यण संधि के 20 उदाहरण

  1. CBSE Class 6 Hindi Grammar संधि Sandhi in Hindi
  2. यण स्वर संधि की परिभाषा और यण संधि के उदाहरण
  3. यण संधि किसे कहते है
  4. Yan Sandhi in Hindi
  5. संधि की परिभाषा, भेद, उदाहरण [Sandhi] PDF
  6. सन्धि की परिभाषा और भेद
  7. अभ्यागत में कौन सी संधि है? अभ्यागत शब्द का संधि विच्छेद, अभ्यागत में प्रयुक्त संधि का नाम


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CBSE Class 6 Hindi Grammar संधि Sandhi in Hindi

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यण स्वर संधि की परिभाषा और यण संधि के उदाहरण

इस पेज पर आप यण स्वर संधि की परिभाषा को उदाहरण सहित पढ़ेंगे और समझेंगे। पिछले पेज पर हमने गुण स्वर संधि की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी जरूर पढ़े। चलिए आज यण स्वर संधि की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं। यण स्वर संधि की परिभाषा जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ के आगे कोई भिन्न जब इ, ई के आगे कोई विजातीय (असमान) स्वर होने पर इ ई को ‘य्’ हो जाता है। जब उ, ऊ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर उ ऊ को ‘व्’ हो जाता है। जब ‘ऋ’ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर ऋ को ‘र्’ हो जाता है। इन्हें यण-संधि कहते हैं। जैसे :- उ + ए व् इ + आ या इ + अ य उ + इ वि इ + आ या इ + ए ये इ + आ या उदाहरण :- अति + आवश्यक अत्यावश्यक इ + आ = या प्रति + अक्ष प्रत्यक्ष इ + अ = य अति + अधिक अत्यधिक इ + अ = य प्रति + आघात प्रत्याघात इ + आ = या यदि + अपि यद्यपि इ + अ = य पितृ + आदेश पित्रादेश ऋ + आ = रा अनु + एषण अन्वेषण उ + ए = वे गुरु + औदार्य गुरवौदार्य उ + औ = वौ गुरु + ओदन गुर्वोदन उ + ओ = वो मधु + आलय मध्वालय उ + आ = वा अति + उष्म अत्यूष्म इ + ऊ = यू अति + उत्तम अत्युत्तम इ + उ = यु अति + अल्प अत्यल्प इ + अ = य् देवी + अर्पण देव्यर्पण ई + अ = य् सु + आगत स्वागत उ + अ = व् वधू + आगमन वध्वागमन ऊ + आ = व अति + उष्म अत्यूष्म इ + ऊ = यू अनु + आय अन्वय उ + अ= व पितृ + अंश पित्रंश ऋ + अ = र अनु + अय अन्वय उ + अ = व देवी + ओज देव्योज ई + ओ = यो देवी + ऐश्वर्य देव्यैश्वर्य ई + ऐ = यै नदी + ऊर्मी नद्यूर्मी ई + ऊ = यू नि + ऊन न्यून इ + ऊ = यू अति + आचार अत्याचार इ + आ = य् जरूर पढ़े :- • • • • उम्मीद हैं आपको यण स्वर संधि की समस्त जानकारी पसंद आयी होगी। यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।

यण संधि किसे कहते है

स्वागत है आप सभी का अपनी वेबसाइट यण संधि किसे कहते है इस बारे में हम आपको आज विस्तार से बताएंगे और यदि आप ऐसे और टॉपिक की जानकारी पाना चाहते हैं तो आप हमारे वेबसाइट के होम पेज पर जाकर उन सभी टॉपिको की जानकारी ले सकते हैं। यण संधि किसे कहते है जब कोई अन्य स्वर इ,ई के साथ होता है, तो सुलह करते समय ‘य’ हो जाता है, जब उ,ऊ के साथ कोई अन्य स्वर होता है, तो वह ‘व्’ हो जाता है, जब ऋ किसी अन्य स्वर के साथ होता है, तो वह र’ बन जाता है। यण संधि के कुछ उदाहरण:- अधि + आय (इ + आ) अध्याय (या) जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, इ और आ ये दो स्वर हैं, जो मुख्य रूप से संयुक्त होने पर शब्दों को बदलने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जब शब्दों का मेल होता है, तो ये दोनों स्वर मिलकर ‘या’ का निर्माण करते हैं। ‘अधि’ और ‘आया’ मिलकर ‘अध्याय’ बन जाता है। इसलिए यह उदाहरण यण संधि के अंतर्गत रखा गया है। अनु + एषण (उ + ए) अन्वेषण (व्) जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, उ और ए ये दो स्वर हैं जो मुख्य रूप से संयुक्त होने पर शब्दों को बदलने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जब शब्दों का मेल होता है तो ये दोनों स्वर मिलकर व का निर्माण करते हैं। अनु और एषण मिलकर अन्वेषण बन जाते हैं। इसलिए यह उदाहरण यण संधि के अंतर्गत रखा गया है। अधि + अयन (इ + अ) अध्ययन (य) जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, इ और अ दो स्वर हैं, जो मुख्य रूप से शब्दों को बदलने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जब शब्दों का मेल होता है तो ये दोनों स्वर मिलकर य बनाते हैं। अधि और अयन मिलकर ‘अध्ययन’ हो जाता है। इसलिए यह उदाहरण यण संधि के अंतर्गत आता है। अनु + इत (उ + इ) अन्वित (वि) जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, उ...

Yan Sandhi in Hindi

Table of Contents • • • • Yan Sandhi in Hindi संधि का मतलब होता है ‘मेल’। जब दो वर्णों के परस्पर मेल से जो तीसरा विकार उत्पन्न होता है उसे संधि कहते हैं। संधि ध्वनियों का मेल होता है। जब दो शब्दों का मेल किया जाता है तो पहले शब्द के आखिरी अक्षर दूसरे शब्द के पहले अक्षर के बीच में परिवर्तन होता है। यण संधि किसे कहते हैं? जब संधि करते समय इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन जाता है, जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ व् ‘ बन जाता है , जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बन जाता है। यण संधि(Yan Sandhi) के उदाहरण अधि + आय : अध्याय (इ + आ = या) • जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं इ एवं आ वह दो स्वर हैं जिनसे मुख्यतः संधि करने पर शब्दों में परिवर्तन आ रहा है। जब शब्दों कि संधि हो रही है तो ये दोनों स्वर मिलकर या बना देते हैं। अधि और आय का अध्याय बन जाता है। अतः यह उदाहरण यण संधि के अंतर्गत आएगा। अनु + एषण : अन्वेषण (उ + ए = व्) • जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं उ एवं ए वह दो स्वर हैं जिनसे मुख्यतः संधि करने पर शब्दों में परिवर्तन आ रहा है। जब शब्दों कि संधि हो रही है तो ये दोनों स्वर मिलकर व बना देते हैं। अनु और एषण का अन्वेषण बन जाता है। अतः यह उदाहरण यण संधि के अंतर्गत आएगा। अधि + अयन : अध्ययन (इ + अ = य) इसे भी पढ़े: • • • • • • जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं इ एवं अ वह दो स्वर हैं जिनसे मुख्यतः संधि करने पर शब्दों में परिवर्तन आ रहा है। जब शब्दों कि संधि हो रही है तो ये दोनों स्वर मिलकर य बना देते हैं। अधि और अयन का अध्ययन बन जाता है। अतः यह उदाहरण यण संधि के अंतर्गत आएगा। अनु + इत : अन्वित (उ + इ = वि) • जैसा कि आप ऊपर दिए ग...

संधि की परिभाषा, भेद, उदाहरण [Sandhi] PDF

संधि (Sandhi) का हिन्दी व्याकरण में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, संधि के द्वारा ही वर्णों या ध्वनियों के मेल से होने वाले परिवर्तन की जानकारी ज्ञात होती है। जिन परीक्षाओं में हिन्दी विषय से प्रश्न पूछे जाते है उनमे संधि के प्रश्न अवश्य पूछे जाते इसलिए इसका परीक्षाओं की दृष्टि से महत्व और भी अधिक हो जाता है। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में स्वर संधि तथा इसके भेद जैसे दीर्घ संधि, गुण संधि, यण संधि, वृद्धि संधि और व्यंजन संधि तथा विसर्ग संधि से अनेक प्रश्न पूछे जाते है। यहाँ हमने आपके लिए प्रत्येक संधि से समपूर्ण भेद एवं उनके नियमों की विस्तार पूर्वक व्याख्या की है जिससे आपको संधि के सभी भेदों को समझने तथा इन संधियों को बहुत सरलता से पहचान करने में आसानी होगी। संधि की परिभाषा (Sandhi) संधि का अर्थ है – ‘मेल’। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार होता है, उसे संधि कहते है। उदाहरण • विद्या+आलय = विद्यालय • सत्+आनन्द = सदानन्द • सुर=इन्द्र = सुरेन्द्र संधि के भेद संधि तीन प्रकार की होती है, संधि के तीन भेद होते है। • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि स्वर संधि दो स्वरों के मेल से जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते है। स्वर संधि के भेद स्वर संधि पाँच प्रकार की होती है • दीर्घ स्वर संधि • गुण संधि • वृद्धि संधि • यण संधि • अयादि संधि दीर्घ स्वर संधि सवर्ण ह्रस्व या दीर्घ स्वरों के मिलने से उनके स्थान में सवर्ण दीर्घ हो जाता है। वर्णों का मेल चाहे ह्रस्व+ह्रस्व हो या ह्रस्व+दीर्घ हो, यदि सवर्ण है तो दीर्घ हो जाएगा। इसे दीर्घ संधि कहते है। उदाहरण • देव + आलय = देवालय • मत् + अनुसार = मतानुसार • देव + अर्चन = देवार्चन • कपि + ईश = कपीश • परम + अणु = परमाणु • सूर्य + अस्त ...

सन्धि की परिभाषा और भेद

Sandhi Paribhasha Prakar or Udaharan आज के इस लेख में हम आपको Sandhi in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं. यह लेख हिंदी व्याकरण के विद्वानों द्वारा लिखा गया है. अतः सन्धि के बारे में जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें. अक्सर आपने देखा होगा की सन्धि को कहीं पर संधि तो कहीं-कहीं पर सन्धि लिखा गया है. सन्धि के ये दोनों रूप ही सही हैं. संधि के ये रूप व्यंजन संधि के नियमानुसार बनते हैं. जिनके बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे. संधि किसे कहते हैं उदाहरण सहित – Sandhi Kise Kahate Hain Udaharan Sahit Sandhi Ki Paribhasha –दो या अधिक वर्णों के पास-पास आने के परिणामस्वरूप जो विकार उत्पन्न होता है उसे सन्धि कहते हैं. संधि शब्द सम् + धि से बनता है, जिसका शाब्दिक अर्थ मेल या जोड़ होता है. संधि शब्द का विलोम शब्द विग्रह या विच्छेद होता है. यदि दो वर्णों के पास-पास आने से विकार उत्पन्न नहीं हो तो उसे सन्धि नहीं संयोग कहते हैं. संधि में दो या अधिक वर्णों का योग छ: प्रकार से हो सकता है. • स्वर + स्वर = स्वर संधि • स्वर + व्यंजन = व्यंजन संधि • व्यंजन + स्वर = व्यंजन संधि • व्यंजन + व्यंजन = व्यंजन संधि • विसर्ग + स्वर = विसर्ग संधि • विसर्ग + व्यंजन = विसर्ग संधि संधि के उदहारण – Sandhi Ke Udaharan • स + अवधान = सावधान • सौभाग्य + आकांक्षिणी = सौभाग्याकांक्षिणी • आत्मा + आनंद = आत्मानंद • चिकित्सा + आलय = चिकित्सालय • कृपा + आकांक्षी = कृपाकांक्षी • परम + ईश्वर = परमेश्वर • ज्ञान + उदय = ज्ञानोदय • देव + ऋषि = देवर्षि • वधू + आगमन = वध्वागमन संधि के भेद – Sandhi Ke Bhed मुख्य रूप से संधि के तीन प्रकार (Sandhi Ke Prakar) होते है- स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि। • स्वर सन्...

अभ्यागत में कौन सी संधि है? अभ्यागत शब्द का संधि विच्छेद, अभ्यागत में प्रयुक्त संधि का नाम

Advertisement विद्यार्थियों के लिए यण संधि के बारे में संक्षेप में जानकारी इस प्रकार है:- यण संधि की परिभाषा जब ( इ, ई ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन जाता है, जब ( उ, ऊ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ व् ‘ बन जाता है, जब ( ऋ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बन जाता है। यण संधि के तीन प्रकार के संधि युक्त्त पद होते हैं। (1) य से पूर्व आधा व्यंजन होना चाहिए। (2) व् से पूर्व आधा व्यंजन होना चाहिए। (3) शब्द में त्र होना चाहिए। Advertisement यण संधि के उदाहरण :- इ + आ= या, इति + आदि = इत्यादि उ + आ= वा, सु + आगत = स्वागत इ + आ= या, अति + आवश्यक= अत्यावश्यक उ + ए= वे, अनु + एषण= अन्वेषण विभिन्न परीक्षाओं में अभ्यागत में कौन सी संधि है आदि प्रश्न कई प्रकार से पूछे जाते हैं।जैसे कि :- अभ्यागत शब्द में कौन सी संधि है? अभ्यागत का संधि विग्रह? अभ्यागत में कौन सी संधि है? अभ्यागत का संधि भेद कीजिये? अभ्यागत संधि का नाम बताइये? अभ्यागत का संधि विच्छेद? Related Posts: • एकेश्वर में कौन सी संधि है? एकेश्वर शब्द का संधि विच्छेद… • अभ्यागत का पर्यायवाची शब्द क्या होता है? अभ्यागत का… • इत्यादि में कौन सी संधि है? इत्यादि शब्द का संधि विच्छेद,… • अन्वेषण में कौन सी संधि है? अन्वेषण शब्द का संधि विच्छेद,… • न्यून में कौन सी संधि है? न्यून शब्द का संधि विच्छेद, न्यून… • पश्वादि में कौन सी संधि है? पश्वादि शब्द का संधि विच्छेद,… • व्याधि में कौन सी संधि है? व्याधि शब्द का संधि विच्छेद,… • पश्वधम में कौन सी संधि है? पश्वधम शब्द का संधि विच्छेद,…