30 जनवरी को कौनसा दिवस मनाया जाता है

  1. विश्व कुष्ठ दिवस (30 जनवरी) का इतिहास, महत्व, थीम और अवलोकन
  2. 30 जनवरी शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है?
  3. World Leprosy Day: जानिए 30 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है विश्व कुष्ठ दिवस, इसको लेकर क्या फैले हैं भ्रम
  4. 30 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस, जानिए इसके पीछे की कहानी
  5. Mahatma Gandhi Death Anniversary 2022:जानिए 30 जनवरी को गांधीजी की पुण्यतिथि के अलावा क्यों जाना जाता है?
  6. Mahatma Gandhi Death Anniversary 2023:गांधीजी की पुण्यतिथि के अलावा 30 जनवरी क्यों है खास? जानें इतिहास
  7. Martyrs Day Or Shaheed Diwas 2021 Why Every 30 January Celebrated As Martyrs Day Or Shaheed Diwas?
  8. 30 जनवरी : गांधीजी की पुण्यतिथि पर क्यों मनाया जाता है 'कुष्ठ रोग निवारण दिवस' जानिए


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विश्व कुष्ठ दिवस (30 जनवरी) का इतिहास, महत्व, थीम और अवलोकन

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30 जनवरी शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है?

30 January Shahid Diwas:- भारत देश हमेशा से ही वीरों की भूमि रहा है। इस देश में कई वीर सपूतों ने जन्म लिया है, और अपनी शहादत से इस देश की मिट्टी को पवित्र किया है। भारत में हर साल उन वीर शहीदों की याद में शहीद दिवस (Martyrs Day) मनाया जाता है। भारत में विभिन्न तारिखों पर शहीद दिवस (Martyrs Day) मनाने की परंपरा रही है। इनमें से प्रमुख तिथियां हैं, 23 मार्च जो कि भगत सिंह, राजगुरू, और सुखदेव से जुड़ी हुई हैं और दूसरी है 30 जनवरी। यह तिथि (Mahatma Gandhi) महात्मा गांधी जी से संबंधित है। 24 नवंबर को भी शहीद दिवस मनाया जाता है, जो कि गुरू तेग बहादुर जी से संबंधित है। शहीद दिवस की तारीख अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन शहीद दिवस की भावना एक ही रहती है। हम भारतवासी अपने उन जाबांज क्रांतिकारियों को याद कर उनके लिए श्रध्दा सुमन अर्पित करने के लिए ही यह दिवस मनाते हैं। शहीद दिवस (Martyrs Day) वाले दिन जगह-जगह पर देशभक्ति कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन शहीदों से जुड़ी प्रस्तुतियां और भाषण दिए जाते हैं। इस दिन कई तरह की प्रतियोगिताएं जैसे कि कविता वाचन,निबंध लेखन, चित्रकला प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है। इस लेख को हमने कई बिंदूओं के आधार पर तैयार किया है जैसे कि शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है? शहीद दिवस कब है, Shahid Diwas 2023, शहीद दिवस किसकी याद में मनाया जाता हैं? 30 जनवरी को क्या हुआ था , शहीद दिवस कब से मनाया जा रहा है आदि। शहीद दिवस के बारे में सारी जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़े। 30 January Shahid Diwas 2023 टॉपिक शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है साल 2023 लेख प्रकार आर्टिकल दिवस शहीद दिवस (महात्मा गांधी पुण्यतिथि) तिथि 30 जनवरी किसकी याद में महात्मा गांधी जी क्या हुआ थ...

World Leprosy Day: जानिए 30 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है विश्व कुष्ठ दिवस, इसको लेकर क्या फैले हैं भ्रम

दुनियाभर में हर साल 29 जनवरी को विश्व कुष्ठ दिवस (World Leprosy Day) मनाया जाता है, जबकि वर्ल्ड लेप्रोसी डे को भारत में महात्मा गांधी के पुण्यतिथि 30 जनवरी को मनाया जाता है. इसे हर साल कुष्ठ रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 1954 में राउल फोलेरो ने की थी. उन्होंने इस दिन को गांधी जी को समर्पित किया था. इस जनवरी के आखिरी रविवार (Sunday) को मनाया जाता है. दरअसल महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों के प्रति दया और स्नेह का भाव रखते थे. जिसे ही ध्यान में रखते हुए वर्ल्ड लेप्रोसी डे को भारत में 30 जनवरी को मनाया जाता है. क्या है कुष्ठ रोग कुष्ठ रोग को हेन्संस रोग के बारे में भी जाना जाता है. यह बीमारी मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. इस बीमारी के होने के चलते स्किन, श्वसन तंत्र, आंखें और तंत्रिकाएं बहुत ज्यादा प्रभावित होती है. इसके साथ ही इस बीमारी के होने पर दिमाग और रीढ़ की हड्डी के बाहर की नसों को प्रभावित होती है. कुष्ठ रोग अनुवांशिक एवं छुआछूत रोग नहीं है. इसका मतलब अगर किसी को ये बीमारी है तो उसके साथ खाना खाने, उठने-बैठने से नहीं फैलता है. कुष्ठ रोग को लेकर फैले हैं ये भ्रम • लोगों में ये भ्रांतियां है कि एक बार जिसे ये बीमारी हो जाती है उसका इलाज नहीं किया जा सकता है. जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. इसका इलाज किया जा सकता है. कुष्ठ रोग से ठीक हो चुके लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं. • लोगों में ये भी मिथ फैला हुआ है कि कुष्ठ रोग अत्यधिक संक्रामक बीमारी है. यानी रोगी के छूने भर से ये बीमारी हो सकती है. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है. ये बीमारी किसी को तभी हो सकती है जब उसके साथ लंबे समय तक संपर्क में रहा जाएं. गले लगन...

30 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस, जानिए इसके पीछे की कहानी

बापू यानि महात्मा गांधी हमेशा से ही अहिंसा में विश्वास रखने वालों के लिए एक प्रेरक व्यक्तित्व रहे हैं। उनके विचारों को आज भी दुनिया में काफ़ी सम्मान दिया जाता है। 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी का असल नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। बापू की 30 जनवरी, 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उन्हें नाथूराम विनायक गोडसे ने दिल्ली में गोलियों से भून दिया था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधी का अहम योगदान माना जाता है। ऐसे में उनकी मृत्यु के दिन यानि 30 जनवरी को देश में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। आइए इस मौके पर जानते हैं उस घटना से जुड़ी दिलचस्प बातें… प्रार्थना सभा से बाहर निकल रहे थे बापू और… 30 जनवरी, 1948 की शाम जब महात्मा गांधी दिल्‍ली के बिड़ला भवन से प्रार्थना सभा से बाहर निकल रहे थे, तभी बाहर खड़े नाथूराम गोडसे ने बापू के सीने को गोलियों से छलनी कर दिया। गांधी के आस-पास लगी भीड़ को चीरते हुए गोडसे उनके सामने पहुंचा और अपनी सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल से तीन गोलियां उनकी छाती में उतार दी। हालांकि, गोडसे को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था। अदालती कार्यवाही के एक साल नाथूराम गोडसे को 8 नवंबर, 1949 को फांसी की सजा हुई और 15 नवंबर, 1949 को उसे फांसी के तख्त पर लटकाया गया। आखिर गांधी को मारने की क्या वजह रहीं? महात्मा गांधी ने पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने के लिए पहल की, जिसके लिए उन्होंने काफी दिनों तक उपवास रखा। गोडसे का आरोप था कि सरकार मुस्लिमों के प्रति तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। वहीं, गोडसे भारत के विभाजन के समय हुए साम्प्रदायिक दंगों का जिम्मेदार भी गांधी को ही मानते थे। गोडसे का हत्या के बाद दिया गया बयान नाथूराम गोडसे को गिरफ्तार करने...

Mahatma Gandhi Death Anniversary 2022:जानिए 30 जनवरी को गांधीजी की पुण्यतिथि के अलावा क्यों जाना जाता है?

सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को आजादी दिलाने वाले प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में एक नाम मोहनदास करमचंद गांधी का था। कोई उन्हें महात्मा तो कोई बापू के नाम से पुकारता है। देश के राष्ट्रपिता होने की उपाधि महात्मा गांधी को मिली है। राष्ट्रपिता यानी हर भारतीय के पिता, जिन्होंने सही राह पर चलकर अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने की सीख दी। एक पिता की तरह लड़ाई झगड़े और खून खराबे से दूर रहने और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। आजादी के कुछ महीनों बाद 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। उस शाम प्रार्थना के दौरान बिड़ला हाउस में गांधी स्मृति में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को गोली मार दी थी। ये दिन इतिहास में गांधीजी की पुण्यतिथि के तौर पर हमेशा के लिए दर्ज हो गया। लेकिन क्या आपको पता है कि गांधी पुण्यतिथि के अलावा 30 जनवरी को क्यों खास है? चलिए जानते हैं कि 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अलावा और क्यों मनाया जाता है? 30 जनवरी को शहीद दिवस भारतवासी 30 जनवरी को शहीद दिवस के तौर पर मनाते हैं। इस दिन महात्मा गांधी का निधन हुआ था। बापू की पुण्यतिथि को देश शहीद दिवस के तौर पर मनाते हुए महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस मौके पर दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी जी की समाधि पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री पहुंचते हैं और स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के योगदान को याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। देश के सशस्त्र बलों के शहीदों को सलामी दी जाती है। पूरे देश में बापू की याद और शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा जाता है। 23 मार्च के शहीद दिवस से अंतर वैसे भारत में 30 जनवरी के अलावा 23 मार्च को भी शहीद दिवस के तौर...

Mahatma Gandhi Death Anniversary 2023:गांधीजी की पुण्यतिथि के अलावा 30 जनवरी क्यों है खास? जानें इतिहास

Mahatma Gandhi Death Anniversary 2023: भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की 30 जनवरी को पुण्यतिथि होती है। मोहनदास करमचंद गांधी को उनके व्यक्तित्व, योगदान के लिए महात्मा गांधी, बापू जैसे नामों से संबोधित किया जाता है। महात्मा गांधी सदैव सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते थे। उन्होंने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सत्य और अहिंसा को अपनाया और जीत हासिल की। 'अहिंसा परमो धर्म:' का उनका संदेश पुरी दुनिया में मशहूर है। भारत ही नहीं विदेशों तक लोग किसी आंदोलन या प्रदर्शन के लिए अंहिसा के मार्ग को अपनाते हैं। भारत को आजादी दिलाने के कुछ समय बाद ही महात्मा गांधी का निधन हो गया। 30 जनवरी 1948 को शाम की प्रार्थना के बाद बिड़ला हाउस में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को गोली मार दी। इतिहास में यह दिन काले अक्षरों से दर्ज हो गया। आइए जानते हैं 30 जनवरी का इतिहास, महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अलावा क्यों खास है ये दिन। 30 जनवरी का भारत इतिहास भारत में 30 जनवरी का दिन बेहद खास और ऐतिहासिक आधार पर महत्वपूर्ण है। इस दिन भारत ने कई महान शख्सियत का निधन हुआ है। • देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ। • 30 जनवरी 1530 को मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह का निधन। • 1960 में प्रसिद्ध लेखक, कवि, भाषाविद और सम्पादक नाथूराम प्रेमी का निधन। • 1960 में ही भारत के एक अर्थशास्त्री जे.सी. कुमारप्पा का निधन। • 1968 को हिन्दी साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी का निधन। क्यों मनाया जाता है 30 जनवरी को शहीद दिवस? महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को देश शहीद दिवस के तौर पर मनाता है। इस दिन दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी जी की समाधि स्थल पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री...

Martyrs Day Or Shaheed Diwas 2021 Why Every 30 January Celebrated As Martyrs Day Or Shaheed Diwas?

Martyr's Day 2021: हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस या Martyr’s Day के रूप में क्यों मनाया जाता है ? Martyr's Day or Shaheed Diwas 2021: भारत में शहीद दिवस (Martyrs Day or Shaheed Diwas 2021) हर साल 30 जनवरी और 23 मार्च को भारत की स्वतंत्रता, गौरव, कल्याण और प्रगति के लिए लड़ने वाले पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है. Martyr's Day 2021: भारत सहित दुनिया के 15 देश अपने स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने के लिए शहीद दिवस मनाते हैं. और भारत में शहीद दिवस (Martyrs Day or Shaheed Diwas 2021) हर साल 30 जनवरी और 23 मार्च को भारत की स्वतंत्रता, गौरव, कल्याण और प्रगति के लिए लड़ने वाले पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है. भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध हस्ती महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की हत्या 30 जनवरी, 1948 को शाम की प्रार्थना के दौरान बिड़ला हाउस में गांधी स्मृति में नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) द्वारा की गई थी. उस समय वह 78 वर्ष के थे. इस दिन को शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. वह भारत को एक धर्मनिरपेक्ष और एक अहिंसक राष्ट्र के रूप में बनाए रखने के प्रबल समर्थक थे, जिसके कारण उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. 23 मार्च को भी शहीद दिवस के रूप में चिह्नित किया जाता है, क्योंकि उस दिन भगत सिंह (Bhagat Singh) , राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी. शहीद दिवस कैसे मनाया जाता है ? Listen to the शहीद दिवस के अवसर पर महात्मा गांधी की समाधि, राजघाट पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री एक साथ आते हैं. सभी गणमान्य व्यक्ति महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हैं और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके बह...

30 जनवरी : गांधीजी की पुण्यतिथि पर क्यों मनाया जाता है 'कुष्ठ रोग निवारण दिवस' जानिए

इस रोग का जिक्र भारतीय ग्रंथों में किया गया है। भारतीय ग्रंथों के अनुसार 600 ईसा पूर्व इस रोग का उल्लेख किया गया है। यह रोग मुख्य रूप से मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य भागों को प्रभावित करता है। कुछ लोग कुष्ठ रोग को वंशानुगत या दैवीय प्रकोप मानते है, लेकिन यह रोग न तो वंशानुगत है और न ही दैवीय प्रकोप है, बल्कि यह रोग जीवाणु द्वारा होता है। यह रोग भारत सहित संपूर्ण विश्व के पिछड़े हुए देशों के लिए एक ऐसी समस्या है, जो कि लाखों लोगों को दिव्यांग बना देता है, लेकिन पश्चिमी देशों में इस रोग का प्रभाव न के बराबर है। भारत देश में भी इस रोग पर काफी नियंत्रण किया जा चुका है। जिन कुष्ठ रोगियों को समाज धिक्कारता है, उन कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों से हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी काफी स्नेह और सहानुभूति रखते थे, क्योंकि वे जानते थे कि इस रोग के क्या सामाजिक आयाम हैं। इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवन में कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की काफी सेवा की और कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए काफी प्रयास किए। कहा जाए तो हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रयासों की वजह से ही भारत सहित कई देशों में अब कुष्ठ रोगियों को सामाजिक बहिष्कार का सामना नहीं करना पड़ता। अब समाज का अधिकतर तबका समझ गया है कि कुष्ठ रोग कोई दैवीय आपदा नहीं बल्कि एक बीमारी है, जो कि किसी को भी हो सकती है और इसका इलाज संभव है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के प्रयासों की वजह से ही हर वर्ष 30 जनवरी उनकी पुण्यतिथि को 'कुष्ठ रोग निवारण दिवस' के रूप में मनाया जाता है। त्वचा पर घाव होना कुष्ठ रोग के प...