व्यक्तिगत स्वतंत्रता क्या है

  1. What is Article 21 of the Constitution?
  2. व्यक्तिगत और सामाजिक विकास क्या है? / व्यक्तिगत विकास और स्वयं सहायता
  3. Class 11 Political Science
  4. स्वतंत्रता की परिभाषा, अर्थ, एवं प्रकार (Definition, Meaning, and Types of Liberty ) » Raj Help
  5. व्यक्तिगत स्वतंत्रता की स्थापना में न्यायालय की भूमिका
  6. स्वतंत्रता का अधिकार क्या है
  7. स्वतंत्रता का अर्थ, परिभाषा, प्रकार/वर्गीकरण
  8. व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जिम्मेदारी। मानव स्वतंत्रता और जिम्मेदारी की समस्या


Download: व्यक्तिगत स्वतंत्रता क्या है
Size: 8.45 MB

What is Article 21 of the Constitution?

Article 21 of the Indian Constitution is a fundamental right that guarantees the protection of life and personal liberty to every citizen of India. It is one of the most important provisions in the Constitution and has been interpreted widely by the judiciary to provide various safeguards to citizens. Protection of life: Article 21 guarantees every person the right to life, including the right to lead a meaningful and dignified life. This provision protects a person's physical existence as well as their right to live with dignity. Personal liberty: Article 21 also protects a person's personal liberty, which includes freedom of movement, freedom of speech, freedom of thought, and freedom of association. This means that a person cannot be arrested or detained without due process of law. The procedure established by law: The State can only restrict a person's right to life and personal liberty if it follows the procedure established by law. This means that any restriction on these rights must be made in an assay that has been enacted by the Parliament or a state legislature. Reasonable restrictions: The State can impose reasonable restrictions on a person's right to life and personal liberty in the interest of public order, morality, and the general welfare of society. However, these restrictions must be reasonable and cannot be arbitrary or discriminatory. Right to privacy: The Supreme Court has interpreted Article 21 to include the right to privacy as a fundamental right. T...

व्यक्तिगत और सामाजिक विकास क्या है? / व्यक्तिगत विकास और स्वयं सहायता

मनुष्य को केवल उसके व्यक्तिगत पहलू में ही नहीं समझा जा सकता क्योंकि उसकी सामाजिक प्रकृति उसके कल्याण के लिए मौलिक है। व्यक्ति होने की स्वतंत्रता से सामाजिक बंधन बनाता है। एक व्यक्ति को न केवल उसके वर्तमान आयाम में देखा जा सकता है, बल्कि उसके वर्तमान मानचित्र का वर्णन करता है। विकास की क्षमता बुद्धि, इच्छाशक्ति, रचनात्मकता, उत्कृष्टता की इच्छा, अंतर्ज्ञान और प्रतिबद्धता में निहित है. एक व्यक्ति अपने पूरे जीवन में विभिन्न संबंध स्थापित करता है, हालांकि, जीवनी में एक सामान्य सूत्र है। वह बंधन जो प्रत्येक मनुष्य अपने साथ स्थापित करता है। किसी की खुशी के लिए प्रतिबद्धता का यह स्तर मौलिक है. ¿व्यक्तिगत और सामाजिक विकास क्या है?? मनोविज्ञान-ऑनलाइन में हम इस प्रश्न पर विचार करते हैं. आप में भी रुचि हो सकती है: व्यक्तिगत और सामाजिक विकास गतिविधियाँ सूचकांक • व्यक्तिगत विकास क्या है • सामाजिक विकास क्या है? • 7 व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के टिप्स व्यक्तिगत विकास क्या है व्यक्तिगत विकास एक है आंतरिक प्रक्रिया जो उस स्थिति को उस वांछित क्षितिज से अलग करने वाली दूरी की यात्रा के लिए आवश्यक आंदोलन को दर्शाता है। आत्म-सम्मान, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, प्रेरणा या आगामी कठिनाइयों के नए लक्ष्यों की प्राप्ति के माध्यम से एक सीखने का क्षितिज. व्यक्तिगत विकास इस तरह, एक व्यक्ति अपनी छवि को प्रोजेक्ट कर सकता है जीवन का दर्पण विकास द्वारा परिभाषित विकास की दृष्टि से। यदि आप अतीत की ओर देखें तो आप इस महत्वपूर्ण यात्रा को अपने इतिहास के माध्यम से देख पाएंगे. व्यक्तिगत विकास वह क्षमता है जो अग्रणी भूमिका से जुड़ती है जिसे प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में ग्रहण करना चाहिए. आत्मज्ञान जैसे जब आप किसी अन...

Class 11 Political Science

11 Class Political Science – II Chapter 2 स्वतंत्रता Notes In Hindi Freedom Board CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board Textbook NCERT Class Class 11 Subject Political Science 2nd Book Chapter Chapter 2 Chapter Name स्वतंत्रता Freedom Category Class 11 Political Science Notes in Hindi Medium Hindi Class 11 Political Science -II Chapter 2 स्वतंत्रताNotes In Hindi जिसमे हम स्वतंत्रता, प्राकृतिक स्वतंत्रता , व्यक्तिगत स्वतंत्रता , राजनीतिक स्वतंत्रता , प्रतिबंधों आदि के बारे में पड़ेंगे । Class 11 Political Science – II Chapter 2 स्वतंत्रता Freedom Notes In Hindi 📚 अध्याय = 2 📚 💠 स्वतंत्रता 💠 ❇️ स्वतंत्रता क्या है ? 🔹स्वतंत्रता का अंग्रेजी शब्द ‘ लिबर्टी’ लेटिन भाषा के ‘ लिबर‘ से बना है, जिसका अर्थ है- बंधनों का अभाव। 🔹 सामान्यतः स्वतंत्रता को प्रतिबंधों तथा सीमाओं के अभाव के रुप में माना जाता है । इसे मानव के ‘ जो चाहे सो करे के अधिकार का 🔹 दूसरे शब्दों में , स्वतंत्रता का अर्थ है मानव को उस कार्य को करने का अधिकार जो वह करने के योग्य है । व्यक्ति की आत्म अभिव्यक्ति की योग्यता का विस्तार करना तथा ऐसी परिस्थितियों का होना जिसमें लोग अपनी प्रतिभा का विकास कर सकें । 🔶 हाब्स के अनुसारस्वतंत्रता :- 🔹 हाब्स ने इसे अर्थात ‘ जो चाहों सो करो ‘ की स्थिति को स्वच्छंदता की स्थिति कहा है जो प्राकृतिक अवस्था में उपलब्ध होती है । 🔶 वार्कर के अनुसार स्वतंत्रता :- 🔹 व्यक्तियों की स्वतंत्रता अन्य व्यक्तियों की स्वतंत्रताओं के साथ जुड़ी हुई है । 🔹 स्वतंत्रता व्यक्तित्व विकास की सुविधा + तर्कसंगम बंधन । 🔹 बीसवीं शताब्दी में महात्मा गांधी , ...

स्वतंत्रता की परिभाषा, अर्थ, एवं प्रकार (Definition, Meaning, and Types of Liberty ) » Raj Help

Join Now स्वतंत्रता का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Liberty in hindi) | स्वतंत्रता से आप क्या समझते है? स्वतंत्रता का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Liberty in hindi ): स्वतंत्रता का अर्थ होता है किसी व्यक्ति या समूह को अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों को स्वतंत्र रूप से निर्धारित करने की स्वाधीनता देना है । इससे व्यक्ति या समुदाय को विभिन्न प्रकार की आज़ादी और कई अधिकार प्राप्त होते हैं, जो उन्हें अपने जीवन की विभन्न समस्याओं और दृष्टिकोणों से निपटने में सहयोग करते हैं । स्वतंत्रता एक मौलिक मूल्य होता है जो किसी व्यक्ति या समुदाय के जीवन में उत्कृष्ट महत्व रखता है । स्वतंत्रता शब्द मुख्य रूप से अंग्रेजी भाषा के “लिबर्टी” (Liberty) शब्द से लिया गया है। इसका मूल शब्द “liber” है जो लैटिन भाषा का है । जिसका अर्थ बंधनों का अभाव या मुक्ति या अपनी इच्छा के अनुसार किसी कार्य को करना है । लिबर्टी शब्द को विभिन्न संदर्भों में उपयोग में लाया जाता है, जैसे कि राजनीतिक विज्ञान, मानव अधिकार, और सामाजिक संबंधों के क्षेत्र में । इसके अतिरिक्त कुछ विद्वानों के अनुसार “स्वतंत्रता” शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है । इसका संगणक शब्द “स्वतन्त्र” है, स्वतंत्रत होने का मतलब आत्मनिर्भर या स्वाधीन होना है । “स्वतंत्रता” शब्द का उल्लेख प्राचीन भारतीय धर्मशास्त्रों और वेदों में भी मिलता है । यह शब्द भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के समय भी उपयोग में आया था । स्वतंत्रता के प्रकार (Types of Liberty) 1. प्राकृतिक स्वतंत्रता प्राकृतिक स्वतंत्रता वह स्वतंत्रता है, जो मनुष्य को अपने जन्म के साथ प्राप्त होती है, जिसे मनुष्य स्वंय भी नहीं बदल सकता है । यह स्वतंत्रता राज्य के अस्तित्व ...

व्यक्तिगत स्वतंत्रता की स्थापना में न्यायालय की भूमिका

सन्दर्भ लोकतंत्रकाआधारस्वतंत्रताहैतथाभारतमेंस्वतंत्रताकीस्थापनाकासर्वाधिकदायित्वन्यायपालिकाकाहै। परिचय भारतीयसंविधाननिर्माताओंनेलोकतंत्रकीरक्षाहेतुस्वतंत्रन्यायपालिकाकागठनकियातथाभारतीयजनताकीव्यक्तिगतस्वतंत्रताकीरक्षाकासर्वाधिकभारन्यायपालिकापरडालागया।विगतवर्षहुएबहुचर्चितअर्नवगोस्वामीमामलेमेंन्यायपालिकाने 2 दिनोंमेंजमानतदेकरव्यक्तिगतस्वतंत्रताकेप्रतिअपनीप्रतिबद्धताकोप्रदर्शितकिया।इसीनिर्णयकेएकभाग"ह्यूमनलिबर्टीएंडदरोलऑफ़कोर्ट"मेंन्यायालयनेमानवीयस्वतंत्रताकोसंविधानकेआधारभूतमूल्योंमेंएकमानाहै।अतःस्पष्टहैकिन्यायपालिकामानवीयस्वतंत्रताकोअत्यंतमहत्वपूर्णमानरहीहै। स्वतंत्रताकासिद्धांत :- सैद्धांतिकरूपसेस्वतंत्रताकेदोरूपस्पष्टहोतेहैं 1- मानवीयअस्तित्वकेएकगुणकेरूपमेंस्वतंत्रता :- इससिद्धांतकेअनुसारस्वतंत्रतामानवीयअस्तित्वकाएकगुणहैजिसमेंमानवप्रकृतिकेनियमोंकाज्ञानप्राप्तकरउन्हेंअपनेउद्देश्योंकीपूर्तिकासाधनबनासकताहै।इसकाअभिप्रायहैकिजहांअन्यतत्ववस्तुएंअथवाजीवजंतुप्रकृतिकेनिर्विकारनियमोंसेनियमितहोतेहैंवहीमानवउन्हेंअपनेउद्देश्योंकीपूर्तिकासाधनबनालेताहै।मानवकेसंपूर्णसभ्यतातथाउसकीसंस्कृतिमानवकेस्वतंत्रगुणकापरिणतिहैइसप्रकारयहस्पष्टहैकिमानवप्रकृतिकेनियमोकेबंधनसेस्वतंत्रव्यवहारकरताहै। 2- मनुष्यकीदशाकेरूपमेंस्वतंत्रता :- इससिद्धांतकेअनुसारस्वतंत्रतामानवकीएकदशाहैजिसमेंमनुष्यस्वयंनिर्धारितलक्ष्योंकीपूर्तिमेंसमर्थहोताहैऔरउसपरइसप्रकारकेबंधनआरोपितनहींहोतेजोउसेअपनेअनुसारजीवनव्यतीतकरनेसेरोकें।स्वतंत्रताकीदशाकाविचारतभीहमारेसामनेआताहैजबहममनुष्यमेंस्वतंत्रताकेगुणक्षमताकोस्वीकारकरकेचलतेहैं।राजनैतिकपरिप्रेक्ष्यमेंस्वतंत्रताकाअर्थ"स्वतंत्रतामनुष्यकीएकदशाकेरूपमेंमानीजातीहै। "यहाँयहध्यानदेनेयोग्यहैकिफ्रीडमकाउपयो...

स्वतंत्रता का अधिकार क्या है

स्वतंत्रता का अधिकार (Right To Freedom In Hindi) : भारत का संविधान अपने नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार देता है, इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं. स्वतंत्रता का अधिकार इसकें बिना अन्य अधिकारों का उपयोग संभव नहीं हैं. इस अधिकार के तहत नागरिकों को अपने विचारों को अभिव्यक्त करने, आवाजाही की आजादी दी गई हैं. संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मिले इन अधिकारों को राष्ट्रीय एकता तथा प्रभुसत्ता पर खतरे के समय सिमित किया जा सकता हैं. यहाँ हम right to freedom को विस्तार से जानेगे. स्वतंत्रता का अधिकार | Right To Freedom In Hindi भा रतीय संविधान में व्यक्ति को 6 बुनियादी स्वतन्त्रताए भाषण व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शस्त्र रहित शांति पूर्वक सम्मेलन करने की स्वतंत्रता, भारत राज्य में अबाध भ्रमण व निवास की स्वतंत्रता एवं व्यापार व कारोबार की स्वतंत्रता प्रदान की गई हैं. What Is Meaning Of Right To Freedom In Hindi विचार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19 (क): भारत के अभी नागरिकों को विचार अभिव्यक्त करने, भाषण देने तथा अन्य व्यक्तियों के विचारों का प्रसार करने की स्वतंत्रता हैं. इसमें प्रेस की स्वतंत्रता भी सम्मिलित हैं. किन्तु इस अधिकार का दुरूपयोग रोकने के लिए प्रतिबंध भी लगाए गये हैं. इस स्वतंत्रता पर भारत की प्रभुता व अखंडता के पक्ष में राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों के हित में, लोक व्यवस्था , शिष्टाचार या सदाचार के हित में, न्यायालय अवमानना, मानहानि, अपराध के लिए उत्तेजित करना आदि के सम्बन्ध में उचित निर्बंध लगाए जा सकते हैं. अस्त्र शस्त्र रहित शांतिपूर्ण सम्मेलन की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19 (1) ख: इसके तहत सभी नागरिकों को शांतिपूर्ण व बिना अस्त्र शस्त्र के सभा व स...

स्वतंत्रता का अर्थ, परिभाषा, प्रकार/वर्गीकरण

अठारहवीं शताब्दी में जब फ्रांस में राजतंत्रशाही के अत्याचार बहुत बढ़ गये थे, तब वहाँ राजनीतिक विचारकों ने इन अत्याचारों के विरूद्ध स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व का नारा दिया था और 1789 की क्रांति का मुख्य आधार तीन शब्दों का यह नारा ही बना। जिसकी अनुगूँजा बाद में यूरोप तथा संपूर्ण विश्व में होने लगी। स्वतंत्रता व्यक्ति का लक्ष्य बन गया और इसकी प्राप्ति के लिए वह साम्राज्यवाद के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ। पालकीवाला के शब्दों में," मनुष्य सदा ही स्वतंत्रता की बलिवेदी पर सर्वाधिक बलिदान देते रहे हैं। वे भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा आत्मा और धर्म की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण देते रहे हैं।" स्वतंत्रता का अर्थ (swatantrata kya hai) swatantrata meaning in hindi;स्वतंत्रता शब्द का अंग्रेजी पर्याय " लिबर्टी " लेटिन भाषा का " लिबर " शब्द से बना है जिसका अर्थ मुक्त या स्वतंत्र या बन्धनों का अभाव होता है। स्वतंत्रता का सही अर्थ प्रो. लाॅस्की के अनुसार, " उस वातावरण की स्थापना से है जिसमे मनुष्यों को अपने पूर्ण विकास के लिए अवसर प्राप्त होते है। राजनीतिशास्त्र की शायद ही कोई ऐसी समस्या हो जिसके संबंध में विद्वानों में इतना मतभेद पाया जाता हो जितना स्वतंत्रता के संबंध में देखने को मिलता हैं। प्रत्येक युग में विचारक स्वतंत्रता की समस्या पर विचार करते रहे हैं और अलग-अलग अर्थ लगाते आये हैं। स्वतंत्रता के दो अर्थ लागाये जाते हैं-- 1. स्वतंत्रता की नकारात्मक धारणा 'स्वतंत्रता', जिसे अंग्रेजी में 'लिबर्टी' कहते हैं, लैटिन भाषा में 'लाइबर' शब्द से बना हैं, जिसका अर्थ उस भाषा में 'बन्धनों का अभाव' होता है। इस धारणा के अंतर्गत स्वतंत्रता का अर्थ हैं-- 'प्रतिबन्धों का न होना' यानि की व्यक्ति...

व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जिम्मेदारी। मानव स्वतंत्रता और जिम्मेदारी की समस्या

वीडियो: political science class 11thभाग5 lesson 2 स्वतंत्रता विषय • • • • • • • • • • • विचाराधीन विषय हमारे समय में बहुत प्रासंगिक है। स्वतंत्रता के अधिकार को प्रत्येक व्यक्ति की अपने विवेक से और अपने स्वयं के स्वतंत्र किसी भी वांछित कार्यों को करने की क्षमता के रूप में व्याख्या की जाती है, प्रासंगिक कानून के ढांचे के भीतर, अन्य लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन किए बिना। मानव स्वतंत्रता और जिम्मेदारी की समस्या एक शुरुआत के लिए, यह इन दोनों अवधारणाओं की व्याख्या करने के लायक है। स्वतंत्रता सबसे कठिन दार्शनिक श्रेणियों में से एक है जो मनुष्य के सार को परिभाषित करती है। यह एक व्यक्ति के अपने इरादों, हितों और इच्छाओं के आधार पर कुछ कार्यों को सोचने और प्रदर्शन करने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है, न कि बाहर के प्रभाव के तहत। आधुनिक दुनिया में, सभ्यता के विकास की त्वरित गति की स्थितियों में, सामाजिक ढांचे के भीतर व्यक्ति की विशेष भूमिका तेजी से मजबूत हो रही है, यही कारण है कि समाज से पहले व्यक्ति की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी की समस्या तेजी से दिखाई दे रही है। प्राचीन काल से लेकर आज तक, लगभग सभी विकसित दार्शनिक प्रणालियां स्वतंत्रता के विचार से मोहित हैं। स्वतंत्रता के जैविक संबंधों को यह पहचानने की आवश्यकता के साथ समझाने का पहला प्रयास बेनेडिक्ट स्पिनोज़ा का है। उन्होंने इस अवधारणा को एक स्पष्ट आवश्यकता के दृष्टिकोण से व्याख्यायित किया। इसके अलावा, इस संघ की द्वंद्वात्मक एकता की समझ फ्रेडरिक हेगेल द्वारा व्यक्त की गई है। उनके दृष्टिकोण से, विचार के तहत समस्या का वैज्ञानिक, द्वंद्वात्मक-भौतिकवादी समाधान एक उद्देश्य की आवश्यकता के रूप में स्वतंत्रता की मान्यता होगी। स...