसेइनकारकरतेहैं।वेमांसाहारसेवनकेभीख़िलाफ़नहींहैंसाथहीहिंदुओंकेअंदरजाति-...

Veer Savarkar Jayanti 2023: जानिए क्या है वीर सावरकर की माफी का सच? – HindiKhojijankari

सावरकर जयंती पर विशेष- वीर सावरकर की माफी का सच?: विनायक दामोदर सावरकर भारत के ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जिन पर भारत की राजनीति में सबसे ज्यादा विवाद होते हैं। भारतीय राजनीति और समाज का एक वर्ग जिन विनायक दामोदर सावरकर को “ वीर सावरकर” के रूप में जानता है तथा उन्हें तपस्या और त्याग का प्रतीक मानता है तो वहीं दूसरी तरफ एक खास वर्ग विनायक दामोदर सावरकर को एक कायर क्रांतिकारी साबित करना चाहता है। Advertisements विनायक दामोदर सावरकर वही क्रांतिकारी हैं जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह क्रांति के लिए 50 वर्षों तक काला पानी की सजा सुनाई गई और उनकी सारी चल अचल संपत्ति ज़ब्त कर ली गई। विनायक दामोदर सावरकर वही क्रांतिकारी हैं जिन्होंने मातृभूमि की स्तुति में 6000 कविताएं लिखी थी। लेकिन उन्होंने यह कविताएं कागज पर नहीं लिखी बल्कि अंडमान में काल कोठरी की उस चारदीवारी पर लिखी जिनमें कैद होकर वह काला पानी की सजा काट रहे थे। उनकी यह कविताएं भारत की मातृभूमि के प्रति उनके प्रेम, तप और त्याग को दर्शाती हैं। विनायक दामोदर सावरकर इस दुनिया के शायद पहले ऐसे लेखक होंगे जिनकी पुस्तक “1857 का स्वातंत्र्य समर” प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश हुकूमत द्वारा प्रतिबंधित कर दी गई। वह विनायक सावरकर ही थे जिन्होंने 1857 की क्रांति को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का दर्जा दिया जिसे ब्रिटिश हुकूमत महज एक क्रांतिकारी विद्रोह की संज्ञा देना चाहती थी। लेकिन जब विनायक दामोदर सावरकर 10 साल तक अंडमान की कालकोठरी में काला पानी की सजा काटकर जेल से बाहर आए तो कुछ लोग उनकी तपस्या और समर्पण को भूल कर उन पर अंग्रेजों से माफी मांगने का और आत्म समर्पण कर देने का आरोप लगाने लगे। अंडमान के सेल्यूलर जेल में लग...

Veer Savarkar never filed mercy petition to british ordinary petitioner termed as MP congress propaganda against veer savarkar वीर सावरकर ने अंग्रेजों से कभी नहीं मांगी माफी, कांग्रेस का है एक और दुष्प्रचार

highlights • कांग्रेस का एक और दुष्प्रचार है वीर सावरकर का अंग्रेजों से दया याचिका प्रसंग. • अपनी आत्मकथा 'माय ट्रांसपोर्टेशन फॉर लाइफ' में इस बारे में साफ-साफ लिखा. • मुस्लिम तुष्टीकरण प लगातार चेताते आए, लेकिन गांधी और कांग्रेस नहीं माने. New Delhi: स्वतंत्रता आंदोलन (Indian Independence) में क्या महात्मा गांधी (Mahatama Gandhi) और भगत सिंह (Bhagat Singh) के योगदान को भुलाया जा सकता है? एक क्रांतिकारी (Revolutionary) और दूसरा सत्याग्रही (Satyagrahi), फिर भी दोनों का लक्ष्य एक ही था- अंग्रेजों से देश को पूर्ण आजादी दिलाना. सच तो यह है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हजारों आहुतियां पड़ीं, लेकिन हरएक आहुति देने वाले की पहचान सामने नहीं आ सकी. अगर पहचान सामने आई भी तो उसे तत्कालीन 'पॉवर एलीट' (Power Elite) ने कमतर दिखाने की कोशिश शुरू कर दी. 'पॉवर एलीट' यानी गांधी-नेहरू (Gandhi-Nehru)परिवार, जिन्होंने हर उस नाम को पीछे करने की कोशिश की जो गांधी-नेहरू की सरपरस्ती में नहीं था. इस श्रेणी में सुभाष चंद्र बोस से लेकर, लाला लाजपत राय, सरदार वल्लभभाई पटेल, बी.आर. आंबेडकर तो आधुनिक भारत में लाल बहादुर शास्त्री से लेकर पीवी नरसिम्हा राव तक एक लंबी फेहरिस्त है. इस कड़ी में एक नाम हिंदू राष्ट्र के प्रबल पक्षधर रहे विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) उर्फ वीर सावरकर का भी है. कांग्रेस वीर सावरकर के 'प्रभाव और कद' से इस कदर पीड़ित थी कि उसने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे से उनका नाम जोड़ने में पल भर की देर नहीं की थी. अब जब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी वीर सावरकर के योगदान के अनुरूप उन्हें भारत रत्न (Bharat Ratna) देने के रास्ते पर है, तो कांग्रेस फिर से वीर सावरकर ...

Savarkar: Did Veer Savarkar Apologise To The British And Begged For Mercy? Discloses Vikram Sampath

नई दिल्ली: अंग्रेज़ी सत्ता के विरुद्ध भारत की स्वतंत्रता में वीर सावरकर (Veer Savarkar) का खास योगदान था. लेकिन वीर सावरकर को लेकर देश के लोग दो वर्गों में विभाजित हैं. एक वर्ग वो है जिनके लिए सावरकर हीरो हैं और दूसरा वर्ग वो जिनके लिए वह एक विलेन हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक हित के लिए पार्टियों ने सावरकर के नाम का जमकर इस्तेमाल किया. सावरकर को लेकर लोगों के बीच कई तरह की बातें हैं... इतिहासकार और लेखक विक्रम संपथ (Vikram Sampath) ने सावरकर की बायोग्राफी लिखी है. उन्होंने अपनी किताब 'सावरकर- इकोज़ फ्रॉम अफॉरगॉटन पास्‍ट' (Savarkar Echoes from a Forgotten Past) में सावरकर के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को उजागर किया. सावरकर के जीवन को उन्होंने दो पार्ट में प्रस्तुत किया है. यह किताब पहला पार्ट है जिसमें 1883–1924 तक के उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया है. वहीं दूसरे पार्ट में रीडर्स को 1926-1966 तक के सफर की जानकारी मिलेगी. विक्रम ने NDTVKhabar से खास बातचीत में सावरकर के जीवन से जुड़ी कई बातें बताईं. साथ ही उन्होंने दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय में सावरकर की मूर्ति को लेकर हुए बवाल और अन्य कई मुद्दों पर भी खुलकर बात की. 1. आपको ऐसा क्यों लगा कि सावरकर की बायोग्राफी लिखने की जरूरत है? जवाब:सावरकर को गुजरे हुए इतने साल हो गए. 1966 में इनका निधन हुआ था. आज भी चुनाव प्रचार के दौरान हमेशा उनका नाम लिया जाता है. राहुल गांधी उनका मजाक उड़ाते हैं, सावरकर के पोते उन पर मानहानि का मुकदमा चलाते हैं. वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी सेल्युलर जेल में जाकर उनको श्रद्धांजलि देते हैं. राजस्थान सरकार कहती है कि क्या पाठ्यपुस्तकों में इनके नाम से 'वीर' शब्द हटा दिया जाए? पार्टियों के बीच उनका इस्तेमाल फुटब...

Veer Savarkar Jayanti 2023: जानिए क्या है वीर सावरकर की माफी का सच? – HindiKhojijankari

सावरकर जयंती पर विशेष- वीर सावरकर की माफी का सच?: विनायक दामोदर सावरकर भारत के ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जिन पर भारत की राजनीति में सबसे ज्यादा विवाद होते हैं। भारतीय राजनीति और समाज का एक वर्ग जिन विनायक दामोदर सावरकर को “ वीर सावरकर” के रूप में जानता है तथा उन्हें तपस्या और त्याग का प्रतीक मानता है तो वहीं दूसरी तरफ एक खास वर्ग विनायक दामोदर सावरकर को एक कायर क्रांतिकारी साबित करना चाहता है। Advertisements विनायक दामोदर सावरकर वही क्रांतिकारी हैं जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह क्रांति के लिए 50 वर्षों तक काला पानी की सजा सुनाई गई और उनकी सारी चल अचल संपत्ति ज़ब्त कर ली गई। विनायक दामोदर सावरकर वही क्रांतिकारी हैं जिन्होंने मातृभूमि की स्तुति में 6000 कविताएं लिखी थी। लेकिन उन्होंने यह कविताएं कागज पर नहीं लिखी बल्कि अंडमान में काल कोठरी की उस चारदीवारी पर लिखी जिनमें कैद होकर वह काला पानी की सजा काट रहे थे। उनकी यह कविताएं भारत की मातृभूमि के प्रति उनके प्रेम, तप और त्याग को दर्शाती हैं। विनायक दामोदर सावरकर इस दुनिया के शायद पहले ऐसे लेखक होंगे जिनकी पुस्तक “1857 का स्वातंत्र्य समर” प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश हुकूमत द्वारा प्रतिबंधित कर दी गई। वह विनायक सावरकर ही थे जिन्होंने 1857 की क्रांति को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का दर्जा दिया जिसे ब्रिटिश हुकूमत महज एक क्रांतिकारी विद्रोह की संज्ञा देना चाहती थी। लेकिन जब विनायक दामोदर सावरकर 10 साल तक अंडमान की कालकोठरी में काला पानी की सजा काटकर जेल से बाहर आए तो कुछ लोग उनकी तपस्या और समर्पण को भूल कर उन पर अंग्रेजों से माफी मांगने का और आत्म समर्पण कर देने का आरोप लगाने लगे। अंडमान के सेल्यूलर जेल में लग...

माफीवीर सावरकर ‘वीर’ कैसे ? — Pratibha Ek Diary

'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला, प्रख्यात लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता ‘वीर’ सावरकर का अंग्रेजों के नाम प्रेम (माफी) पत्र माफीवीर सावरकर की जीवनी की शुरुआती कुछ पंक्तियों में लिखा था ‘वीर सावरकर महान क्रांतिकारी, महान देशभक्त और महान संगठनवादी थे. उन्होंने आजीवन देश की स्वतंत्रता के लिए तप और त्याग किया. उनकी प्रशंसा शब्दों में नहीं की जा सकती. सावरकर को जनता ने वीर की उपाधि से विभूषित किया अर्थात वे वीर सावरकर कहलाए.’ हालांकि, बाद की सरकार ने सावरकर की इस जीवनी में सुधार करते हुए नए तथ्य जोड़े हैं, उनमें स्पष्ट किया गया है कि ‘जेल के कष्टों से परेशान होकर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार के पास चार बार दया याचिकाएं भेजी थीं. इसमें उन्होंने सरकार के कहे अनुसार काम करने और खुद को पुर्तगाल का बेटा बताया था.’ सावरकर के बारे में जो ऐतिहासिक सच्चाई है, उसे भाजपा और संघ बार-बार झुठलाना या छिपाना चाहती है. यही कारण है कि वह भगतसिंह, गांधी, नेहरु, कांग्रेस समेत सभी स्ववतंत्रता सेनानियों और उसके वंशजों को भाजपा देशद्रोही, गद्दार बताने और गद्दार-माफीवीर सावरकर को ‘देशभक्त वीर’ साबित करने के लिए देशभक्ति और गद्दारी की परिभाषा को बदल रही है. हिंदू धर्म और हिंदू आस्था से अलग, राजनीतिक ‘हिंदुत्व’ की स्थापना करने वाले माफीवीर विनायक दामोदर सावरकर की आज (28 मई) जन्मति...