वर्तमान संदर्भ में वनों का पारिस्थितिक महत्व क्यों अधिक महत्वपूर्ण है व्याख्या कीजिए

  1. 05: प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी / Samkalin Bharat
  2. वनों की कटाई पर भाषण
  3. वन
  4. वन महोत्सव विशेष:पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता है वन महोत्सव
  5. भारत के वन क्षेत्र का विस्तार कैसे करें
  6. रिसर्च : जैव विविधता पर संकट
  7. Mountain Ratna Mountain Ratna भूगोल
  8. वनों का महत्व पर निबंध
  9. वनों की कटाई पर भाषण
  10. रिसर्च : जैव विविधता पर संकट


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05: प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी / Samkalin Bharat

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वनों की कटाई पर भाषण

वनों की कटाई आज के समय की बहुत ही बुरी वास्तविकता है। इस तथ्य को जानने के बावजूद कि मानव जाति के लिए पेड़ और जंगल कितने महत्वपूर्ण हैं मनुष्य अभी भी लगातार वनों को काट रहा है और भवनों के निर्माण के लिए वनों की भूमि का सफाया कर रहा है। सार्वजनिक रूप से हम अक्सर इस ओर नेताओं द्वारा लोगों में जागरूकता को फैलाने और ईमानदारी से प्रयास करने के लिए वनों की कटाई पर दिए भाषण सुनते हैं। लेकिन हम कितनी बार सावधानी से उनकी बात सुनते हैं और उनके रास्तों पर चलते हैं? शायद ही कभी! लेकिन अब ठोस कदम उठाने का समय है और वास्तव में हमारी सरकार को पेड़ों को काटने और वन भूमि का दुरूपयोग करने के लिए सख्त दंड और जुर्माना लगाना चाहिए। वनों की कटाई पर लंबे और छोटे भाषण (Long and Short Speech on Deforestation in Hindi) भाषण – 1 सुप्रभात छात्रों – आशा है कि आप सभी अच्छे हैं! आज मैं ग्लोबल वार्मिंग से जुड़े एक बहुत ही प्रासंगिक विषय को संबोधित करने जा रहा हूं यानी वनों की कटाई। वनों की कटाई वर्तमान समय की एक गंभीर वास्तविकता है। इसमें वनों को काटने और बिना वन की भूमि को कहीं दूसरी जगह स्थानांतरित किए उसका दुरूपयोग करना शामिल है। वनों की कटाई की प्रक्रिया आमतौर पर तब होती है जब किसी भूमि का इस्तेमाल फार्म हाउस या बड़े घर को बनाने में किया जाता है। इसके अलावा ईंधन या लकड़ी की आवश्यकता के कारण भी वनों की कटाई की जाती है। जब वनों की कटाई होती है तो न केवल पेड़ों को नष्ट किया जाता है बल्कि जानवर भी अपने प्राकृतिक आवास से बेघर हो जाता हैं यानी मनुष्य द्वारा वनों को खत्म किया जाता है। वनों को काटने से हमारी जलवायु भी प्रभावित होती है और यह ग्लोबल वार्मिंग का भी कारण बनती है। वनों की कटाई के पीछे कई कारण हैं च...

वन

वन (जंगल) कहते हैं। विभिन्न मापदंडों पर आधारित जंगल की कई परिभाषाएँ हैं । वनों ने पृथ्वी के लगभग 9.5% भाग को घेर रखा है जो कुल भूमिक्षेत्र का लगभग 30% भाग है। एक समय कभी वन कुल भूमिक्षेत्र के 50% भाग में फैल जगन भगान ६ सन हुए थे। वन, जीव जन्तुओं के लिए आवासस्थल हैं और पृथ्वी के जल-चक्र को नियंत्रित और प्रभावित करते हैं और अलग अलग तरीकों से और विशिष्टता के आधार पर वनों को वर्गीकृत किया जा सकता है। ऐसा ही एक तरीका है जिसमें वे, मौजूद प्रमुख प्रजातियों के पत्ते लंबी आयु के साथ संयुक्त को "बायोम" के रूप में (चाहे वे कर रहे हैं • • उदा, उदा, • • • वन अधिक विशेष रूप से जलवायु और प्रमुख प्रजातियों के पेड़ वर्तमान आधारित, कई अलग अलग जिसके परिणामस्वरूप में वर्गीकृत किया जा सकते है वन प्रकार ( वैश्विक जंगल वर्गीकरण प्रणाली का एक नंबर का प्रस्ताव किया गया है, लेकिन कोई सार्वभौमिक स्वीकृति प्राप्त नहीं किया गया है। • शीतोष्ण नीद्लेलेअफ़ जंगलों ज्यादातर पोषक तत्व पर विशेष रूप से उत्तरी गोलार्द्ध के उच्च अक्षांश क्षेत्रों, साथ ही उच्च ऊंचाई क्षेत्रों और कुछ गर्म समशीतोष्ण क्षेत्रों, या अन्यथा गरीब प्रतिकूल मिट्टी कब्जा.इन जंगलों पूरी तरह से, या लगभग ऐसा है, तो शंकुधारी प्रजातियों से बना रहे हैं ( • शीतोष्ण broadleaf और मिश्रित शीतोष्ण ब्रोअद्लेअफ़ और मिश्रित वन के वृक्षों में से एक महत्वपूर्ण घटक शामिल हैं • उष्णकटिबंधीय नम उष्णकटिबंधीय नम जंगलों कई अलग अलग प्रकार के वन शामिल है। सबसे अच्छे और सबसे विस्तृत lowland evergreen broadleaf rainforests होते हैं जिनमें, उदारणार्थ, ये शामिल हैं: the seasonally inundated • उष्ण कटिबंधीय शुष्क उष्ण कटिबंधीय शुष्क वन के उष्णकटिबंधीय से प्रभावित क्ष...

वन महोत्सव विशेष:पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता है वन महोत्सव

वन महोत्सव विशेष: पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता है वन महोत्सव लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें जुलाई के पहले सप्ताह (1 से 7 जुलाई) में वनों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है। यह एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है, जिसमें पूरे देश में वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है। वन महोत्सव पर लोग पौधे लगाते हैं और अधिक लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि वो सब मिलकर विभिन्न वृक्षारोपण अभियान भी चलाए। वन महोत्सव सप्ताह में वन संरक्षण के प्रति जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वन महोत्सव का महत्व वन महोत्सव पर लोग पौधे लगाते हैं और अधिक लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि वो सब मिलकर विभिन्न वृक्षारोपण अभियान भी चलाए। वन महोत्सव सप्ताह में वन संरक्षण के प्रति जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और ग्रह पर मनुष्यों को ऑक्सीजन प्रदान करने में पेड़ और जंगल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन महोत्सव सप्ताह एक अनुस्मारक है कि हमें वनों की रक्षा करनी चाहिए और वनों की कटाई को रोकना चाहिए और पर्यावरण संरक्षण के तीन 3R नियम कम करना (रिड्यूस), पुन: उपयोग करना (रीयूज), पुनः चक्रण (रीसायकल) करना का पालन करना चाहिए। इस सप्ताह के दौरान, बच्चों और बड़ों को पौधे लगाते हुए और वृक्षारोपण अभियान में भाग लेते हुए, पेड़ों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि भारत ने 2030 तक अतिरिक्त 2 बिलियन कार्बन उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। एक शोध के अनुसार विगत सात वर्षों में भारत देश में जंगल के भीतर और बाहर वृक्षों का आवरण बढ़ा है और 15,000 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र भी बढ़ा है। वन महोत्सव का इतिहास वन महो...

भारत के वन क्षेत्र का विस्तार कैसे करें

की-वर्ड्स :-आईएसएफआर 2021, वृक्षारोपण, वनकाआकलन, वनकीपरिभाषा। चर्चामेंक्यों? • हालहीमें, भारतकेवनसर्वेक्षणद्वाराप्रकाशितद्विवार्षिकरिपोर्ट ‘भारतकीराज्यवनरिपोर्ट 2021 केअनुसार, भारतनेअपनेवनक्षेत्रमें 1,540 वर्गकिलोमीटरकीवृद्धिदर्जकीहै। • रिपोर्टमेंदर्शायागयाहैकि 2019 से 2021 केबीच, वनऔरवृक्षोंकाआवरण 2,261 वर्गकिमीबढ़गया I मुख्यविचार :- • कुछशोधकर्ताओंने"वन"कीपरिभाषाकोलेकरसवालउठाएहैं। • इनशोधकर्ताओंनेपारिस्थितिकसंतुलनबनाएरखनेमेंवृक्षारोपणकीभूमिकाकोकमकरकेआंकानेकीबातकहीहै। • राष्ट्रीयवननीति, 1988 केअनुसारवनऔरवृक्षआवरणकेतहत 33 प्रतिशतक्षेत्रकालक्ष्यहासिलकरनाअभीशेषहै। • वनभूमिकीअनुपलब्धताकेकारणवनआवरणमेंबड़ीवृद्धिकीसंभावनासीमितहै। • तबभीबंजरभूमि, झाड़ीदारवनोंमेंवृक्षारोपणकरके 9% वनारोपणकोबढाकर (33% वनआवरणकेलक्ष्य) लक्ष्यकोप्राप्तकियाजासकताहै। • जंगलकेबाहरकेपेड़ (टीओएफ) एकप्रमुखक्षेत्रहै, जिसकाउपयोगलक्ष्यप्राप्तकरनेकेलिएकियाजासकताहै। वनकीपरिभाषा :- • भारतमेंवनावरणकीपरिभाषाक्योटोप्रोटोकॉलकेअनुरूपहै। • क्योटोप्रोटोकॉलकेअनुसार, वनकान्यूनतमक्षेत्र 0.05 से 1 हेक्टेयरहै।जबकिभारतमेंन्यूनतम 1.0 हेक्टेयरहै।क्योटोप्रोटोकॉलकेअनुसार, ट्रीक्राउनकवर 10 प्रतिशतसे 30 प्रतिशतजबकिभारतमेंयह 10 प्रतिशतहै।वहींसीटूमेंपरिपक्वताकीअवस्थामेंपेड़ोंकीन्यूनतमउंचाईक्षमता 2 से 5 मीटरहैजबकिभारतमेंयहसीमा 2 मीटरहै। • इसप्रकारभारतद्वारादीगईपरिभाषाकेअंतर्गत 1 हेक्टेयरसेअधिकक्षेत्रकीभूमिपर,10 प्रतिशतसेअधिककेपेड़केकैनोपी (छत्र) घनत्ववालेक्षेत्रकोंवनकेरूपमेंशामिलकियागयाहै। • यहआवश्यकनहींकिऐसीभूमिएकवनक्षेत्रकेरूपमेंदर्जहो। • इसमेंबाग, बांस, ताड़आदिभीशामिलहैं। आईएसएफआर 2021 केप्रमुखनिष्कर्ष :- वनआवरण • पिछलेदोवर्षोंमेंवन...

रिसर्च : जैव विविधता पर संकट

डॉ. दीपक कोहली, उपसचिव, वन एवं वन्य जीव विभाग पृथ्वी पर विविध प्रकार का जीवन विकसित हुआ है जो मानव के अस्तित्व में आने के साथ ही उसकी आवश्यकताओं को पूर्ण करता रहा है और आज भी कर रहा है । प्रकृति में अनेकानेक प्रकार के पादप एवं जीव-जन्तु हैं जो परिस्थितिक तन्त्र के अनुरूप विकसित एवं विस्तारित हुए हैं और उनका जीवन चक्र क्रमिक रूप से चलता रहता है जब तक पर्यावरण अनुकूल रहता है। जैसे ही पर्यावरण में प्रतिकूलता आती है, पारिस्थितिक चक्र में व्यतिक्रम आने लगता है। जीव-जन्तुओं एवं पादपों पर संकट आना प्रारम्भ हो जाता है । यही कारण है कि वर्तमान विश्व में अनेक जैव प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं और अनकों संकटग्रस्त हैं। इसी कारण आज जैव विविधता के प्रति विश्व सचेष्ट है और अनेक विश्व संगठन तथा सरकारें इनके संरक्षण में प्रयत्नशील हैं। यह आवश्यक है क्योंकि पारिम्स्थितिक चक्र में जीव एवं पादप आपसी सामंजस्य एवं सन्तुलन द्वार ही न केवल विकसित होते हैं अपितु सम्पूर्ण पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान करते हैं । यदि इस चक्र में व्यवधान आता है अथवा कुछ जीव विलुप्त हो जाते हैं तो सम्पूर्ण चक्र में बाधा आ जाती है जो पर्यावरण में असन्तुलन का कारण होती है और मानव सहित सम्पूर्ण जीव-जगत के लिए संकट का कारण बनती है । जैव विविधता पर वर्तमान में सर्वाधिक संकट हो रहा है तथा प्रतिवर्ष हजारों प्रजातियाँ विलुप्त होती जा रही हैं । इस कारण जैव विविधता के विविध पक्षों की जानकारी इसके संरक्षण हेतु आवश्यक है । जैव विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिकी कीट विज्ञानी इ.ओ विल्सन द्वारा 1986 में ‘अमेरिकन फोरम ऑन बायोलोजिकल डाइवर्सिटी’ में प्रस्तुत रिपोर्ट में किया गया । यह शब्द दो शब्दों अर्थात् ‘और का समूह है जो हिन्दी मे...

Mountain Ratna Mountain Ratna भूगोल

प्राकृतिक वनस्पति का अर्थ प्राकृतिक वनस्पति पेड़-पौधों का पारिस्थितिक तंत्र है, जो समस्त विश्व को प्रकृति का उपहार है, अतः इसे हरा सोना कहा जाता है। ये पर्वत, वर्षा, पवनों, तापमान, नदियों एवं अनाच्छादन के कारकों को नियंत्रित व अनुशासित करती है, अतः इसे किसी प्रदेश की जलवायु का वास्तविक सूचक माना जाता है। भारत में विविध प्रकार की वनस्पति पायी जाती हैं। यहां विषुवतीय वर्षा वन से लेकर ध्रुवीय अल्पाइन वन तक पाए जाते हैं। वनस्पतिशास्त्री के अनुसार, यहां देशी और विदेशी दोनों ही मूल की वनस्पति पायी जाती हैं। भारत में पाए जाने वाले पौधों का 40% विदेशी है, जो साइनों तिब्बती क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं। इस वनस्पति को बोरियल वनस्पति जात कहते हैं। प्रायद्वीपीय भारत में स्थानीय मूल के वनस्पति पाए जाते हैं, जबकि विशाल मैदान, राजस्थान के रेगिस्तान एवं उत्तर पूर्वी भारत में विदेशी जात की वनस्पति पाई जाती है। अतः भारतीय वनस्पति में पर्याप्त विविधता पाई जाती है। पारिस्थितिकी वैज्ञानिक के अनुसार भारत में 75000 प्रकार की वनस्पतियों का विकास हुआ है। अतः भारत वनस्पति संसाधन में संपन्न है। प्राकृतिक वनस्पति को प्रभावित करने वाले कारक प्राकृतिक वनस्पति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्न हैं। • मृदा प्रकार : भारत में विविध प्रकार की मृदाएं पायी जाती है, जो विविध वनस्पति के लिए अनुकूल होती है। यहां लगभग विश्व की सभी मृदाएं पाई जाती है। • तापमान : यहां विभिन्न प्रदेशों के तापमान में पर्याप्त भिन्नता पायी जाती है। कुछ प्रदेश में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से कम तथा कुछ प्रदेश में तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर रहता है। तापमान में इस विभिन्नता का वनस्पतियों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है। • वर्षा ...

वनों का महत्व पर निबंध

(1) मानव जीवन में वनों की उपयोगिता पर निबंध (2) वन संपदा और मानव जीवन पर निबंध (3) वन संपदा और पर्यावरण (4) पर्यावरण की रक्षक हमारी वन संपदा (5) हमारी वन संपदा पर निबंध (6) सामाजिक वानिकी और पर्यावरण पर निबंध (7) पर्यावरण प्रदूषण और वनों की उपयोगिता पर निबंध importance of forest essay in hindi,वनों का महत्व निबंध लिखिए,वनों का महत्व विषय पर निबंध,वनों का महत्व विषय पर संक्षिप्त निबंध,वन का महत्व हिंदी निबंध,वन की उपयोगिता पर निबंध,वनों की उपयोगिता पर एक निबंध,vano ki upyogita par nibandh,vano ki upyogita par nibandh in hindi,vano ki upyogita par nibandh hindi mein,वनों की उपयोगिता,essay on importance of forests in hindi,short essay on importance of forest in hindi,importance of forest conservation essay in hindi,essay on importance of forest,importance of forest essay in hindi, वनों का महत्व पर निबंध | वनों की उपयोगिता पर निबंध | essay on importance of forest in hindi पहले जान लेते है वनों का महत्व पर निबंध | वनों की उपयोगिता पर निबंध | essay on importance of forest in hindi की रूपरेखा । निबंध की रूपरेखा (1) प्रस्तावना (2) वनों की उपयोगिता / लाभ (क) ऑक्सीजन की प्राप्ति (ख) वर्षा की प्राप्ति (ग) लकड़ी की प्राप्ति (घ) अमूल्य औषधियों की प्राप्ति (3) वनों से अन्य लाभ (4) वनों से आध्यात्मिक लाभ (5) पर्यावरण के रक्षक (6) उपसंहार importance of forest essay in hindi,वनों का महत्व निबंध हिंदी,वन का महत्व हिंदी निबंध,वन की उपयोगिता पर निबंध,वनों की उपयोगिता पर एक निबंध,vano ki upyogita par nibandh,vano ki upyogita par nibandh in hindi,vano ki upyogita par nibandh hindi mein,वनों की उ...

वनों की कटाई पर भाषण

वनों की कटाई आज के समय की बहुत ही बुरी वास्तविकता है। इस तथ्य को जानने के बावजूद कि मानव जाति के लिए पेड़ और जंगल कितने महत्वपूर्ण हैं मनुष्य अभी भी लगातार वनों को काट रहा है और भवनों के निर्माण के लिए वनों की भूमि का सफाया कर रहा है। सार्वजनिक रूप से हम अक्सर इस ओर नेताओं द्वारा लोगों में जागरूकता को फैलाने और ईमानदारी से प्रयास करने के लिए वनों की कटाई पर दिए भाषण सुनते हैं। लेकिन हम कितनी बार सावधानी से उनकी बात सुनते हैं और उनके रास्तों पर चलते हैं? शायद ही कभी! लेकिन अब ठोस कदम उठाने का समय है और वास्तव में हमारी सरकार को पेड़ों को काटने और वन भूमि का दुरूपयोग करने के लिए सख्त दंड और जुर्माना लगाना चाहिए। वनों की कटाई पर लंबे और छोटे भाषण (Long and Short Speech on Deforestation in Hindi) भाषण – 1 सुप्रभात छात्रों – आशा है कि आप सभी अच्छे हैं! आज मैं ग्लोबल वार्मिंग से जुड़े एक बहुत ही प्रासंगिक विषय को संबोधित करने जा रहा हूं यानी वनों की कटाई। वनों की कटाई वर्तमान समय की एक गंभीर वास्तविकता है। इसमें वनों को काटने और बिना वन की भूमि को कहीं दूसरी जगह स्थानांतरित किए उसका दुरूपयोग करना शामिल है। वनों की कटाई की प्रक्रिया आमतौर पर तब होती है जब किसी भूमि का इस्तेमाल फार्म हाउस या बड़े घर को बनाने में किया जाता है। इसके अलावा ईंधन या लकड़ी की आवश्यकता के कारण भी वनों की कटाई की जाती है। जब वनों की कटाई होती है तो न केवल पेड़ों को नष्ट किया जाता है बल्कि जानवर भी अपने प्राकृतिक आवास से बेघर हो जाता हैं यानी मनुष्य द्वारा वनों को खत्म किया जाता है। वनों को काटने से हमारी जलवायु भी प्रभावित होती है और यह ग्लोबल वार्मिंग का भी कारण बनती है। वनों की कटाई के पीछे कई कारण हैं च...

रिसर्च : जैव विविधता पर संकट

डॉ. दीपक कोहली, उपसचिव, वन एवं वन्य जीव विभाग पृथ्वी पर विविध प्रकार का जीवन विकसित हुआ है जो मानव के अस्तित्व में आने के साथ ही उसकी आवश्यकताओं को पूर्ण करता रहा है और आज भी कर रहा है । प्रकृति में अनेकानेक प्रकार के पादप एवं जीव-जन्तु हैं जो परिस्थितिक तन्त्र के अनुरूप विकसित एवं विस्तारित हुए हैं और उनका जीवन चक्र क्रमिक रूप से चलता रहता है जब तक पर्यावरण अनुकूल रहता है। जैसे ही पर्यावरण में प्रतिकूलता आती है, पारिस्थितिक चक्र में व्यतिक्रम आने लगता है। जीव-जन्तुओं एवं पादपों पर संकट आना प्रारम्भ हो जाता है । यही कारण है कि वर्तमान विश्व में अनेक जैव प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं और अनकों संकटग्रस्त हैं। इसी कारण आज जैव विविधता के प्रति विश्व सचेष्ट है और अनेक विश्व संगठन तथा सरकारें इनके संरक्षण में प्रयत्नशील हैं। यह आवश्यक है क्योंकि पारिम्स्थितिक चक्र में जीव एवं पादप आपसी सामंजस्य एवं सन्तुलन द्वार ही न केवल विकसित होते हैं अपितु सम्पूर्ण पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान करते हैं । यदि इस चक्र में व्यवधान आता है अथवा कुछ जीव विलुप्त हो जाते हैं तो सम्पूर्ण चक्र में बाधा आ जाती है जो पर्यावरण में असन्तुलन का कारण होती है और मानव सहित सम्पूर्ण जीव-जगत के लिए संकट का कारण बनती है । जैव विविधता पर वर्तमान में सर्वाधिक संकट हो रहा है तथा प्रतिवर्ष हजारों प्रजातियाँ विलुप्त होती जा रही हैं । इस कारण जैव विविधता के विविध पक्षों की जानकारी इसके संरक्षण हेतु आवश्यक है । जैव विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिकी कीट विज्ञानी इ.ओ विल्सन द्वारा 1986 में ‘अमेरिकन फोरम ऑन बायोलोजिकल डाइवर्सिटी’ में प्रस्तुत रिपोर्ट में किया गया । यह शब्द दो शब्दों अर्थात् ‘और का समूह है जो हिन्दी मे...