वट सावित्री कथा pdf

  1. Vat Savitri Vrat Katha 2023 Pdf: वैट सावित्री आज, जानें इसकी पौराणिक कथा के बारे में
  2. वट सावित्री पूजन और व्रत कथा
  3. योगिनी एकादशी 2023: योगिनी एकादशी व्रत कथा 2023...
  4. Vat Savitri Vrat Katha PDF in Hindi : PDF Download
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Vat Savitri Vrat Katha 2023 Pdf: वैट सावित्री आज, जानें इसकी पौराणिक कथा के बारे में

Vat Savitri Vrat 2023 Today, Vat Savitri Vrat Katha Pdf: वट सावित्री व्रत आज है। सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत बड़े ही श्रद्धा भाव से रखती हैं। इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा की जाती है। इस वर्ष 19 मई 2023 को वट सावित्री व्रत का विधान बताया गया है। पौराणिक मान्यताओं पर अगर ध्यान दे तो पता चलता है कि माता सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से छीन कर वापस लाई थी। तब से जगत की महिलाएं वट सावित्री व्रत कर रही हैं। वैसे भी धार्मिक मान्यता है कि बरगद के वृक्ष मे त्रिदेव यानी कि ब्राह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इनकी पूजा करने से वैवाहिक जीवन के संकट समाप्त होते हैं। वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri Vrat Katha) एक ऐसा व्रत जिसमें हिंदू धर्म में आस्था रखने वाली सभी स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति की कामना करती हैं। उत्तर भारत में तो यह व्रत काफी लोकप्रिय है और दक्षिण भारत में भी कुछ राज्यों में इसकी मानता है। वट पूर्णिमा व्रत का पर्व विशेष तौर पर गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा समेत दक्षिण भारत में मनाया जाता है। ये पर्व ठीक उसी तरह से मनाया जाता है जिस तरह से उत्तर भारत में वट सावित्री व्रत का पर्व मनाया जाता है। जहां वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है, वहीँ वट पूर्णिमा व्रत ज्येष्ठ की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है यह व्रत रखने सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का फल प्राप्त होता है तथा घर में सुख,शांति और पति की लंबी उम्र होती है। इस व्रत की तिथि को लेकर पौराणिक ग्रंथों में भी भिन्न-भिन्न मत मिलते है। दरअसल इस व्रत को ज्येष्ठ माह की अमावस्या और इसी मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।एक और जहां निर्णयामृत के अनु...

वट सावित्री पूजन और व्रत कथा

वट सावित्री पूजन और व्रत कथा Vat Savitri Vrat Katha in Hindi:- ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को वट सावित्री पूजन व्रत मनाया जाता हैं. इस दिन सत्यवान सावित्री तथा यमराज की पूजा की जाती हैं. तत्पश्चात फल का भक्षण करना चाहिए. वट सावित्री पूजन व्रत रखने वाली स्त्रियों का सुहाग अचला होता हैं. सावित्री ने वट पूजन व्रत के प्रभाव से अपने मृतक पति सत्यवान को धर्मराज से भी जीत लिया था. वट सावित्री पूजन और व्रत कथा Vat Savitri Vrat Katha in Hindi मद्र देश के राजा अश्वपति के पुत्री के रूप में सर्वगुण सम्पन्न सावित्री का जन्म हुआ. राजकन्या ने घुम्त्सेन के पुत्र सत्यवान की कीर्ति सुनकर उन्हें पतिरूप में वरन कर लिया. इधर जब यह बात ऋषिराज नारद को पता चली तो वे अश्वपति के पास गये एवं कहने लगे- आपकी कन्या ने वर ढूंढने में निसंदेह भारी भूल की हैं. सत्यवान गुणवान तथा धर्मात्मा भी हैं, परन्तु वह अल्पायु हैं और एक वर्ष के बाद उसकी म्रत्यु भी हो जाएगी. नारद की यह बात सुनते ही राजा अश्वपति का चेहरा विवर्ण हो गया. वृथा ने होंहि देव ऋषि बानी ऐसी विचार करके उन्होंने अपनी पुत्री को समझाया कि ऐसे अल्पायु व्यक्ति के साथ विवाह करना उचित नहीं हैं, इसलिए दूसरा वर ढूढ लो. Telegram Group इस पर सावित्री बोली- पिताजी ! आर्य कन्याएं अपना पति एक बार ही वरण करती हैं. राजा एक बार आज्ञा देता हैं, पंडित एक ही बार प्रतिज्ञा करते हैं तथा कन्यादान भी एक ही बार किया जाता हैं. अब चाहे जो हो मैं सत्यवान को ही वर के रूप में स्वीकार करूगी. सावित्री ने नारद से सत्यवान की मृत्यु का समय भी पता कर लिया था. आखिर वे दोनों विवाह के बंधन में बंध गये. वह ससुराल में रहकर दिन रात सास ससुर की सेवा में लगी रहने लगी. समय व्यतीत होता गया, ससुर ...

योगिनी एकादशी 2023: योगिनी एकादशी व्रत कथा 2023...

Yogini Ekadashi 2023 Katha: इस साल 14 जून को योगिनी एकादशी है. इस दिन पूजा के समय योगिनी एकादशी व्रत कथा सुनते हैं, जो हेम माली की कहानी है. वह श्राप के कारण स्वर्ग से पृथ्वी पर ​गिर जाता है और घोर कष्ट भोगता है. उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने से फिर स्वर्ग कैसे प्राप्त हुआ? योगिनी एकादशी व्रत कथा से जानते हैं इस व्रत की महिमा और महत्व के बारे में.

Vat Savitri Vrat Katha PDF in Hindi : PDF Download

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप वट सावित्री व्रत कथा PDF / Vat Savitri Vrat Katha PDF in Hindi भाषा में प्राप्त कर सकते हैं। वट सावित्री व्रत एक ऐसा व्रत जिसमें हिंदू धर्म में आस्था रखने वाली सभी स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु एवं संतान प्राप्ति की कामना करती हैं। उत्तर भारत में तो यह व्रत काफी लोकप्रिय है और दक्षिण भारत में भी कुछ राज्यों में इसकी मानता है। इस व्रत की तिथि को लेकर पौराणिक ग्रंथों में भी भिन्न-भिन्न मत मिलते है। इस व्रत को ज्येष्ठ माह की अमावस्या और इसी मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यहाँ से आप बड़ी सरलता से वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri Vrat Katha Hindi PDF) डाउनलोड कर सकते हैं। वट सावित्री व्रत के दिन दैनिक कार्य कर घर को गंगाजल से पवित्र करना चाहिए। इसके बाद बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्माजी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। ब्रह्माजी के बाईं ओर सावित्री तथा दूसरी ओर सत्यवान की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। सावित्री के पतिव्रता धर्म की कथा का सार :- यह है कि एकनिष्ठ पतिपरायणा स्त्रियां अपने पति को सभी दुख और कष्टों से दूर रखने में समर्थ होती है। जिस प्रकार पतिव्रता धर्म के बल से ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज के बंधन से छुड़ा लिया था। इतना ही नहीं खोया हुआ राज्य तथा अंधे सास-ससुर की नेत्र ज्योति भी वापस दिला दी। उसी प्रकार महिलाओं को अपना गुरु केवल पति को ही मानना चाहिए। गुरु दीक्षा के चक्र में इधर-उधर नहीं भटकना चाहिए। • 2 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 2 • 1 • 51 • 1 • 5 • 4 • 2 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 5 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 1 • 89 • 1 • 1 ...

Vat Savitri Vrat Katha PDF Download

Rate this post वट सावित्री व्रत भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण और पूजनीय त्योहार है। तो यहां हम Vat Savitri Vrat Katha PDF Download लिंक प्रदान करते हैं। यह शुभ अवसर ज्येष्ठ माह की अमावस्या (अमावस्या) के दिन हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। इस पवित्र व्रत के दौरान, विवाहित महिलाएं सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखती हैं और अपने पति की दीर्घायु, कल्याण और समृद्धि के लिए देवी सावित्री का आशीर्वाद लेने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करती हैं। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • वट सावित्री व्रत परिचय वट सावित्री व्रत का हिंदू धर्म में गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इसका नाम पवित्र बरगद के पेड़ (वट वृक्ष) के नाम पर रखा गया है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में दीर्घायु, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है। यह त्योहार प्रेम, भक्ति और पति-पत्नी के बीच के अटूट बंधन का प्रतीक है। वट सावित्री व्रत का महत्व और महत्व सावित्री और सत्यवान और रानी वीरमती की पौराणिक कथाओं से जुड़े होने के कारण वट सावित्री व्रत को हिंदू संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि इस व्रत के पालन से सौभाग्य, वैवाहिक आनंद और पतियों की सुरक्षा होती है। इसे विवाहित महिलाओं के लिए अपने जीवनसाथी के प्रति अपने प्यार, भक्ति और प्रतिबद्धता को व्यक्त करने के अवसर के रूप में भी देखा जाता है। वट सावित्री व्रत से जुड़ी कथाएं और कहानियां सावित्री और सत्यवान की कथा प्राचीन महाकाव्य महाभारत के अनुसार, राजा अश्वपति की पुत्री रानी वीरमती की कहानी वट सावित्री व्रत से जुड़ी एक और लोकप्रिय कहानी रानी वीरमती की है, जो अपनी ...