वट सावित्री व्रत कब है 2023

  1. वट सावित्री व्रत कब है 2023, 2024, 2025, 2026, 2027
  2. Vat Savitri Vrat 2023 Shubh Muhurat significance puja vidhi samagri vrat katha and aarti in hindi।अति दुर्लभ संयोग में किया जाएगा वट सावित्री व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, सामग्री और पूजा विधि


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वट सावित्री व्रत कब है 2023, 2024, 2025, 2026, 2027

Explanation : 2023 में वट सावित्री व्रत 19 मई दिन शुक्रवार को है। उत्तर भारत में वट सावित्री का व्रत सौभाग्यवती महिलाएं करती हैं। वट वे वृक्ष कहलाते हैं, जो अपनी टहनियों से स्वयं को वेष्टित (स्वयं को लपेटना) कर लेते हैं। सबसे अधिक वेष्टन करने वाला वृक्ष बरगद है, इसलिए इसे ही वटवृक्ष मानकर इसकी पूजा की जाती है। दक्षिण भारत में यह वट पूर्णिमा के नाम से ज्येष्ठ पर्णिमा को मनाया जाता है। त्रेता युग में श्रीराम एवं द्वापर युग में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने इन पेड़ों की पूजा की थी। त्रेता युग में वनवास पर निकले भगवान श्रीराम जब भरद्वाज ऋषि के आश्रम में पहुंचने के एक दिन पूर्व रात्रि-विश्राम के लिए रुकते हैं, तब लक्ष्मणजी वट वृक्ष के नीचे ही विश्राम करते हैं। दूसरे दिन प्रात: भरद्वाज ऋषि उन्हें अपने आश्रम ले जाते हैं और जब वहां से चित्रकूट की तैयारी करते हैं तो वे यमुना की पूजा के साथ बरगद के पेड़ की पूजा कर उससे आशीर्वाद लेने को कहते हैं। उस श्यामवट से सीता जी वन के प्रतिकूल आघातों से रक्षा करने की प्रार्थना करती हैं। वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। वट वृक्ष को आयुर्वेद के अनुसार परिवार का वैद्य माना जाता है। प्राचीन ग्रंथ इसे महिलाओं के स्वास्थ्य से जोड़कर भी देखते हैं। संभवतः यही कारण है कि जब अपने परिवार के स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना हो, तो लोकसंस्कृति में वट वृक्ष की पूजा को प्रमुख विधान माना गया है। वट सावित्री व्रत का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों- स्कंद पुराण व भविष्योत्तर पुराण में भी विस्तार से मिलता है। महाभारत के वन पर्व में इसका सबसे प्राचीन उल्लेख मिलता है। वट सावित्री व्रत कब है वट सावित्री व्रत 2023 : 19 मई, 2023 (शुक्रवार) वट सावित्री ...

Vat Savitri Vrat 2023 Shubh Muhurat significance puja vidhi samagri vrat katha and aarti in hindi।अति दुर्लभ संयोग में किया जाएगा वट सावित्री व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, सामग्री और पूजा विधि

Vat Savitri Vrat 2023: आज उत्तर भारत में वट सावित्री का व्रत रखा जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। आज के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के साथ संतान के उत्तम भविष्य के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इसके साथ ही सावित्री देवी और मां पार्वती से सौभाग्य की कामना करती है। इस साल वट सावित्री व्रत के दिन काफी शुभ योग बन रहा है। जानिए वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सामग्री। वट सावित्री 2023 पर बन रहा खास योग इस साल वट सावित्री व्रत काफी खास है, क्योंकि इस साल शनि जयंती भी इस दिन पड़ रही है। इसके अलावा शनि के कुंभ राशि में होने से शश महापुरुष योग का निर्माण हो रहा है, साथ ही सिद्धि योग और गजकेसरी योग भी बन रहा है। इसके साथ-साथ शोभन योग शाम 06 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। इन शुभ योगों में पूजा करने से विशेष लाभ मिल सकता है। वट सावित्री व्रत (Indta/Anupriya) वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री • सावित्री और माता पार्वती की मूर्ति बनाने के लिए गाय का गोबर • कच्चा सूत या फिर सफेद धागा • बांस का पंखा, • लाल कलावा • बरगद की एक कोपल • खरबूज, आम आदि फल • फूल, माला • बताशा • सिंदूर, रोली • इत्र • सुपारी • पान • लाल कपड़ा • चावल (अक्षत) • सुहाग का सामान • नकद रुपए • पूड़ि‍यां • भिगोया हुआ चना, • आटा और गुड़ से बने गुलगुले • स्टील या कांसे की थाली • मिठाई • धूप • मिट्टी या पीतल का दीपक • घी वट सावित्री व्रत की पूजा विधि • वट सावित्री व्रत के दिन सूर्योदय से पहले सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी वस्त्र, सोलह श...