वॉच डॉग पत्रकारिता क्या है

  1. वॉच डॉग पत्रकारिता क्या है? Answer... MP Board Class
  2. पत्रकारिता के विविध संदर्भ के लेखक कौन है?
  3. चीरफाड़: 'वॉच डॉग' से 'गाइड डॉग, तक
  4. पत्रकारिता: तब हम वाकई वॉच
  5. पत्रकारिता का अर्थ, परिभाषा, कार्य, सिद्धांत, क्षेत्र


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वॉच डॉग पत्रकारिता क्या है? Answer... MP Board Class

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पत्रकारिता के विविध संदर्भ के लेखक कौन है?

विषयसूची Show • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • इस लेख को पढ़कर विद्यार्थी अपने परीक्षा की तैयारी कर सकेगी और आगामी भविष्य पत्रकारिता के क्षेत्र में बनाने की योजना तय कर सकते हैं। पत्रकारिता का क्षेत्र वर्तमान समय में काफी व्यापक है। पत्रकारिता के भीतर विभिन्न प्रकार के क्षेत्र समाहित किए गए हैं , जिसके कारण इसका रूप और भी व्यापक हो गया है। रोजगार की संभावनाएं इसमें अपार है। अतः विद्यार्थी इस क्षेत्र को कैरियर के रूप में चयन कर सकते हैं। पत्रकारिता के विविध आयाम मनुष्य अपने सहज भाव के कारण अपने आस-पास व दूर की जानकारी रखना चाहता है। ज्ञान अर्जित करना चाहता है , उसकी इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए ही पत्रकारिता का विकास हुआ है। अतः पत्रकारिता का मूल तत्व जिज्ञासा है। पत्रकारिता क्या है? पत्रकारिता अंग्रेजी जर्नलिज्म का हिंदी अनुवाद है। जर्नल शब्द का प्रयोग पत्रिका के लिए होता है। मैथ्यू अर्नाल्ड के अनुसार – ‘ पत्रकारिता शीघ्रता में लिखे जाने वाला साहित्य है , पत्रकार देश-विदेश की घटनाओं , समस्याओं और सूचनाओं को संकलित कर समाचार रूप में डालकर प्रस्तुत करते हैं। इसी प्रक्रिया को पत्रकारिता कहते हैं। ‘ समाचार ( पत्रकारिता के विविध आयाम ) हर घटना समाचार नहीं होती , समाचार के रूप में उन्हें घटनाओं सूचना और मुद्दों को चुना जाता है , जिन्हें जानने में अधिक से अधिक लोगों की रूचि हो। किसी घटना को समाचार बनाने के लिए उसमें नवीनता , जनरुचि , निकटता , प्रभाव जैसे तत्वों का होना आवश्यक है। समाचार किसी भी ऐसी ताजा घटना विचार या समस्या की रिपोर्ट है , जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रूचि हो और जिसका प्रभाव अधिक से अधिक लोगों पर पड़े। समाचार के तत्व • नवीनता – समाचार बनाने के लिए न्य...

चीरफाड़: 'वॉच डॉग' से 'गाइड डॉग, तक

प्रहरी से मार्गदर्शक! कर्ण प्रिय हैं ये शब्द। सुनने में अच्छे लगते हैं, पढऩे में भी अच्छे लगतेहैं। लेकिन वास्तविकता अथवा सचाई की जमीन पर कुकुरमुत्ते की तरह उपजे कड़वे सच इसे सामने से चुनौती देते स्पष्टत: परिलक्षित हैं। फिर तो इसकी चीर-फाड़ होगी ही। चलिए चाकू उठा लिया जाए। इंडियन लॉ इंस्टिट्युट के सुप्रसिद्ध प्राध्यापक डॉ. एस. शिवकुमार की एक नई पुस्तक आई है- 'प्रेस लॉ एंड जर्नलिस्टस वॉचडॉग टू गाइड डॉग'। डॉ. कुमार दावा करते हैं कि उन्होंने भारतीय पत्रकारों को समाज के प्रति जिम्मेदारी के एहसास के साथ दायित्व निर्वाह करते देखा है। 'प्रेस' जिस प्रकार विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के साथ-साथ समाज के अन्य क्षेत्रों के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देता है, उससे प्रेरित होकर ही उन्होंने प्रेस को 'वॉच डॉग' से आगे 'गाइड डॉग' निरूपित किया है। अपनी इस वंदना से प्रेस बिरादरी स्वाभाविक रुप से पुलकित है। लेकिन आलोचक-समालोचक भी ताल ठोंकने लगे कि अगर प्रेस इतना ही जिम्मेदार है तब फिर प्रधानमंत्री, मंत्री, नेता और आम लोगों का एक बड़ा-बहुत बड़ा वर्ग इसे 'वेश्या- सदृश' क्यों निरुपित कर रहा है? संक्रामक की तरह पांव पसार चुके 'सोशल मीडिया' पर पत्रकारों के लिए प्रतिकूल विशेषणों की खतरनाक व्यापक मौजूदगी क्यों? क्या ये बिरादरी के लिए असहज स्थिति नहीं है? नि:संदेह समाज-शासन की हर विधा के लिए प्रेस की भूमिका प्रहरी अर्थात 'वॉच डॉग' से आगे मार्गदर्शक अर्थात 'गाइड डॉग' अपेक्षित है। 'प्रेस' के प्रति यह राष्ट्रीय अपेक्षा दायित्व व कर्तव्य को चिन्हित करता है। जब-जब इसे नजरअंदाज किया गया, आत्मघाती सिद्ध हुआ। कोई आश्चर्य नहीं कि बुरी तरह बदनाम हो चुकी राजनीतिक बिरादरी के समकक्ष पत्रकार बिरादरी को भी रखा जान...

पत्रकारिता: तब हम वाकई वॉच

: पहले अपने समाज की सुरक्षा के लिए चारों ओर मूत्र-विसर्जन करते थे हम लोग, अब अपनों पर ही मूतने में जुट गये : केकड़ों से भी बदतर हो गयी है पिछले बरसों के दौरान पत्रकारों की राजनीति, इसको दबाओ, उसको काटो और उसको नोंचो : सभी प्रत्‍याशियों को किसी घड़े-सुराही की तरह जांचो, वरना हालत और ज्‍यादा बिगड़ेगी : कुमार सौवीर लखनऊ : नाम पर मुंह मत बिचकाइयेगा। वॉच-डॉग यानी पहरेदारी करने वाला इंसान। समाज पर आने वाले खतरों को पहले ही सूंघ कर षडयंत्र करने वालों पर भौंकने की फितरत मानी जाती है वॉच-डॉग में। उसे पहरेदार कुत्‍ता इसलिए कहा जाता था, क्‍योंकि कोई भी कुत्‍ता अपने समाज की सुरक्षा के लिए अपने दायरे बनाया करता था, इसके लिए अपने इलाके को पहचाना करता था, उसके घेराबंदी के लिए बाकायदा एक टांग उठा-उठा कर मूत्र-विसर्जन किया करता था। और उस में घुसपैठ करने वालों पर भौंकता, और काट लिया करता था। मंत्री और अफसरों तथा अपराधियों पर दांत गड़ा दिया करते थे ऐसे वॉच-डॉग। एक दौर हुआ करता था, जब वॉच-डॉग होना किसी भी पत्रकार के लिए गर्व और सीना चौड़ा कर देने के लिए पर्याप्‍त हुआ करता था। लेकिन अब वह दौर बीते वक्‍त की बात हो चुका है। सच बात तो यह है कि हम-आप में से काफी लोग वॉच-डॉग की भूमिका भूल चुके हैं। मेरे प्‍यारे दोस्‍त, मेरे शब्‍दों पर बुरा मत मानियेगा, लेकिन हकीकत यही है कि आज मैं सच बोलने पर आमादा हूं। पूछना चाहता हूं कि पिछले दस-पंद्रह बरस पहले तक बेहद सम्‍मानित माने जाने वाले पत्रकारों की हैसियत इतनी बुरी कैसे हो गयी, उनकी खबरें अविश्‍वसनीय कैसी होने लगीं, उनमें सच कैसे गायब होने लगा, कैसे अफसर और नेतागण हमारे पत्रकारों को अपनी जेब में कैसे बैठाने लगे, और हमने यह सुविधा अपने जमीर को बेच कर कैसे ...

पत्रकारिता का अर्थ, परिभाषा, कार्य, सिद्धांत, क्षेत्र

‘जर्नलिज्म’ यानी पत्रकारिता का अर्थ समाचार पत्र, पत्रिका से जुड़ा व्यवसाय, समाचार संकलन, लेखन, संपादन, प्रस्तुतीकरण, वितरण आदि होगा। आज के युग में पत्रकारिता के अभी अनेक माध्यम हो गये हैं, जैसे -अखबार, पत्रिकाएँ, रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता, सोशल मीडिया, इंटरनेट आदि। हिन्दी में भी पत्रकारिता का अर्थ भी लगभग यही है।‘पत्र’ से‘पत्रकार’ और फिर ‘पत्रकारिता’ से इसे समझा जा सकता है। वृहत हिन्दी शब्दकोश के अनुसार ‘पत्र’ का अर्थ चिट्ठी, कागज, वह कागज जिस पर कोई बात लिखी या छपी हो, वह कागज या धातु की पट्टी जिस पर किसी व्यवहार के विषय में कोई प्रामाणिक लेख लिखा या खुदवाया गया हो(दानपत्र, ताम्रपत्र), किसी व्यवहार या घटना के विषय का प्रमाणरूप लेख(पट्टा, दस्तावेज), यान, वाहन, समाचार पत्र, अखबार है। 1. सूचना प्रदान करना -पत्रकारिता का मुख्य कार्य सूचनाओं को लोगों तक पहुंचाना है। समाचार अपने समय के विचार, घटना और समस्याओं के बारे में सूचना प्रदान करता है। यानी कि समाचार के माध्यम से देश दुनिया की समसामयिक घटनाओं समस्याओं और विचारों की सूचना लोगों तक पहुंचाया जाता है। इस सूचना का सीधे सीधे अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ता है। 3.लोकतंत्र की सुरक्षा एवं बचाव -पत्रकारिता की पहुंच का सीधा अर्थ है जनमत की पहुंच। इसलिए कहा गया है कि पत्रकारिता लोकतंत्र की सुरक्षा एवं बचाव का सबसे बड़ा माध्यम है। यह दोनों नेता एवं जनता के लिए लाभकारी है। नेता जनता तक अपनी सुविधा अनुसार पहुंच पाते हैं लेकिन खासकर के इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से नेता एक ही समय में काफी लोगों तक पहुंच पाने में सक्षम हो जाते हैं। 4.जनमत को आकार देना -पत्रकारिता का कार्य में सबसे प्रमुख है जनमत को आकार देना, उसको दिशा निर्द...