विश्वकर्मा जयंती कब है 2023

  1. भगवान विश्वकर्मा जयंती 2023
  2. Vishwakarma Jayanti 2023 Date In February Know Pujan Vidhi Mantras And Mythological Beliefs
  3. Vishwakarma Puja Date 2023: विश्वकर्मा पूजा कब है 2023
  4. सोमवती अमावस्या कब है 2023, 2024, 2025, 2026, 2027, 2028, 2029
  5. मौनी अमावस्या कब है 2023, 2024, 2025, 2026, 2027, 2028, 2029
  6. विश्वकर्मा पूजा 2023: तिथि और महत्व
  7. विश्वकर्मा जयंती


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भगवान विश्वकर्मा जयंती 2023

Table of Contents • • • • • विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पकार हैं तथा भगवान ब्रह्मा जी के निर्देश अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी सारी सृष्टि के सृजन करता भी हैं। इस सारी सृष्टि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ब्रह्मा जी के निर्देशानुसार किया था। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के सभी अस्त्रों एवं शस्त्रों का निर्माण किया था। प्राचीन हिंदू इतिहास की प्रमुख राजधानी जैसे लंका इंद्रप्रस्थ और द्वारिका का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा जी ने किया था। हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के त्रिशूल का निर्माण तथा देवराज इंद्र के वज्र का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा जी ने ही किया था। भगवान विश्वकर्मा के पुत्र नल जो कि वानर के रूप में त्रेता युग में जन्म लिए थे उन्होंने भी भगवान राम के साथ रहकर राम सेतु का निर्माण किया था। विश्वकर्मा के सफेद रंग के बाल हैं तथा वह हंस में सवारी करते हैं, इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा हाथी की भी सवारी करते हैं। पुराणों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा के पिता वास्तु है लेकिन कहीं कहीं पर भगवान ब्रह्मा को भगवान विश्वकर्मा का पिता बताया गया है। भगवान विश्वकर्मा के तीन पुत्री और 5 पुत्र हैं। भगवान विश्वकर्मा की एक पुत्री सूर्य की अर्धांगिनी भी है। See also अशोक का पेड़ घर मे होने से क्या लाभ या दोष होता हैं, आइये जाने? विश्वकर्मा जयंती ? | Vishwakarma Jyanti 2023 हिंदू पंचांग के अनुसार विश्वकर्मा जयंती मांग महीने के शुक्ल पक्ष की प्रदोष को मनाया जाता है। वर्ष 2023 में विश्वकर्मा जयंती 3 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा। विश्वकर्मा जयंती के दिन पूरे भारत भर में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की जो व्यक्ति पूजा क...

Vishwakarma Jayanti 2023 Date In February Know Pujan Vidhi Mantras And Mythological Beliefs

Vishwakarma Jayanti 2023: माघ माह की विश्वकर्मा जयंती आज, जानें पूजन विधि, सरल मंत्र और पौराणिक मान्यताएं Vishwakarma Jayanti 2023: आज विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है. भगवान विश्‍वकर्मा को गृह निर्माण और वस्तुओं को बनाने वाला देवता माना जाता है.निर्माण कार्यों से जुड़े लोगों के लिए पर्व खास होता है. Vishwakarma Jayanti 2023: माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी यानी 3 फरवरी को भी विश्‍वकर्मा जयंती मनाई जाती है. हालांकि भारत के कई हिस्सों में इसे सितंबर माह में मनाया जाता है. भगवान विश्‍वकर्मा को गृह निर्माण और वस्तुओं को बनाने वाला देवता माना जाता है. इन्हें देवताओं का शिल्पकार कहा जाता है. इस दिन औजार और मशीनरी की विशेष पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार, देवी-देवताओं से जुड़े सभी निर्माण कार्य भगवान विश्वकर्मा ही करते हैं. त्रेतायुग में सोने की लंका, पुष्पक विमान द्वापर युग में द्वारका नगरी का निर्माण विश्वकर्मा जी ने ही किया था. निर्माण कार्यों से जुड़े लोगों के लिए विश्वकर्मा जयंती एक बड़ा पर्व है. आइए जानते हैं इसकी पूजन विधी. विश्वकर्मा जयंती की पूजा विधि सुबह जल्दी उठ कर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें. इसके बाद पूजा स्थान को साफ करके विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा रखें. हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर भगवान का ध्यान लगाएं. अब 'ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनंतम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:' मंत्र का जाप करें और भगवान विश्वकर्मा को भोग लगाएं. विधिपूर्वक आरती करें और अपने औजारों और यंत्र की पूजा करें. इसके बाद हवन कर पूजा संपन्न करें. भगवान विश्वकर्मा सरल मंत्र ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनंतम नम:, ॐ पृथिव्यै नम: सोने की लंका से जुड़ी मान्यता विश्वकर्मा जी देवी-देवताओ...

Vishwakarma Puja Date 2023: विश्वकर्मा पूजा कब है 2023

दोस्तों मैं आपको इस आर्टिकल के अंदर बताने वाला हूं. कि Vishwakarma Puja Kab Date 2023: विश्वकर्मा पूजा कब है 2023 | Vishwakarma Puja Kab Hai 2023. और आपको यह जानना है. तो आप हमारे इस आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढ़ें. और दोस्तों हमारे देश के अंदर विश्वकर्मा की पूजा हर साल के अंदर 16 से लेकर 17 सितंबर के नजदीकी सेलिब्रेट की जाती है. और विश्वकर्मा जयंती को सेलिब्रेट जयंती महीने के अंदर शुक्ल पक्ष की तिथि को सेलिब्रेट करा जाता है. दोस्तों हर साल के अंदर विश्वकर्मा की जयंती 16 सितंबर से लेकर 17 सितंबर के आसपास सेलिब्रेट की जाती है. और विश्वकर्मा जयंती को भगवान विश्वकर्मा जयंती से भी जानते हैं. और यह जयंती महीने के अंदर शुक्ल पक्ष के तिथि पर सेलिब्रेट की जाती है. और इस साल यानी कि 2023 को विश्वकर्मा जयंती 3 फरवरी को सेलिब्रेट करी जाएगी. और हमारे देश के अंदर अलग-अलग राज्यों के अंदर अलग-अलग तरीके से विश्वकर्मा जयंती को सेलिब्रेट करी जाएगी. और बहुत लोगों के द्वारा ऐसा कहा गया है. कि विश्वकर्मा जयंती के दिन आप दिल से पूजा अर्चना करते हैं. तो आपको अपने जीवन में जो भी हासिल करना होता है. तो वह आप मेहनत करके. उसे जरूर हासिल कर सकते हैं. और अपने जीवन में बहुत तरक्की करते हैं. और विश्वकर्मा भगवान को दुनिया का सर्जन करने वाला कहा जाता है. क्योंकि जयंती महीने के अंदर विश्वकर्मा भगवान प्रकट हुए थे. और इसी की वजह से पश्चिम और उत्तर आदि दो जगह पर विश्वकर्मा जयंती के दिन बड़े धूमधाम से सेलिब्रेट करा जाता है. • • • • 17 सितंबर को मनाया जाता है विश्वकर्मा पूजा दोस्तों बहुत प्रचलित विश्वकर्मा की जयंती इस साल के अंदर 17 सितंबर को सेलिब्रेट करी जाएगी. और दूसरी और एक प्रचलित विश्वकर्मा की तिथि होती है...

सोमवती अमावस्या कब है 2023, 2024, 2025, 2026, 2027, 2028, 2029

सोमवती अमावस्या 2023 में 20 फरवरी दिन सोमवार को है। अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व होता है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये वर्ष में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ती है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष। इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है। और कुछ अन्य परम्पराओं में भँवरी देने का भी विधान होता है। धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी के पेड़ को चढाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है। सोमवती अमावस्या कब है? सोमवती अमावस 2023 : 20 फरवरी, 2023, सोमवार सोमवती अमावस 2024 : 8 अप्रैल, 2024, सोमवार सोमवती अमावस 2027 : 8 मार्च, 2027, सोमवार सोमवती अमावस 2028 : 24 अप्रैल, 2028, सोमवार सोमवती अमावस 2030 : 4 मार्च, 2030, सोमवार सोमवती अमावस 2031 : 21 अप्रैल1, 2031, सोमवार सोमवती अमावस 2032 : 12 जनवरी, 2032, सोमवार सोमवती अमावस 2033 : 21 नवंबर, 2033, सोमवार सोमवती अमावस 2034 : 20 मार्च, 2034, सोमवार Tags : षटतिला एकादशी 20...

मौनी अमावस्या कब है 2023, 2024, 2025, 2026, 2027, 2028, 2029

साल 2023 में मौनी अमावस्या 21 जनवरी दिन शनिवार को है। ‘मुनि’ शब्द से ही ‘मौनी’ की उत्पत्ति हुई है। मौनी अमावस्या व्रत में मौन धारण करनेवाले को मुनि पद की प्राप्ति होती है। कहा गया है कि परमात्मा मौन में ही निवास करते हैं। इसलिए हमारे ऋषियों ने हम सब के लिए कम-से-कम एक दिन सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक के लिए मौनी अमावस्या का विधान किया। क्योंकि हम सब जितना मौन रहेंगे, परमात्मा उतना ही हमसे संवाद कर सकेगा। आदि शंकराचार्य और महर्षि रमण ने मौन रहने से अध्यात्मिक उर्जा मिलने का बराबर संकेत किया था। अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है। इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और दान आदि किया जाता है। मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर गंगा,यमुना, मंदाकिनी, गोदावरी, कावेरी, कृष्णा, व्यास आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। मन-ही-मन अपने इष्टदेव, गणेश, शिव, हरि का नाम लेते रहना चाहिए। इस दिन मौन रहना उत्तम है। किसी की निंदा नहीं करें। महाभारत में कहा गया है कि माघ मास में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। साथ ही सभी तीर्थ भी स्नान करने आते हैं। पद्म पुराण में कहा गया है कि माघ माह में भगवान विष्णु सूर्योदय से पूर्व गंगा स्नान (या घर में स्नान) करने से बहुत प्रसन्न होते हैं। स्नान करते हुए यह मंत्र पढ़ें— ‘ओम त्रिवेणी पापजातं में हर मुक्तिप्रदा भव।’ मौनी अमावस्या कब है? मौनी अमावस्या 2024 : 9 फरवरी, 2024, शुक्रवार मौनी अमावस्या 2025 : 29 जनवरी, 2025, बुधवार मौनी अमावस्या 2026 : 18 जनवरी, 2026, रविवार मौनी अमावस्या 2027 : 6 फरवरी, 2027, शनिवार मौनी अमावस्या 2028 : 26 जनवरी, 2028, बुधवार मौनी अमावस्या 2029 : 14 जनवरी, 2029, रविवार मौनी अमावस्या 2030 : 2 फरवरी, 2030, शनिवार मौनी अमावस्या 203...

विश्वकर्मा पूजा 2023: तिथि और महत्व

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विश्वकर्मा जयंती

Read in English विश्वकर्मा जयंती, भगवान विश्वकर्मा के जन्म दिवस पर मनाई जाती है, जिसे प्रायः लोग विश्वकर्मा पूजा के नाम से भी जानते हैं। जैसे जनवरी माह के 15वें दिन को आने वाले त्यौहार मकर संक्रांति की ही तरह विश्वकर्मा पूजा प्रत्येक वर्ष कन्या भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर एवं वास्तुकार माना जाता है। विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना में भगवान ब्रह्मा की सहायता की थी। माना जाता है कि विश्वकर्मा जी ने ही देवताओं के घर, नगर, अस्त्र-शस्त्र आदि का निर्माण किया था। हस्तिनापुर, द्वारिका, इंद्रपुरी, पुष्पक विमान एवं इन्द्रप्रस्थ जैसे कई नगरों, भवनों एवं वस्तुओं का निर्माण किया है। इसलिए इस दिन उद्योगों एवं फैक्ट्र‍ियों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। विश्वकर्मा जयंती मनाने की पूजा विधि ❀ विश्वकर्मा जयंती के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठें और फिर स्नान करके साफ कपड़े पहनकर पूजा स्थल की सफाई करें। ❀ विश्वकर्मा की मूर्ति को स्थापित करते समय पूजा का व्रत लें और पूजा शुरू करें और मूर्ति से जुड़े उपकरणों की भी पूजा करें। ❀ भगवान विश्वकर्मा को पान, सुपारी, हल्दी, अक्षत, फूल, लौंग, फल और मिठाई अर्पित करें और शास्त्रों में बताई गई पूजा विधि से अनुष्ठान शुरू करें। ❀ फिर धूप और दीप जलाकर भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और रक्षासूत्र अर्पित करें। ❀ भगवान विश्वकर्मा की पूजा के साथ-साथ कार्यालय की मशीनों और उपकरणों की भी पूजा करें। ❀ अंत में पूजा में गलती के लिए भगवान विश्वकर्मा से क्षमा मांगें और व्यापार में उन्नति के लिए प्रार्थना करें, अंत में प्रसाद बांटें। कुछ मान्यताओं के आधार पर दीपावली के अगले ही दिन गोवर्धन पूजा के साथ विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती है। संबंधित अन्य नाम विश्...