42वां संविधान संशोधन क्या है

  1. संविधान संशोधन
  2. भारतीय संविधान का बयालीसवाँ संशोधन
  3. 42वां संविधान संशोधन के समय प्रधानमंत्री कौन था?
  4. 42 वें संविधान के संशोधन के विषय में आप क्या जानते हैं? » 42 Ve Samvidhan Ke Sanshodhan Ke Vishay Me Aap Kya Jante Hain
  5. 42वां संविधान संशोधन 1976
  6. R. Day SPL: जानें क्या हुआ 42वें संशोधन में, जिसे कहते हैं गणतंत्र की आत्मा पर हमला
  7. 42वां संविधान संशोधन
  8. संविधान संशोधन


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संविधान संशोधन

विवरण ' संविधान लागू होने की तिथि 42वाँ संशोधन संबंधित लेख अन्य जानकारी ' भारत का संविधान (42वाँ संशोधन) अधिनियम, 1976 • • इस अधिनियम द्वारा संविधान में अनेक महत्त्वपूर्ण संशोधन किए गए। • ये संशोधन मुख्यत: स्वर्णसिंह आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए थे। • कुछ महत्त्वपूर्ण संशोधन समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्र की अखंडता के उच्चादर्शों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने, नीति निर्देशक सिद्धांतों को अधिक व्यापक बनाने और उन्हें उन मूल अधिकारों, जिनकी आड़ लेकर सामाजिक-आर्थिक सुधारों को निष्फल बनाया जाता रहा है, पर वरीयता देने के उद्देश्य से किए गए। • इस संशोधनकारी अधिनियम द्वारा नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों के संबंध में एक नया अध्याय जोड़ा गया और समाज विरोधी गतिविधियों से चाहे वे व्यक्तियों द्वारा हों या संस्थाओं द्वारा, निपटने के लिए विशेष उपबंध किए गए। • क़ानूनों की संवैधानिक वैधता से संबंधित प्रश्नों पर निर्णय लेने के लिए न्यायाधीशों की न्यूनतम संख्या निर्धारित करने तथा किसी क़ानून को संवैधानिक दृष्टि से अवैध घोषित करने के लिए कम-से-कम दो तिहाई न्यायाधीशों की विशेष बहुमत व्यवस्था करके न्यायापालिका संबंधी उपबंधों का भी संशोधन किया गया। • उच्च न्यायालयों में अनिर्णित मामलों की बढ़ती हुई संख्या को कम करने के लिए और सेवा, राजस्व, सामाजिक-आर्थिक विकास और प्रगति के संदर्भ में कतिपय अन्य मामलों के शीघ्र निपटारे को सुनिश्चित करने के लिए इस संशोधनकारी अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 136 के अधीन ऐसे मामलों में • अनुच्छेद 226 के अधीन उच्च न्यायालयों के रिट अधिकार क्षेत्र में भी कुछ संशोधन किया गया। पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ बाहरी कड़ियाँ संबंधित लेख

भारतीय संविधान का बयालीसवाँ संशोधन

संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, १९७६ भारतीय संविधान को संशोधित करने वाला अधिनियम प्रादेशिक सीमा द्वारा अधिनियमित पारित करने की तिथि 2 नवम्बर 1956 द्वारा अधिनियमित पारित करने की तिथि 11 नवम्बर 1976 अनुमति-तिथि 18 दिसम्बर 1976 शुरूआत-तिथि 3 जनवरी 1977 विधायी इतिहास संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) बिल, 1976 बिल प्रकाशन की तारीख 1 सितम्बर 1976 द्वारा पेश विधेयक में पेश किया Constitution (Forty-second Amendment) Bill, 1976 बिल प्रकाशन की तारीख 4 नवम्बर 1976 कानून निरस्त 43rd and 44th Amendments सारांश Provides for curtailment of fundamental rights, imposes fundamental duties and changes to the basic structure of the constitution by making India a "Socialist Secular" Republic. निम्न विषय पर आधारित • Hart, Henry C. (April 1980). "The Indian Constitution: Political Development and Decay". Asia Survey, Vol. 20, No. 4, Apr., 1980. University of California Press. • Kesharwani, Gyan Prakash (2019-07-14). Centre for Constitutional Research and Development (अंग्रेज़ी में). . अभिगमन तिथि 2020-01-31. • Dev, Nitish. . अभिगमन तिथि 12 April 2012. इन्हेंभीदेखें [ ] •

42वां संविधान संशोधन के समय प्रधानमंत्री कौन था?

26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस. 69 साल पहले इसी दिन तत्कालीन समाज को देखते हुए विविधता भरे इस देश में संविधान लागू हुआ था. बनाने वालों ने सुनिश्चित किया कि ये किसी धार्मिक किताब की तरह स्थाई न रहकर आधुनिकता के साथ गतिशील रहे और आने वाली पीढ़ियों के बदलते हकों की बात करे. मतलब चिर युवा रहे. इसके आर्टिकल 368 के आधार पर हमारी संसद संविधान में संशोधन कर सकती है. हमारे देश का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. इसकी एक खूबसूरत प्रस्तावना भी है, जिसे हम एनसीईआरटी की किताबों की शुरुआत में लिखा हुआ पाते हैं. विषयसूची Show • • • • • • • अब तक संविधान में 103 संशोधन किए जा चुके हैं, लेकिन संविधान की प्रस्तावना में केवल एक बार संशोधन किया गया है. ये संशोधन इंदिरा गांधी के शासन के आपातकाल के दौरान हुआ था. ये 42वां संशोधन था और अब तक का सबसे व्यापक. उस वक्त ऐसा लगा था कि इस संशोधन के द्वारा सरकार कुछ भी बदल सकती है. उस वक्त विद्वानों के दिल दहल गये थे. इस संशोधन को लाने का मतलब क्या था 42वें संशोधन में अहम संशोधन थे कि किसी भी आधार पर संसद के फैसले को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती थी. साथ ही सांसदों एवं विधायकों की सदस्यता को भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती थी. किसी विवाद की स्थिति में उनकी सदस्यता पर फैसला लेने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति को दे दिया गया और संसद का कार्यकाल भी पांच वर्ष से बढ़ाकर छह वर्ष कर दिया गया. संविधान में इस संशोधन को लेकर जो आधिकारिक तर्क दिए गए थे उसके हिसाब से हमारा संविधान बहुत ही तार्किक है और वो किसी भी संस्था के विकास में रुकावटें नहीं पैदा करता. हालांकि, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इन संस्थाओं में एक तरह का तनाव भी है और कुछ...

42 वें संविधान के संशोधन के विषय में आप क्या जानते हैं? » 42 Ve Samvidhan Ke Sanshodhan Ke Vishay Me Aap Kya Jante Hain

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आपका प्रश्न है कि 42 वें संविधान के संशोधन के विषय में आप क्या जानते हैं मैं यह कहना चाहूंगी कि हमारा संविधान पूरी दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है और सबसे बड़े लोकतंत्र देश में यह चल रहा है यह हमारे संविधान भी बहुत अच्छा है लेकिन उसकी जो मूल जी से है उसको कभी-कभी बदलने की कोशिश हुई है संशोधन द्वारा 103 या उससे ज्यादा संशोधन हो चुके हैं तो 42वां संशोधन इंदिरा गांधी जी के समय में हुआ था और उस समय ऐसा लग रहा था जैसे वह मौलिक अधिकारों का हनन करना चाहती है ऐसा लग रहा था कि जो संसद है और लोकसभा है संसद है तो उसको कहीं भी न्यायपालिका में भी आ चुनौती ना दे जा सके इस तरह का संशोधन करने की बात चल रही थी इसलिए इसकी विद्वानों ने काफी भर्त्सना की थी मेरे ख्याल से आप थोड़ा समझ गए होंगे तो फटी सेकंड संविधान संशोधन अब तक का सबसे पावरफुल संशोधन माना गया है जिससे कि जो भी लोकसभा राज्यसभा सांसद में जो कुछ भी होगा उसको कहीं भी कहीं भी उसे चैलेंज ना किया जाए तो यह एक बहुत बड़ी पावर थी धन्यवाद aapka prashna hai ki 42 ve samvidhan ke sanshodhan ke vishay me aap kya jante hain main yah kehna chahungi ki hamara samvidhan puri duniya ka sabse lamba likhit samvidhan hai aur sabse bade loktantra desh me yah chal raha hai yah hamare samvidhan bhi bahut accha hai lekin uski jo mul ji se hai usko kabhi kabhi badalne ki koshish hui hai sanshodhan dwara 103 ya usse zyada sanshodhan ho chuke hain toh va sanshodhan indira gandhi ji ke samay me hua tha aur us samay aisa lag raha tha jai...

42वां संविधान संशोधन 1976

संविधान संशोधन क्या है : इसे सरल शब्दों में समझे तो संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन या यूँ कहें की बदलाव होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ' संविधान संशोधन' कहा जाता है। 42वां संविधान संशोधन : इस संशोधन का अधिकांश प्रावधान 3 जनवरी 1977 को लागू हुआ, अन्य 1 फरवरी से लागू किया गया और 01 अप्रैल 1977 को लागू हुआ। ध्यान रहे की 42वां संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान अधिनियमित किया गया था। इसे संविधान में सर्वाधिक विवादास्पद संशोधनों में से एक कहा जाता है क्योंकि इसने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की शक्ति को कम करने एवं कई अन्य सामाजिक-राजनीतिक स्वतंत्रताओं पर प्रतिबंध आरोपित करने लगाने का प्रयास किया गया था। भारतीय संविधान के बारें में अधिक पढने के लिए यहाँ क्लिक करें

R. Day SPL: जानें क्या हुआ 42वें संशोधन में, जिसे कहते हैं गणतंत्र की आत्मा पर हमला

संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत हमारी संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति दी गई। ताकि भारतीय संविधान कभी भी वृद्ध न हो सके। 26 जनवरी 1950 को संविधान के लागू होने के बाद से अब तक 100 से अधिक संविधान संशोधन किए गए। इन सभी संशोधनों में एक संशोधन ऐसा भी हुआ, जिसको लेकर यह आरोप लगाया जाता है कि इसने सीधे National Voters' Day 2020: ये 5 बड़ी बातें जो भारत के मतदाताओं के लिए जानना है बहुत जरूरी क्या था 42वां संविधान संशोधन? 1976 में आपातकाल के दौरान हुए इस संशोधन ने न्यायपालिका से सभी महत्वपूर्ण शक्तियां छीनकर संसद को दे दी गई। इस संशोधन में किसी भी आधार पर संसद के फैसले को न्यायालय में चुनौति नहीं दी जा सकती थी। साथ ही सांसदों एवं विधायकों की सदस्यता को भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। किसी विवाद की स्थिति में उनकी सदस्यता पर फैसले लेने का अधिकार संसद की चयन समिति और राष्ट्रपति को दे दिया गया। गणतंत्र दिवस: ब्राजील के राष्ट्रपति होंगे Chief guest, जानें मोदी सरकार में आए मेहमानों के बारे में इंदिरा गांधी की सरकार ने लिया फैसला संविधान विशेषज्ञों के अनुसार 42वें संशोधन में पर्यावरण से जुड़ी चीजों का झुनझुना पकड़ाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने राजनीतिक हितों को साधने की कोशिश कर रही थीं। दरअसल 1971 के Top News • बृजभूषण के खिलाफ चार्जशीट दाखिल, दिल्ली पुलिस ने की पोक्सो मामला रद्द... • नीतीश के लोकसभा चुनाव जल्दी होने की संभावना पर तेजस्वी बोले- यह... • बृजभूषण के खिलाफ चार्जशीट : पहलवानों के प्रदर्शन को लेकर सस्पेंस... • केजरीवाल ने अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए NCCSA की... • मोदी सरकार ने साबित किया कि उसकी लड़ाई देश की जनता से है: कांग्...

42वां संविधान संशोधन

42वां संविधान संशोधन भारतीय संविधान की एक अहम विशेषता यह है कि इसमें कठोरता और लचीलापन दोनों का अच्छा समावेश है। इसका अर्थ यह हुआ कि संविधान में परिस्थितियों एवं आवश्यकताओं के अनुसार इसे परिवर्तित करने की व्यवस्था दी गई है। संशोधन की यह प्रक्रिया ब्रिटेन के समान आवश्यकता से अधिक आसान अथवा अमेरिका के समान अत्यधिक कठिन नहीं है। संशोधन की  प्रक्रिया के आवश्यकता से अधिक आसान होने से इसके दुरूपयोग की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और अत्यधिक कठिन होने से त्रुटियों को सुधारना भी कठिन हो जाता है | इस लेख में हम आपको यह बताने का प्रयास करेंगे कि भारतीय संविधान के संशोधन की क्या पà¥...

संविधान संशोधन

संशोधन (amendment) कहते हैं। सभा या समिति के प्रस्ताव के शोधन की क्रिया के लिए भी इस शब्द का प्रयोग होता है। किसी भी देश का संवैधानिक संशोधन की प्रक्रिया का उल्लेख लिखित संविधान का आवश्यक अंग माना गया है। उद्देशिका बी एन राव ने बनाया है जिसे प.जवाहरलाल नेहरू ने पेश किया जिसे 22 जनवारी 1947 को स्वीकार किया गया है। समर्थन [ ] साधारणतया किसी सभा या समिति में किसी भी सदस्य को अपना मत प्रकट करने या कोई प्रस्ताव प्रेषित करने का अधिकार होता है। या जब किसी सभा के सदस्यों को सभा के विभिन्न पदों के लिए अलग-अलग व्यक्तियों को मनोनीत करने का अधिकार होता है, तब मनोनीत करनेवाले सदस्य के कार्य की पुष्टि दूसरे सदस्य के द्वारा होना अनिवार्य होता है। अत: एक सदस्य जब किसी प्रस्ताव को प्रेषित करता है या किसी सदस्य को किसी कार्य के लिए मनोनीत करता है, तब इस कार्य को संवैधानिक बनाने के लिए दूसरे सदस्य को इस कार्य का समर्थन या अनुमोदन करना पड़ता है। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो उपयुक्त कार्य वैधानिक नहीं माने जाएँगे और वे कार्य शून्य घोषित किए जाएँगे। संविधान संशोधन की प्रक्रिया [ ] भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में संविधान संशोधन की दो प्रक्रियाओं का उल्लेख मिलता है। जो निम्न है - 1 - संसद के विशिष्ट बहुमत द्वारा संशोधन की प्रक्रिया 2 - संसद के विशिष्ट बहुमत और राज्य विधानमंडलों के अनुमोदन से संशोधन की प्रक्रिया लेकिन संविधान संशोधन का एक तरीका और है जो निम्न है - संसद के विशिष्ट बहुमत और राज्य विधानमंडलों के अनुमोदन से संशोधन की प्रक्रिया [ ] यदि संविधान में दर्ज इन उपबन्धों से संबन्धित नियमों,क़ानूनों और व्यवस्थाओं में संशोधन करना है तो इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। यह उपबन्ध निम्न है -...