Vritt ki paribhasha

  1. वृत्त
  2. वृत के सभी सूत्र
  3. भाषा किसे कहते हैं? भाषा की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण (हिंदी व्याकरण)
  4. पाणिनि
  5. वृति की परिभाषा और प्रकार ( भेद )
  6. वृत्त की परिभाषा, सूत्र, ट्रिक्स और उदाहरण
  7. उपन्यास


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वृत्त

वृत्त तल द्विविमीय अर्थ केंद्र से समान दूर होने वाले बिंदुओं का समूह व्यास केंद्र से होकर जाने वाली जीवा त्रिज्या अर्द्धव्यास परिधि परिधि = π x व्यास किसी एक निश्चित बिंदु से समान दूरी पर स्थित बिंदुओं का केंद्र कहलाता है, केंद्र और वृत्त की परिधि के किसी भी बिन्दु के बीच की दूरी वृत्त की वृत्त एक प्रकार का अनुक्रम • 1 यूक्लिड की परिभाषा • 2 शब्दावली • 3 वृत्त की स्पर्श रेखा के गुण • 4 विश्लेषणात्मक परिणाम • 5 समीकरण • 5.1 कार्तीय निर्देशांक • 6 प्रमुख गुण • 6.1 वृत्त की जीवा के गुण यूक्लिड की परिभाषा [ ] वृत्त एक बंधरेखा से घिरी हुई एक समतलीय आकृति है, और यह इस तरह होता है कि किसी निश्चित बिंदु इस बंधरेखा तक की सभी रेखाएं लंबाई में बराबर होता हैं। यह बंधरेखा, इस वृत्त की परिधि और निश्चित बिंदु, इसका केंद्र कहलाता है। शब्दावली [ ] त्रिज्यखंड (Sector): किन्हीं दो त्रिज्याओं के बीच एक चाप से घिरा क्षेत्र। वृत्तखण्ड (Segment): केंद्ररहित एक क्षेत्र जो वृत्त की एक जीवा और एक चाप से घिरा होता है। एक जीवा वृत्त को दो वृत्तखंडों में विभाजित करती है। छेदन रेखा या छेदिका (Secant): एक विस्तारित जीवा, जो वृत्त के समतलीय होती है तथा वृत्त को दो बिन्दुओं पर प्रतिच्छेदित करती है। अर्धवृत्त (Semicircle): वृत्त के व्यास तथा व्यास के अंतबिन्दुओं से बने चाप के मध्य का क्षेत्र अर्धवृत्त होता है। अर्धवृत्त का क्षेत्रफल, वृत्त के सम्पूर्ण क्षेत्रफल का आधा होता है। वृत्त की स्पर्श रेखा के गुण [ ] (a) वृत्त के एक बिन्दु पर एक और केवल एक स्पर्श रेखा होती है। (b) किसी वृत्त की स्पर्श रेखा छेदक रेखा की एक विशिष्ट दशा है जब संगत जीवा के दोनों सिरे संपाती हो जाएँ। (c) स्पर्श रेखा और वृत्त के कॉमन प्व...

वृत के सभी सूत्र

वृत किसे कहते हैं तथा वृत के सभी सूत्र क्या हैं (Circle all formula in hindi):- वृत को अंग्रेजी में सर्किल (Circle) कहते हैं। वृत एक समतलीय आकृति होता है जो कि स्थान घेरता है। Vrut से सम्बंधित प्रश्न (Numerical) कक्षा 9, 10,11 तथा 12 के विद्याथियों के पाठ्यक्रम में पूछ जाता है। साथ ही वृत से सम्बंधित प्रश्न अन्य उपयोगी प्रतियोगी परिक्षावों में भी पूछे जाते हैं। अतः यह जरुरी है कि वृत से सम्बंधित बेसिक जानकारियों को सबसे पहले जान लें। जैसे कि वृत की परिभाषा क्या है, वृत के चित्र में त्रिज्या, जीवा, व्यास क्या होता है। इन सभी मूल बातों को जानने के बाद वृत की त्रिज्या, व्यास, क्षेत्रफल, परिधि या परिमाप पर आधारित प्रश्नों को वृत के सूत्रों द्वारा आसानी से हल कर सकेंगे। दोस्तों आज के इस लेख में वृत से ही जुड़ी बेसिक जानकारियों तथा फार्मूला को साझा किया गया है। जैसे कि वृत्त का क्षेत्रफल और परिमाप का सूत्र, वृत खंड (दीर्ध तथा लघु वृतखंड), वृत किसे कहते हैं, वृत्त की जीवा का सूत्र, वृत्त की त्रिज्या की परिभाषा, वृत्त का व्यास त्रिज्या का क्या होता है इत्यादि। अतः इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें तथा शेयर करें। वृत किसे कहते हैं तथा उनके सभी सूत्र | Circle all formula in hindi वृत से जुड़े सभी फार्मूला को प्रयोग में लाने से पहले वृत की परिभाषा तथा उससे जुड़े सभी बेसिक जानकारियों को जानना जरुरी है। अतः नीचे दिए गए वृत के चित्र के माध्यम से सभी परिभाषावों को समझें तथा सम्बंधित सूत्रों को याद करें। वृत्त के विभिन्न भाग। Parts of Circle वृत्त का केंद्र (Center of Circle) वृत्त की त्रिज्या (Radius of Circle) व्यास (Diameter) परिधि (Circumference or Perimeter) चाप (Arc) जीवा (Chord) दीर्घवृत्त खं...

भाषा किसे कहते हैं? भाषा की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण (हिंदी व्याकरण)

भाषा किसे कहते हैं? भाषा की परिभाषा, भेद और उदाहरण (हिंदी व्याकरण), Hindi main Bhasha kise kahate hain? bhasha ki paribhasha, bhasha ke prakar, or bhasha ke bhed or Udaaharan. हम सामान्य जीवन में किसी न किसी माधयम से एक दूसरे से वार्तालाप करते हैं, फिर चाहे वह मूक रूप में हो या लिखित या फिर मौखिक, आपके मन में कभी न कभी यह प्रश्न जरूर आया होता की आखिर भाषा की परिभाषा क्या होगी? यदि आप विद्यार्थी हैं और हिंदी भाषा में कुछ जानना चाहते हैं तो भाषा सबसे महत्वपूर्ण है और इसी के बाद आप अन्य अध्याय पढ़ सकते हैं। हिंदी व्याकरण में समझते हैं की भाषा किसे कहते हैं? भाषा की परिभाषा क्या होती है? भाषा कितने प्रकार की होती है? भाषा के कितने भेद होते हैं? तथा भाषा के कुछ उदाहरण। भाषा किसे कहते हैं? भाषा की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण ऊपर दिए गए सभी प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं, यदि आप सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण पढ़ना चाहते हैं तो आप यहाँ पढ़ सकते हैं – इस लेख में आप परिभाषा, स्वरूप, शब्द,अर्थ, सौंदर्य, कार्य, उत्पत्ति, विकास, हिन्दी भाषा की विशेषता पढ़ोगे। भाषा किसे कहते हैं? ‘‘भाषा वह साधन है, जिसके माध्यम से मनुष्य बोलकर, लिखकर या संकेत पर परस्पर अपना विचार सरलता, स्पष्टता, निश्चितता तथा पूर्णता के साथ प्रकट करता है।’’ या फिर सरल शब्दों में कहा जाए तो मनोभाव को व्यक्त करना भाषा है। GK, GS, Maths, Reasoning Quiz के लिए टेलीग्राम चैनल ज्वाइन करें - भाषा को हम दो रूपों में ही स्पष्टतया व्यक्त करते हैं- लिखकर अथवा बोलकर; परन्तु सांकेतिक भाषा का भी अपना महत्व हुआ करता है। यह सांकेतिक रूप कई रूपों में हमारे सामने आता है। उदाहरण स्वरूप- (क) विभिन्न रंगों से संकेत कर : ट्रैफिक चौराहे पर लाल औ...

पाणिनि

poora nam panini janm 500 eesa poorv janm bhoomi mukhy rachanaean prasiddhi vishesh yogadan sanskrit bhasha ko vyakaran sammat roop dene mean panini ka yogadan atulaniy mana jata hai. nagarikata bharatiy any janakari panini ne apane samay ki sanskrit bhasha ki sookshm chhanabin ki thi. is chhanabin ke adhar par unhoanne jis vyakaran shastr ka pravachan kiya, vah n keval tatkalin sanskrit bhasha ka niyamak shastr bana, apitu usane agami sanskrit rachanaoan ko bhi prabhavit kiya. panini (aangrezi: Pāṇini) vishay soochi • 1 parichay • 2 ashtadhyayi • 3 prachin kathaoan mean ullekh • 4 vyakaran shastr • 5 shabd ke arth • 5.1 shabd ka prayog • 5.2 shabdoan ke bhed • 6 panini ki vicharadhara • 7 ashtadhyayi athava paniniyashtak • 8 adhyay • 9 ashtadhyayi sanhita • 10 sootr • 11 granth • 12 pathantar • 13 paniniy tantr ke khil granth • 13.1 dhatupath • 13.2 ganapath • 13.3 unadi sootr • 13.4 linganushasan • 13.5 paribhasha path • 13.6 phit–sootrapath • 14 ne darshanikoan ka samarthan • 15 tika tippani aur sandarbh • 16 sanbandhit lekh parichay panini (500 eesa poorv) ashtadhyayi • REDIRECT ashtadhyayi matr vyakaran granth nahian hai. isamean prakaraantar se tatkalin bharatiy samaj ka poora chitr milata hai. us samay ke bhoogol, samajik, arthik, shiksha aur rajanitik jivan, darshanik chiantan, khan-pan, rahan-sahan adi ke prasang sthan-sthan par aankit haian. panini ka samay eesa poorv 800 se 400 ke madhy hai, yadyapi vidvanh panini ka samay bhagavan prachin kathaoan mean ullekh p...

वृति की परिभाषा और प्रकार ( भेद )

->आदत, स्वभाव और व्यवहार तीनों जब मिलते हैं तो वृत्ति कहलाते हैं। ->वृत्ति को ‘ क्रियार्थ ’ भी कहते है , क्रियार्थ का अर्थ है – क्रिया का अर्थ या प्रयोजन । इसका अर्थ यह है कि ‘ रुप ’ कहने वाले अथवा करने वाले के किस प्रयोजन या वृत्ति की और संकेत करता है । ->वृत्ति वक्ता की वह मनःस्थिति है , जो वाक्य में क्रिया रूपों द्वारा व्यक्त होती है। -> “जो कार्य या व्यापार लौकिक जगत में घटित न हुई हो , वरन जो वक्ता के मस्तिष्क में इच्छा, संभावना, अनुमान आदि के रूप में निहित हो, उसका संबंध वृत्ति से होता है।” कुछ वैयाकरणों के ‘वृत्ति’ संबंधी धारणाएँ द्रष्टव्य हैं- “क्रिया के उन रूपों को वृत्ति कहते हैं कि जो कार्य घटित होने की रीति को बताते हैं (अर्थात कोई कार्य मात्र घटित होता है यह उसे करने का आदेश दिया जाता है अथवा यह किसी विशेष अवस्था पर निर्भर होता है)” “पदार्थ या अंतर्निहित अर्थ को स्पष्ट करने की विश्लेषण पद्धति को वृत्ति कहते हैं। इसके द्वारा वाक्य में छिपी भावना को ढूँढ निकालने का प्रयत्न किया जाता है , साथ ही क्रिया संपन्नता में कई अर्थ जुड़े होते हैं, उनमें ‘वृत्ति’ भी एक है।” उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट हो जाता है कि ‘वृत्ति’ का संबंध लौकिक जगत से न होकर वक्ता के मस्तिष्क में स्थित संभाव्य, इच्छा, आज्ञा आदि से ज्ञात होता है। वृति की परिभाषा और प्रकार वृति के प्रकार ( भेद ) वृत्ति का वर्गीकरण- 1. आज्ञार्थक 2. संभावनार्थक 3.निश्चयार्थक 4. सामर्थ्यसूचक 5. संभावनार्थ 6.संकेतार्थ 7.सन्देहार्थ 8. बाध्यता सूचक 9. अनुज्ञात्मक 10. भविष्यत। 1. आज्ञार्थक आज्ञार्थक वाक्य में वृत्ति-प्रत्यय ø ,-ओ, -इए, -ना आदि लगते हैं। आज्ञार्थक के अंतर्गत आज्ञा, प्रार्थना, उपदेश आदि भाव निहित होते हैं...

वृत्त की परिभाषा, सूत्र, ट्रिक्स और उदाहरण

केंद्र से गुजरने वाली वह शीधी रेखा जो वृत्त को दो बराबर खंडों में विभक्त करती हैं वृत्त का व्यास कहलाती हैं, वृत्त का व्यास उसकी त्रिज्या का दोगुना होता हैं। किसी वृत्त की परिधि की लंबाई उसकी व्यास की लंबाई की लगभग 22/7 गुना होती हैं इसे ग्रीक अक्षर π द्वारा प्रदर्शित किया जाता हैं अक्षर π को पाई पड़ा जाता हैं, जहाँ π = परिधि/व्यास = 22/7 = 3.1428571 होता हैं। परिधि पर स्थित किन्हीं दो बिंदुओं को मिलाने वाली सीधी रेखा को वृत्त की जीवा या चाप कर्ण कहते हैं। वृत्त के सूत्र • वृत्त का व्यास = 2 × त्रिज्या = 2r • वृत्त की परिधि = 2π त्रिज्या = 2πr • वृत्त की परिधि = π × व्यास = πd • वृत्त का क्षेत्रफल = π × त्रिज्या² = πr² • वृत्त की त्रिज्या = √वृत्त का क्षेत्रफल/π • अर्द्ववृत्त की परिमिति = (n + 2)r = (π + 2)d/2 • अर्द्ववृत्त का क्षेत्रफल = 1/2πr² = 1/8 πd² • त्रिज्याखण्ड का क्षेत्रफल = θ/360° × वृत्त क्षेत्रफल = θ/360° × πr² • त्रिज्याखण्ड की परिमिति = (2 + πθ/180°)r • वृतखण्ड का क्षेत्रफल = (πθ/360° – 1/2 sinθ)r² • वृतखण्ड की परिमिति = (L + πrθ)/180° , जहाँ L = जीवा की लम्बाई • चाप की लम्बाई = θ/360° × वृत्त की परिधि • चाप की लम्बाई = θ/360° × 2πr • दो संकेन्द्रीय वृत्तों जिनकी त्रिज्याए R₁, R₂, (R₁ ≥ R₂) हो तो इन वृत्तों के बीच का क्षेत्रफल = π(r²₁– r²₂) वृत्त के उदाहरण Q.1 उस व्रत की परिधि क्या होगी जिसकी त्रिज्या 21 सेंटीमीटर है? A. 132 सेंटीमीटर B. 146 सेंटीमीटर C. 154 सेंटीमीटर D. 172 सेंटीमीटर हल:- प्रश्नानुसार, परिधि = 2πr = 2 × 22/7 × 21 = 132 Ans. 132 सेंटीमीटर Q.2 एक व्रत की परिधि 352 सेंटीमीटर हैं इसका क्षेत्रफल क्या होगा? A. 9856 वर्ग सेंटीमीटर B. 8956 वर्ग सेंट...

उपन्यास

[[chitr:Godan.jpg| upanyas gady lekhan ki ek vidha hai. upanyas aur • bhaugolik, samajik, rajanitik, arthik paristhitiyaan • aitihasik parampara upanyas ki paribhasha janm se hi upanyas yatharth jivan ki or unmukh raha hai. purani katha-akhyayika se vah isi bat mean bhinn hai. ve (yani, purani katha-akhyayikaean) jivan ke khatakane vale yatharth ke sangharshoan ke bachakar svapnalok ki madak kalpanaoan se manav ko ulajhane, bahakane aur phusalane ka prayatn karati thian, jabaki upanyas jivan ki yatharth se ras khianchakar chitt-vinodan ke sath hi sath manushy ki samasyaoan ke sammukhin hone ka ahvan lekar sahity kshetr mean aya tha. usake pair thos dharati par jame haian aur yatharth jivan ki kathinaiyoan aur sangharshoan se chhanakar ane vala “avyaj manohar” manaviy ras hi usaka pradhan akarshan hai. maian upanyas ko manav-charitr ka chitr matr samajhata hooan. manav charitr par prakash dalana aur usake rahasyoan ko kholana hi upanyas ka mool tattv hai. sab adamiyoan ke charitroan mean bhi bahut kuchh samanata hote hue bhi kuchh vibhinnataean hoti haian. yahi charitr sanbandhi samanata aur vibhinnata-abhinnatv mean bhinnatv aur vibhinnatv mean abhinnatv-dikhana upanyas ka mool karttavy hai. arnest e. bekar ke shabdoan mean arnest e. bekar ne upanyas ki paribhasha dete hue use gadyabaddh kathanak ke madhyam dvara jivan tatha samaj ki vyakhya ka sarvottam sadhan bataya hai. yoan to vishvasahity ka praranbh hi sanbhavat: kahaniyoan se hua aur ve mahakavyoan ke yug se aj tak ...