या कुंडे सरस्वती वंदना

  1. Saraswati Vandana : सरस्वती वंदना
  2. या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना अर्थ सहित
  3. सरस्वती वंदना : या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता


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Saraswati Vandana : सरस्वती वंदना

Saraswati Vandana : सरस्वती वंदना Saraswati, the goddess of knowledge and arts, represents the free flow of wisdom and consciousness. She is the mother of the Vedas, and chants to her, called the ‘Saraswati Vandana’ often begin and end Vedic lessons. Saraswati Vandana : सरस्वती वंदना या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥ Ya Kundendu Tusharahara Dhavala Ya Shubhra Vastravrita Ya Veena Varadanda Manditakara Ya Shveta Padmasana Ya Brahmachyuta Shankara Prabhritibihi Devaih Sada Pujita Sa Mam Pattu Saravatee Bhagavatee Nihshesha Jadyapaha॥1॥ श्लोक अर्थ– जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर शङ्कर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही सम्पूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें। Meaning– Salutations to Devi Saraswati, Who is pure white like Jasmine, with the coolness of Moon, brightness of Snow and shine like the garland of Pearls; and Who is covered with pure white garments, Whose hands are adorned with Veena (a stringed musical instrument) and the boon-giving staff; and Who is seated on pure white Lotus, Who is always adored by Lord Brahma, Lord Acyuta (Lord Vishnu), Lord Shankara and other Devas, O ...

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना अर्थ सहित

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना अर्थ सहित | Ya kundendu Tushara lyrics in hindi सरस्वती जयंती के मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं या कुंदेंदुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना यह सरस्वती वंदना काफी फेमस है और ज्यादातर स्कूलों में उपयोग में लाई जाती है और सुबह सुबह स्कूल खोलने से पहले इस प्रार्थना का वंदन किया जाता है यदि आप चाहे तो किसी राष्ट्रीय पर्व में इस प्रार्थना को अपनी प्रस्तुति में प्रस्तुत कर सकती हैं इसीलिए आज हम लेकर आए हैं या कुंदेंदुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना का अर्थ सहित व्याख्या जिसे पढ़कर आप आसानी से समझ सकते हैं और आप सरस्वती वंदना को याद कर सकते हैं। या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना फोटो | Ya kundendu Tushara lyrics in hindi image देवी सरस्वती ज्ञान, कला, विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं। उनके भक्तों को ज्ञान, संगीत, गायन, रचनात्मकता और सद्भाव का वरदान प्राप्त है। वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती पूजा मनाई जाती है क्योंकि इस त्योहार को सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है। रेग वेद में, देवी सरस्वती का उल्लेख सबसे पहले महान भगवान ब्रह्मा की पत्नी के रूप में किया गया है। चार वेद मां सरस्वती की संतान हैं। ज्ञान से संबंधित हर चीज जैसे कलम, कागज, संगीत वाद्ययंत्र आदि का उपयोग देवी सरस्वती की पूजा में किया जाता है। इस ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा ब्रह्मांड में धर्म और कानूनों को बनाए रखने के लिए देवी सरस्वती ज्ञान की मदद लेते हैं। Ya kundendu Tushara lyrics in hindi image या कुन्देन्दुतुषारहारधवला सरस्वती वंदना अर्थ सहित | Ya kundendu Tushara lyrics in hindi या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना या ब्रह...

सरस्वती वंदना : या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता : क्या आप सरस्वती वंदना – Saraswati Vandana in Hindi जानना चाहते हैं तो आपके लिए यह पोस्ट एकदम सही है दोस्त हम सभी जानते हैं कि ज्ञान की देवी मां सरस्वती है और ज्ञान की प्राप्ति के लिए हमें इनकी सदैव पूजा-अर्चना करनी चाहिए. पूजा अर्चना में सरस्वती वंदना अवश्य पढ़ी जाती है तो आज की इस पोस्ट में सरस्वती वंदना लिरिक्स जो की संस्कृत में लिखी गई है आपके लिए काफी उपयोगी है. तो आइए जानते हैं सरस्वती प्रार्थना – Saraswati Prayer in Hindi सरस्वती वंदना – Saraswati Vandana in Hindi या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना या ब्रह्माऽच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमाम् आद्यां जगद् व्यापिनीम् वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधर्ती पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवर्ती बुद्धिप्रदां शारदाम् साहस शील हृदय में भर दें, जीवन त्याग तपोमय कर दे संयम सत्य स्नेह का वर दे, स्वाभिमान भर दे हे हंस वाहिनी ज्ञानदायिनी, अम्ब विमल मति दे अम्ब विमल मति दे लव, कुश, ध्रुव, प्रह्लाद बनें हम, मानवता का त्रास हरें हम, सीता, सावित्री, दुर्गा माँ, फिर घर-घर भर दे हे हंस वाहिनी ज्ञानदायिनी, अम्ब विमल मति दे अम्ब विमल मति दे