यथा दृष्टि तथा सृष्टि

  1. कथा महाभारत की
  2. फरक शैलीमा आशिष जंगको नयाँँ पुस्तक ‘माइ काइण्ड अफ गर्ल’ बिमोचन
  3. Art & Culture
  4. यथा दृष्टि यथा सृष्टि किसे कहते हैं? (Yatha Drishti Tatha Srishti)
  5. यथा दृष्टि तथा श्रृष्टि का क्या अर्थ हैं
  6. महाभारत की कथाएं : यथा दृष्टि तथा सृष्टि : जैसा दृष्टिकोण वैसा सँसार!!


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कथा महाभारत की

पाण्डवों और कौरवों को शस्त्र शिक्षा देते हुए आचार्य द्रोण के मन में उनकी परीक्षा लेने की बात उभर आई। परीक्षा कैसे और किन विषयों में ली जाए इस पर विचार करते उन्हें एक बात सूझी कि क्यों न इनकी वैचारिक प्रगति और व्यावहारिकता की परीक्षा ली जाए। www.gajabdunia.com Mahabharata stories in Hindi दूसरे दिन प्रातः आचार्य ने राजकुमार दुर्योधन को अपने पास बुलाया और कहा- ‘वत्स! तुम समाज में से एक अच्छे आदमी की परख करके उसे मेरे सामने उपस्थित करो।’ दुर्योधन ने कहा- ‘जैसी आपकी इच्छा’ और वह अच्छे आदमी की खोज में निकल पड़ा। कुछ दिनों बाद दुर्योधन वापस आचार्य के पास आया और कहने लगा- ‘मैंने कई नगरों, गांवों का भ्रमण किया परंतु कहीं कोई अच्छा आदमी नहीं मिला।’ फिर उन्होंने राजकुमार युधिष्ठिर को अपने पास बुलाया और कहा- ‘बेटा! इस पृथ्वी पर से कोई बुरा आदमी ढूंढ कर ला दो।’ युधिष्ठिर ने कहा- ‘ठीक है गुरू जी! मैं कोशिश करता हूं।’ इतना कहने के बाद वे बुरे आदमी की खोज में चल दिए। काफी दिनों के बाद युधिष्ठिर आचार्य के पास आए। आचार्य ने पूछा- ‘क्यों? किसी बुरे आदमी को साथ लाए?’ युधिष्ठिर ने कहा- ‘गुरू जी! मैंने सर्वत्र बुरे आदमी की खोज की परंतु मुझे कोई बुरा आदमी मिला ही नहीं। इस कारण मैं खाली हाथ लौट आया हूं।’ सभी शिष्यों ने आचार्य से पूछा- ‘गुरुवर! ऐसा क्यों हुआ कि दुर्योधन को कोई अच्छा आदमी नहीं मिला और युधिष्ठिर को कोई बुरा आदमी नहीं।’ आचार्य बोले- ‘बेटा! जो व्यक्ति जैसा होता है उसे सारे लोग अपने जैसे दिखाई पड़ते हैं। इसलिए दुर्योधन को कोई अच्छा व्यक्ति नहीं मिला और युधिष्ठिर को कोई बुरा आदमी न मिल सका।’

फरक शैलीमा आशिष जंगको नयाँँ पुस्तक ‘माइ काइण्ड अफ गर्ल’ बिमोचन

काठमाडौँ । भनिन्छ नि ‘यथा दृष्टि तथा सृष्टि’ यानी आफ्नो नजर जस्तो छ यो संसार पनि त्यस्तै देख्छ 'फूलको आँखामा फूलै संसार' भने झैँ अरुले देख्न नसकेका कुराहरु आफ्नो पुस्तकहरुमा लेखेर पाठकमाझ लोकप्रिय बन्न सफल लेखक तथा साहित्यकार आशिष जंग आफ्नो भिन्न लेखनशैलीको लागि त चर्चित नै हुनुहुन्थ्यो तर यसपाली फरक शैलिमा आफ्नो नयाँँ पुस्तक ‘माइ काइण्ड अफ गर्ल’ बिमोचन गर्नुभएको छ । आफ्नो पहिलो पुस्तकको सम्पूर्ण कमाई विपन्न बर्गलाई सहयोग गर्नुभएका उहाँले यसपाली पनि आफ्नो नयाँँ पुस्तकको पहिलो कमाईबाट अपाङ्ग तथा अनाथ आश्रमका बालबालिकाहरुलाई सहयोग गर्नुभएको छ । उहाँले शारीरिक रुपले अशक्त बालबालिकाहरुको हातबाट नै आफ्नो नयाँ पुस्तक बिमोचन गर्नुभएको छ । साहित्यको क्षेत्रमा आबद्ध आशिष जंगले आफ्नो पुस्तकहरुबाट आएको नाफाबाट बिपन्न बर्गलाई सहयोग गर्दै आईरहनुभएको छ । उहाँको यस कार्यमा अहिले अरु युवाहरुले पनि साथ दिरहेका छन । ति युवाहरुले स्वत-स्फुर्त रुपमा आशिष जंगले लेखेको पुस्तक ‘माइ काइण्ड अफ गर्ल’ को बिक्रि-वितरणमा सहयोग, साथ र हौसला दिँदै आईरहेका छन । त्यहि सामाजिक कार्य र पुस्तक बिमोचनमा भेटिनु भएकी अनुषा दवाडीले भन्नुभयो, "हामीले आफ्नो हातले विक्री गरेको उहाँको पुस्तकको कमाईलाई यसरी उहाँले हाम्रै हातबाट अपाङ्ग तथा अनाथ आश्रमका बालबालिकाहरुलाई सहयोग गर्न लगाउँदा एकदम खुशी लागिरहेको छ । सबैलाई नामको भोक हुन्छ तर उहाँ यसरी पछाडी बसेर हामीलाई सहयोग र साथ दिएको देख्दा उहाँ कर्ममामात्र विश्वास गर्नुहुँदो रहेछ नाम-पैसा केहिसंग लगाब नरहेछ भन्ने प्रस्ट हुन्छ । हामीले उहाँलाई अरुभन्दा एकदम भिन्नै र सकारत्मक पायौँ ।" अरु पनि थुप्रै युवाहरु मनीषा श्रेष्ठ, नवाङ्ग तामांग, लक्षु अर्याल, राम राई, रमेश रावल, ...

Art & Culture

মাঁ যোৱাৰ আজি ১২ বছৰে হল । মাঁ যোৱাৰ পৰা মাঁৰ কেতিয়াবা হে নহা বান্ধৱীবোৰ এতিয়া কেতিয়াবাহে অহা হল । ঘৰে - ঘৰে মেছিন হল । মিললৈ যোৱা হল । সেয়ে আজি যেতিয়া বিচনাৰ পৰাই ঢেঁকীৰ মাতটো শুনিলো সেই আগৰ দিনবোৰলৈ মনত পৰি গল । মাঁৰ মূখখন এবাৰ আকৌ ঘপককৈ মনত পৰি গল । কি কি যে কৰা নাছিল আমাৰ কাৰণে .... সকলো এতিয়া স্মৃতিৰ গৰাহত । কেতিয়াবা অশ্ৰু হৈ নিগৰে দূখ । বেছিকৈ নাভাবো মই মাঁৰ কথা । ভাবিলেই মুহুৰ্ততে অস্থিৰ হৈ পৰো মই । পাগল হৈ উঠো মই । কিন্তু কি কৰিম মানুহ হয় মই । কেতিয়াবা মাঁয়ে নিচুকাই থোৱা ভিতৰৰ সেই কেঁচুৱাটো সাৰ পাই উঠে আৰু মাঁ ক নেদেখি শিহৰি উঠে , উচুপি উঠে , চি়ঞৰি উঠে আৰু চিৰশান্তিৰ সেই কোলাখন বিচাৰি ফুৰে । কিন্তু কতা চব মায়া মায়া মাথোঁ মায়া । হাত মেলি চুব খোজো , সাৱতি ধৰিব খোজো । কতা মোৰ মাঁৰ কায়া ? মুহুৰ্ততে যেন তন্দ্ৰা ভাঙে — আকৌ সেই নিষ্ঠুৰ বাস্তৱ কানত বাজি উঠে । এটা ভয়াবহ প্ৰশ্ন ই মগজুটো জোকাৰি দিয়ে “ মই মাঁক আৰু কেতিয়াবা লগ নাপামনে ?” Aaj phir se bachpan wali bihu ( The main festival of assam, maker sangkrani , baishagi and kangali all together ) ki yaad a gayi .Pure gaon me hamare 4/5 ghar me dhenki (A traditional natural and manual grinding equipment) hua karte the. Bihu aya na bas saare loge hamare aangan me bhar jate the .Rice grind karne k liye - fastival food products banana ke liye. Aur kisko pehle grind karneko mouka mile iske liye ek competition ho jati thi . Mummy jane ka aaj 12 saal ho gaye. Mummy jane ke baad mummy ki jo kabhi kabaar nahi aanewali saheliyaa thi who bhi aajkal kabhi kabaar aati hai. Ghar ghar me machine ho gaye …loge grind-mil jane lage ….isliye ...

यथा दृष्टि यथा सृष्टि किसे कहते हैं? (Yatha Drishti Tatha Srishti)

Yatha drishti tatha srishti kise kahate hain, Yatha drishti tatha srishti meaning in Hindi भगवत गीता में कई श्लोक लिखे हुए है जिनके अर्थ प्रत्येक मनुष्य अवश्य जानने चाहिए | इसमें से एक श्लोक है यथा दृष्टि यथा सृष्टि | यह श्लोक भारत वर्ष में काफी फेमस है | आखिर क्या मतलब होता है यथा दृष्टि यथा सृष्टि का ? यथा दृष्टि यथा सृष्टि किसे कहते हैं, इसका अर्थ, इसका मतलब जानने के लिए आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ पढे जहां पर यथा दृष्टि यथा सृष्टि का अर्थ सरल भाषा में समझाया गया है | • • • यथा दृष्टि यथा सृष्टि किसे कहते हैं? (Yatha drishti tatha srishti) यथा दृष्टि यथा सृष्टि का अर्थ यह है कि जो मनुष्य जैसा होता है वह उसी तरीके से दुनिया को देखता है | इस दुनियाँ में लोग अलग-अलग प्रकार के होते है | कुछ लोग बहुत अच्छे होते है जिंहोने अपनी पूरी जिंदगी में अभी कोई बुरा काम नहीं किया | तथा कुछ लोग बहुत बुरे होते है जिंहोने हमेशा बुरे काम ही किए है | अच्छे लोगों के दिमाग में अच्छे विचार आते है इसलिए वे पूरी दुनियाँ को अच्छाई ढूंढते है | उसी प्रकार बुरे लोगों के दिमाग में हमेशा बुरे विचार ही चलते रहते है इसलिए वे दुनियाँ में बुराई ढूंढते रहते है | एक अच्छा व्यक्ति बुरे इंसान में भी अच्छाई निकाल लेता है और एक बुरा व्यक्ति अच्छे इंसान में बुराई ढूंढ लेता है | इसका मतलब यह हुआ कि जिस व्यक्ति की नजरे जैसी होती है उसके लिए दुनियाँ भी उसी ही होती है | यही यथा दृष्टि यथा सृष्टि का सही मतलब है | यथा दृष्टि यथा सृष्टि से संबन्धित एक पौराणिक कथा यथा दृष्टि यथा सृष्टि श्लोक का गहराई से अर्थ जानने के लिए आप नीचे दी गयी एक पौराणिक कथा को पढ़ सकते है जिसमें यथा दृष्टि यथा सृष्टि का अर्थ स्पष्ट हो जाएगा | एक बार...

यथा दृष्टि तथा श्रृष्टि का क्या अर्थ हैं

नमस्कार दोस्तों, Allhindi.co.in में आप सभी का स्वागत हैं| आपने कभी न कभी एक श्लोक को सुना होगा यथा दृष्टि तथा श्रृष्टि| क्या आप इसके अर्थ को जानते हैं आप में अधिकतर का जवाब ना में होगा| आज की इस लेख में आप जानेंगे की यथा दृष्टि तथा श्रृष्टि का क्या अर्थ हैं (Yatha Drishti Tatha Shrishti Ka Kya Arth Hain)| आइये इस लेख की शुरुआत करते हैं| हम जिस प्रकार की नजर या सोच के साथ इस दुनिया को देखते हैं ठीक उसी प्रकार से हमें वह दुनिया दिखती है। यथा दृष्टि तथा सृष्टि का अर्थ है कि मनुष्य जिस प्रकार से सोचता है; ठीक उसी प्रकार से उसकी सोच निर्मित होती है और जिस प्रकार से उसकी सोच निर्मित होती है वह उसी प्रकार से दुनिया को देखता है। जिस प्रकार से कोई व्यक्ति अलग रंगों का चश्मा पहन लेने से उसे पूरी दुनिया उस चश्मे के रंग के कारण अलग दिखाई देने लगती है; ठीक उसी प्रकार व्यक्ति की जिस प्रकार की सोच होती है वह उसी प्रकार से दूसरों को देखता है या दूसरे की परिस्थितियों को समझ पाता है। यथा दृष्टि तथा सृष्टि से बहुत सारी कहानियां जोड़ी नहीं है इस श्लोक से महाभारत की कथा भी बहुत ही प्रसिद्ध है। जो कि आगे इस लेख में आपको पढ़ने को मिलेगा। आइये इस कहानी के बारे में थोड़ा सा जानते हैं और यह समझने की कोशिश करते हैं कि किस प्रकार से इस श्लोक को हम अपने जीवन में उतार सकते हैं। यथा दृष्टि तथा श्रृष्टि से जुड़ी कहानियाँ | एक बार की बात है गुरु आचार्य द्रोण ने सभी पांडव की वैचारिक प्रगति तथा व्यावहारिकता के बारे में परीक्षा लेने की सोची। गुरु आचार्य को यह नहीं समझ में आ रहा था कि उनके व्यावहारिकता की परीक्षा किस प्रकार से लें। कुछ समय बाद उन्हें एक उपाय सूझा। उन्होंने दुर्योधन को अपने पास बुलाया और कहां त...

महाभारत की कथाएं : यथा दृष्टि तथा सृष्टि : जैसा दृष्टिकोण वैसा सँसार!!

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