Vishesh shiksha ke siddhant mein shamil hai

  1. शिक्षण के सिद्धांत
  2. व्यक्तित्व का विशेषक सिद्धांत किसके द्वारा दिया गया है? » Vyaktitva Ka Visheshak Siddhant Kiske Dwara Diya Gaya Hai
  3. बाल विकास एवं शिक्षा मनोविज्ञान के महत्वपूर्ण सिद्धांत NOTES for Teacher's Exam
  4. बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development and Pedagogy ) Part
  5. सापेक्षता का सिद्धांत क्या है? » Sapekshata Ka Siddhant Kya Hai
  6. नोम चॉम्स्की और भाषा का सिद्धांत / संज्ञानात्मक मनोविज्ञान
  7. भारत में शिक्षा


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शिक्षण के सिद्धांत

शिक्षण के सिद्धान्त (Principles of Teaching) शिक्षण सिद्धांतका अर्थ (Meaning of Teaching Principles) शिक्षक और शिक्षार्थी के बीच अन्त:क्रिया होती है और शिक्षक शिक्षण के माध्यम से विद्यार्थी के व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। शिक्षण एक कला है और शिक्षक एक कलाकार। प्रत्येक कला के कुछ सिद्धान्त होते हैं। वही शिक्षक या कलाकार के सिद्धान्त बन जाते हैं। इसी प्रकार सिद्धान्त किसी भी विषय, क्षेत्र या प्रक्रिया के विषय में वैज्ञानिक तरीके से आयोजन करना होता है कि वह प्रक्रिया स्पष्ट रूप में सभी के सामने आ सके। • बी. ओ. स्मिथ (B. O. Smith) (1963) के अनुसार- किसी भी शिक्षण सिद्धान्त में तीन तत्त्व अवश्य होने चाहिये- 1. चरों का स्पष्टीकरण, 2. इन चरों के बीच सम्बन्धों की स्थापना तथा 3. विभिन्न चरों के पारस्परिक सम्बन्धों के विषय में परिकल्पना को स्पष्ट करना। इस प्रकार कहा जा सकता है कि शिक्षण सिद्धान्त यह बताता है कि • अनुकूल वातावरण तथा उचित नियन्त्रण का सिद्धान्त (Principle of conductive environment and proper control) 1. उद्देश्य निर्धारण का सिद्धान्त (Principle of objectives assessment) उद्देश्यों का निर्धारण करना शिक्षण प्रक्रिया को दिशा प्रदान करते हैं। शिक्षक उद्देश्यों के अभाव में उस नाविक के समान है, जिसे अपने गन्तव्य स्थान का पता नहीं है और छात्र उस पतवारहीन नाव के समान है, जो लहरों के थपेड़े खाती हुई कहीं भी किनारे लग जाती है। अतः स्पष्ट है कि उद्देश्य निर्धारित किये बिना पढ़ाना शिक्षण कार्य नहीं है। 2. क्रियाशीलता का सिद्धान्त/करके सीखने का सिद्धान्त (Principle of activity/ principle of learning by doing) यह शिक्षण का एक मूल्यवान् सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त के ...

व्यक्तित्व का विशेषक सिद्धांत किसके द्वारा दिया गया है? » Vyaktitva Ka Visheshak Siddhant Kiske Dwara Diya Gaya Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। व्यक्तित्व का अध्ययन करने के लिए मनोवैज्ञानिक सदियों से प्रदान करते रहे नए-नए सिद्धांतों की खोज और व्यक्ति को विभिन्न वर्गों में रखकर यकृत का अध्ययन करने का प्रयत्न किया गया कि 4 वर्ष पूर्व प्रसिद्ध दार्शनिक में चिकित्सा कक्ष के आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व को चार भागों में बांटा अपने अध्ययन में उसने मनुष्य में चारों की उपस्थिति में चौथ के दिन पति पद और कब है vyaktitva ka adhyayan karne ke liye manovaigyanik sadiyon se pradan karte rahe naye naye siddhanto ki khoj aur vyakti ko vibhinn vargon mein rakhakar yakrit ka adhyayan karne ka prayatn kiya gaya ki 4 varsh purv prasiddh darshnik mein chikitsa kaksh ke aadhar par vyakti ke vyaktitva ko char bhaagon mein baata apne adhyayan mein usne manushya mein charo ki upasthitee mein chauth ke din pati pad aur kab hai व्यक्तित्व का अध्ययन करने के लिए मनोवैज्ञानिक सदियों से प्रदान करते रहे नए-नए सिद्धांतों क

बाल विकास एवं शिक्षा मनोविज्ञान के महत्वपूर्ण सिद्धांत NOTES for Teacher's Exam

बाल विकास एवं शिक्षा मनोविज्ञान (Bal Vikas Shiksha Manovigyan) के महत्वपूर्ण सिद्धांत और उनके प्रतिपादक: शिक्षा भर्ती परीक्षाएं जैसे कि CTET, UPTET, REET, KVS, NVS, MPTETआदि में बाल विकास एवं शिक्षा मनोविज्ञान (Bal Vikas Shiksha Manovigyan) के महत्वपूर्ण सिद्धांत और उनके प्रतिपादक के बारे अक्सर प्रश्न पूछ लिए जाते है तो यदि आप टीईटी परीक्षाओ की तैयारी कर रहे है तो इस आर्टिकल मे दी गई जानकारी आपके बहुत काम आएगी। Advertisement ये भी पढ़ें: • बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (Child Development and Pedagogy) top 50 oneliner • शिक्षण विधियाँ एवं उनके प्रतिपादक/मनोविज्ञान की विधियां,सिद्धांत: ( Downoad pdf) • बाल विकास एवं शिक्षा मनोविज्ञान के महत्वपूर्ण सिद्धांत NOTES for Teacher’s Exam • यहा हम बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र“Bal Vikas Shiksha Manovigyan Notes”के अंतर्गत विभिन्न विद्वानों द्वारा दिए गए सिद्धांत को जानेंगे इसके साथ ही हमने उन सभी विद्वानों के सिद्धांतों को सम्मिलित किया है जो की परीक्षा में पूछे जाने की पूर्ण रूप से संभावना है आशा है यह पोस्ट आपके परीक्षा की दृष्टि से सहायक सिद्ध होगा। Important Principles of Child Development and Education Psychology and Their Exhibitors बाल विकास एवं शिक्षा मनोविज्ञान के संपूर्ण सिद्धांत और उनके प्रतिपादक क्र. सिद्धांत प्रतिपादक 1. आत्म संप्रत्यय की अवधारणा विलियम जेम्स 2. शिक्षा मनोविज्ञान के जनक थार्नडाइक 3. मनोविज्ञान के जनक विलियम जेम्स 4 आधुनिक मनोविज्ञान के जनक विलियम जेम्स 5 प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत थार्नडाइक 6 प्रयत्न एवं भूल का सिद्धांत थार्नडाइक 7 प्रकार्यवाद संप्रदाय के जनक विलियम जेम्स 8 संयोजनबाद का सिद्धांत थार्नडाइक...

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development and Pedagogy ) Part

नमस्कार दोस्तो , कैसे हैं आप सब ?I Hope सभी की Study अच्छी चल रही होगी 🙂 दोस्तो आप में से कुछ साथियों ने मुझसेChild Development and Pedagogy के नोट्स की मांग की थी ! तो उसी को ध्यान में रखते हुये आज से हम अपनी बेबसाइट परChild Development and Pedagogy के One Liner Question and Answer के पार्ट उपलब्ध कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Teaching के Exam जैसे CTET , UPTET , MP Samvida Teacher , HTET , REET आदि व अन्य सभी Exams जिनमें किChild Development and Pedagogy आता है उसमें काम आयेगी ! आज की हमारी पोस्टChild Development and Pedagogy का दूसरा पार्ट है जिसमें कि हम बाल विकाश का परिचय ( Introduction to Child Development ) से संबंधित Most Important Question and Answer को बताऐंगे ! तो चलिये दोस्तो शुरु करते हैं ! • बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development and Pedagogy ) Part – 1 यहां पढें • बालक के विकास की प्रक्रिया कब शुरू होती है – जन्‍म से पूर्व • विकास की प्रक्रिया – जीवन पर्यन्‍त चलती है। • सामान्‍य रूप से विकास की कितनी अवस्‍थाएं होती हैं – पांच • ”वातावरण में सब बाह्य तत्‍व आ जाते हैं जिन्‍होंने व्‍यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है।” यह परिभाषा किसकी है – वुडवर्थ की • ”वंशानुक्रम व्‍यक्ति की जन्‍मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है – बी.एन.झा का • बंशानुक्रम के निर्धारक होते हैं – जीन्‍स • कौन-सी विशेषता विकास पर लागू नहीं होती है – विकास को स्‍पष्‍ट इकाइयों में मापा जा सकता है। • शैशव काल का नियत समय है – जन्‍म से 5-6 वर्ष तक • बालक की तीव्र बुद्धि का विकास पर क्‍या प्रभाव पड़ता है – विकास सामान्‍य से तीव्र होता है। • विकास एक प्रक्रिया है – निरन्‍तर • बाल्...

सापेक्षता का सिद्धांत क्या है? » Sapekshata Ka Siddhant Kya Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने रिमाइंड क्या है कि लॉस ऑफ फिजिक्स यह जो है सामान्य है ऑल नॉन असली रेटिंग ऑफ फ्लॉवर्स के लिए और यह स्पीड ऑफ़ लाइट यह जो है इंडिपेंडेंट है फॉर ऑल मोशंस ऑफ़ वन ऑफ द बेस्ट तो यह स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी albert einstein ne remind kya hai ki loss of physics yah jo hai samanya hai all non asli rating of flowers ke liye aur yah speed of light yah jo hai independent hai for all moshans of van of the best toh yah special theory of relativity अल्बर्ट आइंस्टाइन ने रिमाइंड क्या है कि लॉस ऑफ फिजिक्स यह जो है सामान्य है ऑल नॉन असली रेट

नोम चॉम्स्की और भाषा का सिद्धांत / संज्ञानात्मक मनोविज्ञान

नोआम चॉम्स्की एक प्रसिद्ध अमेरिकी भाषाविद् हैं जो उनके लिए प्रसिद्ध हैं मनोवैज्ञानिक जांच भाषा और आधुनिक युग के महान विचारकों में से एक के बारे में। अपने करियर की शुरुआत के बाद से, चॉम्स्की अपने राजनीतिक झुकाव और समाजवादी अभियानों के एक मान्यता प्राप्त कार्यकर्ता के रूप में अपने कैरियर के कारण एक बहुत ही विवादास्पद चरित्र बन गए हैं।. कई प्रकाशित लेखों और पुस्तकों में, चॉम्स्की मनोविज्ञान की दुनिया में भाषा अधिग्रहण के अपने प्रसिद्ध सिद्धांत के लिए जाना जाता है। इस भाषाई सिद्धांत में, वह पुष्टि करता है कि हम एक के साथ पैदा हुए हैं बोलने की क्षमता और यह कि हमारी खरीद प्रक्रिया भाषा और व्याकरण की संरचनाओं को सीखने पर आधारित है. ¿आप के बारे में अधिक जानना चाहते हैं नोम चॉम्स्की और भाषा का सिद्धांत? फिर हम आपको मनोविज्ञान-ऑनलाइन के इस लेख को पढ़ना जारी रखने की सलाह देते हैं. आपकी रुचि भी हो सकती है: संज्ञानात्मक मनोविज्ञान और एप्लाइड मनोविज्ञान सूचकांक के बीच संबंध • कौन हैं चॉम्स्की: जीवनी और विचारधारा • नोम चोमस्की द्वारा भाषा विकास का सिद्धांत • सार्वभौमिक व्याकरण का सिद्धांत • चॉम्स्की का भाषाई सिद्धांत: भाषा और विचार • नोम चोमस्की: किताबें कौन हैं चॉम्स्की: जीवनी और विचारधारा अवराम नोम चोमस्की 1928 में फिलाडेल्फिया, संयुक्त राज्य अमेरिका में पैदा हुआ था। यूक्रेनी आप्रवासियों के बेटे, नोआम ने भाषा विज्ञान के अध्ययन के लिए अपने जीवन और कैरियर को निर्देशित करने का फैसला किया। उन्होंने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में दर्शन, भाषा विज्ञान और गणित का अध्ययन किया और, वर्षों बाद, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रोफेसर एमेरिटस नामित किया गया था।. 1949 में, नोआम ...

भारत में शिक्षा

[[chitr:Nalanda-University-Bihar.jpg|thumb|250px| saksharata ki paribhasha 1911 mean bharatiy janaganana ke samay saksharata ko paribhashit karate hue kaha gaya hai ki ek patr padh-likhakar usaka uttar de dene ki yogyata saksharata hai. prachin kal yadi yah man bhi liya jae ki us samay desh ki sampoorn abadi ki ek tihaee se zyada ooanchi jatiyoan ki abadi nahian thi to bhi yah mana ja sakata hai ki ashok ke samay mean bharat mean do karo d se zyada log shikshit the (yah manate hue ki us samay ki janasankhya mean lagabhag 1/5 chhoti ayu vale bachche the tatha sabhi l dakiyaan shiksha prapt nahian kar rahi thian). yah sankhya bahut adhik pratit nahian hoti, kyoanki us bharat ki janasankhya poori manavata ke ek-tihaee ke lagabhag thi. atah us samay ke shikshit logoan ki sankhya isase adhik rahi hogi aur yah us samay ki sabase kam sankhya hi mani ja sakati hai. arambh mean mahilaoan ke lie bhi shiksha anivary thi, lekin samay ke sath unaki vivah ayu kam hoti gee aur is vajah se mahilaoan ki shiksha mean badha aee, use pratibandhit kar diya gaya. saltanat kal sampoorn dakshin-poorv eshiya ko apani adhikaansh sanskriti bharat se prapt huee. eesa poorv paanchavian shatabdi ke prarambh mean pashchimi bharat ke upaniveshi bharatiy itihasakar jo apane desh ke atit par garv karate haian pray: is kshetr ko 'vrihattar bharat' ka nam dete haian tatha bharatiy upaniveshoan ka varnan karate haian. apane samany arth mean 'upanivesh' shabd yuktisangat nahian jan p data hai phir bhi yah kaha...