वक्रोक्ति अलंकार के 100 उदाहरण

  1. वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा
  2. वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा, पहचान, और उदाहरण
  3. वक्रोक्ति अलंकार
  4. वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण ! Vakrokti alankar ke udaharan
  5. अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी


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वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा

1 • • • • वक्रोक्ति अलंकार के प्रकार वक्रोक्ति अलंकार दो प्रकार होते हैं। काकु अक्रोक्ति अलंकार श्लेष वक्रोक्ति अलंकार उदाहरण मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू कह कपि धर्मसीलता तोरी। हमहुँ सुनी कृत परतिय चोरी। को तुम हौ इत आये कहाँ घनस्याम हौ तौ कितहूँ बरसो। चितचोर कहावत है हम तौ तहां जाहुं जहाँ धन सरसों।। को तुम हो इत आये कहा, घनश्याम हो तू कितू बरसों एक कबूतर देख हाथ में पूछा, कहाँ अपर है? उसने कहा, ‘अपर’ कैसा ? वह उड़ गया ,सपर है। कौन द्वार पर ,राधै मैं हरि अन्य अलंकार पढ़े Related Posts: • Best 101+ Tulsidas Ke Dohe | तुलसीदास के दोहे अर्थ सहित • 150+ Kabir Ke Dohe In Hindi | कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ • अलंकार किसे कहते हैं परिभाषा और उदाहरण सहित | Alankar kise… • 7 महाद्वीप के नाम और उनकी विशेषताएं Continents in Hindi • छन्द की परिभाषा, भेद और उदाहरण Chhand in Hindi • सूरदास के पद अर्थ सहित Surdas ke pad

वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा, पहचान, और उदाहरण

प्रस्तुत लेख में वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा, पहचान, और उदाहरण आदि को विस्तार पूर्वक अध्ययन करेंगे। यह लेख सभी प्रकार की परीक्षाओं के लिए कारगर है। इसका अध्ययन कर आप अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं। वक्रोक्ति अलंकार अलंकार को काव्य का आभूषण माना गया है। इसके प्रयोग से काव्य में चमत्कार तथा रोचकता उत्पन्न होती है। अलंकार काव्य की शोभा को बढ़ाने का कार्य भी करते हैं। जिस प्रकार महिलाएं आभूषण पहनती हैं ,उसी प्रकार काव्य का आभूषण अलंकार होता है। वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा जहां किसी उक्ति में,वक्ता के अभिप्रेम आशय से भिन्न अर्थ की कल्पना की जाए वहां वक्रोक्ति अलंकार होता है। (1) कभी किसी शब्द के श्लेष से कई अर्थ होने के कारण दूसरा अर्थ निकाला जाता है। और(2) कभी कहे हुए वाक्य का कष्ट की ध्वनि या अन्य किसी प्रकार से दूसरा अर्थ निकाला जाता है। पहले प्रकार की उक्ति में श्लेष वक्रोक्ति होती है और दूसरे प्रकार की उक्ति में वाकुवक्रोक्ति। वक्रोक्ति अलंकार का उदहारण vakrokti alankar ke udaharan 1 श्लेष वक्रोक्ति का उदहारण (श्री कृष्ण राधा के यहां गए, उनसे उन्होंने द्वार खोलने को कहा ) राधा-को तुम हो ,इत आये कहाँ ? श्रीकृष्ण-घनश्याम (राधा ने श्लेष से घनश्याम का अर्थ ‘बादल’ लगाकर कहा) हो तो कितहूँ बरसो। अर्थात बादल का यहां क्या काम ? यदि बादल हो तो जाकर कहीं और जल बरसाओ। 2 काकुवक्रोक्ति का उदाहरण – (रावण ने अंगद से अपनी भुजाओं की शक्ति की डिंग मारी। इस पर अंगद बोला ) ‘सो भुज बल राख्यो उर घाली। जीतेउ सहस्रबाहु,बली, बाली। यहां (काकू वक्रोक्ति) से हारेउ अर्थात हारे थे – सहस्रबाहु,बली और बाली से है। अन्य उदाहरण – १ रुठहि करै तासौं को खेलें। २ क्या कहूं आज जो नहीं कही। (सरोज स्मृति) यह भी...

वक्रोक्ति अलंकार

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर स्रोत खोजें: · · · · वक्रोक्ति एक काव्यालंकार है जिसमें काकु या श्लेष से वाक्य का और अर्थ किया जाता है। जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान-बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है। उदाहरण- • (१) कौ तुम? हैं घनश्याम हम । तो बरसों कित जाई॥ • (२) मैं सुकमारि नाथ बन जोगू। तुमहिं उचित तप मो कहँ भोगू ॥ ° (3) A.J Land Great Hai, we are , we are A.J Panthers भाषा में वक्रोक्ति निम्नलिखित छः स्तरों पर कार्य करती है- • वर्णविन्यास • पदपूर्वार्ध • पदपरार्ध • वाक्य • प्रकरण वक्रोक्ति अलंकार के दो भेद हैं- • श्लेषमूला - चिपका अर्थ • काकुमूला - ध्वनि-विकार/आवाज में परिवर्तन श्लेषमूला - एक कबूतर देख हाथ में पूछा कहाँ अपर है? कहा अपर कैसा? वह उड़ गया सपर है ॥ यहाँ जहाँगीर ने दूसरे कबूतर के बारे में पूछने के लिये "अपर" (दूसरा) उपयोग किया है जबकि उत्तर में नूरजहाँ ने 'अपर' का अर्थ 'अ-पर' अर्थात 'बिना पंख वाला' किया है। काकुमूला- आप जाइए तो। -(आप जाइए) आप जाइए तो?-(आप नहीं जाइए) इसी तरह, जाओ मत, बैठो। जाओ, मत बैठो । कौ तुम? हैं घनश्याम हम । तो बरसों कित जाई॥ सन्दर्भ [ ]

वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण ! Vakrokti alankar ke udaharan

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अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी

अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है किआभूषण, यह दो शब्दों से मिलकर बनता है-अलम + कार। जिस प्रकार स्त्री की शोभाआभूषणों से होती है उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जो शब्द आपके वाक्यांश को अलंकृत करें वह अलंकार कहलाता है। Alankar के बारे में विस्तार से जानने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़ें। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • अलंकार किसे कहते हैं? Alankar किसी काव्यांश-वाक्यांश की सुंदरता को बढ़ाने वाले शब्द होते हैं जैसे अपने शब्दों के माध्यम से किसी की सुंदरता को चांद की उपाधि देना यह बिना अलंकार के संभव नहीं है। भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित और सुंदर बनाने का काम Alankar का ही है। अलंकरोति इति अलंकार भारतीय साहित्य के अंदर जिन शब्दों के द्वारा किसी वाक्य को सजाया जाता है उन्हें Alankar कहते हैं। • अनुप्रास • उपमा • रूपक • यमक • श्लेष • उत्प्रेक्षा • संदेह • अतिशयोक्ति आदि ये भी पढ़ें : क्लॉज़िज़ अलंकार के भेद Alankar को व्याकरण के अंदर उनके गुणों के आधार पर तीन हिस्सों में बांटा गया है। • शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार शब्दालंकार अलंकार शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार , जिसके दो रूप होते हैं – ध्वनी और अर्थ। जब Alankar किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। अर्थात जिस Alankar में शब्दों का प्रयोग करने से कोई चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार कहीं गायब हो जाता है तो, ऐसी प्रक्रिया को शब्दालंकार कहा जाता है। शब्दालंकार के भेद शब्द ...